फ्री हिंदी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मुंबई में मुझे जॉब मिली. वहां मुझे रहने के लिए रूम नहीं मिल रहा था. फिर एक आदमी से मेरी बात हुई. उसने फ्लैट दिलाने को बोला मगर …
नमस्कार मेरे सभी दोस्तो! मैं कोमल आपके लिए एक और सेक्स कहानी लेकर आयी हूं.
तो दोस्तो चलते हैं अपनी आज की कहानी की तरफ।
जैसा कि कहानी के शीर्षक से ही आपको अंदाजा लग गया होगा कि कहानी किसी मकान को लेकर है।
दोस्तो, ये घटना मुझे मेरी एक सखी ने बताई है कि उसकी एक सहेली की नौकरी मुंबई शहर में लगी। वहाँ उसे किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ा और मकान की परेशानी को दूर करने के लिए उसे किस किस के साथ बिस्तर पर सोना पड़ा।
मेरी दोस्त की उस सहेली का नाम सोनम है. यहां पर मैं नाम भी बदल कर बता रही हूं. सोनम अब भी मुंबई में ही जॉब कर रही है. वो दिखने में बेहद ही खूबसूरत, गोरी और भरे बदन की मालकिन है।
उसकी लंबाई 5 फीट 6 इंच और फिगर का साइज 34-30-36 है।
उसने कभी भी चुदाई नहीं की थी मगर घर की मजबूरी के कारण इतने लोगों से चुदी कि अब रोज की चुदाई उसके जीवन का हिस्सा बन गई।
अब मैं ये कहानी स्वयं नहीं बताऊंगी. इस कहानी को आगे आप सोनम के ही शब्दों में पढ़ेंगे क्योंकि तभी आपको कहानी सही तरीके से समझ में आयेगी और पढ़ने में मजा भी आयेगा. कहानी में मैंने अपनी तरफ से उत्तेजक सामग्री डाली है.
अब कहानी सोनम की जुबानी:
दोस्तो, मेरा नाम सोनम है और मैं मुंबई में रहती हूं। मेरे घर पर मेरी माँ-पापा और एक छोटी बहन है। पापा एक प्राइवेट कंपनी में काम करते है.
ये मेरी चुदाई स्टोरी आज से 3 साल पहले की है जब मेरी नई नई नौकरी लगी थी।
मुझे मुंबई में रहते हुए 3 साल हो चुके हैं और मैं यहाँ एक बड़ी कंपनी में काम करती हूं।
मेरे पापा की कमाई इतनी नहीं थी कि वो हम दो बहनों की पढ़ाई का खर्च सही तरह से उठा सकें. फिर घर के खर्च अलग थे. किसी तरह से हमारा घर चल रहा था और जैसे तैसे करके मेरी पढ़ाई पूरी हुई.
पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने उस वक्त शादी न करने का फ़ैसला किया. उस वक्त मेरी उम्र 21 साल की थी। हालांकि मैं जवान हो रही थी लेकिन शारीरिक जरूरतों के आगे मुझे अपने घर की कमजोर आर्थिक स्थिति की ज्यादा चिंता थी.
मैं कई जगह नौकरी का आवेदन दिया करती थी. घरवाले मना कर रहे थे कि नौकरी में परेशान हो जायेगी. लड़की की जात है, कहां पर क्या हो जाये कुछ भरोसा नहीं है, मगर मैं नहीं मानी.
चूंकि हमारा कोई भाई नहीं था इसलिए मैं ही अपने परिवार की जिम्मेदारी का बोझ उठाना चाहती थी. रोज मैं अखबारों में विज्ञापन देखती थी. जहां भी नौकरी की वैकेंसी होती थी मैं तुरंत आवेदन कर देती थी.
बहुत जगह पर आवेदन दिये और फिर किस्मत से मुझे मुंबई में नौकरी मिल गई. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं मुंबई जैसे शहर में नौकरी करने के लिए जाऊंगी.
मगर कहते हैं कि दूर के ढोल सुहावने लगते हैं. मैं नौकरी करने के लिए उत्साहित तो थी लेकिन नहीं जानती थी कि ऐसे आधुनिक शहर की चाल से चाल मिलाना इतना आसान नहीं होगा.
