कुंवारी बुर चुदाई का मजा दिलाया मेरे साले के दामाद ने. उसे पैसे की जरूरत थी तो वो मेरी सब ख्वाहिशें पूरी कर रहा था. अपनी बीवी भी उसने मुझसे चुदवा ली थी.
दोस्तो मैं चन्दन सिंह, मेरी पिछली सेक्स कहानी
भतीजी और उसकी मौसी सास की प्यास बुझाई-5
में आपने पढ़ा था कि मैंने साले की बेटी और उसकी मौसी सास की चूत गांड की चुदाई किस तरह की थी.
अब उसके आगे की चुदाई की कहानी का मजा लीजिएगा.
आपने पढ़ा था कि मेरे साले के दामाद कमल ने नई चुत चुदवाने का वायदा किया था. उसे पैसे की जरूरत थी, जिसको लेकर वो मुझसे बड़ा आशान्वित था.
उस रात मैंने अपनी भतीजी और उसकी मौसी सास की चुदाई की थी. चुदाई का मजा लेते हुए काफी रात हो गई थी.
अब आगे :
मैं- अच्छा मौसी अब रात कम ही बची है, कुछ देर नींद ले लो.
हम सब गहरी नींद में सो गए. हमें कुछ पता ही नहीं चला कि हम सब कितनी गहरी नींद में सो गए थे.
सुबह जब हम तीनों को मेरी भतीजी अनु के एक बच्चे ने आकर उसे झंझोड़ा, तब हम सबकी नींद टूटी. हम सब नंगधडंग पड़े थे. बस मौसी ने अपने को एक चादर से ढक कर रखा था.
अनु ने शर्म के मारे खुद को ढकते हुए उससे कहा- तू बाहर जा … मैं अभी आती हूँ.
बच्चा बाहर चला गया.
अनु कपड़े पहन कर बाहर गयी.
उसके बाद वीणा मौसी भी निकल गयी.
मुझे अभी भी नींद आ रही थी तो मैंने उठ कर कपड़े पहन लिए और फिर से सो गया.
इसके काफी देर बाद कमल की आवाज आई- फूफाजी, अब उठ जाओ.
मैं बेड से उतर कर बाथरूम गया और वापिस आ गया.
हैंगओवर से सर दर्द हो रहा था मगर कमरे में बोतल नहीं देख कर मैंने कमल को एक लार्ज पैग बना कर लाने को कहा.
कमल लार्ज पैग बना कर ले आया.
मैंने पैग खींचा.
कमल बोला- जल्दी से तैयार हो जाओ फूफा जी, दुकान चलते हैं.
मैंने बाथरूम में जाकर स्नान किया और हल्का सा नाश्ता लेकर कमल के साथ उसकी दुकान आ पहुंचा.
उसकी दुकान जिधर थी, वो जगह कोई घर में काम करने वाली बाईयों की बस्ती लग रही थी.
उस बस्ती में कमल की दुकान देख कर मैंने सोचा कि पता नहीं क्या सोच कर इधर दुकान खोली है. फिर भी मन में ख्याल आया कि चलो, चल कर देखता हूँ.
हम जब दुकान पहुंचे ग्यारह बज चुके थे, कमल का नौकर दुकान चला रहा था.
चार पांच ग्राहक महिलाएं सामान खरीदने खड़ी थीं. दो तीन नवयौवना लड़कियां भी खड़ी थीं.
खरीदी करने वाली लड़कियां और औरतें ही कमल की दुकान की ग्राहक थीं.
शायद उसके यहां लेडीज ग्राहक ही ज्यादा आते थे.
कमल धीमे से बोला- फूफाजी माल देख लो.
मैं उसकी तरफ देखने लगा कि ये तो ग्राहकों को देखने के लिए ही कह रहा है.
तो मैं उन लड़कियों को देखने लगा.
हम दोनों दुकान के अन्दर वाले हिस्से में पहुंचे, तो नौकर ने कमल की सीट साफ़ कर दी और मेरे लिए एक अलग से कुर्सी लगा दी.
मैंने उधर बैठ कर आते जाते ग्राहकों को एक घंटा तक देखा, कुछ काम वाली बाईयां भी बहुत अच्छी लगीं.
अपने काम से निवृत होकर कमल ने एक नौकर को किसी महिला को कमली नाम बता कर उसे उसकी बेटी सहित बुलाया.
नौकर चला गया और आधा घण्टा में वापिस आया, तो उसके साथ वो उन दो मां बेटी को लेकर आया था. तब तक तीन चार और महिला ग्राहक दुकान पर आ खड़ी हुई थीं.
उस औरत कमली ने अन्दर आते ही कमल से कहा- हां सेठ बोलो, कैसे बुलाया?
