यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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जीजा साली की जवानी की कहानी में पढ़ें कि मेरी साली मेरे साथ घर में अकेली थी. उसके कामुक बदन को देख कर मेरा लंड खडा हो गया था. मैं साली की चुदाई करना चाहता था.
“जीजू लाओ अब पैरों में और तेल लगा कर अच्छे से मालिश कर देती हूं फिर आप कुछ देर सो जाना.” साली जी बोलीं और मेरे पांवों के बीच आकर बैठ गयी.
मैंने भी अपने पैर खोल दिए.
फिर निष्ठा ने मेरे पैरों में तेल लगा के हल्के हाथ से मालिश करना शुरू कर दिया. मुझे बहुत आराम मिलने लगा था. सबसे ज्यादा दर्द तो पैरों में ही था. रात भर भीगने के कारण और बाइक ड्राइव करने से पैर जैसे मन मन भर के भारी हो रहे थे.
साली जी पूरी तन्मयता के साथ मेरे पैरों की पिंडलियों की मालिश किये जा रही थी. मेरा लंड खड़ा तो पहले ही हो चुका था अब उसमें और कठोरता आने से मुझे बेचैनी महसूस होने लगी थी. लंड शॉर्ट्स में कैद होने के कारण उसे और फूलने फैलने के लिए ज्यादा जगह नहीं मिल पा रही थी. ऐसी स्थिति में मेरे पेट के नीचे हल्का हल्का दर्द होने लगा था.
एक मन करता कि मौके का फायदा उठा लूं और निष्ठा को यहीं बिस्तर में अपने नीचे खींच लूं. अगर राजी खुशी से चुदने को मान जाये तो ठीक … नहीं तो जबरदस्ती ही सही.
क्या कर लेगी ये? रो धोकर अपनी इज्जत की खातिर चुप रह जायेगी. या चुदाई में मिले मजे को बार बार लेना चाहेगी.
आखिर इतनी भरपूर जवान है ये … बीस इक्कीस साल की हो गयी है. इसकी चूत में खुजली तो पक्का मचती ही होगी. अगर मैं जबरदस्ती करूं तो ये थोड़ा ना नुकुर करेगी, नखरे दिखायेगी, हाय तौबा मचायेगी. फिर लंड को आराम से झेल ही जायेगी.
और जब लंड इसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगेगा तो ये खुद उछल उछल कर मजे से चुदेगी.
ऐसे सोचने से मेरा लंड और फूल के और कुप्पा हो गया पर शॉर्ट्स में कैद होने के कारण हल्का दर्द तेज सा भी होने लगा.
लेकिन मेरा मन फिर तुरंत ही बदल गया. सोचा कि जब जिंदगी में आज तक कोई बुरा काम किया ही नहीं, मेरे चरित्र पर आज तक कोई दाग नहीं तो फिर आधे घंटे के मजे के लिए क्यों जिंदगी भर के लिए कलंक मोल लिया जाय.
फिर सोचा कि ये बेचारी गुडफेथ में मेरी सेवा कर रही है कि मैं जल्दी स्वस्थ हो जाऊं और मैं हूं कि इसकी इज्जत से खेलने की फिराक में हूं?
बेटा, मान लो कि तूने जबरदस्ती इसे कर ही दिया और ये भले ही किसी से कुछ न कहे पर ये तुझे अपनी नज़रों से तो जिंदगी भर के लिए गिरा ही देगी. तू कभी सिर उठा कर देख सकेगा इसकी तरफ?
और हो सकता है ये तुझे देख कर अपना मुंह बिचका दिया करे या नफरत से मुंह फेर लिया करे तो तू सहन कर सकेगा इतनी बेइज्जती?
यही सब अच्छा बुरा सोच सोचकर मुझे पसीना आने लगा था.
“जीजू अब आराम मिला रहा है न आपको?” निष्ठा मेरे दूसरे पैर में तेल लगाती हुई बोली और मेरी पिंडली की मालिश करने लगी.
“हां निष्ठा, तेरे हाथों में सचमुच जादू है.” मैंने कहा.
