अन्तर्वासना के सभी ठरकी साथियो को नमस्कार. मेरा नाम शुभ है , उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. अब मैं शादीशुदा हूँ और एक खुशहाल ज़िन्दगी बसर कर रहा हूँ. अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ना मुझे बहुत पसंद है. सारिका कंवल, प्रीति शर्मा, शरद सक्सेना, सुकान्त शर्मा जी का मैं बड़ा फ़ैन हूँ.
चुदाई मेरा सबसे पसंदीदा काम है. साधारण शक्ल सूरत का इंसान हूँ. मेरा हथियार भी साधारण लम्बाई का 6.5 इंच का ही है, पर इसमें इतनी खासियत है कि ये झड़ता देर से है.
यह बात कुछ वर्ष पुरानी है, तब मुझे एक लड़की से इंटरनेट के ज़रिये प्यार हो गया था. वो राजस्थान की थी. मैं उसको बेपनाह मोहब्बत करने लगा था. मैं उससे मिलने भी गया था, पर तब इतना मासूम था कि उसके साथ कुछ किया नहीं था. शायद मेरी मासूमियत इसकी वजह थी या कोई और वजह रही थी.
एक साल के बाद मुझे पता चला कि वो किसी लोकल लड़के के साथ जिस्म की आग ठंडी करती है. मैंने उसके पिता के आगे शादी का प्रस्ताव रखा और उसको भी बोला कि मैं सब कुछ भूल कर तुमको पूरी इज़्ज़त से अपना बनाऊंगा, पर उसने मना कर दिया.
मैं उसकी इस बात से बुरी तरह से टूट गया था. मैं बस किसी भी तरह उसको पाना चाहता था. उसके लिए हर मंदिर हर ज्योतिषी के चक्कर लगाता रहता था. मेरा प्यार पागलपन की हद तक पहुंच गया था.
यह बात जनवरी की थी और मार्च में होली के बाद मेरे दो दोस्तों ने मेरी इस समस्या से मुझे निकालने की कमान संभाली. वे मुझे हमेशा घर से ले जाते. हम घंटों बातें किया करते.. ताकि मेरा ध्यान उस लड़की सोनी की तरफ से हट जाए.
अब मुख्य घटना क्या हुई थी, उस पर आते हैं. मेरे उन्हीं दोस्तों में से एक दोस्त ने अपने चर्च में आने वाली एक लड़की को मेरे मोबाइल से कॉल किया और बात करने के बाद लॉग बुक से उस नंबर को डिलीट कर दिया.
रात को करीब 11 बजे जब मैं अकेला कमरे में लेटा अपनी सोनी को याद कर रहा था. तभी उस लड़की का कॉल आया. मैंने उसको बताया कि कॉल मेरे दोस्त ने की थी, उसका मोबाइल ख़राब है. मैं कल उससे बात करवा दूंगा.
यह कहकर मैंने कॉल काट दी.
लेकिन हुआ ये कि इसके बाद मेरे फोन पर उसके कॉल आने शुरू हो गए. मुझे भी उससे बात करना ठीक लगने लगा था. कुछ ही दिनों में हम दोनों रोज़ ही देर रात तक बात करने लगे थे. उस लड़की में न जाने क्या बात थी कि हमारी बातें जल्दी ही सेक्स पर पहुंच गईं.
हमने मिलने का प्लान बनाया और मैं एक हफ्ते बाद उससे मिलने पहुंच गया. हम एक पार्क में मिलने गए. कुछ देर बैठ कर बातचीत की. इसके बाद उसने मेरी तरफ प्यार की नजरों से देखा, तो मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया. उसने मेरा हाथ अपनी गोद में रख लिया. हमारी सिटिंग एक दूसरे के एकदम करीब हो गई और अगले ही पल हम दोनों ने एक दूसरे को किस कर लिया.
मेरे पहले चुम्बन का क्या गज़ब का जवाब मिला था मैं तो उसके चूमने की अदा पर ही घायल हो गया था. हमारे लिपलॉक को उसने कब स्मूच में बदल दिया था, मुझे मालूम ही नहीं हुआ. वो लड़की क्या गजब का स्मूच करती थी. मैं तो अन्दर तक झनझना उठा था.
