सभी पाठको को मेरा नमस्कार! मेरा नाम शुभम कुमार मिश्रा है. आज इस वेबसाइट पर यह मेरी फर्स्ट सेक्स स्टोरी है और बिल्कुल सच्ची है. इसलिए कुछ गलतियाँ हों तो माफ करियेगा।
मैंने स्नातक की पढ़ाई पिछले वर्ष ही पूरी की है. मेरी शरीर की लंबाई 5 फीट 6 इंच है. मेरे लिंग की लम्बाई 4 इंच है. मैं सच बता रहा हूं. बाकी लोगों की तरह 9 या 10 इंच नहीं लिखूंगा. सबको पता है कि हकीकत क्या है.
इतना मैं जरूर कहूंगा कि मैं देखने में बहुत स्मार्ट हूं. कई बार लड़कियां मेरी ओर ध्यान देती हैं और कई बार स्माइल भी दे दिया करती हैं.
अब मैं अपनी फर्स्ट सेक्स स्टोरी को आगे बढ़ाता हूं जो कि मेरे मामी की बेटी के बारे में है.
उसका नाम सोनाली है. सोनाली बला की खूबसूरत लड़की है. बिल्कुल गोरे रंग की है. उम्र उसकी 21 साल है और उसका कद 5 फुट 3 इंच है. उसके 30 साइज़ के स्तन, 29 इंच की बलखाती कमर और 32 इंच की उठी हुई गांड है.
घटना तब की है जब मैं मामा जी के घर ठंड के दिनों में गया था.
उस घर में मामा, मामी, बड़ी दीदी, भैया रहते हैं.
ठंड के दिन थे खाना जल्दी ही हो जाता था. तो सबने जल्दी खाना खा लिया और फिर सोने की बात होने लगी.
सोनाली ने कहा- शुभम भैया का बेड मैं अपने रूम में लगा देती हूं. ये बहुत दिनों के बाद आये हैं. इनसे कुछ पुरानी बातें भी हो जायेंगी.
दरअसल मेरी कोई अपनी सगी बहन नहीं है इसलिए सोनाली और मेरे बीच बहुत प्यार था. मैं सोनाली को बहुत मानता था.
घर वालों को भी पता था कि सोनाली से ही मेरी सबसे ज्यादा पटती थी. इसलिए हम भाई बहन वाले रिश्ते पर किसी को शक भी नहीं था.
उसने अपने कमरे में मेरा बिस्तर लगा दिया और हम अपने अपने बेड पर आ गये. हम बातें करने लगे.
बचपन की बहुत सारी यादें फिर से ताज़ा हो गईं. सोनाली और मैं बचपन में एक दूसरे के साथ बहुत खेलते थे.
काफी देर तक हम दोनों बातें करते रहे और फिर सोनाली को नींद आने लगी. मैं भी थका हुआ था इसलिए मेरी भी आंखें भारी होने लगी थीं. फिर वो उठी और दरवाजा बंद करके आ गयी. उसके बाद उनसे लाइट भी बंद कर दी.
हम दोनों सोने लगे. रात के 12 बजे मेरी आंख खुल गयी. मुझे ठंड लग रही थी क्योंकि मेरा कम्बल काफी हल्का था. मैंने उठकर लाइट जला दी और कम्बल ओढ़कर बैठ गया.
लाइट की रोशनी आंखों पर पड़ी तो सोनाली भी जाग गयी.
उसने मुझे बैठे देखा और बोली- क्या हुआ शुभम, तू ऐसे क्यों बैठा हुआ है?
मैंने कहा- ठंड लग रही है यार!
वो कुछ सोचने लगी. उसको रूम में कोई दूसरा कम्बल भी नजर नहीं आया.
तो वो बोली- ऐसा कर, तू मेरे पास ही आकर लेट जा. दोनों साथ में रहेंगे तो ठंड नहीं लगेगी.
मैं उठकर उसकी रजाई में चला गया. उसके साथ लेटने से मेरा शरीर गर्म होने लगा. कुछ देर में ही सोनाली को फिर से नींद आ गयी. मगर मेरे अंदर अब कुछ और ही तूफान उठने लगा था.
सोनाली के बदन से आ रही भीनी भीनी खुशबू मेरे अंतर उत्तेजना पैदा कर रही थी. उसके कोमल से बदन का स्पर्श मेरे अंदर वासना की चिंगारी पैदा कर रहा था. रजाई में हम दोनों के सांसों की गर्मी भर गयी थी.
