यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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इस हिंदी सेक्सी लव स्टोरी में पढ़ें कि मेरी साली फ्रंट ओपन नाइटी में बिस्तर पर लेटी थी. उसकी नंगी जांघें मुझे उत्तेजित कर रही थी. मैंने कैसे अपनी साली को प्यार से चोदा?
साली जी की जांघें भी अत्यंत सुन्दर और मनोहर लग रहीं थीं, केले के तने जैसी चिकनी और मांसल एकदम गुलाबी रंगत लिए हुए.
मैं बरबस ही उसकी जांघों को मुग्ध भाव से निहारते हुए उसे चाटने लगा. लड़की की जांघें चाटने में मुझे वैसे भी अपार हर्ष और आनंद होता ही है.
साली जी अब गर्म होकर अपनी ऐड़ियां बेड पर रगड़ने लगीं थीं और मेरी पीठ पर भी ऐड़ियां रख कर दबाने लगीं थीं. जांघों के मध्य उसने डिजाइनर पैंटी पहिन रखी थी जिसमें से उसकी गुदाज फूली हुई चूत का वो उभरा सा त्रिभुज और उसके बीच की गहरी रेखा स्पष्ट दिख रही थी.
अब आगे की हिंदी सेक्सी लव स्टोरी:
मैंने जानबूझ कर पैंटी को छुआ भी नहीं और नाईटी को खोल कर उतार दिया और खुद भी पूरा नंगा होकर साली जी से लिपट गया.
वो तो पहले ही कामाग्नि में सुलग रही थी. उसने मुझे अपनी बांहों में समेट लिया और मेरे चेहरे को चूम डाला.
साली जी ने ब्रा भी डिजाइनर ही पहिन रखी थी मैंने उसके कप मुट्ठियों में जकड़ लिए और मसलने लगा. नीचे की तरफ मेरा खड़ा लंड उसकी पैंटी पर दस्तक दे रहा था.
“जीजू, अब तो मुझे नींद आने लगी है. चलो हटो अब सोने दो.” साली जी ने अपनी नाखून मेरी नंगी पीठ में चुभाते हुए कहा.
“निष्ठा डार्लिंग, नींद को तो अब भूल ही जाओ. जब तक हम यूं घर में अकेले हैं तो बस एक ही काम पर ध्यान दिया करो बस!” मैंने कहा.
और उसके होंठ चूसने लगा साथ में ब्रा में नीचे से हाथ घुसा कर ब्रा ऊपर खिसका दी. उसके नंगे स्तन दबोच लिए और मसलने लगा, निप्पल को चूसने लगा.
बस इतना करने से ही साली जी की कामज्वाला धधक उठी और उसने उठ कर अपना ब्रा खुद उतार कर बेड के नीचे फेंक दी.
“मेरे प्रिय जीजाजी, और वो काम कौन सा है जिस पर मुझे पूरा पूरा ध्यान देना है आपके साथ रहते हुए?” साली जी मुझसे लिपटती हुई बोली.
“मेरी प्रिय साली जी, सिर्फ चुदाई चुदाई और चुदाई; तुम्हारी ये मस्त रसीली चूत और मेरा ये लंड और इन दोनों का मस्त मिलन. जैसे चाहो वैसे लो इस लंड को क्योंकि अब तो तुम ही मालकिन हो इस लंड की!” मैंने उसकी चूत में उंगली घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए कहा.
“सच्ची जीजू? तो फिर जीजू फक मी जल्दी … चोद डालो मुझे; अब नहीं रहा जाता!” साली जी थरथराती आवाज में बोली और मेरा लंड पकड़ कर मसलने लगी.
मैंने भी उसके अनावृत स्तन अपनी दोनों मुट्ठियों में भर लिए और उनसे खेलते हुए उसके गालों लो चूमने लगा; फिर मैं उसके पेट को चूमते हुए उसकी पैंटी में उंगली फंसा कर नीचे सरकाने लगा तो साली जी ने अपनी गांड तुरंत ऊपर उठा दी जैसे उसे खुद जल्दी थी इस बात की.
“वाओ … क्या बात है मेरी जान!” उसकी चूत देख कर मेरे मुंह से स्वयमेव ही निकल गया. एकदम चिकनी सफाचट गुलाबी चूत मेरे सामने थी.
“क्यों क्या हुआ जीजू, इतने चहक क्यों रहे हो?” साली जी सबकुछ समझते हुए भी बोली.