मैं उसके साथ में उसकी लड़की को भी देखने में मग्न था.
कमल बोला- मेरे नौकर ने तुमको बताया होगा, ये मेरे मेहमान हैं.
वो उस कमली को मेरे बारे ने बताते हुए कहने लगा.
ये सब पास खड़ी महिलाएं भी सुन रही थीं, साथ में समझ भी रही थीं.
उनमें से एक महिला बात को समझ गयी और बोल पड़ी- सेठ … तुम्हारे मेहमान लिए इसकी लड़की से ज्यादा मेरी लड़की खूबसूरत है, एक बार मैं ले आती हूँ … आप देख लो. पसन्द आए, तो आगे बात कर लेना.
कमल उस बस्ती में काम वाली बाईयों को उधारी में सामान देता था. पैसा वसूलने के लिए उनके घर जाकर काम वाली बाई को चोद कर आ जाता था.
यह बात कमल ने बाद में बताई थी, इसी कारण से दुकान पर चुदाई की खुल्लम खुल्ला बातें हो रही थीं.
सभी महिलाएं चली गयी.
कमली, जो अपनी बेटी को लेकर आयी थी, उसने कमल से कहा- सेठ अभी कली खिली नहीं है. अच्छी तरह से इसको अन्दर ले जाकर चैक कर लो.
कमली अपनी बेटी से बोली- जा बेटी, अन्दर चली जा और सेठ को अपनी चुत दिखला दे.
कमल बोला- फूफाजी, आप दुकान के पिछवाड़े में जाइए.
मैं पीछे चला गया. तभी कमली की बेटी भी आ गयी.
उसके कपड़े खोल कर मैंने उसके निप्पल देखे. अंडरवियर उतार कर मोबाईल की रोशनी से उसकी चुत को देखा और हाथ से टटोला. सच में ये लौंडिया अभी एकदम ताजा माल थी.
तभी दुकान के बाहर आवाजें सुनाई देने लगीं. उस लड़की को जल्दी से कपड़े पहनने को बोल कर मैं बाहर आ गया.
बाहर जो महिलाएं अभी कुछ देर पहले गयी थीं, वे अपनी लड़कियों को लेकर आ गयी थी और कमल से बात कर रही थीं.
वो महिला बोली- कमल सेठ, एक बार हमारी लड़की को भी अपने मेहमान को दिखा दो.
उसका इतना बोलना था, तभी कमली की लड़की बाहर आते देख, वे दोनों महिलाएं आपस में लड़ने लगीं.
बाहर हो-हल्ला ज्यादा होता देख कर कमल उन सभी औरतों से बोला- एक बार सभी चुप हो जाओ, मेरे यहां हल्ला नहीं मचाओ, मेरे मेहमान को जो पसन्द आएगी वही काम आएगी. आप कमली के घर पर अपनी लड़कियों को छोड़ दो, हम दोनों वहीं आते हैं, जिसकी लौंडिया पसन्द आएगी, उसी से बात कर लेंगे.
इस तरह सभी को भगा कर मैं और कमल, कमली के घर आ पहुंचे.
कमली का घर मध्यम वर्ग का बना हुआ था. वैसे कमली खुद खूबसूरत थी. अपनी इसी खूबसूरती के बल पर उसने घर को संवार रखा था.
वो हमें एक कमरे में ले गयी. उस कमरे में सब लड़कियां बैठी थीं.
मैंने कमल से पूछा- इधर कोई लोचा तो नहीं होगा?
कमल बोला- फूफाजी मैं हूँ ना, आप चिंता क्यों करते हो?
मैं आश्वासन पाकर खुश हो गया.
फिर कमल, कमली को लेकर कमरे से बाहर जाने से पहले मुझसे बोल गया- आप आपने मन पसन्द की छांट लो!
मैंने उन चारों लड़कियों से बोला- अपने अपने कपड़े खोलो.
अगले ही वे सभी निवस्त्र हो गईं.
एक एक को अच्छी तरह से देखने के बाद एक को पसन्द करके बाकी को रवाना कर दिया. जिस लड़की को मैंने रखा था, उसका नाम रेशमा था.
इसके बाद कमली और कमल अन्दर आए.
कमली बोली- कमल सेठ, रेशमा की मां को बुला लूं. पहले सौदा फिक्स कर लो और मेरे यहां का इनाम क्या दोगे, वो भी बता दो.
कमल बोला- तू चिन्ता मत कर, पहले रेशमा की मां को बुला.
इस तरह सब सैट करने के बाद कमल से मुझे कान में कहा- आप तो चालू हो जाओ … तब तक मैं बाहर सब सैट कर देता हूँ.