मुझे ये बात मुंबई शहर पहुंच कर पता चली कि मुंबई को माया नगरी क्यों कहा जाता है. वहां पर पैसा बहुत मायने रखता है. वहां जिसके पास पैसा है उसके लिए सब अच्छा है लेकिन जिसके पास कम है या नहीं है उसको बहुत कुछ कुर्बान करना पड़ता है.
तो दोस्तो, मेरा इंटरव्यू हुआ और एक हफ्ते के बाद मुझे नौकरी जॉइन करनी थी। मैं घर से अकेली ही मुंबई आ गई. यहाँ मेरी पहचान वाला कोई भी नहीं था।
शहर मेरे लिए बिल्कुल अनजान था. मैं एक छोटी जगह से आई थी और मुंबई जैसे शहर की चकाचौंध मुझे डरा रही थी. साथ में कोई जानने वाला हो तो उसका सहारा हो जाता है लेकिन मैं तो बिल्कुल अकेली थी.
कुछ दिन तो मैं एक होटल में कमरा लेकर अपनी नौकरी करती रही. होटल में रहने के अलावा फिलहाल मेरे पास कोई चारा नहीं था. न मैं वहां के किराये को जानती थी और न वहां के लोगों को. इसलिए पहले सब कुछ जानना समझना था.
जिस कंपनी में मैं काम करती थी वो रूम नहीं दे रही थी। मेरी तनख्वाह तो अच्छी थी मगर मैं हमेशा होटल में रह कर तो काम नहीं कर सकती थी न? इसलिए मैंने किसी तरह से एक महीना निकाला.
मेरे खाने का खर्च ही बहुत ज्यादा हो गया था और ऊपर से होटल के रूम का खर्च तो आप जानते ही हैं. मुझे जल्द से जल्द एक कमरा किराये पर चाहिए था. मैंने अपनी कंपनी में भी कई लोगों से बात की. मगर बात नहीं बनी.
कई लोगों ने एजेंट से भी मिलवाया. मगर सबसे बड़ी समस्या ये थी कि मैं एक कुंवारी लड़की थी और जहाँ भी रूम मिलता तो सब शादीशुदा वालों को ही रूम दे रहे थे।
ऐसे ही दो महीने बीत गए।
मैं बहुत परेशान रहने लगी क्योंकि मैं नौकरी करते हुए भी घर पैसे नहीं भेज पा रही थी। जल्द से जल्द मुझे एक रूम की जरूरत थी।
फिर एक रात को करीब 9 बजे मैं अपने होटल के रूम में लेटी हुई थी कि तभी किसी का फोन आया।
नम्बर अनजान था फिर भी मैंने फ़ोन उठाया और बात करने लगी. सामने से कोई आदमी बोल रहा था कि मेरा नम्बर उसको किसी एजेंट ने दिया है और उसे पता है कि मुझे रूम की तलाश है।
मैं खुशी से झूम उठी ये सोचकर कि शायद मेरा काम बन गया. उसने अपने नौकर का नम्बर मुझे दिया और अगले दिन सुबह उससे मिलने के लिए बोला।
मैंने अगले दिन ऑफिस से छुट्टी ले ली.
उस दिन मैंने 10 बजे उसके नौकर के नम्बर पर फोन लगाया और उस बंदे ने मुझे एक पते पर आने को कहा। मैं तुरंत उस पते पर गई और बाहर पहुंचकर नौकर को फोन लगाया।
वो मुझे सड़क पर लेने आ गया और मैं उसके साथ चल दी। वो मुझे एक 4 मंजिला बिल्डिंग में ले गया.
