प्यासी अन्तर्वासना की दुविधा-4
मैंने कुछ पल सोचा कि कम से कम ये चाट कर ही मुझे झड़ने में मदद करे, तो कुछ राहत मिले. तो मैंने उसकी बात मान ली और अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पैंटी निकाल दी.
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मैंने कुछ पल सोचा कि कम से कम ये चाट कर ही मुझे झड़ने में मदद करे, तो कुछ राहत मिले. तो मैंने उसकी बात मान ली और अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पैंटी निकाल दी.
निगोड़े मर्दों का कहाँ दिल भरता है? और कच्ची कलियों का मज़ा कुछ और ही होता है. और फिर ‘नया माल नखरे करके मिले तो … उसके तो कहने ही क्या!”
पहली बार अपनी मुंह बोली बेटी की फुद्दी देखी. वैसे मैंने उसको भी आज पहली बार ही देखा था, तो उसकी हर चीज़ पहली बार ही देख रहा था। मैंने उसकी फुद्दी को छूकर देखा और …
एक लड़का मेरे से गांड मरवाता था. एक बार मुझे उसके घर जाने का मौक़ा मिला तो मैंने उसकी मम्मी को देखा. एकदम माल लग रही थी. मैंने उसके साथ कैसे हॉट सेक्स किया? पढ़ें इस कहानी में!
हमारे जिस्म जल रहे थे. कुछ देर हम एक दूसरे के बदन की गर्मी को फील करते रहे, फिर शायरा के रक्तिम होंठों से मेरे होंठ मिले तो हमारे हमारे जिस्म की प्यास भी बढ़ गयी.
शायरा को अपने नंगेपन का अहसास हुआ तो वो तुरन्त उठकर बैठ गयी. उसने हाथ पैरों से अपना नंगा बदन छुपाया और अपने कपड़ों को ढूँढने लगी जो इधर उधर बिखरे पड़े थे.
उसकी चुत चाटते चाटते मैं खुद ही होश खोने लगा. जैसे जैसे मेरी जीभ शायरा की चुत पर चल रही थी … वैसे वैसे मेरी उसकी चुत के प्रति दीवानगी बढ़ती जा रही थी.
शायरा मेरे सामने सिर्फ़ गुलाबी पैंटी में थी. जो आगे से पूरी भीगी हुई थी. भीगी पैंटी देख उसकी चुत की महक लेने को अपने आप ही मेरा सिर उसकी जांघों के बीच झुक गया.
मैं ट्रेन से दिल्ली से बंगलौर जा रही थी. मेरे सामने वाली सीट पर एक हैंडसम लड़का था. वो मुझे अच्छा लगा. उससे कैसे मेरी दोस्ती हुई और हम दोनों ने ट्रेन में क्या क्या किया? पढ़ें.
सामने वाली कुंवारी लड़की चुदते समय मुझसे अपने मम्मी पापा की चुदाई के बारे में बातें जरूर करती थी. अब मेरा लंड भी उसकी मम्मी की चूत के सपने देखने लगा था.