माफ़ कीजियेगा अब तक मैंने उसका नाम नहीं बताया. किस्मत की बात देखिये कि उसका नाम भी सोनी था. हालांकि वो दिखने में कोई बहुत खूबसूरत नहीं थी. लेकिन मुझको इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता था.
सोनी छोटे कद की सांवली सी सूरत वाली लड़की थी. उसका गोल सा चेहरा, गहरी भूरी आंखें थीं. उसके स्तन निम्बू जैसे थे. ऐसे कि पूरी हथेली में आ जाएं.
उस दिन चूंकि हम पार्क में थे, इसलिए किस और स्तन मर्दन से आगे कुछ कर नहीं सकते थे. तो हमने अगले दिन पूरी मौज मस्ती करने की योजना बनायी.
योजना के अनुसार मैं अगले दिन रात को उसके मोहल्ले में था, मैंने उसको कॉल किया. उसने बताया कि वो कुछ सामान लेने के बहाने बाहर दुकान पर जा रही है.
मैंने उसको आगे मिलने को कहा. वो मुझसे मिली तो मैंने उसको अपनी मोटरसाइकिल पे बिठाया और उसको लेकर एक नयी बन रही इमारत पर ले गया.
वहां मैंने पहले से ही व्यवस्था कर रखी थी. एक दरी का सहारा हम दोनों की चुदाई के संग्राम के लिए पर्याप्त था. हम दोनों ने एक दूसरे को गर्म करना शुरू किया. हम एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे थे. मेरे हाथ उसके शरीर पर रेंगने लगे थे.
अचानक मैंने हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाल कर पहले पेंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फेरा. वो हल्के से सिहर गई लेकिन अगले ही पल वो भी मेरी इस मस्ती में मेरा साथ देने लगी. फिर मैंने उसकी पेंटी के अन्दर डाल कर उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया.
चूत पर मेरे हाथ के स्पर्श ने उसको गनगना दिया था. अब वो भी गर्म होने लगी थी. मैंने हाथ फेरा तो महसूस किया कि उसकी चूत पर हल्के हल्के छोटे छोटे से बाल थे. उसने बताया कि वो अपनी झांटों को डिजायन में ट्रिम करके रखती है.
हम आगे बढ़ते, उसके पहले ही मेरी निगाह आस पास गयी, तो देखा सामने 4-5 मजदूर जैसे लोग खड़े थे. उनको देख कर हमारी तो गांड फट गयी.
हम दोनों अलग हो गए तो उसमें से एक बोला- अरे करो करो, हमको तो देखने में ही बहुत मज़ा आ रहा है.
मैंने सोनी से कहा- डरो नहीं और चलो यहां से.
मैं उसका हाथ पकड़ कर उसको वहां से बाहर ले आया. मजदूरों की हिम्मत न हुई कि वे हमको रोक पाते.
दो दिन बाद मेरे घरवाले कानपुर चले गए. वो दूसरे दिन शाम को आने वाले थे. मैंने सोनी को कॉल किया और उसको अपने घर मिलने बुला लिया. मैं खुद उसको लेने उसके घर के पास गया और उसको लेकर अपने घर आ गया.
उसको अपने कमरे में बैठा कर मैं उसके लिए पानी लाया और कंप्यूटर पर ट्रिपल एक्स मूवी चला दी.
उसने बोला- प्लीज़ इसे बंद करो, इसको देखने से अच्छा है कि हम खुद ये करते हैं.
इतना सुनते ही मैंने कंप्यूटर पर ‘तुम मिले …’ फ़िल्म के रोमांटिक गाने लगा दिए.
फिर मैंने उसको अपनी गोद में बैठा कर चूमना शुरू कर दिया. धीरे धीरे हम दोनों के हाथ एक दूसरे के शरीर पर चलने लगे और हमारी जीभ एक दूसरे के मुँह का जायज़ा लेने लगीं.
