आप सभी अन्तर्वासना पाठकों को मेरा प्रणाम ! मेरा शैलेश है. अभी में 21 साल का हूँ. मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली के शालीमार बाग में रहता हूँ. हमारे परिवार में चार सदस्य हैं. मेरे पिता जी की उम्र 41 वर्ष है. उनका बिज़नेस का काम है. मेरी मां, जो कि 39 साल की हैं, एक हाउस वाइफ है. मैं भी अपने पिता जी के साथ उनके बिज़नेस को संभालने में उनकी मदद करता हूँ.
आज जो मैं कहानी आप लोगों को बता रहा हूँ वह मेरी ही छोटी बहन और मेरे बीच में हुई घटना के बारे में है. बात उस समय की है जब मैं अपनी मौसी के घर से अपनी बहन के साथ ट्रेन में बिहार से अपने दिल्ली वाले घर पर लौट कर आ रहा था.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं अपनी बहन के बारे में भी कुछ संक्षिप्त परिचय देना चाहूँगा. उसका नाम शलाका (बदला हुआ) है और वह 18 साल की है. शलाका अभी स्कूल में है और बारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है.
बिहार के गया जिले के एक गांव में मेरी मौसी का घर है. मौसी की लड़की सुजीना की मंगनी थी और उसी के फंक्शन में हम वहाँ पर गये हुए थे. मौसी ने शलाका को लाल रंग का लहंगा-चोली मंगनी वाले दिन तोहफे में दिया था. शलाका उसी को पहने हुए वह मेरे साथ दिल्ली वापस लौट रही थी.
गांव से जब हम स्टेशन के लिए निकले तो हम लोग चौराहे पर खड़े होकर ट्रैकर जीप का इंतजार कर रहे थे. तभी मैंने देखा कि एक कुतिया दौड़ती हुई आ रही थी. वह आकर हमसे करीब 20 फीट की दूरी पर रुक गई. उसके पीछे ही एक कुत्ता भी दौड़ता हुआ आ पहुंचा.
कुत्ते ने आते ही कुतिया की बुर को सूंघना शुरू कर दिया. फिर अचानक से उसने अपने दोनों पैर कुतिया की कमर पर लगा कर उसकी बुर को चोदना शुरू कर दिया. वह तेजी के साथ कुतिया की चूत को चोदने लगा. हम दोनों भाई-बहन खड़े होकर तिरछी नजरों से वह सीन देख रहे थे. मगर ये जाहिर नहीं होने दे रहे थे कि दोनों की ही नजर सामने चल रहे कुत्ते और कुतिया की चुदाई के सीन पर हैं.
8-10 धक्के तेजी के साथ लगाकर कुत्ता पलट गया और उसका लंड कुतिया कि चूत में ही फंस गया. कुत्ता अपनी तरफ जोर लगाने लगा और कुतिया उस कुत्ते को अपनी तरफ खींचने लगी. तभी कुछ लड़के वहां पर दौड़ते हुए आये और उन्होंने दोनों के जोड़ को छुड़ाने के लिए उन पर कंकड़-पत्थर फेंकने शुरू कर दिये. लेकिन वो दोनों फिर भी अलग नहीं हो रहे थे.
मैंने नीचे ही नीचे शलाका की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर शर्म के भाव थे. मगर शायद उसको भी यह सब देखना अच्छा लग रहा था. वो नीचे नजरें करके उन दोनों को गौर से देख रही थी. वह सीन देखने के बाद मेरे अंदर की हवस भी जाग गई. मुझे उस कुतिया के बारे में सोचते हुए ही अपनी बहन का ख्याल आने लगा. वह मुझे सेक्सी लगने लगी.
अपनी बहन के बारे में सोच कर ही मेरा लंड मेरी पैंट में खड़ा होना शुरू हो गया. मगर इतने में ही एक ट्रैकर जीप आ गई. हम दोनों जीप में बैठ गये. जीप के अंदर एक सीट पर पांच लोग बैठ गये और शलाका मुझसे चिपक कर बैठी थी. मेरा ध्यान बार-बार अपनी बहन की चूत की तरफ ही जाने लगा था. जब वो मेरे बदन के साथ चिपक कर लगी हुई थी तो मेरे अंदर की हवस और ज्यादा जागने लगी थी.
