यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
हेलो दोस्तों, मैं आपके लिए इस कहानी की अगली कड़ी लिख रहा हूँ.
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि चाची की चुदाई के बाद उनकी दोनों बहनें घर आती हैं. मैं उनके साथ बात करने लगता हूँ. चाची से मेरी उन दोनों के साथ सैटिंग करवाने के लिए कहता हूं.
अब आगे पढ़िए.
चाची चाय बनाकर ले आईं. सब लोग मिलकर पीने लगे और इधर उधर की बातें करने लगे.
परवीन- जीशान, सुना है आपके पापा ने वो रोड साइड वाली ज़मीन में फर्म हाउस बनवा लिया है.
मैं- हां आंटी … वो तो कब का बना हुआ है. दो साल पहले बना लिया था. अब वहां आम का बगीचा और दूसरे फलों का बगीचा है. आम के पेड़ तो बड़े हो गए हैं. इस साल वहां अंगूर का बगीचा डालने का प्लान कर रहे हैं. इसलिए छोटा पूल जैसा बनाया है. उसको हमेशा पानी चाहिए होता है.
हिना- अरे वाह … ये तो हमारे लिए पिकनिक स्पॉट हो जाएगा. दो साल से इतना कुछ किया, हमें क्यों नहीं बताया. हम भी वहां घूम कर आते.
चाची- मैंने बताया था … आपने ध्यान नहीं दिया होगा.
परवीन- तो फिर अभी तक हमें क्यों नहीं लेकर गयी?
चाची- अरे मैं खुद नहीं गयी हूँ दीदी.
मैं- क्यों चाची? आपने भी नहीं देखा है?
चाची- तुम ये बात अपने चाचा से बोलो. वो कहीं नहीं लेके जाते.
इतने में दरवाजे की घंटी बजी. इस बार चाचा आए थे. वे सबको घर में देख कर चौंक गए.
चाचा- अरे जीशान! कब आया तू बैंगलोर से … कैसे हुए एग्जाम?
परवीन- उसको पूछने की ज़रूरत भी क्या है? वो तो हमेशा टॉप करता है.
चाचा- हां परवीन जी … सही कहा. वैसे आप दोनों कब आईं?
हिना- दीदी की आज हाफ-डे क्लास थी … और मैं स्कूल के पास ही कुछ सामान खरीदने वाली थी. तो दीदी बोलीं कि चल रेशमा के घर चलते हैं … बहुत गर्मी भी थी … सो बस हम दोनों आ गए.
चाचा- हां गर्मी तो बेजा है. अब तो 40 डिग्री हो गयी है.
मैं- इतनी धूप जो है, तो आप सब लोग क्यों न हमारे फार्म हाउस आ जाते. वहां पेड़ों की ठंडी हवा में अच्छा लगेगा.
चाची- लो … अब तुम्हारे चाचा भी यहीं पे हैं. तुम ही बोलो चाचा को?
चाचा- अरे यहां पे इतना काम है. … कैसे लेकर जाऊं हिना.
मैं- मैं कल जा रहा हूँ. मुझे भी बहुत दिन हो गए हैं, मैं वहां गया ही नहीं.
चाची- मैं भी चलूंगी.
मैं- परवीन आंटी और हिना आंटी तुम दोनों भी आ जाओ न.
परवीन- नहीं बेटा … तुम लोग जाओ. हम सब मिलकर फिर कभी जाएंगे. मेरी वैल्यूएशन में ड्यूटी लगी है.
हिना- अगले महीने और ज़्यादा होने वाली है धूप … उस समय वहां जाकर कुछ मजा नहीं आने वाला!
चाचा- हिना तू अभी जाएगी?
चाची- हां, मैं जीशान के साथ जाउंगी.
चाचा- वहाँ पे खाने के लिए कुछ लेकर जाओ. वहां रात को कोई नहीं रहेगा.
मैं- चिकन लेकर जाएंगे और वहां पापा ने ग्रिल बनाई है … हम ग्रिल चिकन बना कर खाएंगे.
चाची- ओके.
चाचा- अब तो शाम हो गयी है. तुम लोग कल सुबह चले जाना. हिना, जीशान को अच्छे से खाना बना कर देना रात को. बहुत दिन बाद घर आया है.
परवीन- हमें भी जाना है. हम निकलती हैं.
हिना- जीशान, रेशम, देवर जी खुदा हाफिज.
वो दोनों बहनें निकल गईं. चाची ने चाचा से कुछ सामान लाने के लिए कहा … तो चाचा भी निकल गए.
मैं मन में सोच रहा था. इन दोनों आंटियां को कैसे चोदूं. उन दोनों के जाते वक्त उनकी मटकती गांड मुझे बेचैन कर रही थी.
