अनजान लड़की ने ट्रेन में चूत और गांड चुदवाई

यह Xxx ट्रेन सेक्स कहानी लगभग 3 वर्ष पहले की है. वो सर्दी का मौसम था. मैं घूमने के लिए मुम्बई जा रहा था जिसके लिए मुझे गोरखपुर रेलवे स्टेशन से दोपहर को ट्रेन पकड़नी थी.
अतः मैं नियत समय पर स्टेशन पहुँच गया.

मेरी ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 1 पर आने वाली थी. ट्रेन आयी और मैं उसमें बैठ गया और ट्रेन चल पड़ी.

शाम को 5 बजे टी.टी. टिकट चेक करने आया.
उसने टिकट चेक किया और चला गया.

फिर किसी स्टेशन से दस लड़कियों का ग्रुप मेरी बोगी में चढ़ा.
उसमें से एक लड़की मेरे पास आकर बैठ गई.

उसका नाम ज्योति (काल्पनिक नाम) था. वो लाल रंग की कुर्ती और सफ़ेद रंग की लैगी पहनी हुई थी.
उसने मुझसे पूछा- अगर आपको कोई आपत्ति न हो तो मैं इस सीट पर बैठ सकती हूं?
मैंने कहा- ठीक है, बैठ जाओ.

उससे बातें होने लगीं और बातों ही बातों में पता चला कि वो सभी नासिक जा रही हैं परन्तु उन सभी लड़कियों का टिकट वेटिंग में है.

फिर पेंट्री वाला आया तो मैंने उसे खाने का आर्डर दे दिया.
वो आर्डर लेकर चला गया और कहा कि रात को 8 बजे खाना लेकर आएगा.

उसके बाद मैं मोबाइल में फिल्म देखने लगा.
बीच बीच में उससे हल्की फुल्की बात होती रही.

इसी बीच कब 8 बज गये पता ही नहीं चला. खाना आ गया और मैंने खाना खा लिया.

मैं दोबारा से मोबाइल में टाइम पास करने लगा.
रात के 10 बज गए.
अब मुझे नींद आने लगी और मैं सोने लगा.

तभी वो लड़की बोली- आप बुरा न मानें तो मैं आपके पैर की तरफ सिर करके सो सकती हूं?
मैंने कहा- ठीक है, मुझे कोई परेशानी नहीं है.

वो भी सो गयी. रात को लगभग 12-1 बजे मुझे पेशाब लगी तो मैं उठकर चला गया.
एक बाथरूम बंद था तो मैं दूसरे में चला गया.

रात का टाइम था और बोगी के सभी लोग अपने अपने केबिन की लाइट बंद करके सो चुके थे.
मैंने सोचा कि अब कोई नहीं आएगा इसलिए मैंने दरवाजे को अंदर से लॉक नहीं किया और पैंट की जिप खोलकर ऐसे ही मूतने लगा.

मुझे अंदाजा नहीं था कि कोई आकर दरवाजा खोल देगा.
मैं मूत ही रहा था कि दरवाजा खुला और वो लड़की सामने खड़ी होकर मुझे देख रही थी.
मेरे हाथ में मेरा लंड था और मैं जैसे सन्न हो गया था.

उधर उसका भी वही हाल था. वो चौंक गई थी और उसकी नजर मेरे लंड को देख रही थीं. फिर एकदम से दोनों को होश आया कि ये क्या हो रहा है!

मैंने एकदम से लंड अंदर किया और घूम गया और बोला- सॉरी, मैंने लॉक नहीं किया.
वो कुछ नहीं बोली और एक साइड मुंह फेरकर खड़ी हो गई.

मैंने आधा अधूरा मूता था और फिर लंड ऐसे ही अंदर कर लिया.
मैं टॉयलेट से मैं शर्मिंदा होते हुए निकला और उसको फिर से सॉरी बोलकर वहां से आ गया.

मैंने देखा कि वो नीचे ही नीचे हल्के हल्के मुस्करा रही थी.

फिर मैं आकर अपनी सीट पर लेट गया.

मैं सोने का नाटक करने लगा क्योंकि उसने मेरा लंड देख लिया था और अब मैं उससे नजर नहीं मिला सकता था.
मुझे बहुत शर्मिंदगी हो रही थी और इसमें गलती भी मेरी ही थी.