फिर हम रेलवे स्टेशन पहुंच गये. मैंने टिकट कन्फर्मेशन के लिए तत्काल श्रेणी ऑफिस जाकर पता किया मगर हमारा टिकट कन्फर्म नहीं हो पाया. फिर सोचा कि किसी भी तरह कम से कम एक सीट तो लेनी ही पड़ेगी क्योंकि बिहार से दिल्ली का सफर बहुत लम्बा था.
ऑफिस में अधिकारी ने बताया कि आपको शायद ट्रेन के अंदर टी.टी.ई. से भी टिकट पर एक सीट तो मिल ही जायेगी.
ट्रेन टाइम पर आ पहुंची. मैं और शलाका ट्रेन में चढ़ गये. टी.टी.ई. से बहुत रिक्वेस्ट करने के बाद वह 200 रूपये में एक बर्थ देने के लिए तैयार हुआ. वह एक सिंगल सीट पर बैठा था. उसने हमसे बैठने के लिए कहा और बोला कि मैं आप लोगों के लिए एक और सीट देख कर आता हूँ.
मैं और शलाका गेट के पास की सीट पर बैठे हुए थे. रात के करीब दस बज गये थे और चलती हुई ट्रेन से ठंडी हवा अंदर आ रही थी. हमने शॉल से अपने को ढक लिया.
तभी टी.टी.ई. ने आकर हम लोगों का टिकट दूसरी बोगी में ऊपर वाली बर्थ पर कन्फर्म कर दिया. मैंने उसको 200 रूपये दे दिये.
हम जाकर दूसरी बोगी में अपने कन्फर्म टिकट पर बैठने लगे. ऊपर चढ़ाते समय मैंने शलाका के चूतड़ों को अपने हाथों से कस कर भींच दिया था. शलाका मुस्कुराते हुए ऊपर चढ़ गई. उसके बाद मैं भी ऊपर चढ़ गया.
सारी सीट स्लीपर क्लास (शयन श्रेणी) वाली थी. सब लोग सो रहे थे. हमारे सामने वाली बर्थ पर एक छोटी लड़की सो रही थी. उसी साइड में बीच वाली बर्थ पर उसकी माँ और नीचे वाली बर्थ पर उसकी दादी सो रही थी शायद. सारी लाइटें और पंखे बंद थे. बस एक नाइट बल्ब जल रहा था.
शलाका हमारी सीट पर जाकर लेट गई. मैं बैठा हुआ था. फिर वो बोली- लेटोगे नहीं?
मैंने कहा- कहां लेटूँ? जगह तो है ही नहीं.
ऐसा कहने पर उसने करवट ले ली और मुझे फिर उसकी बगल में लेटने के लिए कहा. मैं भी शलाका की बगल में लेट गया. हम दोनों ने शॉल ओढ़ लिया. शलाका का मुंह मेरी तरफ था और उसकी चूचियां मेरी छाती पर आकर दब गई थीं. शलाका की चूत तो मेरे दिमाग में पहले से ही घूम रही थी. मैंने खुद को शलाका के बदन से और करीब होकर चिपका लिया.
मैंने शलाका को भी कह दिया- मेरी तरफ और थोड़ी खिसक जाओ, नहीं तो नीचे गिरने का डर रहेगा.
शलाका भी मुझसे चिपक गई. शलाका ने अपनी जांघ मेरी जांघ के ऊपर चढ़ा दी. उसके गाल मेरे गाल से आकर छूने लगे.
मैं उसके गाल से अपना गाल बहाने से रगड़ने लगा. धीरे-धीरे मेरा लंड भी तन रहा था. कुछ ही पल में मेरा लंड मेरी पैंट में पूरा तन गया. मैं अपना एक हाथ अपनी बहन शलाका की कमर पर ले गया और धीरे-धीरे उसका लहंगा उसकी कमर से सरकाने लगा.