तभी चाची आईं- कहां खो गए हो बेटे?
मैं- आपकी दोनों दीदियों की गांड की दरार में खो गया हूं चाची.
चाची- ये सब इतना जल्दी नहीं हो पाएगा. टाइम लगेगा … तब तक तेरे लिए मेरी चुत जो है.
यह कहकर वे मुझे किस करने लगीं. मैं भी होंठ चूसने लगा और मम्मों को दबाने लगा.
अब मुझे कल का प्लान बनाना था.
मैं- चाची आप बैग में कुछ अच्छे से सेक्सी ड्रेस रख लो. मेरी पसंद वाली रेड ब्रा जरूर ले लेना और रेड पैंटी भी. तेल की बोतल भी ले लो … कुछ हनी और चॉकलेट भी रख लो.
चाची- ये सब क्यों?
मैं- आप कभी हनीमून पर गई हो?
चाची- नहीं?
मैं- कल हमारा हनीमून होगा. रात को चाचा के साथ सेक्स मत करना. कल हम पूरा एन्जॉय करेंगे.
चाची- पता नहीं कल मेरा बेटा क्या क्या मज़े देने वाला है.
मैं- अच्छे से सो जाना, कल तो सोने का टाइम ही नहीं मिलेगा.
चाची मुस्कुराकर चली गईं … और मैं भी जल्दी ही सो गया … मैं बहुत थक गया था.
चाची के जाने के बाद मैं रात को 8 बजे तक सोता ही रहा.
चाची ने आकर मुझे खाना खाने के लिए उठाया. चाचा भी मेरा इन्तजार कर रहे थे.
मैं जल्दी से उठ कर हाथ मुँह धोकर खाना खाने आ गया. खाना सच में बहुत स्वादिष्ट बना था. मैंने पेट भर के खा लिया और फिर जाकर सो गया. मुझे इतनी मस्त नींद आई कि होश ही नहीं रहा. कब सुबह हुई, कुछ पता ही नहीं चला.
चाची ने मुझे 9 बजे सुबह उठाया था. मैंने देखा कि चाची नहा धोकर तैयार खड़ी थीं- जीशान उठो यार … देखो 9 बज गए हैं. बहुत सारी मस्ती करना है ना … जल्दी उठो.
मैं उठ गया और कुछ ही देर में मैं नहा लिया. फिर हम दोनों ने ब्रेड बटर का ब्रेकफास्ट किया और वहां से निकल गए.
चाची अपना एक छोटा सा बैग रेडी कर चुकी थीं. लंच के लिए उन्होंने एक बड़ा टिफिन भी रेडी कर लिया था.
मैं- इतना सब लेकर हम बाइक में कैसे जाएंगे. इतने सामान की जरूरत क्या है?
चाची मेरा कान पकड़ कर बोलीं- इतनी बड़ी लिस्ट किसने बताया था बेटू.
मैं- अच्छा चलो … अभी देर हो गई है.
हम दोनों बाइक से निकल गए. मेरा फार्म हाउस नज़दीक ही था … कोई 10 किलोमीटर दूर … हम दोनों आधा घंटे में वहां पहुंच गए.
वहां पर एक कामवाली थी. उसका नाम मुझे मालूम नहीं था. मैंने उससे चाबी ले ली और बोला कि तुम जा सकती हो, कल आ जाना.
वो चली गयी.
अब तो 20 एकड़ के बगीचे और फार्म हाउस में हम दोनों के अलावा कोई और नहीं था. जब हम दोनों फार्म हाउस के अन्दर गए, तो चाची बुर्क़ा निकालने लगीं.
तब मैंने देखा कि आज चाची कितनी मस्त सजी धजी हुई हैं. वाइट और ग्रीन साड़ी पहने हुई थीं. चाची को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने पीछे से जाकर उनको ज़ोर से पकड़ लिया और उनके पेट को चूमने लगा. साथ ही उनके मम्मों को भी दबाने लगा.
चाची- इतना जल्दी शुरू हो गया … रुको थोड़ा.
मैं- अब रुकने का कोई काम ही नहीं है. जल्दी साड़ी निकालो … पूल में चलते हैं.
चाची- तुम्हें साड़ी पसंद आई, तो तुम ही निकाल दो.
मैं उन्हें ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा. उनका पल्लू नीचे गिर जाने दिया. ग्रीन कलर ब्लाउज में उनके 36 इंच के चूचे मस्त दिख रहे थे. मैं नीचे बैठ गया और उनके पेट को चूमने लगा और उनके मम्मों को सहलाने लगा. नाभि के ऊपर जीभ से मसलने लगा.
चाची की कामुक सिसकारियां शुरू हो गईं. इस बार चाची बिना किसी डर के बहुत जोर से मचल रही थीं- आआह … मेरी जान मजा आ गया.