मैंने एक हाथ से उसकी जीन्स का बटन खोला और उसकी पेंटी समेत जींस को नीचे घुटने तक खिसका दिया. उसकी नंगी चूत देख कर मेरा मन वहां चूमने का होने लगा. मैं उसको चित लिटा कर उसकी बुर की फांकें खोल कर जीभ से चूत को चाटने लगा.
वो मस्ती में अपना सर झटक रही थी और दोनों हाथों से मेरा सर अपनी चूत के अन्दर दबा रही थी.
लगभग 6-7 मिनट तक चूत को चूसने चाटने के बाद मैंने अपना सर निकाला और उसके होंठ चूमने लगा.
इसके बाद मैंने उसकी कुर्ती और ब्रा निकाल दिए और उसकी छोटी छोटी चूचियों को चूसने लगा. उसने भी मेरी टी-शर्ट और लोवर को उतार दिया और जॉकी के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाने लगी.
मैंने उसके पूरे शरीर पर चूम चूम कर उसको गर्म कर दिया था.
फिर मैं अपना लंड पकड़ कर उसकी टांगों के बीच आया.
उसने बोला- ऐसे अन्दर मत डालो, कंडोम भी नहीं है.
उसकी इस बात का ख्याल था मुझे, इसलिए मैंने पहले से ही कंडोम ले लिया था.
मैंने बिस्तर के गद्दे के नीचे से कंडोम निकाल कर अपने लंड पर चढ़ा लिया. कंडोम चढ़ा लंड देख कर उसकी आंखों में चमक आ गयी.
मैंने प्यार से उसकी चूत पर लंड फेरा और आराम से अन्दर डालने लगा.
मैंने सोचा था कि इसकी चूत में दर्द जैसा कुछ होगा, लेकिन मेरा पूरा लंड सरसराता हुआ चूत की जड़ तक पहुंच गया. जब मेरे लंड ने उसकी चूत की तलहटी को छुआ, तब मुझे पता चला कि ये तो साली खेली खायी लौंडिया है.
खैर.. जो भी हो, उस वक़्त तो मेरे ऊपर चूत चुदाई का भूत सवार था. मैंने उसकी चूचियों के निप्पल चूसते हुए लंड अन्दर बाहर करना शुरू किया. उधर उसने भी अपने हाथ मेरी पीठ पर कस लिए और फिराने लगी.
मैंने उसके निप्पल छोड़ कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और धकापेल चुदाई करने लगा.
सच में दोस्तो, वो मेरा पहला सेक्स था और उसमें बस आनन्द ही आनन्द था. कुछ देर बाद मैंने चुदाई की गति बढ़ा दी और वो भी एक छिपकली की तरह मुझसे चिपक गयी. हम पसीने से तरबतर हो गए थे और चरम पर पहुंचने ही वाले थे.
फिर वो मौका भी आया और उस परम आनन्द के मारे मेरी आंखें बंद हो गईं. मेरे स्खलन का क्या मस्त एहसास था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं हवा में उड़ रहा हूँ. मैं इतना हल्का महसूस कर रहा था.
झड़ने के बाद मैं कुछ देर मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा. फिर हम उठे और बाथरूम जाकर खुद को साफ़ किया. हमने कपड़े पहने और मैंने उसे सीने से लगा लिया. मेरी आंखों से कृतज्ञता के आंसू छलक गए, जो वो देख नहीं पायी. उसके बाद मैंने उसको वहीं पर छोड़ा, जहां से लिया था.
हम उसके बाद भी कई बार मिले, पर चुदाई नहीं कर पाये. कभी जगह की कमी की वजह से, तो कभी किसी और वजह से.
आखिरी बार उससे मेरी बात शादी के बाद हुयी थी. उसने अपना पहले वाला वो नंबर ही बंद कर दिया था. मैं आज भी उसको याद करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो जहां भी हो, खुश हो.
यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी. उसके बाद भी मैंने बहुत सी भाभियों को चोदा और अभी भी मौका मिलने पर चोदता हूँ. वो कहानियां फिर कभी जब आपकी सराहना या उपालम्भ प्राप्त होंगे.. तब आपसे साझा करूंगा.
आपका मित्र शुभ
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