शलाका की सांसें भी तेज चलने लगी थीं. मैंने उसका लहंगा कमर के ऊपर कर दिया और उसके चूतड़ों को सहलाने लगा. फिर मैं उसकी पैंटी के ऊपर से हाथ घुमा कर देखने लगा. उसकी चूत के आस-पास से उसकी पैंटी गीली हो गई थी. उसकी बुर से चिपचिपी लार सी निकल रही थी. मेरी उंगलियों पर उसकी चिपचिपी लार लग गई थी जिसे मैंने मुंह में लेकर चाट लिया. फिर मैं पैंटी के अंदर से हाथ डालकर अंदर बुर के पास ले गया. उसकी बुर पूरी लार से गीली हो गई थी. मैं उसकी बुर को सहलाने लगा.
ऐसा करते ही शलाका ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये. वो मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसने लगी. मुझे भी पूरे बदन में जोश आ गया. मैंने एक हाथ शलाका की चूचियों के अंदर डाल दिया और उसकी संतरे जैसी चूचियों को सहलाने लगा. उसकी चूची के निप्पल काफी छोटे थे. मैं उनको अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.
फिर मैंने एक उंगली अपनी छोटी बहन शलाका की बुर में ठोक दी. बुर गीली होने के कारण आसानी से उंगली उसकी बुर में चली गयी. उसके बाद मैं दो उंगली उसकी बुर में एक साथ ठोकने लगा. आह्ह … शलाका कसमसाने लगी. मैं एक हाथ से उसकी बुर में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ उसकी चूचियों के निप्पल की घुंडी मसल रहा था.
मैंने धीरे-धीरे करके दोनों उंगली पूरी की पूरी उसकी बुर में घुसा दीं और फिर दोनों उंगलियों को चौड़ी कर लिया और उसकी बुर में चलाने लगा. आह्ह … बड़ा मजा आ रहा था.
मेरे उंगली चलाने से शलाका सिसयाने लगी और अपना हाथ मेरी पैंट की जिप के पास लाकर जिप को खोलने लगी. मैंने जिप खोलने में उसकी मदद की. शलाका ने मेरी पैंट की चेन खोल कर मेरा तना हुआ लंड अपने हाथ में ले लिया और मेरे लौड़े के सुपाड़े को सहलाने लगी. ओह्ह … बहुत मजा देने लगी मेरी बहन मुझे मेरे लंड का सुपाड़ा सहलाते हुए.
उसको भी मेरा लंड सहलाने में बहुत मजा आ रहा था. फिर मैंने आगे बढ़ते हुए तीन उंगली उसकी बुर में डाल दीं. उसकी बुर से कामरस की लार काफी ज्यादा बहने लगी थी जिसके कारण मेरा हाथ और शलाका की पैंटी दोनों ही पूरे के पूरे भीग गये थे. मगर मेरी तीनों उंगली उसकी बुर में चल नहीं पा रही थी. मैंने दूसरे हाथ की मदद से उसकी बुर को खोल कर रखा और दूसरे हाथ की तीनों उंगली एक साथ डालने लगा.
शलाका मेरा हाथ पकड़ कर बुर के पास से हटाने लगी. शायद तीनों उंगली एक साथ जाने से उसकी चूत दर्द कर रही थी. मगर मैंने उसके होंठ अपने मुंह में ले लिये और चूसने लगा. जब तीनों उंगली आधी चूत में चली गई तो आगे जाकर उंगली अटकने लगी.
अब मेरा जोश और ज्यादा बढ़ गया था. मैंने उसकी पैंटी को खींचकर नीचे करते हुए साइड में किया और अपना लंड उसकी बुर में लगाकर धक्का देने लगा.
लंड का सुपारा ही गया था कि शलाका कहने लगी- आह्ह … धीरे करो. बुर में दर्द हो रहा है.
मैंने थोड़ी सी पोजीशन लेकर उसके चूतड़ों को ही अपने लंड पर दबाया तो एक चौथाई हिस्सा लंड का उसकी बुर में चला गया.