मेरा लंड करवटें बदलने लगा था. इससे पहले सोनाली के साथ मैंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया था. या तो मैं बहुत दिनों के बाद उसके बदन का स्पर्श पा रहा था या फिर अब हम भाई बहन से ज्यादा एक जवान लड़का और जवानी लड़की हो गये थे.
जो भी हो, मुझे सोनाली के बदन को छूने का मन कर रहा था. उसके बदन के उभारों को जांचने का मन कर रहा था. अभी तक न तो मुझे लड़की के जिस्म का स्पर्श मिला था और न ही मैंने सेक्स किया था.
तभी सोनाली ने मेरी ओर करवट ले ली. उसकी गर्म गर्म सांसें अब सीधे मेरे चेहरे से टकराने लगीं. उसकी सांसों की खुशूब हर पल के साथ मेरे लंड में तनाव लेकर आ रही थी.
देखते ही देखते मेरा लंड पूरा टनटना गया और एकदम से नुकीला होकर सोनाली की जांघ पर चुभने लगा.
थोड़ी देर बाद वो मेरे चेहरे के बिल्कुल करीब आ गयी और उसकी गर्म साँसें मुझे मदहोश करने लगीं और मैं अपने आप को रोक नहीं पाया.
मैं उसके रसीले होंठों को अपने होंठों से चूमने लगा और उसको अपने करीब खींच लिया. उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों से कोमल लग रहे थे. ऐसा लग रहा था कि मैं फूलों का मीठा रस पी रहा हूं.
फिर मैंने अपना हाथ उसकी कुर्ती के अंदर डाला और पीठ पर हाथ घुमाने लगा. उसकी कोलम पीठ पर हाथ फेरते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मैं संगमरमर के चिकने पत्थर पर हाथ फेर रहा हूं.
मेरे हाथों की छुअन से उसकी आहें निकलने लगीं. लग रहा था कि जैसे उसको पहली बार किसी ने छुआ हो. मैं उसके होंठों जितना चूसता जा रहा था उसके बदन की गर्मी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.
अब मुझे विश्वास हो गया था कि वो भी जाग रही है और इन सब क्रियाओं का मजा ले रही है.
फिर आखिरकार उसने अपनी आंखें खोल दीं. वो प्यास से भरी नजरों से मुझे देखने लगी.
उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और मेरे होंठों को जोर से चूसने लगी.
मैं भी उसका साथ देने लगा.
मुझे नहीं पता था कि वो भी मेरी ओर इतनी आकर्षित है. वो जैसे मेरे होंठों को काटने ही लगी थी.
अब मेरे हाथ उसके बूब्स पर पहुंच गये और मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा. वो अब और जोर से मेरे होंठों को काटने लगी.
मेरा लंड पूरा तना हुआ था और बार बार झटके देकर सोनाली की चूत से टकरा रहा था.
हालांकि उसने कपड़े पहने हुए थे लेकिन उसके बदन की कोमलता मुझे अपने बदन पर अलग से महसूस हो रही थी और उसके जिस्म की ये छुअन मुझे उसकी जवानी को निचोड़ देने के लिए उकसा रही थी.
अब मेरा हाथ उसकी चूत के ऊपर पहुंच गया और मैं उसकी पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत को मसलने लगा.
उसकी जांघें जैसे खुद ही फैल सी गयीं और उसने मेरे हाथ को अपनी चूत पर पूरी पकड़ बनाने के लिए जैसे रास्ता दे दिया.
मैं उसकी चूत को कसकर भींचने लगा और वो एकदम से सिसकारने लगी- आह्ह … अम्म्म … आराम से … आह्ह … दर्द हो रहा है.
उसकी चूत को मसलते हुए ऐसा मन कर रहा था कि आज इसे इतनी चोदूंगा कि इसकी चूत को खोलकर रख दूंगा.
फिर मैंने उसकी कुर्ती ऊपर उठा दी और उसकी ब्रा के ऊपरे से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा. उसका पेट एकदम से सपाट था और वो उसकी ब्रा में बहुत सेक्सी लग रही थी. उसकी नर्म नर्म चूची अब टाइट होने लगी थी.
उसके बाद मैंने उसको दूसरी ओर घुमाया और उसकी ब्रा के हुक खोलने लगा. उसकी नंगी पीठ देखकर मेरा लौड़ा बार बार झटके दे रहा था. मैं अपने लंड को उसकी गांड पर लगाकर मजा ले रहा था.
फिर मैंने उसकी ब्रा को खोलकर उसे अलग फेंक दिया और उसकी कुर्ती निकाल दी.
सोनाली अब ऊपर से पूरी नंगी हो गयी थी.