कुछ देर के बाद वो भी वापस आ गयी.
मैं सीट पर लेटा हुआ था, वो चुपचाप आकर मेरे पैरों की तरफ सिर करके लेट गयी.

मैं सोचता रहा कि पता नहीं इसने क्या सोचा होगा मेरे बारे में!

हम दोनों लगभग एक घंटे तक ऐसे ही लेटे रहे.
मुझे नींद ही नहीं आ रही थी. मैंने करवट ले ली. वो अभी भी वैसे ही लेटी हुई थी.

उसके घुटने मेरे पेट में लगे तो मैं थोड़ा और पीछे हो गया.

थोड़ी देर के बाद मुझे हल्की हल्की नींद आने लगी.
जैसे ही मेरी आंख लगने को हुई तो मुझे कुछ महसूस हुआ.

मैंने महसूस किया कि उसका घुटना मेरे लंड पर आकर सट गया और बार बार उसका दबाव मेरे लंड पर पड़ रहा है.

जब मैं अपनी कच्ची नींद से पूरी तरह जाग गया तो मैंने पाया कि वो सच में ही अपना घुटना मेरे लंड पर सटा रही थी.
ये देखकर मेरा लंड एकदम से तनाव में आ गया और कुछ ही सेकेण्ड में पूरा सख्त हो गया.

उसको भी शायद मेरे लंड की चुभन उसके घुटने पर महसूस हो रही थी इसलिए वो और जोर से दबाने लगी और उसको पता लग गया कि मेरा लौड़ा पूरे तनाव में आ चुका है.

अब मैं भी गर्म हो चुका था. मेरा भी मन करने लगा कि मैं भी इसके जिस्म के साथ ऐसा ही कुछ करूं.
मगर साथ में बाकी लोग भी सो रहे थे.

मैंने सोचा कि ऐसे खुले में कुछ भी हरकत करना ठीक नहीं है इसलिए मैंने अपनी चादर निकाली और उसको ओढ़कर लेट गया.
आधी चादर मैंने ज्योति पर भी डाल दी.

अब उसको पता लगा कि हम दोनों के ऊपर चादर है तो उसकी भी हिम्मत बढ़ गयी.
उसने मेरे लंड को अब हाथ से पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसको दबाने-सहलाने लगी.

मेरे लंड की नसें फटने को हो गयीं.
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया.

मैंने पैंट की चेन खोली और अंदर हाथ देकर अंडरवियर में से लंड को चेन के बाहर लाकर उसके हाथ में दे दिया.

खड़ा होने के कारण मेरा लंड बहुत ज्यादा गर्म हो गया था.
उसके ठंडे ठंडे नर्म हाथों में लंड गया तो मेरे पूरे बदन में सुरसुरी दौड़ गयी.
मैं हल्के हल्के कमर को आगे पीछे हिलाने लगा.

इससे मेरा लंड उसके हाथ की मुट्ठी में आगे पीछे होने लगा.
इधर मैंने भी उसकी जांघों और गांड को एक हाथ से सहलाना शुरू कर दिया. हम दोनों कुछ देर तक धीरे धीरे ये सब चादर के नीचे करते रहे.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था; मैंने उसकी लैगी के ऊपर से ही उसकी चूत को छूने की कोशिश की मगर मेरा हाथ अच्छी तरह चूत को छू नहीं पा रहा था.

उसके बाद वो थोड़ी हिली डुली और कुछ पल बाद उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लैगी के अंदर डलवा दिया.
उसकी लैगी का नाडा़ उसने खुद ही खोल कर ढीला कर दिया था.

मेरा हाथ सीधा उसकी पैंटी पर पहुंचा. उसकी पैंटी गीली होने लगी थी. मैं उसकी गीली चूत वाली पैंटी पर हाथ फेरने लगा.
वो भी मेरे लंड की मुट्ठ मारने लगी.

मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और वो एकदम से सिहर उठी.
मैं धीरे धीरे उसकी चूत में उंगली करने लगा. वो भी अपनी चूत को हल्के हल्के हिलाने लगी.

अब मैं उसके भगनासा को कुरेदने लगा और वो उत्तेजित होकर धीरे धीरे आ आह … आ आह … सी सी … अइई … ईस्स … आह्ह की आवाज निकालने लगी.

मैंने उठकर धीरे से उसके कान में कहा- आवाज मत करो … वरना सब लोग उठ जाएंगे.

