मेरा नाम गीतिका है. मेरी उम्र 42 की है. मैं सुन्दर हूँ गोरी हूँ हॉट हूँ. पति नहीं है वो बहुत पहले ही गुजर गए. बेटी बड़ी हुई तो मैं अपनी बेटी की शादी दिल्ली में रहने वाले कुणाल से कर दी. शादी के मात्र 6 महीने हुए है. मेरी बेटी और दामाद दोनों ही दिल्ली में रहते हैं. साउथ एक्सटेंशन में, मेरी बेटी जिसका नाम है गुन्नू वो मेरी लाड़ली बेटी है. हम दोनों माँ बेटी एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं. मेरी बेटी प्रेग्नेंट है इसलिए कुणाल मुझे लेने के लिए लखनऊ ही आ गया की मम्मी जी आपको जाना ही है. तो मैं मना नहीं कर पाई और तैयार हो गयी जाने के लिए.
लखनऊ से ट्रैन था दिल्ली के लिए, शाम को पांच बजे ट्रैन में सवार हुए. खाना पीना हुआ फर्स्ट क्लास ऐसी में टिकट था हम दोनों का. उसमे सिर्फ हम दोनों ही थे. हम दोनों बात चीत करने लगे तभी कुणाल बोला माँ जी आजकल की ज़िंदगी ऐसी है की एन्जॉय खूब करने चाहिए. अब खुद ही अपना देख लो. पापा जी चले गए आपको जवान ही छोड़कर. और आप भी उदास सी रहती हो. अभी आपका समय क्या हुआ है सच तो ये है कई लड़कियां अभी तक कुंवारी है दिल्ली में अभी तक शादी नहीं है वो आपके उम्र की होगी.
पर आप इसी उम्र में एक सासु माँ बन गए हो. मैं तो यही कहता हु ज़िंदगी ना मिलेगी दुबारा इसलिए खूब एन्जॉय कर लो. कुणाल मुझे समझा रहा था. पर दोस्तों सच तो ये है की मैं भी ऐसी ही ज़िंदगी चाहती हूँ जैसा की कुणाल कह रहा था. मैंने कहा हां कुणाल आप बोल तो सच रहे हो पर समाज भी कुछ चीज होती है. अगर लोग देखेंगे की मैं फैशन कर रही हूँ. तो कहेंगे की देखो इसको विधवा होकर फैशन करती है. मैं भी चाहती हूँ ज़िंदगी को सही से जीने के लिए पर समझ के डर से ही मैं कुछ नहीं कर पाती हूँ.
तो कुणाल बोल उठा आप बस मेरी दोस्त बन जाओ मेरी सासु माँ नहीं फिर देखो. आपको खूब मजे कराऊंगा घुमाऊंगा. अच्छे अच्छे कपडे और हिल स्टेशन घुमाऊंगा. सच पूछिए तो वो मेरे ख्वाब को ही बोल रहा था मैं ऐसी ही ख्वाब देखती हूँ.
मैंने कहा ठीक है. तुम जैसा चाहो वैसा ही करते हैं. तो कुणाल बोला प्रॉमिस मैं बोली प्रॉमिस तो कुणाल बोला ऐसे नहीं और वो खड़ा हो गया. वो बोला मुझे बाँहों में भरकर प्रॉमिस करो. मैं भी खड़ी हो गयी. और गले लगाते हुए प्रॉमिस बोली. पर उसके इरादे कुछ और थे. वो मेरे पीठ को सहलाने लगा और ब्रा को मेहसूस करने लगा. मैं कुछ नहीं बोली और उसके सीने से चिपकी रही.
फिर क्या था दोस्तों वो मुझे छोड़ ही नहीं रहा था. मेरे कम्पार्टमेंट दो था चार सीट वाला उसमे दो ही थे. ट्रैन भागी जा रही थी सर्दी का मौसम में सब लोग सो रहे थे. कुणाल ने लाइट बंद कर दी. अन्धेरा हो गया और वो मेरे होठ पर अपना होठ रख दिया. फिर धीरे धीरे उसका हाथ मेरी बड़ी बड़ी और टाइट चूचियों पर चला गया और सहलाते सहलाते वो मसलने लगा.
