यह मेरी पहली बुर की चुदाई कहानी है XXXVasna पर… यही आशा करती हूँ कि आप सबको पसंद आएगी, अगर कोई गलती हो जाए तो माफ़ करना!
मेरा नाम ऋचा है, एक छोटे से गाँव से हूँ, मेरे बदन का आकार 34-30-32 है.
बात दो साल पहले की है, मेरी 12वीं की पढ़ाई खत्म ही हुई थी.. हमारे घर के बाजू में एक सर रहने आए थे वो दिखने में तो बहुत ही अच्छे थे, कोई भी लड़की उनसे पट जाए!
पहले तो मैं उनसे बात नहीं करती थी मगर एक दिन जब मैं बाहर से घर आई तो वो सर मेरे घर पर बैठे थे. मैं तो उनको देखते ही खुश हो गई थी पर मैंने अपने आप को संभाला.
फिर माँ बोली- ये सर तुम्हें इंगलिश पढ़ाएंगे, मैंने इनसे बात कर ली है, कल से तुम इनके घर पढ़ाई के लिए जाना.
इतना सुनते ही मैं बहुत खुश हो गई और बेसबरी कल का इंतज़ार करने लगी.
जब दूसरे दिन मैं उनके घर गई तो घर बहुत अच्छा था एकदम साफ़! मैं उस दिन सलवार कुर्ती पहन कर गई थी, पहले तो वो मुझे ही देखते रहे.सर ने मुझे बैठने को बोला और वो रसोई में चले गए.
फ़िर आकर सर ने मुझे पढ़ाना शुरू किया. फिर तो रोज ही मैं उनके सामने तैयार होकर जाने लगी, उनसे बिल्कुल सट कर बैठती थी ताकि उनका हाथ मेरी चुची को छुए.
वो मेरे सामने देखने लगे तो मैं भी उन्हें देख कर हँस दी.
सर ने मुझसे पूछा- कोई बॉयफ्रेंड है?
तो मैंने ना बोला. सही में मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था.
तो सर भी अब पढ़ाई के बहाने मुझे यहाँ वहाँ छूने लगे, मुझे भी मजा आता था.
फिर एक रात को मैंने उनको मेसेज किया, उस रात को देर तक हमने बात की. फिर रोज ही हम बात करने लगे थे.
मैंने सर को कहा- आप मुझे पसंद हो!
तो सर ने कहा- अगर तुम टेस्ट में पास हो गई तो ही मैं तुमसे बात करूँगा.
मैंने पूछा- कौन सा टेस्ट?
तो सर ने कहा- अपने जिस्म का टेस्ट देना होगा!
मैं कुछ समझी नहीं तो उन्होंने कहा- मेरे साथ एक रात बिताओ!
मैंने भी हाँ कर दी क्योंकि मैं भी इसी दिन का ही इंतज़ार कर रही थी, मैं अपने सर से अपनी प्यारी नाजुक कुंवारी बुर की चुदाई करवाना चाहती थी!
फिर अगले दिन मैं उनके घर गई तो घर एकदम सजाया हुआ था, गुलाब के फूल थे सब जगह पर!
जैसे ही मैं अंदर गई, उन्होंने मुझे कस के बाँहों में भर लिया और मेरे होंठ चूमने लगे. मैं भी उनका साथ देने लगी, हम 5 मिनट तक किस करते रहे.
फिर उन्होंने कहा- अंदर चलते हैं.
जैसे ही हम अंदर गए तो सर फिर से मुझे किस करने लगे, मेरी चुची दबाने लगे और बोले- ऋचा, तुम बहुत सेक्सी हो!
फिर उन्होंने मेरे कपड़े उतारे और मुझे नंगी कर दिया और अपना लंड दिखाया… सर का लंड देखते ही मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया, पूरा तना हुआ 8″ का लंड था… मैं तो देखती ही रह गई.
सर बोले- अपने मुंह में ले!
मैंने ‘ना ना…’ बोला तो सर ने जोर का चांटा मारा और बोले- बहन की लौड़ी… चूस मेरे लंड को!
फिर उन्होंने मेरे मुंह में अपना लंड घुसेड़ दिया और गले तक लंड को डालने लगे.. साथ में मेरी चुची भी दबाने लगे.
‘आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्सह्ह…’ बहुत अच्छा लग रहा था.
मेरे मुंह से लंड निकाल कर सर ने मुझे ज़मीन पर ही लेटा दिया और मेरे पैर फ़ैला कर मेरी कुंवारी बुर पे लंड को रगड़ने लगे और फिर एक ही झटके के साथ ही आधा लंड मेरी नाजुक बुर में डाल दिया.
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मैं तो जैसे मर ही गई थी, जोर से चीख पड़ी मैं- ऊऊई मर गईईईई… नहीं… निकालो निकालो लंड को! उउउईई!
मगर सर नहीं रुके और मुझे मारते हुए बेरहमी से मेरी प्यारी बुर चोदने लगे.
काफ़ी देर तक सर मुझे चोदते रहे और अपना पानी मेरी बुत में ही छोड़ दिया और निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गए.
मैंने जब उठ कर देखा तो मेरी प्यारी बुर से खून निकल रहा था और बहुत सूज चुकी थी, दर्द भी बहुत हो रहा था.
उस दिन के बाद तो लगभग रोज ही मेरी चूत की चुदाई होती थी.
पर अब सर ने घर बदल लिया है, दूसरी जगह चले गए हैं.
मेरी हिंदी सेक्स कहानी पर अपनी राय जरूर दीजिएगा.