मैंने उस लड़की को पहले स्नान करने को बोला. गर्म पानी की सुविधा उस कमरे में थी.
बाथरूम में खड़ा होकर मैं उसको अच्छी तरह बताता गया कि किस तरह स्नान करना है.
नहा कर वो लड़की रेशमा बाहर आ गयी. मैंने उसे गोदी में उठाया और उसके गाल चूमते हुए उसे पलंग पर ले आया.
तभी कमली और कमल के साथ रेशमा की मां अन्दर आयी.
रेशमा की मां बोली- सेठ ठहरो, पहले मेरा पैसा दे दो.
कमल बोला- पैसा मेरे से ले लेना.
कमली बोली- सेठ हमारे यहां नई लड़की के साथ सफेद चादर पर सेक्स करने का रिवाज है. आप कुछ मिनट रुको, मैं नई चादर लेकर आती हूँ.
वो एक मिनट में ही नई चादर बिस्तर पर बिछा कर चली गई.
रेशमा नंगी तो थी ही, वो अपने घुटने मोड़ कर बिस्तर पर बैठ गई.
मैंने रेशमा की मदमस्त कोरी जवानी को देखा … और एक सिगरेट जलाकर कमल से कहा- कमल अब मुझे डिस्टर्ब मत करना, तुम बाहर बैठ कर ध्यान रखना.
कमल गया तो मैंने सिगरेट के एक दो कश खींचे और रेशमा के पास बैठ गया.
उसको लिटाया और उसकी नई नवेली चुत देख कर उस टूट पड़ा.
मैंने पहले उसकी चुत को अच्छी तरह से चाटा. फिर उसके निप्पलों को वहशी अन्दाज में चूसने लगा.
उसकी गर्म सीत्कारें कमरे से बाहर जाने लगीं.
तभी कमल अन्दर आया और बोला- फूफाजी, आवाज कम रखो.
मैंने कहा- नई है, ये तो चिल्लाएगी ही, तुम जरा ध्यान रखना.
कमल ने ओके कहा और बाहर जाने लगा.
मैंने उससे पूछा- कमल, क्या मुझे इधर शराब मिल सकती है?
उसने हामी भरी और वो बाहर जाकर कुछ देर में अन्दर आ गया.
उसके हाथों में एक ट्रे में दो गिलास, एक बोतल रखी थी. कुछ नमकीन भी था.
मैंने पैग बनाए और रेशमा को एक पैग पिलाया.
दो पैग मैंने भी पिए.
इस तरह आधा घंटा में रेशमा को तीन पैग पिलाने के साथ मैं उसके बदन से खेलता रहा. अब रेशमा को शराब के साथ सेक्स दिमाग में चढ़ चुका था.
फिर मैंने रेशमा को चित लिटा दिया और नंगा होकर उसकी चुत पर लंड घिसने लगा. मेरा मूसल लंड देख कर पहले से ही रेशमा की वासना लंड लंड करने लगी थी.
वो मेरा लंड पकड़ते हुए बोली- अब सहन नहीं हो रहा है.
मैंने उसके कान में बुदबुदाते हुए कहा- थोड़ा दर्द होगा.
रेशमा बोली- हाँ, मां ने बता रखा है … बस आप अन्दर डाल दो.
रेशमा के होंठों को अपने एक हाथ से दबा कर लंड से जोर का झटका दे दिया.
एक बार में ही वो बुरी तरह से तड़प गयी. उसकी सील टूट चुकी थी, मेरा लंड आधा से ज्यादा अन्दर चला गया था.
अब उसकी बुर से खून टपक रहा था.
रेशमा खुद को मुझसे छुड़वाने की कोशिश कर रही थी.
मगर मुझे उसकी टाईट चुत में बड़ा मजा आ रहा था.
मैंने उससे कहा- रेशू, जो दर्द होना था … वो हो चुका है. दो चार मिनट बाद तुझे जीवन का असली मजा आएगा.
इस तरह से मैं उसे समझाता हुआ फिर से धीरे धीरे पेलने लगा.
करीब पन्द्रह मिनट में वो खुद साथ देने लगी.
पांच मिनट बाद अचानक रेशमा का शरीर अकड़ गया.
मैं समझ चुका था कि रेशमा झड़ चुकी है.
मैंने कमल को आवाज दी, तो कमल अन्दर आ गया. रेशमा के ऊपर मुझे चढ़ा देख कर बोला- क्या हुआ?
मैं बोला- साली, यह तो झड़ चुकी है … कोई और व्यवस्था कर … तो मेरा पानी छूटे.
तभी कमली भी आ गयी. उसने भी मेरी बात सुन को लिया. इधर रेशमा मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी.
