हाई फ्रेंड्स. मैं आपकी रूचि शर्मा फिर से आपकी सेवा में हाजिर हूँ. अभी मैं बस 27 साल की हूँ. अंतर्वासना पर मेरी यह दूसरी कहानी है. जब मैंने अपनी पहली कहानी
अनजान लड़के से चुत चुदवा ली
लिखी थी तो मुझे बहुत सारे ईमेल आए थे. उनमें से एक ईमेल मुझे दिल्ली के राहुल गुप्ता का भी आया था जो बहुत ही मैच्योर व्यक्ति थे उनकी उम्र 40-42 साल के आसपास थी. जब मेरी उनसे बात शुरु हुई तो हमारी बात हैंग आउट पर होती थी.
फिर मैंने उनको अपना कांटेक्ट नंबर दे दिया.
फिर बातों का सिलसिला बहुत आगे गया. यहां तक कि हम सेक्स चैट भी करने लगे. जब वे मुझे कहते थे तो मैं उनके लिए अपना जिस्म भी उनको दिखा देती.
धीरे-धीरे हमारी दोस्ती और आगे ऐसे ही बढ़ती गई। मैं उनसे अपनी हर बात शेयर करने लगी. जो मेरे मन में होता … चाहे वो किसी भी तरह की बात हो … उनको बता देती थी.
एक बार उन्होंने मुझसे ऐसे ही पूछा- रूचि, तुम कैसा सेक्स करना पसंद करती हो?
मैंने उनसे कहा- सच बताऊं अंकल?
उन्होंने मुझसे कहा- रुचि देखो, मैं तुम्हें अपना दोस्त मानता हूं. चाहे सच बताओ या झूठ लेकिन मैं तुम्हें अपने जीवन की हर बात सच ही बताऊंगा.
उनकी हर बात मुझे बहुत पसंद आती थी।
तब मैंने उन्हें बताया कि मैं एक साथ दो मर्दों के साथ सेक्स करना चाहती हूं. एक के ऊपर में बैठकर राइडिंग कर रही हूं और दूसरा मुझे पीछे से मेरी कोली भर कर मेरी कमर को खूब चाटे और उन दोनों के बीच में मैं खूब इंजॉय करूं.
तो उन्होंने मुझसे कहा- ठीक है डियर, मैं आपकी हर इच्छा पूरी कर दूंगा.
लेकिन फिर मैंने उनसे कहा- करनी तो मुझे हर चीज है क्योंकि एक ही लाइफ है … बार-बार नहीं मिलती. बट मैं पहले आपसे मिलना चाहती हूं, आपको बहुत अच्छे से जानना चाहती हूं. आप सच में और भरोसे लायक हैं या नहीं! यह जानना चाहती हूं।
उन्हीं दिनों मेरे घर में एक फंक्शन आया तो मुझे काम से बार-बार घर से बाहर जाना पड़ता था. तब मैंने एक बार उनको मिलने के लिए बुलाया, हम लोग एक होटल में मिले.
राहुल जी काफी हृष्ट पुष्ट व्यक्ति थे. शुरू में देखते हुए मुझे तो ऐसा लगा ये मेरे ऊपर चढ़ गए तो शायद मुझे मार ही डालेंगे.
लेकिन उनकी बातों और व्यवहार से मैं थोड़ी देर में नॉर्मल हो गई। उन्होंने मुझे रूम में चलने के लिए पटा लिया. मैं भी अंकल से चुदाई के लिए तैयार थी, मेरी कामुकता मेरे काबू में नहीं थी क्योंकि काफी दिनों से मेरी चूत में लंड नहीं गया था.
फिर हम लोग रूम में चले गए वहां जाकर उन्होंने सीधे मेरी जींस की बेल्ट पर हाथ डाल दिया और जींस को मेरे शरीर से अलग करने की कोशिश करने लगे, मुझे अजीब सा लगा कि ना चूमा चाटी और सीधे मेरी चूत पर हमला … मैंने उनके हाथ पर अपना हाथ रख कर उनको रोकना चाहा तो उन्होंने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे किस करते हुए मेरे कानों की बाली को चूसने लगे.