“मेरी जान, तुम्हारी बिना झांटों वाली चिकनी चूत देख कर खुश हो रहा हूं, तुमने तो कहा था कि वो क्रीम तुमने कमोड में बहा दी?” मैंने उसका बायां निप्पल दबा कर कहा.
“तो और क्या कहती फिर? अगर आपको बता देती तो आप तभी कहते कि अभी दिखाओ मुझे, कहते या नहीं?” साली जी ने कहा.
“हां मेरी जान सो तो है … आज मैं तेरी इस चूत को खा जाऊंगा.” मैंने कहा और उसके ऊपर इस तरह से हो गया कि मेरा मुंह चूत की तरफ हो गया और मेरी पीठ निष्ठा के मुंह की तरफ हो गयी.
फिर मैं झुक कर उसकी चूत को पूरी तन्मयता से चाटने लगा. विशेषकर क्लाइटोरिस को अपनी जीभ से छेड़ने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
साली जी कसमसा कसमसा कर अपनी चूत ऊपर की तरफ उठाने लगी थी. फिर उसने मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी.
इस तरह 69 की पोजीशन में हम एक दूसरे के कामांग चाटने चूसने चूमने लगे.
मेरा आधा लंड साली जी के मुंह में घुसा था और वो मेरी गोलियां सहलाती हुई बड़ी नफासत से मेरा सुपारा चाट चाट कर फिर पूरा लंड चाटने लगती और फिर मुंह में घुसा कर दिल लगा कर चूसने लग जातीं.
दो ही दिन में साली जी की शर्मो हया हवा हो चुकी थी और वे चुदाई कला में दक्ष होकर लंड का आनंद लेना सीख चुकी थी. मैं भी उसकी चूत को जीभ से चोदता हुआ उसके मुंह में ही लंड से धक्के लगाने लग जाता तो साली जी मेरा लंड छोड़ कर मुंह को ठीक से एडजस्ट कर लेती जिससे लंड बड़े आराम से उसके मुंह में अन्दर बाहर होता रहता.
कोई चार पांच मिनट ही हम 69 पोजीशन में रहे होंगे कि साली जी ने लंड मुंह से बाहर निकाल दिया और बोली- बस अब चुदाई करो जल्दी से.
मुझे भी लगने लगा था कि अब जल्दी से इसे चोद डालूं. नहीं तो मैं उसके मुंह में ही झड़ जाऊंगा.
मैं बैठ गया और साली जी के हिप्स के नीचे बड़ा वाला तकिया लगा दिया और उस पर लुंगी बिछा दी क्योंकि मुझे अनुभव हो गया था कि निष्ठा की चूत चुदते टाइम बहुत ज्यादा पानी छोड़ती थी जो नीचे तक बहने लग जाता था.
“निष्ठा डार्लिंग, चलो अब अपने घुटने मोड़ कर ऊपर कर लो और अपनी चूत अपने हाथों से खूब अच्छे से खोल लो.” मैंने कहा.
तो साली जी झट से तकिये पर गांड रख कर लेट गयी और अपने पैर ऊपर उठा कर घुटने मोड़ कर पेट की तरफ दबा लिए जिससे उसकी चूत अच्छे से उभर कर मेरे सामने आ गयी.
“साली जी, अब अपनी चूत के होंठ अपने हाथों से खोल दो खूब अच्छी तरह से और फिर मेरी तरफ देखो.” मैंने कहा.
“धत्त, मैं नहीं करती आप तो अब घुसा दो और जल्दी से कर दो फिर सोना है मुझे तो!” वो कामुक स्वर में बोली और अपनी आंखें बंद कर ली.
“चूत खोलो न मेरी जान!” मैंने कहा और लंड से चूत के ऊपर तीन चार बार नॉक किया जैसे दरवाजा खटखटाते हैं.
“बहुत बेशर्म हो आप सच में … और मुझे भी पूरा बेशर्म बना रहे हो.” साली जी बोली.
और फिर उसने अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर रखे और उंगलियों से चूत की फांकें पूरी तरह से खोल दीं.
अब चूत के भीतर का शानदार नजारा मेरे सामने था. फूली हुई भगनासा और मोती जैसे किसी रगड़ की प्रतीक्षा कर रहे थे. नीचे की तरफ छोटा सा छेद निष्ठा की सांसों के साथ स्पंदित हो रहा था.
मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद से सटा दिया और फिर दोनों चूचियां अपनी मुट्ठियों में दबा लीं. कोई लड़की इस तरह अपनी चूत अपने हाथों से खोले हुए सामने लेटी हो तो वो कितना शानदार दृश्य होता है इसका पता मुझे उस दिन चला.
“निष्ठा मेरी तरफ देखो न और मुझसे आंख मिलाये रखना!” मैंने कहा.
तो निष्ठा मेरी आंखों में देखने लगी और मैं भी उसकी आंखों में झांकता हुआ बूब्स दबाते हुए लंड को धीरे धीरे चूत में दबाने लगा.
साली जी के चेहरे पर दर्द के भाव उभरे. पर वो पूरा लंड झेल गयी. फिर मैंने लंड को बाहर तक निकाला और फिर एक ही वार में पूरा पेल दिया.
निष्ठा के मुख से एक बार दर्द भरी कराह निकल गयी. पर वो मुझसे नज़रें मिलाये चुदती रही.
चूत उसने अभी भी खोल रखी थी जिससे मेरी झांटें उसकी भगनासा से रगड़ रहीं थीं और उसे मस्त मज़ा आने लगा था. उसकी चूत से रस का रिसाव लगातार हो रहा था जिससे चुदाई में फच फच की ध्वनि आने लगी थी.
अब मैंने चुदाई की स्पीड और तेज कर दी और निष्ठा के गालों को दांतों से काटता हुआ उसके लबों को चूसता हुआ उसे बेदर्दी से चोदने लगा.
निष्ठा ने भी अब अपनी खुली चूत से अपने हाथ हटा लिए और बिस्तर पर रख कर अपनी चूत उठा उठा कर मुझे देने लगी.
“राजा जी … आह फाड़ डालो मेरी चूत को आज … कुचल डालो इसे, कितने सालों से मुझे सता रही थी ये … उम्म्मम्म!” साली जी बडबडाते हुए बोलती जा रही थी.
इधर मैं अपनी पूरी दमखम से उसे चोद रहा था.
“जीजू और तेज तेज चोदो प्लीज … आह मेरे राजा … कितना सुख दे रहे हो मुझे … आह.” साली जी को चुदाई का जोश चढ़ता ही चला जा रहा था.
मैं लंड को बाहर तक निकाल निकाल कर फिर पूरी ताकत से चूत में घुसा घुसा कर उसकी चूत लेने लगा.
“लव यू जानूं; जीजू … और स्पीड से चोदिये न आह हम्मम्म उम्म्मम्म …जीजू चऊआ छक्का मारो न दम से ताकि बॉल बाउंड्री से बाहर जाकर गिरे!” साली जी ने मिसमिसा कर कमर चलाते हुए मुझे चुनौती दी.
“अच्छा ऐसी बात है तो मेरी बुलबुल ये लो अब!” मैंने कहा.
और लंड को चूत से बाहर निकाल कर बहती चूत को पौंछ दिया फिर उसके लेटने की पोजीशन बदलते हुए निष्ठा को पलंग की चौड़ाई में लिटा दिया जिससे उसके पैर दीवार की तरफ हो गए; फिर मैंने नीचे तकिया लगा दिया और पैरों को मोड़ कर ऊपर उठा दिया. जिससे उसकी चूत खूब अच्छी तरह से निशाने पर हो गयी थी.
फिर मैंने एक ही झटके में लंड को उसकी चूत में धकेल दिया. निष्ठा के मुंह से आह निकल गयी.
मैंने अपने पैरों के पंजे दीवार से अड़ा दिए और पूरे फोर्स के साथ चूत में धक्का मारा. पैर दीवार में अड़े होने से लंड की मार चूत में अत्यधिक गहराई तक होने लगी थी. इसी तरह मैं उसके दोनों मम्में दबोच कर उसे स्पीड से और बेरहमी से चोदने लगा.
“जीजूऊऊऊऊऊ … दर्द हो रहा है; धीरे करो प्लीज … मैंने छक्के मारने को कहा था पर आपने तो अटठा मारना शुरू कर दिया.”
लेकिन मैंने उसे अनसुना करके उसी पोजीशन में धुआंधार चुदाई जारी रखी.
