ट्रेन में मिली सेक्सी भाभी की चूत मारी

हैलो दोस्तों, आपने मेरी कहानी कंप्यूटर सीखने के बहाने सेक्स का खेल पढ़ी और उसकी तारीफ भी करी इसके लिए शुक्रिया। इसके लिए आपने मुझे जो मेल भेजे और सेक्स कहानी को लाइक किया, उसके लिए आप सभी का धन्यवाद.

मैं प्रकाश, दिखने में अच्छा हूँ. मेरा कद 5 फुट 8 इंच है. मेरा लंड औसत से कुछ ज्यादा बड़ा और मोटा है.

मैं मुंबई से नागपुर जा रहा था. गर्मी का मौसम था. मेरी गाड़ी 7 बजे की थी. मेरे ऑफिस का एक काम था, तो मैंने फर्स्ट क्लास का टिकट ले लिया था. मैं घर से बरमूडा और टी-शर्ट पहन कर निकला था. गाड़ी अपने ठीक टाईम पर दादर स्टेशन पर आ गयी. मेरा कूपा दो सीट वाला कपार्टमेंट था. मैं अन्दर गया, तो कोई नहीं था.

दादर से गाड़ी निकली और ठाणे स्टेशन से एक लेडी मेरे कंपार्टमेंट में आ गयी. वो दिखने में तो एकदम माल दिख रही थी. उसकी हाईट 5 फुट 7 इंच की थी और दिखने में तो वो किसी मॉडल से भी अच्छी दिख रही थी. उसने सफ़ेद शर्ट और शॉर्ट स्कर्ट पहना हुआ था.

वो शायद दौड़ते दौड़ते आयी थी तो पूरी पसीने से लथपथ थी. उसकी सांसें जोर जोर से चल रही थीं. वो मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई, तो मैंने उसे पानी की बोतल थमा दी. उसने मुझे थैंक्स बोला और बोतल से पानी पिया.

वो पसीने से पूरी गीली हो गयी थी. जिस वजह से उसकी सफ़ेद शर्ट से उसकी ब्रा और निप्पल के उभार साफ़ साफ़ दिख रहे थे. मैं उसके कड़क निप्पलों को बड़ी गौर से लालसा भरी निगाहों से देख रहा था.

यह उसने देख लिया और मेरी आंखों का पीछा किया. उसकी निगाह से निगाह मिलते ही, मैं थोड़ा डर गया और अपनी खिसियाहट छिपाने के लिए पेपर लेकर पढ़ने लगा.

लेकिन तभी उसने एक कमाल किया. उसने अपनी शर्ट के दो बटन खोल दिए और बोलने लगी- बाहर बहुत गर्मी है.
मैंने अखबार सामने से हटा कर पहले उसकी दूधिया घाटी को देखा, फिर उसकी तरफ देखा, तो उसने मेरी तरफ देख कर हल्के से मुस्कुरा दिया.
मुझे उसकी आंखें वासना से भरी ऐसी दिख रही थीं … जैसे वो मुझे अभी ही खा जाएगी.

हम दोनों बस यूं ही एक दूसरे की नजरों को पढ़ते हुए अपनी वासना को तौलते रहे. मैं लंड खुजा कर उसको समझाता रहा, वो भी अपने बार बार झुक कर अपने मम्मों को दिखाती रही.
बातचीत कम हुई, बस चुदास का सिनेमा ज्यादा चलता रहा.

मैं खुद को कुछ असहज सा फील कर रहा था. यदि मुझसे कोई चूक हो जाती, तो ये एक बड़ा अपराध बन सकता था, यही सोच कर मैं चुप रहा.

कोई बीस मिनट बाद टीसी आया. उसने टिकट चैक किया और चला गया. उसके बाद खाने का आर्डर लेने के लिए एक आदमी आया. हम दोनों ने खाना आर्डर किया.
वो आदमी जैसे ही जाने लगा, तभी उस लेडी ने बोला कि खाना 8.30 पर ले आना.
मैंने पता नहीं कैसे बोल दिया- इतनी जल्दी?