वो अपने घुटनों के बल बैठ कर मुझ पर झुकी हुई थी जिससे उसके बूब्स अब और भी स्पष्ट दिखने लगे थे. और उसकी सलवार में से झांकता उसकी पैंटी का आकार और मांसल जांघों का उभार मुझे फिर से बेचैन करने लगा था. और साथ ही मेरे भीतर बैठा कोई कामुक पुरुष मुझे जैसे उकसाने लगा था.
“अबे ओय लल्लू … साले तू पक्का चूतिया है क्या? तेरी कड़क जवान साली तेरे जिस्म को तेल लगा कर तेरे स्पर्श के मजे ले रही है. तुझे चोदने के लिए उकसा रही है; इसकी चूत भी पक्का गीली हो चुकी होगी और लंड मांग रही होगी. तभी तो ये तुझे अपनी गदराई जवानी के जलवे दिखा रही है … अपने बूब्स और क्लीवेज तुझे दिखा रही है, बार बार तेरी ओर मुस्कुरा कर अपनेपन से देख देख कर अपने बालों की लटों को संवार रही है. और तू बेअक्ल, दिमाग से बिल्कुल खाली है क्या? तेरे को समझ नहीं आता कि तेरी ये जवान साली इस मौके का फायदा उठा कर तुझसे चुदवाना चाहती है. घर के इस एकांत का पूरा पूरा फायदा उठाना चाहती है … बेटा, अब ये खुद अपने मुंह से तो कहेगी नहीं कि जीजू मुझे चोदो प्लीज, मेरी चूत की खुजली मिटा दो … इसलिए सुकांत बेटा अकल से काम ले और फहरा दे अपना झंडा कुंवारी साली की चूत में वर्ना तू जिंदगी भर पछतायेगा अगर ये सुनहरा मौका तूने गंवा दिया तो; और ये निष्ठा भी तुझे निरा चूतिया ही समझेगी कि इसने तुझे इतने ग्रीन सिग्नल्स दिए, अपने जिस्म की नुमाइश की, इतनी कामुक अदाएं दिखाईं फिर भी तेरे कान पर जूं तक नहीं रेंगी और तू बेवकूफों की तरह चुप पड़ा रह गया? बेटा, जिंदगी भर पछतायेगा तू अगर आज ये मौका नादानी में गंवा दिया तो!
इस तरह से सोच न बुद्धूराम!” कोई मेरे भीतर बैठा जैसे मुझे हड़का रहा था.
“अरे अपने दिमाग में कॉमन सेन्स अप्लाई कर बेटा, जब इसके छूने से तेरे लंड पर असर हो रहा है तो तेरे जिस्म के स्पर्श से इसकी चूत भी तो गीली हो रही होगी या नहीं? अरे हर क्रिया की प्रतिक्रिया तो होती है या नहीं? और ये तेरी साली कोई मिट्टी की बनी बेजान गुड़िया तो है नहीं! हाड़ मांस की बनी भरपूर जवान लड़की है. इसके भी तो अरमान होंगे न और इसका तन मन भी तो मचल रहा होगा न अपने सारे अरमान तेरे साथ पूरे करने के लिए!
शायद ये भी यही सोच रही हो कि घर का ऐसा एकांत फिर जीवन में मिले या न मिले; ऐसे में जीजू मुझे चोद लें तो चोद लें मैं थोड़े बहुत नखरे दिखा कर फिर ख़ुशी ख़ुशी चुदवा लूंगी और कुछ नहीं बोलूंगी; ये भी तो इस तरह एकांत का फायदा उठाना चाह रही होगी कि नहीं? जरा इस तरह से सोच न उल्लू.” मेरे भीतर बैठे किसी ने मुझे और भड़काया.
इस तरह की बातें दिमाग में आते आते मैंने सोच लिया कि अब क्या करना था. मेरा लंड काफी देर से खड़ा था सो पेट के निचले हिस्से में दर्द तो हो ही रहा था सो मैंने धीमे धीमे कराहना शुरू कर दिया और थोड़ी तेज आवाज में कराहने लगा.