अब मुझे अच्छा लगा और मैं थोड़ी सी गर्म होने लगी. मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने आप को उनके हवाले कर दिया. फिर उन्होंने मेरा टॉप उतार दिया और मेरी जींस को भी!
मैं अब उनके सामने केवल ब्रा और पेंटी में थी, मेरा गोरा बदन उनके सामने नंगा पड़ा था.
अंकल मेरी जांघों पर किस करने लगे और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगे. मेरी आंखें एकाएक बंद हो गई. मेरी सांसें तेज हो रही थी, मेरे पेट की नाभि ऊपर नीचे हो रही थी.
फिर अंकल मुझे किस करते करते मेरे पेट से होते हुए मेरे बूब्स तक आ गए और मेरी ब्रा को मेरे बदन से अलग कर दिया. वे मेरे बूब्स को पागलों की तरह चूसने लगे, उन्हें दबाने लगे. मैं अपने आप को उनसे छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर शायद सेक्स के बुखार में मेरे हाथ कब उनकी पीठ पर और गर्दन और उनके बालों पर चलने लगे, मुझे पता ही नहीं चला.
अंकल की बालों वाली छाती मेरे चूचों के ऊपर ऊपर थी.
फिर वे दोबारा से नीचे गए और मेरी पेंटी को भी निकाल दिया. अब मेरी चिकनी चूत उनके सामने थी, मैंने अपनी चूत के बाल यानि झांटे साफ़ करके आयी थी, मुझे पता था कि आज मेरी पैंटी उतर जाने वाली है. मेरी चूत कामवासना से पानी छोड़ रही थी और थोड़ी गीली हो गई थी.
फिर धीरे धीरे अंकल ने अपनी जीभ से उसे और गीला कर दिया और फिर बहुत तेज तेज मेरी चूत की क्लिट को चूसने लगे. मेरे पैर उनकी कमर पर आ गए थे. मैं अपने आप को बहुत मजे में महसूस कर रही थी ऐसा मन कर रहा था कि आज यह व्यक्ति मुझे खा जाए बस! मेरी चूत को खा जाए.
इस बीच में उन्होंने अपना लंड थूक से लगाकर हल्का गीला कर लिया और मेरी चूत के छेद पर टिका दिया और फिर हल्के से धक्का लगाया. मेरी चूत ज्यादा गीली होने के कारण अंकल का लंड एकदम मेरी गर्म चूत के अंदर चला गया.
अब तक अपनी गर्दन उठाकर मैं ये सब देख रही थी लेकिन जैसे ही लंड मेरे जिस्म के अंदर गया, मैंने अपनी गर्दन को वापिस बेड पर टिका दिया. मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था.
उन्होंने मेरी टांगें अपनी कमर पर रख रखी थी और हम दोनों जिस्म एक दूसरे में समा जाना चाहते थे. हम एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे, एक दूसरे के होंठों को खा रहे थे. मैं कह नहीं सकती या अपने उस आनंद को शब्दों में बयां नहीं कर सकती, उनकी कमर में मेरे नाखून गड़ रहे थे.
अंकल मुझे कभी धीरे तो कभी तेज चोद रहे थे. इस सब के बीच मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा और मैं झड़ गई. लेकिन ये अंकल तो झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे.
मैंने कहा- प्लीज अंकल, थोड़ी देर के लिए रुक जाओ.
लेकिन उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा. अंकल मेरी गीली चूत की चुदाई करते रहे. मुझे दर्द हो रहा था, मैं छः रही थी कि अंकल अपना लंड मेरी चूत में से निकाल लें.
शायद अंकल मेरी तकलीफ को समझ रहे थे क्योंकि मैं अब दर्द और छटपटा रही थी. मेरी हालत को देख अब अंकल ने कुछ धक्के अपने हिसाब से मारे मेरी चूत में और वो झड़ने लगे.
अंकल ने मेरी चूत में ही अपना सारा वीर्य छोड़ दिया और निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गए.
फिर मैंने अपने हाथों से उनको अपने ऊपर से साइड में पलट दिया. वे हंसते हुए साइड में हो गए.