फिर मैं अपनी बात से खुद अचकचा गया और झेंप मिटाने के लिए उस आदमी से कहने लगा- मेरा मतलब मैं इतनी जल्दी खाना नहीं खाता हूँ, मेरे लिए नौ बजे खाना लाना.
मेरी बात पर वो लेडी भी बोली- ठीक है, हम दोनों का खाना 9 बजे ही लाना.
मैंने देखा कि अभी तो 7.30 ही बजे थे. फिर मैं पेपर पढ़ने लगा.

तभी उस लेडी ने खुद का परिचय दिया- मेरा नाम मोनाली है और मेरे पति यूएस में काम के लिए 6 महीने पहले ही गए हैं. मेरी एक 8 महीने की बच्ची है. मैं 2 दिन से एक कंपनी के प्रोजेक्ट के काम से इधर आयी थी. वैसे मैं नागपुर की रहने वाली हूँ.

फिर मैंने भी मेरे बारे में बताया- मेरा नाम प्रकाश है … मैं मुंबई से हूँ. लेकिन मैं पहले नागपुर में ही था. अभी छह साल से मुंबई में जॉब करता हूँ. मुझे ऑफिस के काम से नागपुर जाना पड़ रहा है.
हमारे बीच बातें होने लगीं.

कुछ देर बातें होने के बाद वो बोली- मैं कपड़े चेंज करके आती हूँ.
यह कह कर उसने कपड़े निकाले और सीट पर रख दिए और बाथरूम में चली गयी. जैसे ही वो कंपार्टमेंट से निकली, मैं वापिस पेपर पढ़ने बैठ गया.

पांच मिनट बाद मोनाली वापस आयी और बोली- क्या प्रकाश . … मुझे लगा कि तुम्हारा ध्यान जाएगा कि मैं कपड़े यहीं भूल गयी हूँ. मैं वेट कर रही थी कि तुम कपड़े ले कर आओगे. खैर अब जाने दो. क्या मैं कपड़े यहीं चेंज कर लेती हूँ.
मैं बोला- ठीक है न … आप यहीं चेंज कर लो … मैं बाहर चला जाता हूँ.
इस पर वो बोली- अरे नो प्रॉब्लम यार, तुम यहीं बैठो न.

उसने दरवाजा लॉक कर दिया. पहले उसने शर्ट को उतारा. अन्दर तो उसने कुछ पहना ही नहीं था, तो उसकी 36 इंच की चुचियां देख कर लंड मचल गया. बड़ा मस्त नजारा था. उसके चुचे एकदम टाईट थे.. … और निप्पल एकदम डार्क ब्राऊन कलर के थे. मेरे लंड ने उठना शुरू कर दिया था.

फिर उसने अपनी स्कर्ट को निकाल दिया. स्कर्ट के नीचे एकदम छोटी सी पेंटी पहनी हुई थी, जो बस इतनी सी थी कि उसकी चुत छुपा सके.

मेरा कलेजा हलक में आ गया. बड़ा खतरनाक और हॉट नजारा था.
उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और बोली- प्रकाश, क्या देख रहे हो?
मैंने उसे सॉरी बोला और नीचे देख कर पेपर पढ़ने लगा. वो मेरे पास को आयी और पेपर मेरे हाथ से निकाल कर बाजू में रख दिया.

वो बोली- क्या तुम गे हो?
मैं बोला- तुम क्या बात कर रही हो?
मोनाली आंख दबाते हुए बोली- साले … तेरे सामने एक नंगी लेडी खड़ी है और तू पेपर पढ़ रहा है. तेरा उठता नहीं है क्या?

उसके मुँह से ये सुनकर मेरा दिमाग सरक गया. मैं उससे बोला- मैडम आप जबान संभालकर बात करो … मैं कभी भी किसी लेडी को गलत निगाह से नहीं देखता हूँ … हर औरत को मैं रिस्पेक्टफुल्ली देखता हूँ. हां अगर आपकी इच्छा है, तो नेकी और पूछ पूछ!
यह कहते हुए मैंने उसकी पेंटी को पकड़ा और फाड़ दिया. वो अब भी मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मैंने चड्डी को फाड़ा, तो वो अपनी चूत मेरे मुँह के उठाकर इशारा करने लगी. मैं सीट पर बैठकर उसकी चुत चाटने लगा.