मैं अपनी बहन को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए सोच-समझकर सब कुछ कर रहा था. मैंने सोचा कि अब पूरा लंड उसकी चूत में धकेल देता हूँ लेकिन उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… चीख सी निकलने लगी. उससे दूसरे लोगों के जाग जाने का डर था. इसलिए मैंने एक चौथाई हिस्सा ही लंड का बुर में डाले रखा और उसको अंदर-बाहर करने लगा.
पैंटी के किनारे ने मेरे लंड को कस लिया था. इसलिए उसको चोदने में मुझे दोगुना मजा आ रहा था. शलाका भी चुदाई की रफ्तार बांधने में मेरा साथ देने लगी. पैंटी भी बुर पर लंड को चिपकाए रखने में मदद कर रही थी. पैंटी के घर्षण के कारण जल्दी मेरा लंड भी पानी छोड़ने के लिए तैयार हो गया. मैंने शलाका की कमर को कस कर अपनी तरफ खींचते हुए अपने से चिपकाने की कोशिश की और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
आह्ह … मेरे लंड के पानी से शलाका की पैंटी पूरी भीग गयी.
फिर सर्दी के कारण शायद उसको ठंड लगने लगी. फिर उसने अपनी पैंटी धीरे से उतार कर उसी से अपनी बुर को पोंछ लिया और अपनी पैंटी को अपने हैंड बैग में रख लिया.
फिर मैं और शलाका एक-दूसरे के साथ चिपक कर सोने लगे लेकिन हम दोनों की आंखों में नींद कहां थी!
मैंने शलाका के कान में कहा- कुतिया बन कर कब चुदोगी मुझसे?
शलाका बोली- घर चल कर चाहे कुतिया बनाना या घोड़ी बनाकर चोदना मगर यहाँ तो बस धीरे-धीरे ही मजा लो.
हम दोनों ने अपने को शॉल से पूरी तरह ढक रखा था. फिर शलाका ने दोबारा से मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे मसलने लगी. मैंने भी उसकी बुर के दाने को कुरेद कर मजा लेना शुरू कर दिया. अब हम दोनों भाई-बहन आपस में काफी खुल चुके थे.
शलाका मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे लंड को मसले जा रही थी. उसके हाथों की हरकत से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. देखते ही देखते मेरा लंड शलाका की मुट्ठी से बाहर आ गया. शलाका बहुत ही गौर से मेरे लंड की लम्बाई और चौड़ाई नाप रही थी.
9 इंच का लंड देख कर वो हैरान होकर मेरे कान में कहने लगी- इतना मोटा और लम्बा लंड तुमने मेरी बुर में कैसे ठोक दिया?
मैंने कहा- अभी पूरा कहां ठोका है! मेरी रानी अभी तो सिर्फ एक चौथाई हिस्से से कम ही अंदर डालकर चलाया था. पूरा लंड तो घर जाकर डालूंगा जब तुम कुतिया बनोगी. डॉगी स्टाइल में पूरे लंड का मजा चखेंगे.
इस पर वो जोर-जोर से मेरे गालों पर अपने दांतों से काटने लगी.
फिर मैंने उसके कान में धीरे से कहा- शलाका तुम जरा करवट बदल कर लेट जाओ. अपनी गांड को मेरी तरफ कर लो.
वो कहने लगी- नहीं बाबा … गांड मारनी हो तो घर में जाकर मारना. यहां मैं तुमको गांड नहीं मारने दूंगी.
मैंने कहा- नहीं मेरी रानी, मैं तुम्हारी गांड नहीं मारूंगा. मैं तो तुम्हें लंड और बुर का ही मजा दूंगा.
मेरे कहने पर वो मान गयी और उसने करवट बदल ली. मैंने शलाका के दोनों पैर मोड़ कर शलाका के पेट में सटा दिये जिससे उसकी बुर पीछे से रास्ता देने लगी. मैंने उसकी गांड अपने लंड की तरफ खींच कर उसके पैरों को उसके पेट से चिपका दिया. उसकी बुर में फिर मैंने दो उंगली डाल कर बुर के छेद को फैलाया और फिर उसकी बुर में घुमाने लगा. ऐसा करते ही वो थोड़ा चिहुंक गयी.