मैंने एक बार फिर से उसको बांहों में भरा और उसके नर्म रसीले होंठों को चूसने लगा.
उसकी चूचियां मेरी छाती से लगी थीं. मैं उनको जोर जोर से दबा रहा था.
जब भी मेरा हाथ उसके निप्पलों को कचोटता तो वो जोर से मेरे होंठों को बदले में काट लेती थी.
फिर मैंने उसकी पजामी में हाथ दे दिया. उसके होंठों को चूसते हुए उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ने लगा. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी.
मैंने पूरा हाथ अंदर देकर उसकी पैंटी में हाथ घुसा दिया.
उसकी गीली चूत पर मेरा हाथ लगा तो मैं पागल हो गया. मैं तेजी से उसकी चूत को हथेली से रगड़ने लगा. उसने मेरे मुंह को अपने होंठों पर से हाटाया और अपनी चूचियों में लगा दिया.
मैं उसकी चूचियों को पीते हुए उसकी चूत को सहलाता रहा.
वो अब अपनी पूरी गर्मी में थी. उसकी चूत बार बार ऊपर को उचक कर रही थी. लग रहा था कि वो अब चुदने के लिए और इंतजार नहीं कर सकती है.
मामा की बेटी की चुदाई का इंतजार तो अब मुझसे भी नहीं हो रहा था लेकिन मैं उसकी जवानी का पूरा रस पीना चाहता था. मैं उसके जिस्म के हर एक अंग को चाटना चाह रहा था और उसके बाद चुदाई करने वाला था.
अब मैंने उसकी पजामी निकाल दी और वो केवल पैंटी में रह गयी. जब मैं उसकी चूत से पैंटी को हटाने लगा तो उसने अपनी आंखें बंद कर लीं. उसकी कमसिन सी चूत मेरे सामने नंगी हो गयी थी.
सोनाली ने अपने चेहरे के सामने हाथ लगा लिये थे. वो मेरे सामने पहली बार नंगी हो रही थी. अब तक हम दोनों का भाई बहन का ही रिश्ता था और इस रिश्ते बाहर निकल पाना उसके लिए भी इतना आसान नहीं था.
मैंने उसके हाथों को अलग किया.
उसने अपनी जांघें भींच लीं लेकिन फिर भी उसकी छोटी सी कमसिन चूत मुझे दिख रही थी. उसकी हल्की हल्की काली झांटें उसकी चूत की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा रही थीं.
फिर मैंने उसका हाथ अपनी पैंट पर लगवा दिया. उसने मेरे लंड को धीरे से पकड़ लिया. फिर मैं अपनी पैंट खोलने लगा. वो मेरी ओर नहीं देख रही थी. मैंने पैंट और बनियान दोनों ही निकाल दिये.
अब मैं अंडरवियर में था. फिर मैंने अंडरवियर भी उतार फेंका और मेरा 4 इंच का लंड एकदम से तना हुआ था. मैं सोनाली को लेकर लेट गया और एक बार फिर से उसके होंठों को चूमते हुए नीचे आने लगा.
मैंने उसकी गर्दन को चूमा, फिर उसकी छाती को और फिर उसकी नाभि को चूमते हुए मैं उसकी चूत के पास पहुंच गया. मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी तो वो एकदम से सिसकार उठी. उसके बदन में करंट सा दौड़ गया.
अब मैंने उसकी चूत के अंदर जीभ दे दी और उसकी चूत को चूसने लगा. वो मछली जैसे छटपटाने लगी. उसका पेट बार बार ऊपर नीचे हो रहा था. उसकी सांसें बहुत तेजी से चल रही थीं. चूचियों की घुंडियां (निप्पल) एकदम से ऐसे तन गये थे जैसे किसी ने उसकी चूचियों पर कंचे रख दिये हैं.
मैं तेजी से उसकी चूत में जीभ चलाने लगा और अब उसके हाथ मेरे सिर पर आ गये. वो मेरे बालों को खींचने लगी. मैं उसकी चूत को चाटता जा रहा था. फिर मैं उठा और उसके मुंह के पास लंड को ले गया.
उसने लंड चूसने से मना कर दिया. फिर मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा. उसको तड़पाने लगा.
वो जोर से सिसकारते हुए बोली- बस कर शुभम … मार डालेगा क्या आज मुझे? इतनी देर से तड़प रही हूं. अब तो कर दे कुछ!
मैंने कहा- क्या कर दूं?
वो बोली- जो करते हैं.
मैंने कहा- क्या करते हैं?
वो बोली- सेक्स।
अभी मैं उसको लंड देने के मूड में नहीं था. मैं दोबारा से उसकी चूत की ओर गया और उसकी चूत में जीभ से तेजी से चोदने लगा.
