यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
→ वासना में जलती बीवी की तड़प-8
जीजा और साली की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं आपनी कुंवारी साली को नीचे से नंगी करके खुद भी नंगा हो गया था. मैं अब अपनी सेक्सी साली को पूरी नंगी देखना चाहता था.
साली जी ने मुझे नंगा देखा और लजा कर अपनी हथेलियों में मुंह छिपा लिया. मैंने अब उसे चित कर लिया और उसके दोनों पैर भी अलग अलग कर दिए जिससे उसकी फूली हुई चूत मेरे सामने आ गई.
वाह क्या नजारा था!
अब आगे की जीजा और साली की चुदाई कहानी:
“जीजू, उफ्फ; जाओ न क्यों सताते हो. अब कर भी लो जो करना है.” साली जी कसमसाते हुए बोलीं.
मैं समझ गया कि अब साली जी से चूत की खुजली सहन नहीं हो रही है और उसे तत्काल लंड चाहिए अपनी चूत में.
“ठीक है मेरी जान चलो करता हूं आगे, पर तुम अपना कुर्ता और ब्रा भी तो उतारो जल्दी से पहले!” मैंने कहा.
“जीजू, अब कम से कम पूरी नंगी तो मत करो प्लीज, कुछ तो मेरी लाज बची रहने दो!” साली जी अपने दोनों हाथ जोड़ कर बोली.
“मेरी जान, पूरी नंगी करके ही तो चुदने और चोदने का असली मजा है और अभी तो तेरे इन मम्मों के दर्शन भी तो करना है न, तेरा दूध भी तो पीना है अभी मुझे!” मैंने उसके बूब्स मसलते हुए कहा
साली जी ने आहत नज़रों से मुझे देखा और बैठ कर कुर्ता उतार दिया.
कुर्ते के नीचे उसने वो छोटी कुर्ती या समीज पहिन रखी थी, मैंने उसे भी उतरवा दिया.
अब सिर्फ ब्रा बची थी उसके जिस्म पर. मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और अपने हाथों से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, ब्रा के स्ट्रेप्स झटके से खुल गए. मैंने ब्रा को कंधों से उतार कर वहीं रख दिया.
साली जी के मस्त बूब्स का जोड़ा मेरे सामने था. जैसे दो गुलाबी ठोस स्तूप आपस में जुड़े हुए सिर ताने खड़े थे, उसकी चोटी पर हल्के कत्थई रंग का घेरा था जिनके बीच में किशमिश के जैसे निप्पलस थे.
साली जी के मम्मों को ब्रा के सपोर्ट की जैसे जरूरत ही नहीं थी वो तो स्वयं ही अपने बलबूते पर तन के खड़े थे और जैसे मुझे आमंत्रित कर रहे या चुनौती दे रहे थे कि आओ इन कुंवारे अनछुए अमृत कलशों को चूस कर इनका आनंद भी लूट लो, जीत लो, फतह कर लो इन्हें.
मैंने बरबस ही उन अनछुए उरोजों को अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिया और क्लीवेज की गहरी घाटी में मुंह छुपा कर आँखें मूंद लीं.
उफ्फ … कितने मदहोश कर देने वाले पल थे वो!
साली जी के दिल की धक धक मुझे स्पष्ट सुनाई दे रही थी, उसके स्तनों का वो उष्ण और गुदाज स्पर्श मुझे बहुत भला लग रहा था.
फिर मैं उसके स्तन बारी बारी से चूसने लगा और दबाने मसलने लगा साथ ही उसके निप्पलस चुटकियों में भर करे नींबू की तरह हौले हौले निचोड़ने लगा.
कितना स्वर्गिक आनंद आ रहा था उसके मम्मों से खेलने में.
लेकिन साली जी ने मुझे रोक दिया और मुझसे कस कर लिपट गयीं. हम दोनों के मादरजात नंगे जिस्म एक दूसरे से लिपटे हुए थे, मेरा लंड कठोर होकर उसकी जाँघों के बीच घुसा हुआ था और मैं उसकी कांख को सूंघता हुआ वहां के बालों को उंगली से छेड़ता हुआ एक दूध पीने लगा था.
कांख में गुदगुदी होने से साली जी जोर से खिलखिला कर हंस पड़ीं और मुझे परे धकेल दिया.
फिर हंसते हंसते हुए वो पेट के बल लेट गयीं और अपनी गोरी गोरी टांगें हवा में लहराने लगीं.
साली जी पीछे से भी बहुत मस्त लग रहीं थीं घने काले काले बालों के नीचे सुराहीदार गर्दन और नीचे भरे भरे चौड़े कंधे फिर चिकनी गोरी गुलाबी सी गुदाज पीठ की ढलान.