फिर मैंने उसके गाल पर एक किस किया और अपने लंड को शलाका की बुर में धीरे-धीरे घुसाने लगा. बहुत कोशिश करने के बाद आधा लंड बुर में घुसा दिया. मैं शलाका को ज्यादा से ज्यादा मजा देकर खुद भी ज्यादा से ज्यादा मजा लेना चाहता था. इसलिए बहुत ही धीरे-धीरे घुसा रहा था. एक हाथ से उसके निप्पल की घुंडी मसलने लगा. मैंने देखा कि अब शलाका भी खुद ही अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ धकेल रही थी.
उसकी बुर ने फिर हल्का सा पानी छोड़ा जिसके कारण मेरा लंड गीला हो गया. लंड को जब मैं बुर में अंदर बाहर करने लगा तो वो थोड़ा और अंदर जाने लगा. अब मेरे लंड का एक चौथाई हिस्सा ही बाहर रह गया था. मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर चला कर शलाका को दोबारा चोदना शुरू कर दिया. शलाका भी अपनी गांड हिला-हिला कर मजे से चुदवाने लगी. इस बार करीब एक घंटे तक दोनों चोदा-चोदी करते रहे.
ट्रेन ने एक बार कहीं सिग्नल न मिलने के कारण एकदम से ऐसा ब्रेक मारा कि गचाक से दबाव बनाते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में चला गया. उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि मैंने अपने एक हाथ से शलाका का मुंह बंद कर दिया और एक हाथ से उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मसलने लगा.
वैसे मैं सच बताऊं तो ट्रेन के अंदर उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन ट्रेन के अचानक ब्रेक लगने के कारण ऐसा हो गया. शलाका धीरे-धीरे सिसकने लगी. मैंने अपने लंड को वहीं पर रोक कर पहले शलाका के दोनों चूचे कस कर दबाये. फिर कुछ देर के बाद जब उसको राहत हुई तो शलाका खुद ही अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी. शायद अब उसे दर्द नहीं हो रहा था बल्कि मजा आ रहा था.
मेरा हाथ शलाका की बुर पर गया तो मुझे पता लगा कि उसकी बुर से गर्म-गर्म तरल पदार्थ गिर रहा है. मैं समझ गया कि ये बुर का पानी नहीं बल्कि उसकी झिल्ली फटने के कारण निकलने वाला खून गिर रहा है. मैंने शलाका को यह बात नहीं बताई वरना वो घबरा जाती. मैंने अपनी पैंट से रुमाल निकाल कर उसकी बुर को अच्छी तरह से पौंछते हुए साफ किया और शलाका को अपनी गांड आगे-पीछे करते हुए घपा-घप धक्का देकर चोदने लगा.
शलाका अब मजे से चुदवा रही थी. जब मैंने दस-पंद्रह धक्के आगे-पीछे होकर लगाये तो शलाका की बुर ने पानी छोड़ दिया. मैं शलाका की संतरे जैसी चूचियों मसलने लगा.
दस मिनट तक मैंने उसकी बुर में लंड को अंदर बाहर करते हुए उसकी बुर को चोदा और मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया. पांच मिनट तक मैं उसकी चूत में लंड को डाले पड़ा रहा. जब मेरा लंड सिकुड़ गया तब खुद ही बुर से बाहर आ गया. मैंने रुमाल से लंड और बुर दोनों को साफ कर दिया. रुमाल काफी गंदा हो गया जिसे मैंने विंडो से बाहर फेंक दिया. जब टाइम देखा तो सुबह के 4 बजकर 35 मिनट हो गये थे.
उस रात के बाद हम दोनों भाई-बहन खुल कर एक-दूसरे को प्यार करने लगे. उसके बाद हम दोनों ने घर जाकर कैसे-कैसे सेक्सी खेल खेले, वो सब हम आपको अपनी अगली कहानियों में बताएंगे.
आपको हमारी यह भाई-बहन की चुदाई वाली कहानी पसंद आई होगी ना? तो आप जरूर कमेंट करें.