अपनी चुत पर मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही मोनाली के मुँह से मीठी सीत्कारें निकलने लगीं- आहहह. … आहह..
वो बोले जा रही थी- आह प्रकाश.. … प्लीज़ करते रहो … आह … आहह … लिक मी डीप … आहहह..

कोई दस मिनट चूत चुसवाने के बाद उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया. वो झड़ गई और हांफते हुए मेरी गोद में बैठ कर मुझे किस करने लगी. उसका पानी मैंने उसके मुँह में डाला, तो उसको बहुत अच्छा लगा. हम दोनों लोग करीबन 5 मिनट तक एक दूसरे के मुँह की लार पीते रहे.

फिर वो मुझसे बोली- सॉरी प्रकाश, मैंने तुझसे अनाप शनाप बातें की.
मैंने उससे कहा- जब तुम सामान लेकर कपार्टमेंट में आयी थी ना, तभी ऐसा लग रहा था कि अभी खड़े खड़े ही तेरी चुत चोद दूँ … लेकिन किसी के साथ जबरदस्ती का सेक्स मुझे पसंद नहीं है.
तभी मोनाली बोली- हां मैंने देखा था, जब मैं कंपार्टमेंट में आयी थी, तो तुम्हारा लंड तो एकदम से खड़ा हो गया था. वो तेरे लोअर में तंबू दिख रहा था न … उसी से समझ आ गया था.
इस बात पर हम दोनों हंस पड़े.

फिर वो मेरे गोद से उठी और उसने मेरे लोअर को निकाल दिया. फिर टी-शर्ट निकाल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया.
वो मेरी बॉडी देख कर बोली- गुड लुकिंग..

अब वो नीचे बैठकर उसने मेरा लंड निकाला. मेरे लम्बे मोटे लंड को देख कर एक पल के लिए वो कुछ सहम गई. फिर अपने मुँह में लंड लेकर चूसने लगी. मेरा लंड चूसते वक्त वो मेरी छाती के निप्पलों को अपनी उंगलियों से कुदेरते हुए मींज रही थी.

कोई पांच मिनट में ही मेरे लंड का पानी निकलने वाला हो गया था. मैंने उसका सर पकड़ लिया और उसके मुँह को चोदने लगा. मेरा पूरा लंड उसके गले तक जा रहा था. उसकी आंख से पानी भी आ गया था लेकिन वो कुछ नहीं बोली.

फिर आखिरकार मैंने अपने लंड का पानी उसके मुँह में छोड़ दिया. उसने लंड का नमकीन शीरा पिया और जो थोड़ा बचा, उसे वो मुँह में वैसे रखकर मुझे किस करने लगी. इस तरह से उसने मेरा पानी मुझे ही पिला दिया. ये मेरा पहला अनुभव था, जब मैं अपने ही लंड का पानी पी रहा था.

उसने एक बार कहा- तेरा लंड बहुत बड़ा है, आज मजा आएगा.
मैंने भी हंस कर कह दिया- आज तेरी फुद्दी फट न जाए.
वो इठला कर बोली- लंड से बड़ी तो बेबी निकाली है मेरी चूत ने!
मैं हंस दिया.

अब तक नौ बज गए थे, तो हमने कपड़े पहन लिए. थोड़ी देर में खाना आ गया. खाना देकर जैसे वो आदमी गया, हमने फिर से अपने कपड़े उतार दिए और नंगे होकर खाना खाने बैठ गए.

मैंने उससे कहा- पहले कुछ ड्रिंक चलेगी?
वो बोली- ओह्ह श्योर!

मैंने बैग से व्हिस्की की बोतल निकाली और दो डिस्पोजेबल गिलास में व्हिस्की डाल कर ठंडा पानी डाला और उसको गिलास उठाने का इशारा किया.

