नमस्कार मित्रो! अन्तर्वासना पर चूत में लंड की सेक्सी कहानी पढ़ने के शौकीन साथियों,
मेरी पिछली कहानी
हरामी पेंटर और चूत का रंग-1
को पढ़ने और पसंद करने के लिए शुक्रिया, आपके ढेर सारे मेल्स मुझे नई नई कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, मेरी यह कहानी पढ़ें और मजा लें.
कुछ दिन बाद हमने मिलने का प्लान बनाया, हमने एक जगह फिक्स की जो मेरे कॉलेज से 150 किलोमीटर दूर थी, जहां हम दोनों को कोई भी नहीं पहचानता था.
उस दिन मैंने लाल रंग का एक वन पीस ड्रेस पहन रखा था जो मेरे घुटनों तक लंबा था और उसमें मेरे गोरे पैर सबको दिखते थे, मैंने गले में एक नेकलेस पहन रखा था जो मेरे ड्रेस के साथ अच्छा लग रहा था और कानों में इयरिंग्स पहनी हुई थी.
मैं अपने हॉस्टल से निकली और दोपहर बाद करीब चार बजे उस जगह पर पहुंची, वो पहले से अपनी कार लेकर वहां पहुंचा हुआ था, हमने एक दूसरे को देखा फिर हाथ मिला कर हाई बोला, फिर उसने मेरे लिए अपने गाड़ी का दरवाजा खोला और मैं गाड़ी में बैठ गई.
दो-तीन घंटे हम वहां घूमे फिरे, कुछ प्लेसेस देखे, फिर एक रेस्ट्रोरेंट में जाकर खाना खाया.
तब हम होटल की तरफ निकले, नितिन ने पहले से ही एक रूम बुक किया था, रिसेप्शन से चाबी लेकर हम सीढ़ी से हमारे रूम की तरफ निकले, नितिन ने दरवाजा खोल दिया और हम दोनों अंदर चले गए, उसने दरवाजा लॉक किया और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा.
मैं घूमती हुई उसकी बाहों में चली गई, उसने अपने दोनों हाथों से मुझे उठाया और बेड की तरफ चल पड़ा, उसने मुझे हल्के से बेड पर लिटा दिया, मैं उसकी तरफ वासना भरी निगाहों से देखने लगी.
उसने मेरे ऊपर आते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए, मेरे होंठ उसके होंठों के स्पर्श से थरथरा उठे, नितिन उठ खड़ा हुआ, उसने अपना जैकेट निकाल दिया, अपनी घड़ी निकाली और अपने शर्ट की बाजू के बटन खोल दिए, मैं खड़ी होकर उसके पास गई और उसकी शर्ट के बटन एक एक करके खोलने लगी.
वो भी मेरी तरफ प्यासी निगाहों से देख रहा था, मैंने उसकी शर्ट के सारे बटन निकाल दिए और शर्ट को साइड पर रख दिया और उसके सीने पर किस करने लगी, उसके सीने को चूमते हुए मैंने उसकी बेल्ट खोली और पैंट के हुक को खोल कर पैंट नीचे सरका दी, अब वो सिर्फ अपनी अंडरवीयर में था.
मेरे नाजुक हाथों के स्पर्श से वो मचल उठा था, उसने मुझे कस के गले लगाया, मेरे चुचे उसके सीने में गड़ गये, मैं भी बहुत उत्तेजित हो गई थी.
वह वैसे ही मुझे पलंग के पास ले गया और मुझे पलंग पर बिठाया, मेरे पैर पलंग से नीचे झूल रहे थे.
नितिन मेरे सामने बैठा, मेरे पैर ऊपर उठा कर मेरे पैरों से सैंडल निकाल दिए, मेरे गोरे पैरों को देख कर उससे रहा नहीं गया और वो मेरे पैरों को चूमने लगा, वो मेरे तलवों को भी चूम रहा था,
वो मेरे तलवो पे उंगलियों से गुदगुदी करने लगा, गुदगुदी की वजह से मैं मेरा पैर इधर उधर हिलाने लगी, घुटनों तक की ड्रेस की वजह से उसकी नजर मेरी जांघों पर पड़ी, वो धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर सरकाते हुए मेरे पैरों को घुटनों तक सहलाने लगा.