मैं वापस लेट गया और अब मैंने उसकी लैगी को थोड़ा और नीचे कर दिया.
उसकी गांड पर मेरे हाथ जाने लगे.

अब मैं उसकी पैंटी में पीछे हाथ देकर उसकी गांड को सहलाने लगा.
वो अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी.
मैं जान गया कि ये चुदने के लिए बेताब है.

जब मुझसे रुका न गया तो मैं बोला- एक बार चूस तो दो?
मेरे कहने पर उसने खुद को ऐसे एडजस्ट कर लिया कि उसका मुंह मेरे लंड के पास आ गया.

उसने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया और मैं आह्ह … करके एक असीम आनंद में खो गया.
ठंडी के दिन थे और उसके गर्म और नर्म मुंह में लंड गया तो जैसे जन्नत मिल गयी.

वो मेरे लंड को जीभ से प्यार करते हुए चूसने लगी.
मैं तो पागल ही होने लगा.

फिर वो उठकर मेरी साइड ही आ लेटी और हम दोनों बेतहाशा एक दूसरे के होंठों को पीने लगे.

हम दोनों का जोश बढ़ गया था और अब हरकतें काफी तेज हो गयी थीं. हम दोनों ही चुदाई की आग में जल रहे थे.
मैं उसको चोद देना चाहता था और वो भी मेरे लंड को चूत में लेने के लिए मचल उठी थी.

मैंने धीरे से उसके कान में फुसफुसाकर कहा- ज्योति … तुम मेरे नीचे आ जाओ. मैं ऊपर आ जाता हूं.
उसके बाद वो सरक कर नीचे आ गयी और मैं उसके ऊपर लेट गया और चादर अच्छी तरह से ओढ़ ली.

अब ऊपर से देखने पर ऐसा लग रहा था कि मैं पेट के बल लेटा हूं और सीट पर केवल एक ही आदमी है. वो मेरे नीचे पूरी तरह से दब गयी थी.

ज्योति ने नीचे हाथ ले जाकर अपनी चूत के छेद में मेरा लंड टिकवा दिया और जैसे लंड के टोपे को छेद में जाने का रास्ता मिला … वो गच से सरकता हुआ उसकी चूत में उतर गया.

दोस्तो, क्या बताऊं … उस पल का वो अहसास कितना आनंद देने वाला था. सर्द रात में एक जवान लड़की की टाइट गर्म चूत में मेरा लोहे जैसा गर्म लंड पूरा घुसा हुआ था.

मैं तो कुछ पल उसके ऊपर लेटकर उसी आनंद में डूबा रहा. वो भी अपनी टांगों को थोड़ी चौड़ी करके मेरे लंड को चूत में अच्छे से सेट करती रही. हम दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ देकर लार का आदान-प्रदान कर रहे थे.

फिर धीरे धीरे मैंने अपनी गांड हिलाते हुए उसकी चूत को चोदना शुरू किया. मैं बहुत ही आराम से कर रहा था ताकि किसी को मेरी हलचल का आराम से पता न लगे.

चुदाई में इतना मजा आ रहा था कि बस पूछो मत … मैं लगातार उसकी चूत पर लेटा हुआ ऊपर नीचे होता रहा और मेरा लंड उसकी गर्म गीली चूत में अंदर बाहर होता रहा.

वो कसमसा रही थी क्योंकि मेरा वजन भी पूरा उसके ऊपर था और मेरा लम्बा लंड भी उसकी चूत में पूरा फंसा हुआ था.
उसके दर्द को मैं उसकी कराहटों में महसूस कर सकता था.

फिर धीरे धीरे उसको पूरा मजा आने लगा. अब शायद उसका दर्द कम हो गया था. वो फिर से मेरे होंठों को पीने लगी.
मैं भी उसकी चूत में लगातार धक्के लगाता रहा.

मेरी प्यास इतनी बढ़ गयी थी कि मैं अब उसको नंगी करने पर उतारू हो गया था.
मैंने बोला- जान … बाथरूम में चलो. तुम्हारी चूची पीते हुए चोदूंगा.
वो बोली- नहीं, वहां बदबू में नहीं करूंगी.

फिर उसने अपनी कुर्ती को ऊपर कर दिया और ब्रा भी उठा दी.
उसने चूचियां नंगी कर दीं और अब मैंने उसको सीट की बाहरी साइड की तरफ करवट के बल लेटा दिया.