“क्या हुआ जीजू, आप ऐसे क्यों कराहने लगे?” निष्ठा ने चिंतित स्वर में पूछा.
“अरे कुछ नहीं निष्ठा, बस ऐसे ही. तू टेंशन मत ले बेकार में!” मैंने दर्द भरी आवाज में कहा.
“अरे ऐसे कैसे … जीजू आप बताओ तो सही क्या बात है आखिर!” वो व्यग्र स्वर में बोली.
“अरे कहा न कोई ख़ास बात नहीं, तू किचन में जा वहां आलमारी में दवाइयां रखी रहती हैं, देख कोई पेन किलर हो तो.” मैंने कहा.
निष्ठा फुर्ती से उठ कर किचन में चली गयी और कुछ देर बाद लौट के बोली- जीजू, वहां तो कोई भी पेन किलर नहीं मिला मुझे.
“चलो कोई बात नहीं फिर!” मैं संक्षिप्त स्वर में कहा और आंखें मूंद कर फिर आहिस्ता आहिस्ता कराहने लगा.
“आप बताते क्यों नहीं कि क्या तकलीफ है आपको? जीजू आपको मेरी कसम है अगर नहीं बताया तो!” निष्ठा इस बार मुझे पकड़ कर हिलाते हुए अधीर होकर बोली.
“अरे यार ये कसम वसम मत दिलाया करो, अब बताना भी तो आसान नहीं कैसे बताऊं?” मैंने टालते हुए कहा.
“अच्छा जीजू अब मुझसे क्या छुपाना, आप मुझे गैर समझते हो तो मत बताओ फिर, तड़पते रहो ऐसे ही!” वो अत्यंत दुखी स्वर में बोली.
“ऐसी बात नहीं है निष्ठा, तू तो मेरी सगी इकलौती साली है, साली आधी घरवाली होती है वैसे भी!” मैंने कहा.
“तो फिर बताते क्यों नहीं कि आपको कहां क्या कष्ट है, मेरी कसम का मान भी नहीं रखा आपने तो!” वो कुछ रुष्ट स्वर में बोली.
“निष्ठा, मेरा ये बहुत देर से खड़ा है इस कारण पेट में तेज दर्द होने लगा है.” मैंने झेंपते हुए कहा और अपने शॉर्ट्स के ऊपर से लुंगी हटा कर उसे चड्डी में बना टेंट दिखाया. निष्ठा की नज़र मेरे अंडरवियर के अन्दर खड़े लंड पर पड़ी तो उसने देखा फिर झट से अपना मुंह दोनों हथेलियों में छिपा लिया.
“देखा, मैं इसीलिए नहीं बता रहा था तुझे कुछ!” मैंने कहा.
“ह्म्म्म … जीजू तो ये वापिस छोटा कैसे होगा अब?” वो संकोच से बोली.
“निष्ठा, तेरी दीदी यहां होती तो मैं उसके साथ सेक्स करके इसे बैठा लेता या वो मुझे बी.जे. दे देती या इसे हिला देती तो भी ये बैठ जाता. पर … जाने दो इन बातों को!” मैंने बड़ी चालाकी से अपना पांसा फेंका.
निष्ठा थोड़ी देर चुप रहकर कुछ सोचती रही फिर बोली- जीजू, ये बी.जे. क्या होता है और हिलाना क्या है?
“अरे अब तुझे क्या करना इसका मतलब जान कर. तू टेंशन मत ले; मेरा ये अपने आप ठीक हो जाएगा रात तक!” मैंने मरी सी आवाज में कराहते हुए कहा.
“रात तक? बट जीजू हमें अभी शाम को अस्पताल चलना है, मेरी दीदी को देखना है मुझे और मुन्ने को गोद में लेकर खिलाना है मुझे!” वो बोली.
“तो ठीक है तू ऑटो रिक्शा ले के चली जाना अकेली, मैं तो इस हालत में जा नहीं पाऊंगा.” मैंने मायूसी से कहा.
