विधवा चाची की कामुकता जगा के चोदा

शादी के माहौल से घर खाली हुआ, तो घर पर सिर्फ मैं और मेरी विधवा चाची ही रह गए. पापा अपनी ड्यूटी पर दिल्ली चले गए थे

दीदी को याद करके दो दिन बाद शाम के समय चाची रोने लगीं. मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ?
तो वो बोलीं कि लता (बदला हुआ नाम) की याद आ रही है.

मैं उनको चुप कराने लगा. चुप कराते कराते वो मुझसे गले से लिपट कर रोने लगीं. चाची के जिस्म की गर्मी से मुझे करंट सा लगा. उनकी चूचियां मेरे सीने से दबने लगीं. इससे मेरे अन्दर आग दहकने लगी.

जैसे तैसे मैंने उन्हें चुप कराया.

अब इधर मैं आपको अपनी चाची के बारे में बता दूं. उनकी उम्र 48 साल है, भरा हुआ जिस्म है. चाची एकदम दूध सी गोरी हैं, उनकी चूचियां बड़ी बड़ी हैं. उनकी चूचियों का साइज उनसे गले लगने तक नहीं पता था, पर आगे सब बताऊंगा.

उस शाम को हम लोग खाना खाने के बाद देर रात तक बात करते रहे. दीदी से भी फोन पर बात हुई.

दीदी मुझसे बोलीं- मेरी मम्मी का ख्याल रखना.
मैंने दीदी से कहा- आप फ़िक्र ना कीजिए … मैं हूं न!

चाची की आदत थी और हर औरत की आदत होती है कि रात को सोते समय नाइटी पहन लेती हैं. पर चाची अपनी नाइटी के ऊपर दुपट्टा डाल लेती थीं.

जिस समय मेरे सीने से चाची की चूचियां सटी थीं, मेरा मन मचल उठा था. उसके बाद अब मुझे चाची की चूचियों के दीदार करने का मन करने लगा था. दीदी जब तक थीं, तब तक तो चुत की कमी महसूस नहीं हुई. मगर अब मेरे लंड में नई चूत के लिए कुलबुलाहट मचने लगी थी.

उस रात मैंने सोचा कि क्या चाची का इस उम्र में लंड लेने का मन करता होगा. फिर मैंने सोचा कि चलो एक बार इन पर पासा फेंका जाए. क्योंकि दारू जितनी पुरानी होती है, उतना ही ज्यादा नशा देती है.

बस फिर क्या था… मैं चाची की चूचियों के दीदार पाने के लिए लगा रहता था. पर उनके सीने दुपट्टा रहता था, तो कुछ दीखता ही नहीं था.

पर कहते हैं ना कि नज़रें ज़माए रखना, नक़ाब हो … या नसीब … सरकता जरूर है.

चाची जब भी कहीं बाहर जाती थीं, तो वे अपने मुँह पर दुपट्टा बांध लेती थीं. इस उम्र में भी वो ब्रा पहनती थीं. उनकी ब्रा से कसे हुए मम्मों को देख कर मैं समझ गया कि कहीं ना कहीं इनमें अभी जवानी बची है.

मैं कोशिश करता था कि ज्यादा से ज्यादा समय उनके साथ बिताऊं. इसलिए मैं उनके आस पास रहने के बहाने खोजता रहता था. मैं उनके लिए कभी आइसक्रीम लाता, कभी समोसे, कभी कोई सामान लाता … और हम दोनों साथ में खाते.

चाची सुबह उठकर सबसे पहले सुबह के कार्य करके नहा धोकर ही रसोई में घुसती थीं.

ये देख कर मैंने भी मन में ठान लिया था कि इस काम की शुरुआत सुबह ही की जाए.

अगली सुबह चाची से उठने से पहले आधे घंटे पहले उठकर मैंने दो गिलास पानी पिया और चाची के उठने का इंतजार करने लगा. उनके उठते ही, मैं ऐसा हो गया कि जैसे सो रहा हूं. चाची बाथरूम में चली गईं. उनके जाने के बाद मैंने उनको सोचकर लंड सहला कर खड़ा कर दिया.

फिर बाथरूम के दरवाज़े पर जाकर कहने लगा- चाची जल्दी बाहर आइए, मुझे टायलेट (पेशाब) करने जाना है.