मैं बिना समय गंवाते हुए चाची का ब्लाउज निकालने लगा. चाची भी साथ देने लगीं. मुझसे ज्यादा जल्दी चाची को दिखने लगी थी. उनका ब्लाउज निकलते ही मुझे मेरी मन पसंद लाल रंग की ब्रा दिख गई. उनकी रेशमी लाल रंग की छोटी से ब्रा देखकर मैं एकदम से उत्तेजित हो गया. मुझे रुका ही नहीं गया. मैं ब्रा के ऊपर से चाची के मम्मों को सहलाने लगा और ब्रा के ऊपर से ही मम्मों को काटने लगा. चाची ज़ोर से चीखने लगीं.
“आआह … काट मत साले!”
मैंने उनकी सुनी ही नहीं.
चाची- इतना भी जल्दी क्या है यार … धीरे धीरे करो न.
मैं- ओके चाची आप दरी ले लो और जो जो सामान मैंने बोला था, वो सब ले लो … हम लोग पूल के पास चलते हैं.
चाची सब सामान लेने जा रही थीं. तभी मैंने चाची की साड़ी को पकड़ कर खींच दिया. चाची हंसते हुए घूमने लगीं, जिससे उन्होंने खुद ही अपने जिस्म से साड़ी को खुल जाने दिया. अब चाची सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में थीं. चाची ने सब सामान इकट्ठा करके नीचे रख दिया. मैं दरी बिछा कर नीचे बैठ गया और उनका पेटीकोट ऊपर करने लगा. चाची ने भी पैर फैला दिए. मैं उनके गोरे गोरे पैरों को चाटने लगा और गांड को सहलाने लगा.
चाची की आह निकलने लगी. तभी मैंने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया. अब चाची सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं.
चाची- मेरे कपड़े निकाल दिए, लेकिन तू अभी भी पूरे कपड़ों में है.
मैं- तो रोका किसने है जान … आप ही निकाल दो न.
चाची मेरे बटनों को खोलने लगीं. चाची ने मेरी शर्ट पैंट निकाल दी. फिर वो मेरी बनियान भी निकालने लगीं. मैं अब सिर्फ अंडरवियर में रह गया था. चाची मुझे चूमने लगीं और मैं उनकी गांड सहलाने लगा. वे मेरे लंड पर अंडरवियर के ऊपर से ही हाथ रखने लगीं.
मैं- अभी नहीं. … उधर चलो पूल के पास, इधर बहुत गर्मी है.
मैंने बाथरूम में जाकर रेजर, साबुन, फोम, तौलिया आदि ले लिया और चाची के सामान में रख दिया. मैं और चाची सब सामान लेकर पूल की तरफ जाने लगे. पहले आम का बगीचा था, फिर पूल और उसके पीछे अंगूर का बगीचा था. एक बड़े से आम के पेड़ के नीचे दरी को बिछा दिया और सब सामान वहां रख कर हम दोनों पूल की तरफ बढ़ गए.
पूल 7 फुट गहरा था … उसमें पानी आधा भरा था. मैंने जाकर पंप ऑन कर दिया और चाची को पूल में ले जाने लगा. कुछ ही पलों में हम दोनों पूल के बीच में खड़े थे. मैं उन्हें चूमने लगा और पूरा बदन सहलाने लगा.
चाची एक चुदासी औरत की तरह ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां ले रही थीं. पूल आधा भरा होने के कारण मजा आने लगा. मैं धीरे उनकी ब्रा का हुक निकाल दिया … और ब्रा को ऊपर फेंक दिया.
जहां पम्प से पानी पूल में आ रहा था. मैं चाची को पानी गिरने की जगह लेकर आ गया. अब उनके मोटे मोटे मम्मों के ऊपर पानी गिरते हुए बड़ा मस्त लग रहा था. वो नजारा बहुत मस्त था. मैं भी चाची के साथ पम्प की नीचे खड़ा हो गया और हम दोनों एक दूसरे के बांहों में आ गए. इस मदमस्त वक़्त का भरपूर मज़े लेने लगे.
मैंने और चाची साथ में पानी में नहाने का प्लान बनाया था. हम एक दूसरे को साबुन लगा रहे थे. एक दूसरे को मसलते हुए मसाज जैसा कर रहे थे. उस वक्त का हर एक पल बहुत मस्त था. हम दोनों का पानी से नहाना खत्म होने वाला था. मैंने चाची की पैंटी को निकाल दिया और उनकी चुत को सहलाने लगा.
चाची ‘आआह..’ करने लगीं. मैंने चाची की चुत के ऊपर फोम लगाया.
चाची- ये क्या कर रहा है?