“अच्छा? इस अनजान शहर में मैं कहीं नहीं जाती अकेली. आप मुझे पहले बी.जे. का मतलब बताओ मुझे, क्या होता है ये और हिलाना क्या है?” उसने जिद की.
“अरे यार तुम भी ना, देखो निष्ठा ये तुम्हारे मतलब की बात नहीं है, ये प्राइवेट बात होती है.” मैंने उसे जानबूझ कर टालने की कोशिश की.
“कोई प्राइवेट व्राईवेट नहीं, आप तो बस एक बार बता दो कि ये बी.जे. होता क्या है?” उसने बच्चों की तरह जिद की.
“साली जी, अगर मैं बता दूंगा कि ये बी.जे. क्या होता है तो तुम क्या करोगी जानकर?” मैंने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा.
“जीजू, अगर मेरे बस में कुछ होगा तो जरूर जो आप चाहोगे वो मैं कर दूंगी पक्का; अब आप जल्दी से बता दो ये बी.जे. है क्या बला?” उसने फिर जिद की.
“निष्ठा, तू सुने बिना नहीं मानेगी न, अच्छा सुन … बी.जे. का मतलब ब्लो जॉब मतलब मेरे इसको अपने मुंह में लेकर चूसना और हिलाने से मतलब मूठ मारना या मेरे इस को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर इसे तेजी से आगे पीछे करना ताकि इसका पानी निकल जाय और मुझे दर्द से आराम मिल जाये, अब बोलो तुम कर सकोगी ये?” मैंने अपने खड़े लंड की तरफ इशारा करते हुए पूछा
“धत्त, मैं न करती ये काम!” उसके मुंह से एकदम से निकला.
“ठीक है, तो फिर इतनी देर से पूछ क्यों रही थी? अभी कह रही थी कि आप बी.जे. का मतलब बता दो फिर आपकी बात मानूंगी, कहा था कि नहीं? अब जाओ तुम अपना काम करो, मेरी तकलीफ मैं भुगत लूंगा बस!” मैंने कहा और करवट ले के कराहने लगा.
कुछ देर शान्ति रही कोई कुछ नहीं बोला.
फिर …
“अच्छा जीजू सुनो तो सही एक मिनट!” निष्ठा ने मुझे पकड़ कर फिर से हिलाया.
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.
मैं निष्ठा की चिंता और बेचैनी समझ रहा था और मैं अब उसे इमोशनल ब्लैकमेल करना चाहता था सो चुप लेटा रहा.
एक मिनट बाद निष्ठा ने मुझे फिर जोर जोर से हिलाया.
“हां सुन रहा हूं तुम बोलो तो सही!” मैंने मरी सी आवाज में करवट लिए हुए ही कहा.
“अच्छा इधर मेरी तरफ देखो फिर बताओ कि ये कैसे करना है?” निष्ठा ने पूछा.
“निष्ठा तुम मुझे बी.जे. दोगी या इसे हिला हिला कर इसका पानी निकाल दोगी?” मैंने कराहते हुए पूछा.
“जीजू मैं चूसूंगी तो बिल्कुल भी नहीं … पर हिला कर देखती हूं, आपको आराम पड़ जाये तो ठीक है.” वो मुश्किल से बोली.
“तो ठीक है साली जी, आपको मेरे इसको अपनी मुट्ठी में पकड़ कर के इसे स्पीड से आगे पीछे करना है ताकि ये पानी छोड़ दे और बैठ जाये. अब तुम देख लो कर पाओ तो. अदरवाइज कोई बात नहीं.” मैंने सीधे लेटते हुए कहा.
मेरी बात सुन निष्ठा सिर झुकाए चुपचाप कुछ सोचती हुई सी बैठी रह गयी.
“देखो निष्ठा, जो काम तुम नहीं करना चाहतीं तो मत करो न, मैंने तुमसे कुछ कह तो रहा नहीं हूं न, मेरी मुसीबत है मैं खुद भुगत लूंगा. तुम परेशान मत होओ!” मैंने कहा.
जीजा साली की जवानी की कहानी में मजा आने लगा है ना अब?
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जीजा साली की जवानी की कहानी जारी रहेगी.