जहां पीठ की ढाल समाप्त होती थी वहीं कमर के बीच में छोटा सा गड्ढा सा था फिर नितम्बों की चढ़ाई शुरू होती थी. गोल गोल पुष्ट नितम्ब और फिर नीचे गुलाबी गुदाज जांघें और नीचे सुतवां पिंडलियां और फिर फूल से कोमल पैर.
मेरी नज़र साली जी के बेदाग़ हुस्न का जायजा लेती ही रह गयी. कहीं कोई कमी नहीं एक एक अंग जैसे सांचे में ढला हुआ लग रहा था. जैसे ईश्वर ने बड़े ही प्यार से फुर्सत में गढ़ा था निष्ठा को; मैं बरबस ही उसके ऊपर लेट गया और नीचे हाथ लेजाकर दोनों दूध दबोच कर उसकी पीठ और गर्दन चूमने लगा. कुछ देर यूं ही चूमने चाटने के बाद मैंने उसे चित कर दिया और उससे लिपट कर होंठ चूसने लगा.
“जीजू, अब रहा नहीं जाता … और देर मत करो … मुझमें आ जाओ जल्दी से बस!” साली जी अत्यंत कामुक स्वर में फुसफुसाते हुए बोली.
“साली जी, इसे एक बार अपने हाथों में लेकर प्यार तो करो थोड़ा सा, जैसे कल किया था.” मैंने अपना लंड उसके मुंह के सामने हिलाया.
“जीजू, ये बहुत मोटा है पता नहीं मेरा क्या हाल करेगा ये. हे नाथ अब तुम्हीं रक्षा करना मेरी!” साली जी बोलीं और उठ कर बैठ गयीं फिर मेरे लंड को अपनी मेहंदी रची मुट्ठी में पकड़ कर सात आठ बार मुठिया कर छोड़ दिया और फिर से लेट गयीं.
“निष्ठा … मेरी जान, ये लो!” मैंने कहा और अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सटा दिया और भीतर घुसेड़ने का प्रयास करने लगा.
लेकिन दो तीन बार कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिली.
साली जी डर के मारे बार बार कमर हिला रहीं थीं जिससे लंड बार बार स्लिप मार जाता था.
फिर मैंने ड्रेसिंग टेबल से जैतून के तेल की शीशी से कुछ बूंदें तेल लेकर अपने सुपारे पर चुपड़ लिया और फोरस्किन को तीन चार बार आगे पीछे करके अच्छे से चिकना कर लिया.
इसके बाद मैंने एक तकिया साली जी की कमर के नीचे लगा दिया और उसके ऊपर अपनी लुंगी तह करके बिछा दी ताकि तकिये पर दाग धब्बे न पड़ें फिर मैंने उसके घुटने मोड़ कर दोनों पैर ऊपर उठा दिए जिससे उसकी चूत खूब अच्छी तरह से उठ गयी.
ऐसी स्थिति में खुद को पाकर साली जी ने लजा कर अपनी आंखें तो मूंद लीं थीं. पर उसकी चूत मुंह बाये हुए मेरे सामने थी.
आहिस्ता से मैंने लंड का मत्था चूत के छेद पर लगाया और साली जी को चेताया- निष्ठा रानी, अब वो घड़ी आन पहुंची है जिसकी प्रतीक्षा हर कुंवारी लड़की करती है. बस दो पल और फिर तुम्हारे जीवन का नया सुनहरा अध्याय शुरू होने वाला है.
मैंने लंड को उसकी चूत पर ठोकते हुए उसे ज्ञान देने की कोशिश की और लंड का सुपारा उसकी चूत के छेद में दबा कर फंसा दिया.
“ऊउईईई … जीजू … धीरे से प्लीज … बहुत लम्बा और मोटा है आपका ये मार डालेगा मुझे तो!” वो सहमी सी बोली.
तभी बरसात की तेज फुहार फिर से बेडरूम की खिडकियों से आ टकराई और बादलों की तेज गड़गड़ाहट के साथ बिजली कौंध उठी.
“निष्ठा, मेरी जान … सुहागरात में तुम्हारी दीदी भी तो इसी लंड को जैसे तैसे झेल ही गयी थी. तुम भी ले ही लोगी इसे अपनी चूत में; बस थोड़ा सा कष्ट सह लेना.” मैंने कहा.
और अपनी कोहनियां साली जी के घुटनों के नीचे लेजा कर उसके पैर मजबूती से दबा लिए. अब वो चाह कर भी हिल डुल नहीं सकती थी.
फिर लंड पेलने से पहले एक बार और उसके गालों को चूमा, फिर मैंने अपने दांत भींच कर पूरी ताकत से लंड को उसकी चूत में धकेल दिया पर वो थोड़ा सा भीतर तो घुसा पर किसी अवरोध ने उसकी राह रोक दी.
