सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार! मैं पंजाब के जालंधर से आपकी दोस्त रजनी. अभी मुझे बस २३ वां साल लगा हुआ है. मैं अन्तर्वासना की बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ.
मेरा कद 5 फुट 5 इंच है, बदन गठीला, यौवन के रस से भरे हुए कसे स्तनों की मालकिन हूँ. मैं स्कूल टाईम से ही बहुत बड़ी चुदक्कड़ बन गई थी. शादी से पहले कई बड़े बड़े लौड़ों का स्वाद चख चुकी थी. मेरी इन हरकतों को देखते हुए माँ ने मेरे लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया और एक दिन मेरा रिश्ता तय हो गया.
मेरे पति ट्राला चलाते थे. उनको दारू पीने की बहुत लत थी. सुहागरात को भी दारू से धुत ही मेरे पास आए थे. उनका लौड़ा भी ख़ास बड़ा नहीं है. मुझे उनके लौड़े से तसल्ली नहीं मिलती है.
फिर वो अपने काम के चलते ज्यादातर बाहर ही रहते हैं, जिस वजह से मैं लगभग चुदासी ही बनी रहती थी.
ये बात सर्दी के दिनों की थी. मेरे पति काफी दिनों से दिल्ली में थे. वहां उन्होंने कमरा लिया हुआ था क्योंकि वे वहीं से लोड उठाते और आगरा की तरफ या उसी साईड ही ज्यादा जाते.
एक दिन सासू बोलीं- ऐसा रहा तो मुझे पोता कैसे देखने को मिलेगा?
उन्होंने फोन पर पति से कहा- इसको मैं दिल्ली भेज रही हूं. बेचारी का अकेली का दिल नहीं लगता, नई नई शादी हुई है.
पति ने मुझे दिल्ली भेजने की बात के लिए हामी भर दी.
मैं जालंधर से रात को चलने वाली स्वर्ण मंदिर एक्सप्रेस में टिकट बुक करवा के दिल्ली की ओर रवाना हो गई. मेरी सीट सेकंड एसी स्लीपर की थी. ये ट्रेन अमृतसर से चली थी.
रात का सफर होने की वजह से मैंने लोअर और टॉप पहना था और ऊपर से स्टॉल लिया हुआ था. स्टॉल के नीचे मेरा यौवन छुपा था. जब मैं चढ़ी, तो मेरी सीट वाले केबिन में पहले से दो गबरू जवान फौजी बैठे थे. मैं सामने जाकर बैठ गई.
मुझे देख उन्होंने अपने हाथ में पकड़े पैग छुपा से लिए. मैंने सूटकेस सीट के नीचे टिका दिया. मेरी नज़र बार बार उन पर जाती. मेरी फुद्दी में उनको देख खुजली सी होने लगी थी. मुझे अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर उन दोनों का कुछ हौसला बढ़ा.
एक फौजी मुझे देख मुस्कुरा दिया, तो मैं भी नशीली नज़र से उनको देख कर मुस्कुरा पड़ी.
हम तीनों चुप थे, बस हमारी नज़रें बात कर रही थीं. उन दोनों में से एक हिम्मत करके बोल ही पड़ा- कहां जाओगी आप?
मैंने कहा- दिल्ली.
हम सभी में इधर उधर की बात होने लगी.
एक ने बोला- आप बहुत खूबसूरत हो और अकेली सफर कर रही हो, वो भी रात का?
मैंने कहा- अकेली कहां हूँ … आप दो गबरू जवान भी तो मेरे साथ में हो.
वो हंस दिए.
मैंने कहा- आप ड्रिंक कर रहे थे क्या?
वो बोले- हां सर्दी बहुत है. सर्दी दूर करने का सफर में यही साधन था.
मैं- अब तो मैं भी आपके सफ़र में आपकी पार्टनर हूँ.
एक बोला- सही है … इस डिब्बे में गिनती के लोग ही हैं और इस केबिन में हम तीनों ही हैं.
मैंने नीचे अपने पांव से एक की टांग को सहला दिया. उसने मुझे देखा, तो मैंने मुस्कुरा दिया. वो बोला- आप लेंगी क्या?
मैं- क्या दोगे आप?
वो लंड पर हाथ फेरते हुए बोला- जो आपकी इच्छा हो. मैंने तो ड्रिंक ऑफर की है.