तब मैंने देखा कि अंकल का वीर्य मेरी चूत से बाहर निकल रहा था. बहुत सारा माल निकला था तो मैंने उनसे पूछा- आपने कितने दिन से सेक्स नहीं किया है?
तो उन्होंने बतय- डियर, बहुत समय हो गया.
मैंने कहा- तभी यह आपका पानी इतना सारा निकला है.
फिर मैं नहाने के लिए वॉशरूम में जाने लगी तो उन्होंने कहा- रूचि बेबी, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं.
मैंने कहा- ठीक है अंकल, चलिए!
हम दोनों साथ में नहाने लगे.
फिर अंकल ने मुझसे कहा- मेरी एक इच्छा है!
मैंने कहा- बताइए?
अंकल बोले- ऊपर से शावर चल रहा हो … पानी की बूंदों में हमारे नंगे शरीर दिख रहे हों और तुम अपने घुटनों पर बैठ कर मेरा लंड चूसो।
उनकी खुशी के लिए मैं घुटनों पर बैठ गई और उनके सोए हुए लंड को चूसने लगी. धीरे-धीरे मेरे मुंह में उनका लंड खड़ा होने लगा. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद उन्होंने मुझे सिर से बाथरूम की दीवार से सटाकर घोड़ी की अवस्था में खड़ा कर दिया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया.
ऊपर से हम दोनों के ऊपर पानी गिर रहा था और नीचे अंकल मुझे चोद रहे थे. कभी वे मेरे बूब्स को दबाते, कभी मेरी कमर पर किस करते.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
फिर अंकल बाथरूम के फर्श पर सीधे लेट गए और मुझे अपने ऊपर आने को कहा. मैं अंकल के लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका कर उनके ऊपर बैठने लगी. अंकल का लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया और मैं राइडिंग करने लगी. मुझे लंड राइडिंग करने में बहुत मजा आता है.
अंकल ने मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपनी छाती पर झुका लिया और मेरे बूब्स अपने होंठों में लेकर चूसने लगे. साथ ही वे नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर मेरी चूत में धक्के लगा रहे थे. उनके हाथ मेरी नंगी कमर पर चल रहे थे.
इस लंड राइडिंग करने वाली पोजीशन में मुझे बहुत अच्छा लगता है और मैं एक बार फिर से झड़ गई. लेकिन अबकी बार अंकल जल्दी से झड़ने वाले नहीं थे, यह मैं जानती थी क्योंकि पहला राउंड किए हुए अभी हमें मिनट ही हुए थे.
इसलिए मैं उनके ऊपर से उतर गई और उनके लंड को चूसने लगी ताकि उनको जल्दी से मजा आ जाए क्योंकि अब मुझे घर भी जाना था. मैंने उनको खूब मजा दिया उनके लंड को खा जाने की कोशिश करने लगी जिससे मजा जल्दी आने लगे.
और अंकल भी कुछ ही देर में ‘या बेबी … या बेबी …’ करते हुए मेरे मुंह में झड़ने लगे.
फिर उन्होंने मुझसे कहा- रूचि डियर, तुम्हारे जैसा मजा मुझे किसी लड़की ने नहीं दिया.
तो मैंने उनसे कहा- अंकल, आपके जैसा साथी भी मुझे कोई नहीं मिला. हमेशा आपकी बातों से ही मेरे लिए अपनापन झलकता था. आई लव यू डियर!
फिर हम दोनों साथ में नहाए और फ्रेश होकर हमने खाना मंगवाया. और खाना खाकर मैंने उनसे कहा- अब मुझे जाना होगा.
उन्होंने कहा- ठीक है, तुम चली जाओ.
मैंने उनसे विदा ली और वापस अपने घर आ गई।
घर आकर मैंने सोचा कि अंकल से चुदाई का अपना यह नया एक्सपीरियंस भी आप लोगों के साथ शेयर किया जाए. तो मैंने यह कहानी लिख कर भेज दी.
मेरी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी? मुझे ईमेल करके जरूर बताएं.
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