आआह क्या बताऊँ वर्षों हो गए थे किसी का मर्द मेरी चूचियों पर लगे हुआ. मैं भी छोड़ दी उससे जो करना है. पर उसने मुझे कामुक कर दिया. मेरे तन बदन में आग लग गयी थी. अपने आप को रोक नहीं पाई और मैं भी लिप लॉक कर ली. और चूसने लगी उसके होठ को उसके जीभ को.
फिर क्या था दोस्तों वो मुझे आराम से सीट पर लिटा दिया और मेरी साडी और पेटीकोट को ऊपर कर दिया. मेरी पेंटी खींच ली और मुझे दे दिया. और फिर दोनों पैरों को अलग अलग कर के बिच में बैठ गया और लगा मेरी चूत चाटने. ओह्ह्ह्ह पानी पानी हो गयी मैं तुरंत ही. मेरी चूत गरम हो गयी पानी निकलने लगा और कुणाल चाटने लगा. मैं उसी दिन ही अपनी चूत की बाल साफ़ की थी तो चुत चिकनी थी.
वो अब ऊपर आया उसकी साँसे तेज तेज चल रही थी. उसने पहले मेरे होठ को खूब चूसा. फिर ब्लाउज के हुक खोल दिया और ब्रा भी निकाल दिया अब मेरी चूचियां पीने लगा. निप्पल को दांतो से दबाते हुए मेरे बदन को सहलाने लगा. मैं आह आह करने लगी.
अब मैं पागल हो गयी थी मैंने कहा दे दो लंड अपना. उसने लंड निकाली और मेरे मुँह में दे दिया. मैं कुणाल की लंड चूसने लगी. मोटा लंबा लंड जैसे ही मैं मुँह में ली मैं और भी कामुक हो गयी मेरी कामुकता भड़क गयी. मैं होश खो दी और मैं अपने कंठ तक उसके मोटे लंड को ले रही थी.
अब मुझे उसका मोटा लंड चुत में चाहिए थे तो मैं बोल दी अब मुझे चोद दो. और उसने भी तुरंत ही मेरे पैरों को अलग अलग किया. और अपना मोटा लौड़ा चुत की मुँह पर लगाया और जोर से घुसा दिया. ओह्ह्ह्हह मजा आ गया था दोस्तों उसके मोटे लंड को पाकर. उसने जोर जोर से धक्के देते और मेरी चूचियां मसलता. मैं भी पुरे जोश में आ गयी थी.
मैं उसको बाहों में भर्ती कभी अपनी चूचियां पिलाती कभी अपने गांड को गोल गोल घुमा कर मोटा लंड को अपनी चुत में सेट करती. मैं पागल होने लगी. मेरे तन बदन में आग लग गई. मैं जोर जोर से चुदवाने लगी. वो भी मुझे जोर जोर से चोदने लगा. करीब एक घंटे तक पहली शॉट में चोदा. फिर दोनों निढाल हो गए और एक दूसरे को पकड़ पर सो गए.
मैं एक कंबल लाए थी घर से दोनों एक ही कंबल में आ गए और वो मुझे सहलाता रहा चूमता रहा. और हरेक आधे घंटे में वो पीछे से कभी ऊपर से कभी साइड से अपना लंड मेरी चुत में पेलते ही रहा. पूरा सफर वो मुझे चोदता ही रहा. मैं भी खूब मजे की मानो को मेरी रात यादगार हो गयी. सुहागरात भी फेल थे इस ट्रैन में चुदाई का आनंद लेकर. तो आशा करती हु अपनी दूसरी कहानी जल्द ही आपको XXXvasna डॉट कॉम पर सुनाऊँगी।तब तक के लिए आप मूठ मार लो.