मैंने इशारे से हां कह दी. उसने एक पैग डाला और आगे की तरफ किया. मैंने उसके हाथ को सहला कर डिस्पोज़ेबल गिलास पकड़ा और चीयर्स कह कर एक ही सांस में पूरा पैग गटक लिया.
अब मैंने अपने सीने पर लिया हुआ स्टॉल हटा दिया. नीचे कसा हुआ टॉप था, जिसमें से मेरे चूचे पहाड़ जैसे दिख रहे थे.
उन दोनों की नज़रें मेरी कसी छाती पर चुभ सी गईं. मैंने भी कामुक सी अंगड़ाई लेकर उनके सोए हुए नाग जगा दिए.
मैं- क्या देख रहे हो … यहां कोई खज़ाना छुपा है क्या?
मेरी आवाज सुन कर एक बोला- यहां ही तो असली खज़ाना है भाभी जी.
“उउन्ह … कहीं लूट मत लेना..!”
मेरी इस बात से वे दोनों एकदम से कामुक हो गए.
मैंने भी आंख दबाकर कह दिया- यार मुझे पता नहीं क्यों … अब भी ठंड सी महसूस हो रही है.
वो बोले- क्या हुआ भाभी … ठंड सी फील हो रही है … तो आप बोलो न … आपको गर्म कर देते हैं न.
उसने ये कहते हुए एक पैग और बना डाला. वो मुझे देते हुए बोला- लो भाभी एक और पैग लगाओ, गर्मी आ जाएगी.
मैंने पैग पकड़ उसकी तरफ देखा और होंठों पर ज़ुबान फेरते हुए कहा- सिर्फ पैग से ही ठंड उतारोगे क्या?
वो समझ गया कि माल चुदने को मचल रहा है. वो खड़ा हुआ और केबिन के बाहर झाँक कर इधर उधर देखता हुआ मेरी सीट पर आकर बैठ गया.
मैंने पैग होंठों से लगाया, तो उसने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख कर सहला दिया. मैंने पैग खींच कर गिलास रख दिया और अपनी दोनों बाहें उसके गले में डाल दीं. इसी के साथ मैंने अपने दोनों पांव सामने बैठे जवान की जांघों पर टिका दिए.
मैं साथ में बैठे जवान के होंठों को चूमने लगी, सामने वाले ने मेरे गोरे पांव चूम लिए और लोअर के अन्दर हाथ घुसा कर मेरी चिकनी टांगों को सहलाने लगा. नशा मुझपे हावी हो चला था … ऊपर से वासना का रंग भी मुझे चुदासी किए हुए था.
मेरे साथ वाले ने हाथ मेरे टॉप में घुसा कर मेरे मम्मे दबा दिए. मैंने उसके लंड को उसकी पैंटके ऊपर से मसल दिया. उसका लंड एकदम कड़क हो चुका था. उसने मेरे लोअर के इलास्टिक को खोलते हुए अपना हाथ अन्दर घुसा कर मेरी चूत को सहला दिया. उसके हाथ ने जैसे ही मेरी तपती हुई चूत को सहलाया, मैं पागल हो गई.
तभी गाड़ी एक स्टेशन पर रुक गई, तो हम दोनों अलग हो गए. कुछ पल बाद गाड़ी जैसे ही वापस चली, सामने वाले ने उठ कर डिब्बे का मुआयना किया.
वो आकर बोला- अब ट्रेन सीधे अम्बाला रुकेगी.
उसने केबिन की लाइट बन्द की और एक छोटी लाइट सामने जलने दी.
उसने दोनों सीटों के बीच कंबल बिछा दिया. ऊपर वाले की कृपा से भीड़ भी नहीं थी.
तभी उसकी नज़र टीसी पर गई, जो दूर से चलता चला आ रहा था. मैं चुपचाप सीधी बैठ गई. जब टीसी चैक करके चला गया, तो उन दोनों ने मुझे बीच में बिठा लिया. मैंने उनके लंड पकड़ लिए, जो पैंट फाड़ने को उतारू थे.
एक ने मेरे दूध दबाते हुए कहा- भाभी यार, आप ज़बरदस्त माल हो.
दोनों ने मेरा टॉप उठा कर मेरी चूची चूसनी शुरू कर दी. मैंने भी उनमें से एक की ज़िप खोल दी और उसका लंड निकाल लिया.
हाय रब्बा किन्ना बड्डा लन था.
‘भाभी चूसो न इसको.’