उसने गिलास उठाया और चियर्स बोल कर हम दोनों ने जाम टकराए.

मैंने एक सिगरेट जला ली और हम दोनों शराब का मजा लेने लगे. उसने मेरी गोद में आकर अपना जाम खत्म किया और मेरे हाथ से सिगरेट ले ली. मैंने जब तक बोतल से कुछ शराब उसके निप्पल पर डाली और निप्पल चूसने लगा. उसने मुझे अपने निप्पल पकड़ कर पिलाए. सच में बड़ा मजा आने लगा था. वो मेरी गोद से उतर कर गिलास भरने लगी. फिर दूसरा पैग, तीसरा पैग चला और हम दोनों को ख़ासा नशा हो गया.

इसके बाद मोनाली मेरी गोद में आकर बैठ गई. अब हम लोग एक दूसरे को खाना खिलाते हुए खा रहे थे. खाना खाने के बाद हम लोग बातें करने लगे.

मोनाली- मुझे मेरे पति की बहुत याद आ रही थी … लेकिन क्या करूं. … वो दो साल तक नहीं आने वाला है, जब तक उसका प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो जाता. वैसे हम लोग फोन सेक्स कर लेते है. … लेकिन इससे थोड़े ही संतुष्टि होती है. शायद तुम समझ रहे होगे कि मैं कोई बाजारू औरत की तरह व्यवहार कर रही हूँ. लेकिन तुम ही बताओ प्रकाश, अगर औरत के ऊपर सेक्स हावी होता है, तो वो क्या करे.

ये कह कर मोनाली मेरे लंड से खेलने लगी. फिर वो नीचे होकर जोर जोर से लंड चूसने लगी.

मैंने उसे 69 में आने के लिए बोला. वो हो गई. मैं उसकी चुत चूसने लगा और वो मेरा लंड चूसने लगी. जब तक दोनों का पानी नहीं निकल गया, हम लोग एक दूसरे के लंड चूत को चूसते रहे.

फिर हमने एक एक सिगरेट सुलगा कर दस मिनट तक आराम किया.

तभी मुझे याद आया कि इसको तो 8 महीने की बच्ची है … इसको तो दूध अब भी आता होगा.

अब तक मैंने उसके चुचे को हाथ भी नहीं लगाया था. मैंने मोनाली को बोला- मोनाली मुझे दूध पीना है.
वो बोली- इस वक्त मैं दूध कहां से लाऊं?
मैं बोला- अरे तेरे पास है न और बोल रही हो कि कहां ले लाऊं.
वो बोली- वाह तुम तो बड़े स्मार्ट हो. लो पी लो, घर की डेयरी खुली पड़ी है.

मैं उसके एक चुचे को मुँह में लेकर चूसने लगा. साथ ही मैं दो उंगलियां मोनाली की चुत में डाल कर उसे चोद रहा था. जब तक कि दोनों चुचे दूध से खाली नहीं हो गए, मैं दूध चूसता रहा.

अब हम दोनों फिर से बहुत गर्म हो गए थे. मोनाली बार बार बोल रही थी कि बस करो प्रकाश … तुम अपना लंड मेरी चुत में अभी का अभी अन्दर डाल दो.
मैंने झट से उसे चित लिटाया और टांगें फैला कर लंड को उसकी चूत के छेद में सैट कर दिया. उसने अपनी गांड उठाते हुए लंड पेलने का इशारा किया.

तो मैंने जोर से झटका मारते हुए लंड को उसकी चुत में पेल दिया. लेकिन लंड डालते समय मैंने उसका मुँह मेरे मुँह में लिया था … क्योंकि मुझे डर था कि ये जोर चीखेगी.
वही हुआ, लंड लेते समय उसकी फट गई. वो दर्द के मारे मेरे होंठों को जोर से काटने लगी और चेहरा इधर उधर करने लगी.
मैंने झट से मेरा मुँह बाजू किया, तो बोली- साले हरामी इतनी जोर कोई चुत में लंड डालता है क्या … निकाल लंड मेरी चुत से … आह मुझे नहीं चुदवाना तेरे मूसल लंड से.. …

लेकिन मैं कहां मानने वाला था, मैं जोर जोर से उसे चोदता रहा. कूपा एसी होते हुए भी हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे.