साली जी के मुख पर अत्यंत दर्द के चिह्न दिख रहे थे. वो अपना सिर दायें बाएं पटकने लगी थी, उसने अपना निचला होंठ अपने दांतों तले दबा लिया था. साथ ही दो आंसू उसके गालों पर ढलक गए. उसने आंखें मूंद लीं और दर्द को सहन करने की भरपूर कोशिश करने लगी.
मैंने अपने लंड को और आगे की तरफ ठेला पर वो और भीतर घुसा ही नहीं; लगा आगे जैसे किसी बैरियर ने उसका रास्ता रोक लिया है.
मैं समझ गया कि निष्ठा की चूत की सील मेरे लंड के मार्ग में बाधा बन के अड़ी थी. मैंने लंड को जरा सा पीछे खींचा और इस बार पूरी ताकत से उसकी कुंवारी बुर में पेल दिया.
इस बार मेरा लंड उसकी बुर की सील को तोड़ता हुआ हुआ चूत में जड़ तक घुस गया और मेरी झांटें उसकी झांटों से जा मिलीं.
साथ ही मुझे अपने लंड पर कुछ गर्म गर्म द्रव का अहसास हुआ. मैं समझ गया कि साली जी की चूत की सील टूटने से शगुन का खून निकल कर मेरे लंड को रक्तस्नान करा रहा था.
बाहर बादल बिजली का तांडव जारी था.
निष्ठा की चूत फटते ही भयंकर तेज बिजली देर तक कड़कती रही जिसकी चकाचौंध तेज रोशनी में कमरा नहा उठा और लगा जैसे निष्ठा का कौमार्य भंग देख स्वयं इन्द्रदेव हर्षित हो रहे हों.
“हाय राम … मम्मीईईईई ईईईई रे मर गयी, आआआ … जीजू नहीं करवाना मुझे … हटो आप जल्दी से, फट गई मेरी तो …” सील टूटते ही साली जी बिलख पड़ीं और दर्द से छटपटाते हुए रोने लगीं.
साथ ही उसने पूरी ताकत से मुझे अपने ऊपर से हटाने की व्यर्थ कोशिश की. उसके गालों पर से आंसुओं की धारा बह निकली थी.
कुंवारी कच्ची चूत में पहली पहली बार लंड का प्रवेश किसी किसी भी लड़की को जानलेवा दर्द देता ही है; वैसा ही कुछ निष्ठा के साथ भी हो रहा था.
फिर मैंने बिना रुके ताबड़तोड़ आठ दस धक्के पूरी ताकत से साली जी की चूत में और लगा दिए ताकि चूत अच्छे से खुल जाये. लंड के प्रचण्ड आघातों से साली जी की चूत दर्द से तड़प रही थी और उसके मुंह से मर्मभेदी, गगनभेदी कराहें निकल रहीं थीं. पर उस सूने घर में गरजते बादलों और कड़कती बिजली के शोर में उसके काम क्रंदन को सुनने वाला मेरे सिवा और कोई भी नहीं था.
प्रथम सम्भोग में लड़की के यूं रोने कलपने से पुरुष के अहं की सन्तुष्टि तो होती ही है और विजेता का भाव जग कर भीतर बैठे मर्द को गर्व का अनुभव भी कराता है.
निष्ठा की सील अपने लंड से तोड़ते टाइम मुझे भी कुछ कुछ वैसा ही गर्व और मर्दानगी का अनुभव हो रहा था.
पर इसके साथ साथ मुझे उस पर दया भी आ रही थी और उसका वो करुण रुदन देखकर अफ़सोस भी हो रहा था कि मेरी प्यारी साली मेरे कारण ही दर्द से छटपटा रही थी और इसका जिम्मेवार सिर्फ मैं था. लेकिन ये तो होना ही होना था साथ ही मुझे पता था कि अभी दो तीन मिनिट में ही सब ठीक होने वाला था, प्रकृति का यही नियम है.
मैं धीरे धीरे लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा. साली जी मुझे लगातार परे धकेलने की कोशिश कर रही थी. पर मैंने अपने धक्के लगातार जारी रखे और स्पीड बढ़ाते हुए ताकत से चोदने लगा.
हर लड़की को उसकी पहली चुदाई मरते दम तक याद रहती है. अतः पहली चुदाई तो मज़े के साथ दर्द देती हुई ही होनी चाहिए.
इसी सोच के साथ मैं उसके रोने की परवाह किये बिना उसे दम से चोदने लगा. पहले धीरे धीरे फिर थोड़ा तेज तेज फिर पूरी स्पीड से और पूरी बेरहमी के साथ उसकी चूत को अपने लंड से कुचलने लगा.
“हाय राम रे मर गई; जीजू ऐसे ही जोर जोर से करके मार डालो आप तो मुझे. आज जिन्दा मत छोड़ना मुझे!” साली जी ने सुबकते हुए जैसे आर्तनाद किया.
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जीजा और साली की चुदाई कहानी जारी रहेगी.