चाची ने अन्दर से आवाज दी- अभी तो घुसी हूं… रुको, मुझे थोड़ा टाइम लगेगा. मैंने भी बाहर मुस्कुराते हुए मन में कहा मैं इसलिए तो आया हूं कि आपके जिस्म का दीदार हो जाए.
फिर मैंने आवाज लगाई कि मैं खुद को रोक नहीं पाऊंगा.

तो उन्होंने टॉवेल लपेट कर मुझे अन्दर बुला लिया और खुद दूसरी तरफ पलट गईं.

मैंने पेशाब किया और उनकी तरफ पलटा, तो उनका मुँह दूसरी तरफ था, उनकी पीठ तो नहीं, पर शोल्डर दिखा जिसपर एक काला तिल था. मेरा दिल किया कि अभी ही चूम लूं.

तभी चाची बोलीं- हो गया?
मैंने कहा- हां.
मैं बाहर चला आया.

फिर अगले दिन भी मैंने यही किया. लंड खड़ा किया और बाथरूम के दरवाज़े पर पहुंच गया. मेरा लंड एकदम टाइट था. चाची ने आज अपनी चूचियों तक पेटीकोट कर रखा था, वो भी गीला था, इससे उनकी चूचियां दिखने की पोजीशन में थीं.

चाची अपनी चूचियों पर हाथ रखकर मुड़कर खड़ी हो गईं और कहने लगीं- तुमको दो दिन से इसी टाइम सूसू लग रही है.
मैंने हंसते हुए लंड हिलाया और कहा- क्या करूं … मेरा ये जाग जाता है.
वो भी मेरी बात सुनकर हंसने लगीं.

जब मैं पीछे मुड़ा, तो मैंने देखा कि चाची के गीले बाल उनकी कमर और पीठ को ढके हुए थे … पर चूतड़ों को नहीं ढक पा रहे थे. उफ्फ … चाची के चूतड़ भले गीले थे, पर किसी दहकती हुई भट्टी से कम नहीं दिख रहे थे. चाची की गांड की दरार किसी दो पहाड़ों के बीच का रास्ता लग रही थी.

मैं देखता रहा, चाची को शायद अहसास हो गया था कि मैं उनको देख रहा हूँ. तो उन्होंने बड़े प्यार से कहा- जाओ अब!

मैं बाथरूम से बाहर आ गया. तीसरी सुबह मैंने आधे घंटे पहले पानी पी लिया और लेट कर चाची को सोचकर लंड हिला रहा था.

तभी चाची ने सुबह मेरे रूम की लाइट जला दी और मेरे खड़े लंड को मेरे हाथ में देख लिया. मैंने तुरंत आंखें बन्द कर लीं और सोने का नाटक करने लगा. लगभग 45 सेकंड बाद उन्होंने लाइट बन्द कर दी. इन 45 सेकंड में चाची ने मेरे खड़े लंड का दीदार बहुत कायदे से कर लिया था.

मेरे लंड की लंबाई औसतन भारतीयों की तरह 6 से साढ़े 6 इंच के बीच में ही है. इतना तो मुझे था कि चाची ने मेरी हरकतों पर ध्यान देना शुरू कर दिया था.

आज मैं लंड खड़ा किए बाथरूम के लिए देर से गया. चाची उस वक़्त कपड़े धो रही थीं. दरवाज़ा खुलते ही उनका ध्यान मेरे खड़े लंड पर … और मेरा ध्यान उनकी चूचियों पर चला गया. कपड़े धोने के कारण झुकी हुई चाची की नाइटी के गहरे गले से मम्मों के दीदार हो गए.

मैं देखने लगा, तो चाची बोलीं- जल्दी करो … और जाओ, मैं नहाकर आती हूं. फिर तुम नहा लेना. इसके बाद चाय पीते हैं.

आज वो भी खुश थीं और मैं भी. दिन में हम लोग टीवी देख रहे थे. अचानक आंधी और बारिश साथ ही आ गई. हम दोनों भाग कर छत पर सुबह के धुले कपड़े उतारने चले गए. मैं कपड़े उतार कर चाची की गोद में रखने लगा. उसी काम में अचानक से मेरा हाथ चाची की एक चूची पर लग गया, पर जल्दीबाज़ी में उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया.