मर्दाना स्पर्श से मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, मैं कुछ विरोध ना करते हुए उस पल का मजा ले रही थी, वो सेक्स मैं एक निपुण खिलाड़ी के तरह मुझे उत्तेजित कर रहा था.
उसने मेरे बगल में हाथ डाल कर मुझे खड़ा किया और नीचे बैठते हुए मेरी ड्रेस को पकड़ा और ऊपर उठाते हुए मेरे शरीर से अलग कर दिया, मैंने भी अपने हाथ ऊपर उठा कर ड्रेस निकालने में उसकी मदद की.
वो थोड़ा पीछे हुआ और मेरे गोरे शरीर को निहारने लगा, वो मेरे पैरों को घुटनों तक नंगा देख चुका था, अब वो मेरी नंगी जांघें, नाजुक कमर को देख रहा था, मेरे सफ़ेद पेट, गहरी नाभि देख रहा था.
मैंने उस दिन काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, मेरे गोरे गले पे वो नेकलेस चमक रहा था, वो मुझे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था, मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी.
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गया और मेरे पेट पर किस करने लगा, धीरे धीरे ऊपर सरकते हुए वो मेरे चुचों के पास पहुंचा, फिर उसने हाठ मेरे पीछे पीठ पर ले जाते हुए मेरी ब्रा के हुक को खोला और ब्रा निकाल दी, मेरे गोरे स्तन उसके सामने नंगे हो गए, वो मेरे ब्राउन ऐरोला को, खड़े हुए निप्पल्स को देख रहा था, मेरे दायें ऐरोला के पास के तिल पर उसकी नजर पड़ी, तो उसने पहले मेरे तिल को चूमा फिर अपने होंठों को मेरे ऐरोला पर घुमाया, फिर मेरे निप्पल को धीरे से काटा, ये सब उसने इतने नजाकत से किया कि दर्द होने के बजाय मैं और चुदासी हो गई.
फिर वो अपनी जीभ से मेरे निप्पल्स को छेड़ते हुए मेरे एक एक निप्पल बारी बारी चूसने लगा, मेरा हाथ अब उसके बालों में घूमने लगा था और मेरी आँखें सेक्स के नशे में बंद हो गई थी, उसने निप्पलों को चूसना छोड़ दिया और वापस किस करता हुआ मेरे पेट तक पहुंचा, फिर उसने अपनी उंगलियों को मेरे पेंटी की इलास्टिक में फंसाया और धीरे से मेरी पेंटी को उतार दिया.
उसका सर बिल्कुल मेरी चुत के पास था, मेरी चुत की खुशबू उसे मदहोश कर रही थी, मैंने अपनी गोरी चुत को सुबह ही शेव किया था, मेरे चुत के होंठ अब गीले हो गए थे, नितिन ने मेरे नीचे के होंठों पर अपनी नाक को रगड़ा, तो मेरी चुत ने अपने आप ही पंखुड़ियों को खोल कर बंद किया, मेरी चुत की खुशबू फिर एक बार उसके नथुनों में भर गई, उसकी निक्कर में अब एक बड़ा सा टेन्ट बना हुआ था.
उसने मेरी चुत को हल्के से चूमा और फिर धीरे से पंखुड़ियों को अलग किया और मेरे क्लिट को अपनी जीभ से छुआ, मेरा तन बदन सिहर उठा और मेरे मुख से ‘आह…उम्म्ह… अहह… हय… याह… ‘ निकल गया.
मैंने अपने दांतों तले मेरे निचले होंठ को दबाया हुआ था, वो अपने थूक से मेरी क्लिट को गीला कर रहा था, मैंने अपने हाथों से उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चुत पर दबाने लगी, वो भी अपनी जीभ से मेरी क्लिट को मसल रहा था.