उसने मुझे बताया कि ये पूरी बिल्डिंग उसके मालिक की ही है. इसमें केवल 2 फ्लैट ही खाली बचे हुए हैं।
वो मुझे चौथी मंजिल पर ले गया वहाँ 4 फ्लैट थे। 2 फ्लैट खाली थे और एक में कुछ सामान रखा था और एक फ्लैट में ताला लगा था।
उसने मुझे दोनों फ्लैट दिखा दिए। मुझे वो काफी पसंद भी आये।
मैंने उस नौकर से उसका किराया पूछा तो उसने अपने मालिक से ही बात करने के लिए बोल दिया। मैं फ्लैट देखने के बाद पैदल ही अपने होटल आ गई क्योंकि होटल वहाँ से पास ही था।
वो फ्लैट मुझे इसलिए भी अच्छा लगा क्योंकि वहाँ से मेरा ऑफिस भी पास ही था। होटल पहुंचकर मैंने वहाँ के मालिक को फोन लगाया और किराए के बारे में पूछने लगी. उसने मुझे महीने का दस हजार बताया।
मेरी सैलरी के हिसाब से ये किराया मुझे ज्यादा लग रहा था।
वो कहने लगा कि मेरे पास आकर बात कर लेना. शायद किराया कुछ कम कर दूंगा. उसने मुझे शाम को उसके ऑफिस में आने के लिए कहा.
मैंने भी हां कर दी और फोन रख दिया. फिर शाम को 4 बजे उसका कॉल आया और मुझे उसने ऑफिस में बुलाया.
मैं तैयार होकर उसके ऑफिस पहुंच गई।
इससे पहले मेरी उस आदमी से फोन पर ही बात हुई थी. मैं केवल उसकी आवाज पहचान सकती थी. मैंने उसको कभी देखा नहीं था.
मैंने ऑफिस पहुंच कर बाहर बैठे एक आदमी से उसका नाम बताया तो वो मुझे उसके केबिन तक ले गया.
मैं अंदर गई तो एक 45-50 साल का व्यक्ति सामने कुर्सी पर बैठा था।
उसने मुझे बैठने के लिए कहा और मैं उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई।
उसने मेरे सभी कागजात को अच्छी तरह से चेक किया और बोला कि फ्लैट तो आपको मिल जायेगा.
ये सुनकर मैं बहुत खुश हो गयी. मगर उसने किराया कम करने से मना कर दिया।
मैंने कुछ दिन का समय मांगा तो उसने समय देने से भी मना कर दिया. मैं नहीं चाहती थी कि ये फ्लैट मेरे हाथ से निकल जाये.
मगर वो आदमी नहीं माना और मैं निराश होकर अपने होटल आ गई.
फिर शाम के 7 बजे उसी आदमी का फिर से फोन आया. उसकी कॉल देखकर मेरे मन में फिर से एक उम्मीद जागी.
हम दोनों में काफी देर तक बातें होती रहीं। मैंने अपनी मजबूरी उसको बताई। फिर उसने अचानक से ऐसी बात कह दी कि मेरे तो होश ही उड़ गए।
वो मुझसे बोला- ऐसा भी हो सकता है कि ये फ्लैट तुमको बिना किराए के ही मिल जाये! तुम जितने दिन, जितने साल रहना चाहो, रह सकती हो।
मैने तुरंत ही उससे पूछा- ऐसा कैसे हो सकता है?
वो बोला- अगर तुम चाहती हो कि ये फ्लैट तुमको बिना किराए के मिल जाये तो तुमको मेरी गर्लफ्रैंड बनना पड़ेगा।
अब मैं उसकी बात का मकसद समझ गई कि वो क्या चाहता था. मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।
उसने मुझे अच्छे से सोच समझ कर जवाब देने के लिए कहा और फ़ोन काट दिया।
मैं सारी रात उसकी बात को याद करती रही। अगली सुबह मैं ऑफिस चली गई. ऐसे ही एक हफ्ता गुजर गया। मैंने कई और लोगों से भी बात की मगर कहीं बात नहीं बनी।
अब मेरे पास दो ही रास्ते थे- या तो मैं उसकी बात मान जाऊं या नौकरी छोड़ कर अपने घर वापल लौट जाऊं, क्योंकि इतने खर्चे में तो मैं घरवालों की मदद कर ही नहीं सकती थी.
दूसरी बात ये भी थी कि अगर मैं उस वक्त वो नौकरी छोड़ देती तो पता नहीं फिर इतनी बड़ी कंपनी में मुझे नौकरी मिलती भी या नहीं।
बहुत सोचने के बाद मेरे मन में विचार आया कि मैंने तो वैसे भी शादी नहीं करनी है, अगर मैं उसकी बात मान लूं तो मेरा पैसा भी बचेगा और मैं घर पर ज्यादा से ज्यादा पैसे भेज सकूंगी.