अंत में जब बारिश तेज हो गई, तो मैंने चाची से कहा- आप नीचे चलिए … मैं बाकी के कपड़े लेकर आता हूं.

अब बस उनकी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज रह गए थे. मैं उन्हें उतारने लगा. तभी ब्लाउज के नीचे उनकी काले रंग की ब्रा भी थी. चाची की ब्रा हाथ में आते ही मेरे लंड की प्यास और बढ़ गई. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे हाथ में ब्रा नहीं मानो चाची की चूचियां हैं.

मैंने सबसे पहले ब्रा को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और हवस में वशीभूत मैं सीढ़ियों से उतर रहा था. साथ ही ब्रा का साइज देख रहा था, जिस पर 38 DD लिखा हुआ था. नीचे चाची खड़ी थीं, उन्होंने देख लिया था कि मैं उनकी ब्रा का साइज देख रहा हूं. उन्होंने मेरे खड़े लंड को भी देख लिया था. मैंने उनको कपड़े दे दिए, फिर मैं छत की ओर भागा.

चाची बोलीं- अब क्या हुआ?
मैंने कहा- इसमें सब कपड़े आपके हैं, पर एक आपकी वो रह गई.
वो बोलीं- क्या रह गया?
मैंने कहा- जो लड़के नीचे पहनते हैं.

वो बोलीं- क्या … पागल!
मैंने कहा- अंडरगारमेंट.
चाची हंसने लगीं और ब्रा की तरफ इशारा करके बोलीं- मैं सिर्फ यही पहनती हूं.

इस बात को सुनते ही लगा मैं मंजिल की तरफ बढ़ रहा हूं.

उस दिन सारे दिन खूब बारिश हुई. इस कारण घर की लाइट चली गई थी, तो घर में अंधेरा सा हो गया था. चाची रसोई में पकोड़े बनाने लगीं.

मैं भी हेल्प करने के बहाने रसोई में चला गया और पीछे से धीरे धीरे उनके चूतड़ों की दरार में अपने लंड को फंसाने लगा. इस पर वो भी कुछ नहीं बोल रही थीं. मैं समझ गया था कि चाची में आग लगी है और ये भी भांप गया था कि बारिश तो पहले हो गई, पर अब बिजली भी जरूर गिरेगी.

कुछ देर बाद रात हुई. मौसम बारिश से ठंडा हो गया था.

मेरे घर में दो ही कमरे थे, तो अलग अलग रूम में न सोने के बजाए हम लोग एक ही रूम में सोते थे. चाची फर्श पर और मैं बेड पर.

उसी कमरे में कूलर चल रहा था, जिसकी वजह से फर्श ठंडा हो गया था. ठंडक की वजह से चाची को ठंड लगने लगीं, तो वो मेरे बेड पर आकर मेरे बगल में लेट गईं. मैं समझ गया था कि इनको अब गर्मी की जरूरत है. मैं भी धीरे से उनकी तरफ और सरक गया. मेरा लंड उनकी गांड में टच हो गया.

लंड धीरे धीरे गर्मी पाते ही उनके दरार में अपने आकार में आ गया. मैंने अपनी चादर उनको ओढ़ा दी और वैसे ही सो गया. धीरे धीरे करके मैंने चाची को बहुत गर्म कर दिया था.

जब सुबह का वक़्त हुआ, तो मैं उनके पेट को पकड़कर सोया रह गया. चाची जागीं, तो उन्होंने थोड़ी देर मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा हुआ था … फिर प्यार से मेरा हाथ हटाकर वो चली गईं.

अब ये तो पक्का हो गया था कि चाची को बेहद प्यार की जरूरत थी, पर समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करूं. मैं बस चाची के एक इशारे की ताक में था.

उस सुबह चाची को बाथरूम गए काफी देर हो गई तो मैंने सोचा क्यूं ना बाथरूम जाया जाए. मैंने बाहर से आवाज लगाई- चाची!

तो उन्होंने दरवाजा खोला और पलट कर खड़ी हो गईं, लेकिन कमाल ये था कि आज चाची ने टॉवेल से अपना निचला हिस्सा भर ढका हुआ था और ऊपर दोनों चूचियां को बस हाथ से ढककर खड़ी थीं.