थोड़ी देर बाद मोनाली मेरा साथ देने लगी थी.
अब वो चुदास की मस्ती में बोले जा रही थी- आह … चोद … चोद … और जोर से … फाड़ दे मेरी चुत … फाड़ डाल … साली बहुत सता रही है मुझे … और जोर से … प्रकाश आह … मैं आ रही हूँ.

बस उसने अगले ही कुछ पलों में अपना रस छोड़ दिया और एकदम शांत हो गयी.

लेकिन मेरा अभी बाकी था. मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया. फिर मैंने वापस लंड निकाल कर जोर से चुत के अन्दर डाला, तो दो तीन धक्कों में ही मोनाली गर्म हो गयी. मेरा लंड पिस्टन के जैसे अन्दर बाहर कर रहा था.

कोई पांच मिनट बाद मुझे लगा कि मैं आने वाला हूँ.
तभी मोनाली बोली- बस प्रकाश मैं थक गयी हूँ … तेरा कब होने वाला है.
मैं बोला- बस मैं आ रहा हूँ.
वो बोली- चुत में मत डालना, मेरे मुँह में डाल दे, मुझे वीर्य पीना है.

फिर मैंने लंड चुत से निकालकर उसके मुँह में डाल दिया और मुँह को चोदने लगा. मैंने उसके मुँह में ही लंड का पानी छोड़ दिया और झड़कर शांत हो गया.
एक दो मिनट बाद उसने मेरा लंड छोड़ा और बोली- यार प्रकाश, मुझे बड़े जोर की पेशाब लगी है.
मैं बोला- मैं क्या करूं … अभी तू कपड़े पहन कर चली जा न.
वो बोली- नहीं यार, मेरी जाने की हिम्मत नहीं है.

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या बोल रही है.

मैं बोला- एक उपाय है, लेकिन तुझे भी मेरा बराबर का साथ देना पड़ेगा … बोल मंजूर है … तो बोल!
वो मोनाली बोली- मुझे तो कब से वही चाहिये. … इसलिये तो बोली.

उसने मेरी बात समझते हुए मुझे जोर से हग किया और बोली- बहुत दिन से ये तमन्ना थी लेकिन मेरे पति को ये पसंद नहीं है. तुस्सी ग्रेट हो प्रकाश.. … मेरे दिल की तार तेरे से जुड़ गयी रे …
मैं नीचे लेट गया और बोला- आजा मोनाली … खोल अपना नल और खाली कर दे पूरा पानी मेरे मुँह में..

वो धीरे धीरे मेरे मुँह में मूतती रही और मैं उसका पेशाब पीता रहा. उसकी आखिरी की थोड़ी सी पेशाब को मैंने वैसे ही अपने मुँह में रखे रखा और उसे पास बुलाकर उसके मुँह में डाल दिया.

वो अपना पूरा मूत पी गयी और बोली- यार एक बात बताऊं प्रकाश … मुझे ये सब बहुत पसंद है. मैंने एक बार मेरे पति से इसका जिक्र किया था, तो वो बोला था कि छी … कुछ भी करने के लिए मत बोल. उस दिन से मेरे मन था कि मैंने यदि अपनी लाइफ में पति के अलावा किसी दूसरे से सेक्स किया, तो उसके साथ मैं जबरदस्ती या उसे अच्छा लगता होगा, तो ये जरूर करूंगी. मेरे सपने पूरे हो जाएंगे. आज तेरी वजह से मेरा सपना पूरा हो गया.

फिर हम दोनों बातें करने लगे. वो वापिस लंड के साथ खेलने लगी. हम दोनों 69 में आ गए. इस बार वो लंड की गोटियां चूसते चूसते गांड के छेद तक जीभ घुमा रही थी. जैसे ही उसकी जीभ मेरी गांड के छेद पे गयी … मुझे करंट सा लगा. मैं समझ गया कि ये क्या चाहती है. मैं उसकी गांड के छेद पर जीभ घुमाने लगा.