मैं- आपकी चूत को चिकनी कर रहा हूँ.
चाची- कैसे?
मैंने रेजर दिखाया.
चाची- मैं अभी तक रेजर यूज़ नहीं किया है. सिर्फ ट्रिम करती हूं.
मैं- मुझे आज करने दो … मैं चूत साफ कर दूंगा.
चाची- ठीक है … लेकिन ध्यान से.
मैंने चाची को पूल की सीढ़ियों पर लिटा दिया और उनकी दोनों टांगों को खोल कर चूत को अच्छे से फोम से गीला कर दिया. फिर रेजर से चाची की चूत पर उगी हुई काली झांटों के बाल धीरे धीरे निकालने लगा. उस समय मैं जानबूझ कर अपनी उंगलियां चाची की चुत में डाल रहा था. चाची इस सबके मज़े ले रही थीं.
चाची के बाल नीचे उनकी गांड तक उगे हुए थे. मैंने सब बाल रेजर से शेव कर दिए. अब चुत एकदम साफ थी और चिकनी भी हो गयी थी.
मैं- अब देखो कितनी मस्त दिख रही है.
चाची- हां रे जीशान … बहुत मस्त दिख रही है … ठंडी हवा भी लग रही है … मेरे बेटू को सब पता है.
हम दोनों नंगे ही अपने कपड़े हाथ में पकड़ कर अपनी जगह आम के पेड़ के नीचे चलने लगे. चाची पेड़ के नीचे दरी को ठीक करने लगीं. इसके बाद वे सब सामान बाहर निकाल कर रखने लगीं.
हनी, चॉकलेट, तेल सब निकाल कर चाची लेट गईं और मैं भी उनके ऊपर आ गया. हम दोनों चुदास से एकदम गर्म थे.
चाची- ये सब सामान किस लिए लाया है?
मैं- सस्पेंस है.
मैंने हनी की बोतल ली और हनी उनके उपर डालने लगा. मैंने चाची के मम्मों के ऊपर, पेट के ऊपर और खास करके चुत के ऊपर और चुत के अन्दर भी खूब सारा शहद टपका दिया.
चाची- ये क्या कर रहा है … खाने की चीज़ को ऐसे बर्बाद मत कर.
मैं- कौन वेस्ट कर रहा है … इसको मैं चाट लूँगा.
यह कहते हुए मैंने चाटना शुरू कर दिया. मैं अपनी मस्त चाची का पूरा बदन कुत्ते की तरह चाटने लगा. चाची के मम्मों के ऊपर चाटने के बहाने में उनके मम्मों को काट रहा था.
जब भी मैं दांत गड़ाता, चाची ज़ोर से चीखने लगतीं- आआह … काट मत हरामी.
सुनसान जगह होने के कारण चाची की आवाज़ गूंज रही थी. मैं पेट के ऊपर भी जोर जोर से चाटने लगा. मैंने एक भी बूंद हनी को वेस्ट नहीं किया. अब मैं चुत पर आ गया.
चाची- कैसे नए नए तरीके ढूंढ कर लाया है मादरचोद … और कितने मज़े देगा. इतने मज़े देने के बाद तू बैंगलोर चला जाएगा, तब मैं क्या करूँगी.
मैं- मैं हर हफ्ते आ जाऊँगा तुम्हें चोदने … अब अभी के मज़े तो ले लो मेरी चाची जान.
मैं चाची की चुत को दीवानों की तरह चाट रहा था. उनकी चुत पर पानी आ जाने के कारण चूत नमकीन थी, उसके ऊपर मीठा शहद का मजा था. मुझे नमकीन और मिठाई का मज़ा एक साथ आ रहा था.
चाची- आह … ऊऊह … भोसड़ी के … चाट ले … मादरचोद.
चाची ज़ोर ज़ोर से चीखने लगीं. उनकी आवाज से मैं और उत्तेजित हो रहा था. मैं और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा.
चाची- क्या कमाल कर दिया रे तूने … आह बहुत मज़ा आने लगा है. … वो तेरा बूढ़ा खूसट चाचा … आह उसके मरियल लंड से मज़ा नहीं आने वाला था … आह तेरा ये बड़ा लंड मेरे सहारे के लिए आ गया. लव यू सो मच जीशान बेटा … बन गई रे मैं तेरी रंडी … आआह …
मैं उन्हें चूमते हुए बोला- अभी और मज़ा आने वाला है. थोड़ा प्यार बचा कर रखना मेरी चाची जान … उम्माह …
अगले भाग में उस दिन रात तक कैसे चुदाई चली … सब लिखूंगा … और उसके बाद चाची के दोनों बहनों को मैंने कैसे पटाया, ये भी जानिए.
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चुदाई की कहानी जारी रहेगी.