मैंने उन्हें देखा और पूछा- आप अभी तक नहाई नहीं?
वो बोलीं- बस नहाने वाली हूं.

तभी मैंने सामने रखी वीट (बाल हटाने वाली क्रीम) के ट्यूब को देख लिया. मैं समझ गया कि चाची नीचे के बाल साफ़ कर थीं और पूरी नंगी थीं, इसलिए टॉवेल नीचे लपेट लिया था. मैं समझ गया कि आज दिन में नहीं, तो रात में तो पक्का इनकी चूत मिल जाएगी. मैं सूसू करने के बाद लंड हिलाने लगा, चाची दूसरी ओर पलट कर खड़ी हुई थीं.

वो बोलीं- कितनी देर लगाओगे … अब जाओ.

मेरा दिल तो यही कर रहा था कि शॉवर चालू करके लग जाऊं. मैं वासना में अंधा था, कुछ नहीं देख पा रहा था. बस मुझे चाची, उनकी चूची, उनका कामुक बदन, उनकी चूत ही दिख रही थी.

मैंने बाथरूम में ही लंड उनकी गांड में लगाकर बोला- चाची वीट से क्या होता है?
वो लंड का स्पर्श पाकर एकदम से घबरा गई और बोलीं- कुछ नहीं … शैम्पू है.

मैं उनके नंगे जिस्म पर लंड से थोड़ा सा दो बूंद पानी टपक कर चला आया, उनके मुँह से सीत्कार निकल गई.
बस अब मैं समझ गया था कि शुरुआत मुझे करनी पड़ेगी क्योंकि मैं समझ गया था कि चाची विधवा हैं, शायद इसीलिए शर्मा रही हैं.

मैं बाहर निकल गया.

फिर कुछ देर बाद वो बाथरूम से बाहर निकलीं, तो बस नाइटी में थीं. नाइटी के अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी थी. वो चल रही थीं, तो उनकी गीली चूचियां डोल रही थीं. आज तो छाती पर दुपट्टा भी नहीं था. शायद अब मेरा, उनके बदन को निहारना चाची को अच्छा लगने लगा … मेरा स्पर्श अच्छा लगने लगा था, तो वो मुझे कुछ ज्यादा सताने के मूड में दिखने लगी थीं.

मैं बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर लौटा, तो चाची ने रसोई से आवाज लगाई- बाबू!
वो मुझे हमेशा बाबू ही कहती हैं.

मैंने आवाज दी- क्या?
चाची- जरा टांड से ये डब्बा उतार दो.

मैं रसोई में चला गया. डिब्बा उतारने के लिए मैंने कोशिश की, उधर जगह कम थी. पर ना वो हटीं, ना मैंने ही उनको हटाया.

उनके पीछे ही सट कर मैंने डब्बा उतारना शुरू कर दिया. मेरा खड़ा लंड उनके चूतड़ों की दरार में फिर पहुंच गया था. उनको भी मेरे लंड की नोक से अच्छा लग रहा था. डिब्बा उतार कर मैं वहीं खड़ा हो गया. वो रसोई में नाश्ता बनाती रहीं और मुझसे बात करती रहीं.

अचानक उन्होंने मुझसे कहा- बाबू एक बात पूछूं?
मैंने कहा- हां पूछिए.
उन्होंने कहा- बारिश वाले दिन तुम मेरे कपड़ों में क्या देख रहे थे?
मैंने बिना मौका गंवाए कह दिया- आपकी ब्रा का साइज … क्योंकि मैं आपके बूब्स तो देख नहीं सकता न!

इस पर अचानक ही चाची ने शर्म छोड़कर बोल दिया- बाबू एक दिन मैंने तुमको जगाने के लिए लाइट जलाई थी, तो मैंने तुम्हारा वो देखा था.
मैंने उनकी गांड में अपना खड़ा लंड सटा दिया और बोला- वो क्या?
वो भी बोल पड़ीं- पेनिस.

चाची के मुँह से पेनिस सुन कर मैं मस्त हो गया. मुझे मानो चाची की चुदाई की हरी झंडी मिल गई थी.