वो एकदम से छटपटाने लगी. अपनी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगी और सिसकारे लगी- आह्ह … आईई … ऊह्ह … ओ नो … आह्ह … नहीं … उईई … स्सस … मर गयी.
मेरी जीभ की रफ्तार और तेज हो गयी.
उसने मेरे सिर को पकड़ा और जोर से अपनी चूत में दबाया और नीचे से अपनी चूत भी उठा दी.
मगर मैंने उसके हाथ हटाकर जीभ निकाल ली.
वो बोली- क्या हुआ, करो ना?
मैंने कहा- मुझे भी मजा चाहिए.
मैं उसके मुंह के पास लंड को ले गया.
अब उसने मरे मन से होंठ खोले और मेरे लंड को चूसने लगी. कुछ देर बाद उसको मजा आने लगा और वो अच्छे से चूसने लगी.
अब मैं भी जैसे जन्नत में था. काफी देर तक मैंने लंड चुसवाया. लंड चुसवाते हुए मैं पीछे से उसकी चूत में उंगली करता रहा. फिर मैंने लंड निकाला और उसकी चूत में जीभ दे दी.
मुझे कुछ ही देर हुई थी कि एकदम से उसकी चूत से पानी निकला और मेरे मुंह में जाने लगा. मैंने उसकी चूत का सारा रस पी लिया. अब मैं उठा और अपना लंड उसकी चूत पर रखा.
मैं धकेलने की कोशिश करने लगा तो वो डरने लगी.
वो बोली- भैया, पहली बार है. आराम से करना.
मैंने उसकी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत में डाल दिया.
वो फर्स्ट सेक्स के कारण चिल्लाने लगी तो मैंने उसके मुंह को दबा लिया. फिर उसके होंठों को चूसने लगा. मैंने एक धक्का और मारा और उसकी चूत में लंड को पूरा घुसा दिया. उसकी चूत से खून निकलने लगा.
अब मेरा लंड उसकी चूत में पूरा जा चुका था. वो दर्द से छटपटा रही थी क्योंकि मेरा लंड छोटा जरूर है लेकिन मोटा काफी है. उसकी चूत खुल गयी थी. मेरे लंड को उसकी चूत की पूरी गर्मी मिल रही थी.
लंड उसकी चूत में ऐसे फंसा हुआ था जैसे ठूंस दिया गया हो. फिर मैं कुछ देर तक उसके ऊपर लेटा रहा. उसकी चूचियों को दबाता रहा. फिर मैंने धीरे धीरे उसको चोदना शुरू किया.
कुछ देर के बाद उसको भी चुदाई में मजा आने लगा. वो मेरा साथ देने लगी. अब हम दोनों के मुंह से सिसकारियां निकलना शुरू हो गयीं. उसकी चूत मारने में बहुत मजा आ रहा था.
चूंकि उसकी चूत काफी टाइट थी और मेरा लंड भी बहुत देर से तना हुआ था इसलिए मैं ज्यादा देर तक नहीं रुक पाया. मैं तेजी से उसकी चूत में धक्के देने लगा और पांच मिनट के बाद मेरा वीर्य निकलने को हो गया.
मैंने जोर से तीन-चार झटके दिये और फिर जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने एकदम से उसकी चूत से लंड को निकाल लिया और उसकी चूचियों पर वीर्य गिरा दिया.
फिर हम दोनों चिपक कर लेट गये. कुछ देर बाद हम उठे और देखा कि खून नीचे कपड़ों पर चला गया था. ये भी अच्छा हुआ कि नीचे उसकी पैंटी और मेरा अंडवियर था. चूत का खून चादर तक नहीं पहुंचा.
उसके बाद हमने कपड़े ठीक किये और बिना अंडरवियर के ही अपने अपने कपड़े पहन लिये. फर्स्ट सेक्स से हम दोनों ही थक गये थे और फिर हम सो गये.
अगले दिन सोनाली की चूत दुखती रही और मैंने उसको दर्द की गोली लाकर भी दी.
मैंने किसी को भनक नहीं लगने दी कि रात में सोनाली और मैं चुदाई कर चुके हैं. इस तरह से मैंने अपना पहला सेक्स अपने मामा की बेटी के साथ किया था.
दोस्तो, आपको मेरी यह पहली चुदाई की कहानी कैसी लगी मुझे मेरे ईमेल पर बतायें. फर्स्ट सेक्स स्टोरी में क्या अच्छा लगा और क्या बुरा लगा ये भी बतायें.
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