ये महसूस करते ही वो बोली- यार, तुम तो बहुत जल्दी मन की बात समझ लेते हो.
मैंने मोनाली से बोला- मोनाली मुझे तेरी गांड मारनी है … क्या तुम तैयार हो.
वो बोली- यार ये पहली बार खुलेगी. मुझे बहुत दर्द होगा. तुम पता नहीं आराम से तो करोगे भी या नहीं … फिर तेरा बहुत बड़ा भी है.
मैं बोला- ठीक है तेरी मर्जी.

फिर मालूम नहीं वो क्या सोचने लगी और अपने बैग से तेल की शीशी निकालते हुए बोली- चलो तुम ये तेल अपने लंड पर और मेरी गांड पर लगा दो, इससे अन्दर जाने में आसानी होगी.
मैंने खुशी से उसको हग किया, तो बोली- क्या दोस्त … यार तुमने मेरी इच्छा पूरी की है, तो मेरा भी फर्ज है कि तेरी इच्छा पूरी करूं.

मैंने तेल लगाकर उसकी गांड में लंड डाला. मोनाली को बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन वो कुछ नहीं बोली. मैं धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. उसको मजा आने लगा था.
वो बोली- हां प्रकाश अब ठीक है … जोर जोर से मार अभी … मेरी गांड में मुझे बहुत मजा आ रहा है.

उसकी गांड बहुत टाईट थी. मैं दस मिनट में ही उससे बोला कि मेरा निकलने वाला है … बोल कहां डालूं?
वो बोली- मेरे मुँह में डाल … मुझे भी मेरी गांड का टेस्ट चखना है.

मैंने लंड निकाला और उसके मुँह में दे दिया. उसने पूरा पानी पी लिया और थोड़ा मेरे मुँह में डाल दिया.

हम दोनों को बड़ी थकान हो गई थी. मैंने एक पैग लगाया और एक सिगरेट जला ली. उसने भी मेरा आधा पैग गटक लिया और सिगरेट भी खींचने लगी. हमारी आंखें अब बोझिल होने लगी थीं.

उस समय रात का एक बज रहा था तो हम लोग एक दूसरे के बांहों में बांहें डाल कर सो गए.

सुबह चार बजे मुझे मेरा लंड गीला लगने लगा. मैंने देखा तो मोनाली मेरा लंड चूस रही थी. मुझे तभी जोर से पेशाब लग आई थी.
मैंने उससे बोला- यार दो मिनट रुको, मैं पेशाब करके आता हूँ.
वो बोली- प्रकाश मेरे मुँह में ही कर दे.

मैं धीरे धीरे उसके मुँह में पेशाब करने लगा. पूरा खाली होने के बाद उसने वापस वैसे ही किया. थोड़ी सी पेशाब मुँह में रखकर मुझे पिला दी.

फिर वो बोली- प्रकाश एक बार मेरी चुत फिर से मार यार, जाने हम फिर कब मिलें या नहीं.

मैं 30 मिनट तक उसकी चुत बजाता रहा और वो मेरा साथ देती रही. फिर हमने कपड़े पहने क्योंकि आधे घंटे बाद नागपुर स्टेशन आने वाला था.

हम उसके बाद कभी मिले नहीं … लेकिन हमारी फोन पे बातें होती रहती हैं. हम आज भी अच्छे दोस्त है.

दोस्तो, किसी की इच्छा पूरी करने के बाद ऐसा थोड़े ही होता है कि बाद में उसके साथ सेक्स का ही रिश्ता रखो. लोग केवल अच्छे दोस्त भी हो सकते है.

उस दिन के बाद मोनाली ने मुझसे कभी भी सेक्स की बातें नहीं की, ना मैंने उससे ऐसा कहा.

जिंदगी में सेक्स ही सब कुछ नहीं होता, एक दोस्ती का रिश्ता भी मायने रखता है.
आपको मेरी सेक्स कहानी अच्छी लगी या नहीं, प्लीज़ मुझे मेल करें.