मैं कुतिया की तरह उसका लंड चूसने लगी. तभी दूसरे ने भी अपना लंड बाहर निकाल दिया और मेरे हाथ में थमा दिया. मैंने ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को सहलाते हुए दूसरे के लंड को खूब चूसा.
फिर दोनों खड़े हुए और कंबल दुबारा बिछा कर मुझे लिटा दिया. एक ने मेरा लोअर खींच कर उतार दिया.
मैंने भी चूत खोल दी और चूत पर थपकी देते हुए बोली- आ जाओ मेरे शेरों … आज मेरी फुद्दी को तसल्ली करवा दो.
एक मेरे सर के पास बैठ गया. उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया, तो दूसरे ने अपनी जुबान चूत में घुसा दी और मेरी चूत को चाटने लगा. मैं पागल हुई उसका लंड चूसे जा रही थी.
दो मिनट बाद मैंने मुँह से लंड निकाल कर उससे कहा- अब डाल भी दो.
उसने भी मेरी टांगें उठाईं और दो तीन झटकों में लंड चूत में उतार दिया. मेरी चूत फट गई. कई दिन बाद इतना बड़ा लंड उसमें घुसा था. मेरी चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
कोई 6-7 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपना पानी अन्दर ही छोड़ दिया. इस बीच में मैं पहले ही झड़ गई थी. उसने झड़ते हुए ज़ोर ज़ोर से जब झटके दिए, तो मैं दुबारा उसके साथ झड़ गई.
कुछ देर हांफने के बाद वो मुझ पर से उठा और उसने रस से भीगा हुआ अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, जिसको मैंने चाट कर साफ कर दिया.
अब दूसरा उठा और बोला- आओ भाभी मेरे लंड पर बैठ जाओ.
मैं टांगें फैला कर उसके लंड पर बैठने लगी और उसका पूरा लंड आसानी से मेरी भीगी चूत की गहराई में उतर गया. उसका लंड ज्यादा लंबा था. उसके लौड़े के ऊपर बैठने की वजह से पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में बच्चेदानी तक घुस गया. एक दो बार ऊपर नीचे होकर मैंने लन को फुद्दी में सैट किया और मजे से उछलने लगी. जब मैं उछलती, तो मेरे मम्मे भी उछलते.
उसने थोड़ा उठ कर चुदाई के साथ मेरे मम्मे चूसने शुरू कर दिए. दूसरा सामने बैठ लंड हिलाता हुआ ये देख रहा था कि कोई आ न जाए. पर मेरे कहने पर वो मेरे सामने आ गया और लंड मुँह में घुसा दिया. मैं नीचे से गांड उठा उठा चुदाई करवा रही थी और ऊपर से लंड की चुसाई का मजा ले रही थी.
नीचे वाला फौजी बोला- भाभी, कुतिया बन जाओ.
मैं झट से कुतिया बन गई और वो कुत्ता बन कर मुझे चोदने लगा. अब उसने रफ्तार पकड़ी और मैं फिर से झड़ने लगी. उसकी गति भी तेज हो गई थी. चूत के गर्म पानी की बौछार से वो भी पिघल गया था और झड़ने वाला था.
अचानक से उसने लंड निकाल कर मेरे बालों से पकड़ कर मुझे खींच लिया. इससे मेरे मुँह से दूसरे का लंड छूट गया. उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा कर मेरे हलक में पिचकारी मारी और लंड चांप दिया. उसने अपने लंड की आखिरी बूंद तक मेरे मुँह में निचोड़ दी. मैंने भी चाट चाट कर उसका लंड साफ कर दिया.
मेरी चूत की प्यास बुझ गई थी. पर मैं अभी और भी उनके लौड़ों का फायदा लेना चाहती थी. दिल्ली तक के छोटे एक रात के सफर में, उन दोनों ने सर्दी की मेरी उस रात को रंगीन बना दिया था. दोनों ने मुझे दो दो बार चोदा. मेरी इतने दिनों की प्यास बुझ गई थी.
मैंने उन दोनों के नंबर ले लिए क्योंकि दिल्ली में रहना था, पति ड्राइवर था. अकेले समय कैसे काटता.
वो रात मैं कभी नहीं भूल सकती.
आपको मेरी उस ट्रेन में मेरी पंजाबी फुद्दी की चुदाई की कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल जरूर करें. मैं जल्दी अपनी भूखी चूत की अन्य घटनाएं लेकर आपके पास आती रहूँगी.
आपकी अपनी चुदक्कड़ रजनी बाला
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