उनकी बात सुनकर मैं दोनों हाथों से उनको बाजुओं में जकड़ने लगा और उनके मम्मों पर अपने दोनों हाथ रखकर उनको अपनी बांहों में भर लिया. आह चाची को अपनी बांहों में भरते ही क्या मस्त मादक खुशबू आई. मैंने उसी पल उनकी गर्दन पर किस कर दिया.

मेरे किस करते ही चाची ने लंबी सांस लेना शुरू कर दिया. उन्होंने आह आह करते हुए अपनी वासना बिखेरना शुरू कर दिया और इन आहों के साथ चाची सिर्फ हवा ही अपने मुँह से निकाल रही थीं.

फिर न जाने क्या हुआ, उन्होंने पलटकर मुझे इतनी जोर से अपनी बांहों में जकड़ा कि उस दिन किसी औरत की पकड़ का अहसास हुआ.

कम से कम दो से तीन मिनट हम दोनों गले लगे रहे और मेरा लंड उनकी चूत के द्वार पर टिका रहा. जब उनकी जकड़ थोड़ी ढीली हुई, तो मैंने उनके होंठों पर होंठ रख दिए और उनको चूमने के लिए आमंत्रित करने लगा.

चाची को शायद फ्रेंच किस करनी नहीं आ रही थी. मैं अपने होंठ उनके होंठों पर चलाए जा रहा था. लेकिन गर्म होते ही फिर अचानक से चाची भी वैसे ही करने लगीं. हमारी जीभ से जीभ टकराने लगी. वो मेरी बांहों में से गिरी सी जा रही थीं. चाची इतनी ज्यादा मदहोश हो गई थीं कि उनको उस समय सिर्फ बिस्तर चाहिए था. हम दोनों किस करते रहे, होश नहीं था दोनों को. मेरा लंड फटने लगा था.

एक बात थी चाची गंदी तरह से नहीं बोलीं … फिर भी तुरंत अपनी नाइटी उठाकर घुटने तक ले आईं और किचन की स्लैब पर बैठकर कहने लगीं- डालो.
मैंने कहा- क्या?
वो बोलीं- अपना पेनिस डालो मेरी पुसी(चूत) में.

मैंने भी सोचा कि तुरंत हथौड़ा मार दूं, लोहा गर्म है. मगर हाय री गांडू किस्मत … उसी वक्त पड़ोस से एक आंटी आवाज देने लगीं और चाची चली गईं.

आज चाची की चूचियां टाईट हो गई थीं. मैंने सोचा कि जैसे ही चाची वापस आएंगी, तो अब उनकी चूचियां पियूंगा.

मैं किचन में ही रह गया, चाची जब लौटकर आयीं, तो शर्मा चुकी थीं.

चाची ने वापस आकर चुपचाप नाश्ता बनाना शुरू कर दिया. मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया. वो बस मुस्कुरा रही थीं. मैंने अपने दोनों हाथों को धीरे से उनके चूचों पर रख दिया. इस बार मेरे मुँह से आह निकल पड़ी. चाची की चूचियां एकदम टाईट हो रखी थीं.

मैंने दोनों हाथों की दो उंगलियों को कैंची जैसी बनाया और उनके निपल्लों को उंगलियों के सहारे दबाते हुए मींजने लगा. साथ ही बेतहाशा उनकी गर्दन को चूमने लगा. फिर कुछ पल बाद एक हाथ उनकी चूत पर ले गया. चाची की चूत एकदम साफ थी.

मैंने चाची से कहा- कब?
वो शरमाते हुए बोलीं- सुबह वीट उसी लिए था.

जब हमने नाश्ता कर लिया, तो चाची अपने रूम में चली गईं.

मैंने जाकर देखा तो वो पेटीकोट पहन चुकी थीं और काली ब्रा से दोनों चूची ढक चुकी थीं … बस हुक लगा ही रही थीं. मैंने चाची को पकड़ लिया और हुक नहीं लगाने दे रहा था. मैं उनको तंग करने लगा.

चाची कहने लगीं- बाबू मुझे जाना है.
मैंने पूछा- कहां?
तो बोली कि आंटी उसी लिए आई थीं. उनके साथ मार्केट जाना है.