मैंने कमली को बोला- अब तक मेरा पानी नहीं छूटा, किसी और को ला.
कमली बोली- अभी तो सिर्फ मैं ही हूँ. मेरे अन्दर पानी निकाल दो.
मैं रेशमा की चुत से अपना लंड निकाल कर उस पर से उठा. मेरा लंड खून से लथपथ था. मैंने बाथरूम में जाकर गर्म पानी से लंड को धोया.
उधर कमली रेशमा को बाथरूम में ले गयी और उसको बोली- चुत पर गर्म पानी डाल कर उसे धो लो.
कमली ने कमरे में आकर खून से उस रंगी हुई सफ़ेद चादर को हटाया और नई चादर बिछा दी.
रेशमा अपने घर चली गयी. मैंने कमल को दुकान पर भेज दिया. फिर मैंने कमली को तीन चार पैग पिला कर उसे नंगी करके स्नान करवाया. उसकी गांड ताजा तरीन दिख रही थी.
मैं कमली से बोला- कमली तेरे आगे की तो फ़टी हुई है. एकदम नेशनल हाई वे, साले न जाने कितने ट्रक गुजर चुके होंगे.
कमली जोर से हंस दी और बोली- हां सा … ये तो है.
मैंने सिगरेट का कश खींचते हुए लंड सहलाया और उससे कहा- जान, मेरा मन तेरे पीछे से करने को है.
कमली ने गांड मराने से मना कर दिया. मगर मेरे अन्दर अब तक सात आठ पैग जा चुके थे. मैं अतिकामुक बन चुका था.
मैंने कमली को पकड़ लिया, वो मचलने लगी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी. मगर मेरे अच्छे डील डौल के कारण कमली सफल न हो सकी. वो हाथ जोड़ कर मुझसे गांड न मारने की विनती करने लगी.
मैंने कमली के चूतड़ों पर एक चमाट लगाई और उससे पूछा- क्या हुआ क्या अभी तक पीछे से नहीं लिया क्या?
कमली बोली- ऐसी बात नहीं है सा … अभी एक बार ही पीछे से लंड लिया था. मगर वो छोटा था, आपका तो हाथी का लंड है, मैं मर जाऊंगी. मेरी गांड फट जाएगी. पीछे से मुझे मजा भी नहीं आया था.
मैं कहा- कुछ नहीं होगा, बस थोड़ा सा झेल ले.
वो बोली- ठीक है. आप आज तो कर लो लेकिन मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं ज्यादा देर तक झेल पाऊं.
मैंने इस तरह कमली को सैट किया और उसकी गांड पर ठीक से थूक कर लंड को सैट कर दिया. मैं धीरे धीरे लंड गांड के अन्दर डालने लगा और साथ में कमली को मसलने लगा.
वो आवाज कर रही थी.
मैंने कहा- जितना भी दर्द हो रहा हो, होंठ भींच कर सहन कर लो.
मैं सेक्स का मारा तड़फ रहा था, वहशी दरिन्दे की तरह उसकी गांड पर टूट पड़ा. कमली भी खाई खेली थी, उसने किसी भी तरह से दर्द को सहन कर लिया.
दस मिनट बाद वो बोलने लगी- ओह मेरे राजा … तुम आज तक कहां थे … मुझे नहीं मालूम था कि पीछे से करवाने में इतना मजा आता है. बस तुम आज मेरी गांड फाड़ ही डालो.
उसे मोटे लंड से अपनी गांड मराने में मजा आने लगा था.
आधा घंटा की गांड चुदाई के बाद मैं उसकी गांड में ही स्खलित हो गया.
काफी देर से चुदाई कर रहा था, ऊपर से दारू का नशा भी था. मैं झड़ने के बाद कमली के ऊपर ही सो गया और एक घंटे तक सोता रहा.
इस बीच कमल आ गया. कमल ने आते ही पूछा- कोई गड़बड़ तो नहीं हुई?
कमली बोली- सेठ, क्या आपको मेरे ऊपर विश्वास नहीं है? आज आप इनको मेरे मेहमान रहने दो.
वो मुझ पर मर मिटी थी.
मगर किसी तरह कमल को बाहर भेज कर और कमली को आश्वासन देकर मैं और कमल दुकान पर आ गए.
तब तक शाम हो चली थी.
दुकान आते ही मैं बोला- कमल मुझे घर जाना है.
कमल ने अपने नौकर को हिदायत दी. हम दोनों घर की ओर लौट चले. घर आकर मैं अपने साले की बेटी अनु के ऊपर चढ़ गया और उसे एक बार हचक कर चोदने के बाद सो गया.
दोस्तो, मेरी ये सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, इस बारे में आप मुझे अपने मेल से जरूर बताना.