उसने अपनी उंगली मेरी चुत में घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगा, थोड़ी ही देर बाद मैं झड़ गई, वो लपालप मेरी चुत का रस पिए जा रहा था.
मैं थक कर पलंग के किनारे पैर पसार कर बैठ गई, वो आगे आकर फिर से मेरी चुत चाटने लगा, मैंने भी उसका सिर पकड़कर मेरे चुत पे दबाया और इशारे से ही मुझे और चाहिए बताया.
उसने फिर से दो उंगलियाँ मेरी चुत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा, मैं उसके वार सहन नहीं कर सकी और मेरा बदन अकड़ने लगा, मैंने अपने पैर भींच लिए पर उसका काम बिना रुके चालू था, मैं पीछे लेट के फिर से झड़ने का मजा लेने लगी, मेरे पैर अभी भी पलंग के नीचे थे.
नितिन खड़ा हो गया, उसने अपनी निकर निकाल दी, फिर मेरी टांगों के बीच आकर उसने मेरी चुत पर अपना लंड रखा और अपने लंड से मेरी चुत को मसलने लगा, फिर धीरे से अपना सुपारा मेरी चुत के अंदर घुसा दिया.
मेरी टाइट चुत वैसे भी बहुत पानी छोड़ रही थी तो उसे कोई दिक्कत नहीं हुई.
उसने फिर एक धक्का मार कर अपना आधा लंड अंदर घुसेड़ दिया, उसने अपने उंगली से मेरी क्लिट को छेड़ा तो मेरी चुत फिर से गीली होने लगी, उस गीलेपन की मदद से उसने एक ही धक्के में अपना बाकी लंड अंदर घुसेड़ दिया.
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वो खड़े खड़े ही मेरी चुत में धक्के लगा रहा था, उसके लंड के घर्षण से मेरी चुत धीरे धीरे पानी छोड़ रही थी और वो पानी बह कर बेड पर गिर रहा था, मैं भी अपनी आँखें बंद करके चुदाई का मजा ले रही थी, उसके जोर के धक्कों से मेरा पूरा बदन हिल रहा था.
उसकी नजर मेरी चुची पर अटकी हुई थी, चूसने के वजह से मेरे निप्पल उभर आये थे हल्की सी रोशनी में मेरी गोरी चुची चमक रही थी, मेरे बदन का हिलना, बीच बीच में रोंगटे खड़े होना, मेरी उत्तेजना को दर्शा रहा था.
उसने मेरे पैरों को पकड़ा, खुद थोड़ा नीचे झुका, मेरे पैर अपने कंधों पर रख दिए, उसने उसी पोजीशन में धक्के देने चालू रखा, उसने अपना सिर नीचे लेते हुए मेरा एक निप्पल अपने होंठों में पकड़ा और चूसने लगा, अपनी जीभ से मेरे निप्पल को छेड़ने लगा.
उसके धक्के तेज होने लगे थे, उसका शरीर अकड़ने लगा था, वो झड़ने के बहुत करीब था, और फिर उसने अपना गर्म गर्म लावा मेरी चुत में छोड़ दिया, मैं भी बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसके साथ ही झड़ गई, उसने थोड़े धक्के और लगाये, फिर मेरे पैर अपने कंधों से नीचे ला कर मेरे ऊपर ढेर हो गया.
हम दोनों को थकान की वजह से कब नींद लगी, पता ही नहीं चला.
रात में हमने फिर एक बार सेक्स किया और नंगे ही एक दूसरे के बाहों में लेट गए, नितिन ने उस रात मुझे पूरी संतुष्ट कर दिया.
सुबह हमने साथ नाश्ता किया और उसने मुझे बस स्टॉप पे छोड़ दिया, उसके बाद वो अपनी ड्यूटी पर चला गया.
और हमारी फिर कभी मुलाकात नहीं हुई.
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जल्द ही मिलेंगे एक और नई सेक्सी कहानी के साथ… नीतू