मैं कभी चाची की ब्रा खोल दे रहा था, तो कभी पेटीकोट. सच में क्या माल लग रही थीं … एकदम मस्त. मैंने कैसे भी धक्का देकर बिस्तर पर बिठा दिया.

उन्होंने हंसते हुए मुझे अपने रूम से निकाला और दरवाज़ा बंद करके रेडी होने लगीं. फिर वो तैयार होकर बाहर आईं.

अब मुझे खुली छूट मिल गई थी कि मैं कुछ भी कर सकता था. इसलिए चाची के रूम से आते ही मैंने उन्हें पकड़ लिया. वो भी मुझसे लिपट गईं.

इस बार मेरा हाथ सीधे उनकी चूचियों पर गया. मेरे हाथ से अपने मम्मों को छुलाते ही चाची एकदम मदहोश हो गईं. तभी मैंने उनका एक हाथ अपने लंड पर रखवा दिया. लंड पकड़ते ही वो लम्बी लम्बी सांस लेने लगीं.

मैंने उनसे कहा- मुझे दूध पीना है.

मैंने उनकी एक चूची मसलने लगा, दीवार से सटा कर उनके होंठ, गर्दन, छाती पर चूमने लगा.

तभी पड़ोसन आंटी ने बेल बजा दी. चाची मुझसे लिपटी रही और कहने लगीं- जाना नहीं होता, तो मैं तुमको अभी खा जाती.

मैं मुस्कुरा दिया.

चाची मेरे गालों को चूम कर चलीं गईं.

मैंने लंड को सही किया, शांत किया और नहाने चला गया. मैं आज बहुत खुश था कि बहुत दिन के बाद चूत चोदने मिलेगी. अभी तक मुझे चाची की नंगी चूत और चूचियों का दीदार नहीं हुआ था. मैं बेताब था, रात का बेसब्री से इंतजार था और चाची की चुदाई का भी.

इस बीच मैंने भी उनको संतुष्टि देने के सारे इंतजामात कर लिए, मर्दाना ताकत की तीन गोली ले आया. नेट पर चोदने के सारे तरीके देख लिए.

जब चाची वापिस आईं, तो डिनर पैक करा कर ले आई थीं. घर के अन्दर आते ही हम दोनों फिर लिपट गए. होंठों को चूमने लगे और यूं ही चूमते हुए बेड पर आ गए. हम दोनों एक दूसरे को बांहों में लिए बिस्तर पर गिर गए. हमें दुनिया का कोई ख्याल नहीं था.

पहले मैंने चाची के होंठ चूस कर अपनी होंठ चूसने वाली तमन्ना लगभग पूरी कर ली थी.

चाची ने कहा कि मैं पहले कपड़े बदल लेती हूं.
मैंने कहा- मैं बदलवा देता हूं.

मैंने साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और वो गोल गोल घूमती रही. अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं. मैं उनके ब्लाउज के हुक भी खोलने लगा. हुक दर हुक खोलता चला गया. अब वो ऊपर सिर्फ ब्रा में थीं और नीचे पेटीकोट में.

उन्होंने अपने मम्मे हिला कर मुझसे पूछा- कैसे लगे मेरे बूब्स?
मैंने कहा- अभी तक देखने कहां दिया आपने.
उन्होंने अपनी पीठ मेरी तरफ कर दी और बोलीं- हुक खोलो.

सबसे पहले मैंने उनकी पीठ को चूमा, फिर हुक खोल कर पीछे से ही चूची पकड़ कर मसलने लगा. जब चाची मेरी तरफ घूमीं, तो मैं उन्हें देखते ही रह गया. गोल गोल बड़ी बड़ी चूचियां और भूरे रंग के निप्पल.

मैंने फिर से उन्हें पकड़ लिया और एक निप्पल को अपनी उंगलियों से मसलते हुए बोला- अब रहा नहीं जा रहा चाची.

वो बोलीं- मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. नीचे बहुत आग लगी है.
मैंने कहा- आपको आग लगी है … और मुझे प्यास.
उन्होंने कहा- फिर आज तुम्हारी प्यास और मेरी आग दोनों बुझ जाएगी.

मैं मुस्कुरा दिया.