अब मेरा मुंह उसकी चूचियों में था और लंड उसकी चूत में. मैं उसकी चूत में धक्के लगाते हुए उसकी चूचियों को पीने लगा.
वो भी मेरे सिर के बालों को खींचते हुए चूत को लंड की ओर धकेलने लगी.

ऐसे करते करते हमें 10 मिनट हो चुके थे.
अब एकदम से उसने अपनी जांघ को मेरी जांघ पर चढ़ा दिया और मेरी गांड को हाथों से भींच कर मेरे लंड को पूरा जोर लगाकर अपनी चूत की ओर धकेलते हुए अपनी चूत में जकड़ लिया.

वो मेरे से ऐसे लिपट गयी जैसे पेड़ पर बेल लिपट जाती है.
उसकी चूत से गर्म गर्म पदार्थ निकलता हुआ मुझे लंड पर महसूस हुआ.
उसकी सांसें बहुत तेज हो गयी थीं.

मैंने फिर से उसको चोदना शुरू किया.
अब वो ढीली पड़ गयी थी क्योंकि उसका पानी निकल चुका था. अब मेरा लंड कुछ और ज्यादा चिकनाहट में घुस रहा था.

जोश में मैं उसकी चूत में सटासट लंड को अंदर बाहर करता रहा.
फिर मेरा माल निकलने को हो गया; मैं बोला कि मेरा होने वाला है.

वो बोली- हां, करते रहो. अंदर ही जाने दो, बहुत दिनों से चूत में नहीं छुड़वाया है.
फिर मैंने चोदते हुए उसकी चूत में पिचकारी मारनी शुरू कर दी.

कई झटकों के साथ मेरा सारा वीर्य उसकी चूत में निकल गया.
हम दोनों एक दूसरे से लिपटे रहे.
फिर उसने अपनी कुर्ती नीचे और लैगी को ऊपर करके बांध लिया.

अब मैंने भी अपने लंड को पैंट के अंदर करके जिप बंद करना चाही तो उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया.
मैंने धीरे से पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- रुको, इतनी क्या जल्दी है?

अब वो सरक कर नीचे चली गयी और फिर से मेरे लंड को चूसने लगी. कुछ देर में फिर से मेरा लंड उसने खड़ा कर दिया.
मैं बोला- ज्योति, एक बार गांड भी मारने दो प्लीज?

वह बोली- नहीं, इसमें बहुत दर्द होता है.
फिर मेरे बहुत जोर देने पर वो गांड मरवाने के लिए राजी हो गयी.
फिर मैंने उससे पूछा कि वैसलीन या कोई तेल है?

तो उसने अपने बैग से वैसलीन निकाल ली. मैंने वैसलीन लेकर उंगली से निकालकर अपने लंड पर लगायी और उसे साइड में लिटाकर उसकी गांड के छेद पर भी लगायी.

अब मैं उसकी गांड में दो उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा जिससे उसकी गांड थोड़ी थोड़ी ढीली होने लगी.

फिर मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर लगाकर रगड़ा.
मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.

उसको दर्द होने लगा तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया ताकि वो आवाज न कर सके.

किसी तरह से मैंने उसकी गांड में लंड घुसाया और रुक गया.

फिर धीरे धीरे मैं धक्के लगाने लगा.
उसको दर्द होता रहा लेकिन मैं रुका नहीं.

कुछ देर के बाद उसकी गांड ने मेरे लंड को अंदर जगह दे दी और वो आराम से चुदने लगी.

मैं अब मस्ती में उसकी गांड में लंड अंदर बाहर करने लगा.
बहुत मजा आ रहा था … काफी टाइट गांड थी उसकी! शायद उसने गांड चुदाई ज्यादा नहीं करवाई थी.

मेरे हाथ उसके उसकी चूचियों को दबाने लगे और मैं मस्ती में आंखें बंद करके उसकी गांड को चोदने का मजा लेता रहा.
मैंने 15 मिनट तक उसकी गांड चोदने के बाद उसकी गांड में माल निकाल दिया.

नॉर्मल होने के बाद फिर हम दोनों अलग अलग दिशा में लेट गये.
मैं भी थक गया था और वो भी चुपचाप सो गयी.
फिर मुझे भी नींद आ गयी.

इस तरह उस रात मैंने उस अनजान लड़की की चूत और गांड चुदाई का मजा ट्रेन में लिया.