अगले ही दिन मैंने उसे फोन लगाया और उसे अपना फैसला बता दिया।
इसके एक घंटे बाद ही उसने फ्लैट की चाबी मेरे पास भेजवा दी।
मैंने अपना सामान पैक किया और उसी दिन फ्लैट में शिफ्ट हो गई।
जैसे ही मैंने फ्लैट का दरवाजा खोला तो देख कर मुझे मेरी आँखों को सामने के नजारे पर भरोसा नहीं हुआ. पूरा रूम बहुत अच्छे से सेट था. न मुझे पलंग की जरूरत थी न किसी बर्तन वगैरह की।
बेडरूम में एक शानदार डबल बेड और एयर कंडीशनर सभी कुछ तैयार था। मुझे पूरा भरोसा हो गया कि उनको पता था कि मैं जरूर यहाँ रहने के लिए मान जाऊँगी। इसलिए उन्होंने पहले से ही सारा इंतजाम कर दिया था।
मुझे वहाँ रहते दो दिन ही हुए थे कि सुबह सुबह उनका फोन आया और उन्होंने बताया कि वो किसी जरूरी काम से बाहर गए हैं और वापस आते ही मेरे साथ कुछ समय बिताएंगे. मैंने भी उनको हां कह दिया.
इस बात का मतलब यही था कि मैं अब चुदने वाली थी. इससे पहले मेरी बुर को कभी लंड ने छुआ तक नहीं था. पहली बार मेरी बुर में लंड जाने वाला था. ये प्रश्न शुरू से ही मेरे मन में था कि मेरी पहली चुदाई कैसे होगी.
मैं केवल 21 साल की थी और वो आदमी 48 साल का था. दोनों की उम्र में भी बहुत अंतर था. वो शरीर से भी काफी भारी भरकम था.
फिर उसके बाद जितने भी दिन गुजर रहे थे, बिस्तर पर जाते ही मैं यही सोचने लग जाती थी कि इसी बिस्तर पर मेरी चुदाई होने वाली है. इसी उधेड़बुन में रहती थी कि पता नहीं वो मेरे साथ क्या क्या करेगा.
सोचती थी कि वो मुझे एक टाइम पास रंडी की तरह चोदेगा या इन्सानियत दिखाकर प्यार से चोदेगा. फिर सोचती थी कि जब उसने गर्लफ्रेंड बनने को बोला है तो गर्लफ्रेंड की चुदाई की तरह ही होगी मेरी चुदाई भी.
मगर मैं इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थी कि मैं उसे झेल भी पाऊंगी या नहीं. कई बार तो मैं काफी गर्म हो जाती थी क्योंकि मैं उस फ्लैट में अकेली थी.
जब मुझे पता था कि अब मेरी सील खुलने वाली है तो मेरी बुर गर्म हो जाती थी. ऐसे ही चार दिन बीत गये. ठीक चार दिन बाद उन्होंने मुझे फिर फ़ोन किया और कहा कि वो उस शाम को वापस आ रहे हैं और सीधे मेरे यहाँ ही आएंगे.
उन्होंने कह दिया कि ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले लेना क्योंकि वो मेरे साथ कई दिन यहीं पर रहेंगे. मैं तो सोच में पड़ गयी.
कई दिन का मतलब था कि मेरी बुर तो रोज ही चुदेगी.
दोस्तो, मैं कोमल कहानी को अगले भाग में जारी रखूंगी. आगे सोनम बतायेगी कि कैसे उसकी पहली चुदाई हुई. उसकी बुर में पहली बार लंड गया तो उसे कैसा लगा और फिर मालिक के रहने तक उसके साथ क्या क्या हुआ.
मेरी चुदाई स्टोरी पर अपनी राय जरूर दें. कोमल के ईमेल पर मैसेज करें या फिर अपना फीडबैक कमेंट्स में भी दे सकते हैं. आप सबकी प्रतिक्रयाओं का इंतजार रहेगा.
कोमल का ईमेल आईडी है
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मेरी चुदाई स्टोरी जारी रहेगी.