सेक्सी चाची ने कहा- अपना पेनिस दिखाओ.
मैंने कहा- आप खुद ही देख लीजिए.

जैसे ही उन्होंने मेरा लंड निकाला, देखकर मुस्कुरा दीं. कहने लगीं- आज मैं इसे खा जाऊंगी. जरा सब्र करो.
फिर चाची गांड मटका कर नहाने चली गईं.

मैं लंड सहला कर उसे समझाने लगा.

फिर रात को हम दोनों ने 9 बजे तक खाना खाया. मुझे पता था खाना खाने के दो घंटे बाद ही सब हो सकेगा.

फिर हम लोग टीवी देखने लगे. चाची मेरी बांहों में मेरे सीने पर सिर रखकर टीवी देखने लगीं. मैं नाइटी के ऊपर से ही उनकी चूचियों को सहला रहा था और वो मेरे लंड से खेल रही थीं.

मैंने पूछा- कैसा लगा लंड!
वो बोलीं- बहुत अच्छा है, मैंने उस दिन सुबह ही देखा था, तो तन बदन और मन में तुम्हारा लंड लेने की चाहत आ गई थी.
मैंने पूछा- कितने दिन हो गए?
उन्होंने कहा- आठ साल हो गए, आज बहुत दर्द होने वाला है.

इस पर हम दोनों मुस्कुरा दिए.

मैंने उनका माथा चूम लिया.

फिर वो थोड़ा ऊपर हो गईं, तो मैंने अपना सिर उनकी छाती पर रख लिया और उनकी नाइटी को खोलकर चूची निकाल कर चूसने लगा. उनकी टांगों पर उनकी नाइटी फेंक दी और नीचे से जांघ पर हाथ लाकर उनकी चूत में उंगली डालने लगा. वो मेरा सिर और जोर से चूचियों में दबाने लगीं और अपनी जांघों को चिपकाने लगीं.

चाची बोलने लगीं- उम्म्म.. चूची दबाओ … और जोर से … और चूसो.
मैंने वैसे ही किया.

चाची कहने लगीं- अब डाल दो पेनिस पुसी में … तड़पाओ मत.
मैंने कहा- चाची अभी असली मजा बाकी है.
उन्होंने कहा- वो क्या है?
मैंने कहा- एक घंटे में सब आपके सामने होगा.
मैंने कहा कि पहले मैं सूसू करके आता हूं.

मैं बाथरूम में जाकर टंकी के पानी से ही एक गोली गटक गया.

कुछ देर बाद गोली का असर शुरू हो गया और मैं मदहोश होने लगा था. मैं बेड पर चाची के ऊपर आ गया और इस बार मैं पूरे रोमांटिक मूड में था. पहले मैंने उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, फिर गालों को, होंठ को … और एक हाथ चूची पर रख कर मसलने लगा.

चाची समझ गईं कि अब मैं पूरे मूड में आ गया था. मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा. छाती को, शोल्डर को मथने लगा. चाची को भी जिस्म से जिस्म टकराए कई साल हो गए थे, वो भी मदहोश थीं.

मैंने उनकी नाइटी उतार दी. उनकी चूचियां इस उम्र में भी एकदम टाईट थीं. मैंने पहली बार देखा चाची को पूरी नंगी देखा था. वो एकदम निक्की फेरारी जैसी लग रही थीं. वैसा ही बदन और वही साइज़ की चूचियां. मैं चाची पर टूट पड़ा. उन्हें चूमते हुए मैं उनकी चूची से नीचे बढ़ने लगा. मैंने पेट को चूमा, उनकी नाभि को चूमा, फिर उनकी जांघों को.

चाची एकदम मचली जा रही थीं, बार बार मेरा लंड पकड़ रही थीं, अपनी चूत मेरे लंड से सटा दे रही थीं.

वो बार बार यही कह रही थीं- बाबू डालो अब … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
मैंने कहा- ऐसे कैसे!

मैं उठ कर किचन में गया और शहद का डब्बा ले आया.

सेक्सी चाची ने कहा- इससे क्या करोगे?
मैंने कहा- बस आप अब सीधी लेटी रहिए.