तीन चार मिनट तक मैं निष्ठा को ऐसे ही बेदर्दी से चोदता रहा. उसकी चूत से बहते रस से मेरी झांटें तक गीली हो चुकी थी. इसलिए मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और नेपकिन से अच्छे से पौंछ कर सुखा लिया. फिर निष्ठा की चूत को भी खूब अच्छे से पौंछ दिया. तत्पश्चात मैंने निष्ठा को डॉगी स्टाइल में हो जाने को कहा तो वो तुरंत उठ कर घुटनों के बल झुक गयी और अपनी कोहनियां बिस्तर पर टिका कर झुक गयी.
फिर मैंने उसके गोल गोल पुष्ट नितम्बों पर चपत लगाई और लंड को उसकी गांड के छेद पर रगड़ा तो वो झट से बोल उठी- जीजू वहां मत घुसेड़ना प्लीज!
मेरा वैसा कोई इरादा था भी नहीं. मैंने लंड को चूत के छेद पर लगाया और अपने हाथ नीचे लेजाकर साली जी के दोनों मम्में थाम लिए और लंड को चूत में धकेल दिया.
साली जी के मुंह से आनंद भरी आह निकल गई और मैं उसके बूब्स मसलता हुआ उसे चोदने लगा. साली जी भी पूरी तरह से मस्ता गयी और अपनी कमर मेरे धक्कों से ताल से ताल मिलाती हुई आगे पीछे करने लगी.
फिर मैंने उसके बाल लपेट कर चोटी सी बना कर खींच दी जिससे उसका मुंह ऊपर की ओर उठ गया और मैं उसकी चोटी खींचते हुए उसे बेरहमी से चोदने लगा.
थोड़ी ही देर की चुदाई के बाद मैंने धक्के लगाना बंद कर दिया और स्थिर हो गया. पर साली जी अपनी ही धुन में अपनी चूत आगे पीछे करती हुईं खुद चुदने लगी और मैं उसकी पीठ चूमते चाटते कभी दूध मसलते मजे लेने लगा.
कुछ ही मिनटों बाद साली जी बोली- जीजू राजा, बस थक गयी मैं तो. अब मैं और इस तरह घुटनों पर खड़ी नहीं रह सकती.
तो मैंने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और लेट कर उसे अपनी ऊपर आने को कहा.
तो साली जी तुरंत मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को लिटा कर उस पर अपनी चूत की दरार में दबा कर रगड़ने लगी. फिर उसने लंड को अपनी चूत के मुहाने पर रखा और बैठती चली गयी. लंड फच्च से उसकी गीली चूत में समा गया.
फिर वो उछल उछल कर लंड को अपनी चूत में लीलने लगी और चुदाई का मजा लेने लगी. उसके मम्में भी साथ ही उछल उछल कर एक मस्त नजारा पेश कर रहे थे जिन्हें मैंने अपनी मुट्ठियों में पकड़ लिया और मसलने लगा.
निष्ठा को मेरे ऊपर चढ़ कर चोदने का अनुभव तो था नहीं … तो जब वो उत्तेजना के मारे उछलती तो लंड बार बार उसकी चूत से फिसल कर बाहर निकल जाता. फिर मैंने उसे समझाया कि लंड की लम्बाई के अनुसार अंदाज़ से कमर को इतना ऊपर उठाना है कि लंड चूत से बाहर न निकलने पाए.
साली जी ने मेरी बात एक बार में ही समझ ली और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने की प्रैक्टिस करने लगी. जल्दी ही उसे अनुभव हो गया और फिर वे चुदाई में दक्ष कामिनी की भांति बड़ी नफासत के साथ मुझे चोदने लगी.
इस तरह कोई बारह पंद्रह मिनट तक वो लगातार मुझे रगड़ती रही; थकावट के चिन्ह उसके चेहरे पर स्पष्ट होने लगे थे और सम्भोग श्रम से उसके माथे पर पसीना छलछला उठा था.
पर चुदाई का आनंद भी तो निराला होता है सो साली जी लगातार पूरे वेग से उछल उछल का लंड को अपनी चूत में लीलती रही थी.
जल्दी ही हम दोनों शिखर पर पहुँच गए और उसकी चूत से भलभला कर रस छूटने लगा इधर मेरे लंड ने भी लावा उगलना शुरू कर दिया. फिर वो हाँफते हुए मेरी छाती पर ढेर हो गयी. सामान्य होने के बाद उसने मुझे और खुद को नेपकिन से पौंछा और फिर बत्ती बुझा कर मुझसे लिपट सोने की कोशिश करने लगी.
अगले दिन हम देर तक लिपट कर सोते रहे.
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