मैं अपनी उंगली से एक एक बूंद उनके होंठ, उनकी गर्दन, शोल्डर पर टपकाता चला गया. फिर दोनों निप्पल पर शहद पोत दिया. एक बूंद शहद उनकी नाभि पर, एक बूंद उनके पेट पर और थोड़ा सा शहद उनकी चूत पर लगा दिया.

फिर बारी बारी से चूमना शुरू किया. मैंने होंठों से शुरुआत करके हर जगह लगा शहद चूसने लगा. उस वक़्त मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में हूं.

चाची के मुँह से बस लंबी सांसें निकल रही थीं … और वो ‘ऊ मां … ऊ मां …’ कर रही थीं.

चाची अपने मुँह से लंबी लंबी सांसें लेने लगी थीं. मुझे चाची की चूचियो पर लगा शहद तो अमृत समान लग रहा था, वैसा स्वाद ज़िन्दगी में मुझे कभी नहीं मिला था. जैसे ही मैंने चुत पर जीभ लगाई, चाची एकदम से छटपटाने लगीं, मेरे बाल खींचने लगीं.

वे उत्तेजना में अपनी कमर उठाने लगीं और धीमी आवाज में कहने लगीं- बाबू मैं मर जाऊंगी … रुक जाओ.

पर मुझे कुछ और ही नशा था. मैं चुत में उंगली डाल कर हिलाने भी लगा, कभी उनकी चुत के दाने को चूसने लगता. वो इतनी पागल सी हो गई थीं कि उनको समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. वो मेरा सिर अपनी चुत में दबा रही थीं कभी हटा रही थीं. पूरा कमरा उनकी सीत्कार, उनकी लंबी लंबी सांसों से भर गया था. उनसे नहीं रहा गया तो उन्होंने मुझे पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गईं.

चाची कामातुर स्त्री की भांति बोलने लगीं- डालोगे या नहीं?
मैंने कहा- आप लंड पर बैठिए.
वो कोशिश करने लगीं. पर चुत में लंड ना जाने के कारण नहीं घुस रहा था.

मैंने कहा- अच्छा आप लेटिए, मैं डालता हूं.

पहले मैंने उनकी चुत पर लंड रगड़ा तो वो बोलने लगीं- अब नौटंकी ना करो … जल्दी अन्दर डालो.
मैं मुस्कुराते हुए धीरे धीरे लंड चुत में डालने लगा. उनकी आंखें बंद हो गईं और मैंने धीरे धीरे धक्के मारना शुरू कर दिया.

चाची अपनी टांगें चौड़ाकर, आंखें बंद करके अपनी दुनिया में लीन थीं … और में भी.
फिर कुछ देर मैंने उनसे कहा- घोड़ी बन जाइए.

वो झट से कुतिया बन गईं. मैंने फिर पीछे से उनकी चूचियां पकड़ कर धक्का देना शुरू किया. कभी मैं बाल खींच कर झटका मार देता, कभी उनके कंधे पकड़ कर जोर जोर से धक्के मारने लगता. हम दोनों ही पसीने से तरबतर हो गए थे.

काफी देर बाद मैं उनकी चुत में ही झड़ गया. हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लंबी लंबी सांसें ले रहे थे.

सेक्सी चाची कहने लगीं- बहुत रोमांटिक हो और बहुत जंगली भी.
मैं हंस दिया.

एक बार फिर से हम दोनों तैयार हुए. मजे से सेक्स किया और शरीर ठंडा होने के बाद दोनों रात के दो बजे नहाने चले गए. बाथरूम में एक दूसरे को बांहों में भरकर शॉवर के नीचे खड़े थे.

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, तो मैंने कहा- अब एक बार लंड चूस लीजिए.
वो बोली- हट गंदा है.
मैंने कहा- पानी से साफ हो गया है.

सेक्सी चाची ने लंड मुँह में ले लिया.
कुछ मिनट लंड चूसने के बाद मैंने कहा- अब रहने दीजिए.

नहाने के बाद चाची और मैंने कपड़े पहने और कमरे में आकर चिपक कर सो गए.

इसके बाद हफ्ते में दो बार चुदाई हो ही जाती थी.

दोस्तो, सेक्सी चाची की चुत स्टोरी के बाद जल्द ही नई सेक्स कहानी के साथ फिर से मिलूंगा.