यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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इससे पहले के भाग में अपने पढ़ा कि नीलम ने अपने पति को नजदीक ही नहीं आने दिया. उसका बेशरम पति अपनी बहन के पास जाकर रोने लगा. भाई को दुखी देख कर उसकी बहन ने अपने भाई के गम को खत्म करने के लिए अपनी अदाओं का जलवा बिखेरना शुरू किया और दोनों भाई-बहन अपनी चुदाई में मस्त होकर मजा लेने लगे.
अब आगे:
इधर महेश अपने लंड को लिये अकेलेपन में तड़प रहा था और वो अपने कमरे से निकलकर अपनी नीलम के कमरे में जाने लगा। उसने दरवाज़े के पास जाकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया वह अपने आप खुल गया। महेश अंदर दाखिल हो गया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया, नीलम बेड पर लेटी हुयी थी और उसकी आँखें बंद थी. वह नाइटी पहने हुई थी।
महेश आगे बढ़़कर बेड पर जाकर बैठ गया और अपने हाथों से अपनी बहू की खुली हुई ज़ुल्फ़ों से खेलने लगा। महेश को अपनी बहू की लम्बी काली ज़ुल्फ़ें बहुत खूबसूरत लग रही थी।
“बेटी नींद आ गयी क्या तुम्हें?” महेश ने अपनी उसकी ज़ुल्फ़ों से खेलते हुए ही कहा।
नीलम जाग रही थी, बस उसकी आँखें बंद थी मगर वह अपने ससुर को तड़पाने के लिए कुछ भी नहीं बोली।
“बेटी उठो ना!” महेश ने एक बार अपनी बहू को पुकारते हुए कहा मगर नीलम ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया।
महेश समझ गया कि उसकी बहू उसे तंग करने के लिए ऐसा कर रही है इसीलिए उसने अपने हाथ को उसकी ज़ुल्फ़ों से हटाकर उसके गालों से ले जाते हुए उसके गुलाबी होंठों पर रख लिया और अपनी एक उंगली को अपनी बहू के होंठों पर फिराने लगा।
नीलम अपने ससुर का हाथ अपने होंठों पर लगते ही थोड़ा सा कांप उठी मगर उसने फिर से अपने आप को सँभाल लिया और चुपचाप होकर लेटी रही. अपने ससुर की उंगली अपने होंठों पर लगते ही नीलम की साँसें तेज़ हो गई थी और उसका जिस्म गर्म होने लगा था।
महेश ने कुछ देर तक अपनी उंगली को नीलम के होंठों पर फिराने के बाद अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए उसकी नाइटी को आगे से खोल दिया और अपनी बहू की ब्रा को भी उसकी चूचियों से नीचे सरका दिया।
बहू की चूचियां अब बिल्कुल नंगी होकर उसके ससुर के सामने आ गयी थी और वह बहुत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि उत्तेजना के मारे नीलम की साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी, महेश ने एक नज़र अपनी बहू की नंगी चूचियों पर डाली और अगले ही पल उसके दोनों हाथ नीलम की चूचियों को मसलने लगे।
महेश अपनी बहू की चूचियों को ज़ोर से दबा रहा था जिस वजह से नीलम का अब चुप रहना मुश्किल हो गया था।
अचानक महेश ने अपनी पुत्रवधू की चूची के एक दाने को अपनी उँगलियों के बीच डालकर ज़ोर से मसल दिया।
“उईईईई आअहह्ह …” नीलम के मुँह से एक ज़ोर की चीख़ निकल गयी और उसने अपनी आँखें खोल दीं।
“सॉरी बहू मैंने तुम्हारी नींद खराब कर दी.” महेश ने मुस्कराते हुए कहा।
“पिता जी आप क्या कर रहे हैं आपको शर्म नहीं आती अपनी बहू को नींद में पाकर उसका फ़ायदा उठाते हुए?” नीलम ने अपने ससुर को डाँटते हुए कहा।
“अरे बेटी इसमें मेरा कोई क़सूर नहीं है, अब अगर बहू इतनी सुंदर होगी जिसे देखकर ही कुछ होने लगे तो फ़ायदा तो उठाना ही पड़ेगा ना!” महेश ने इस बार बेड से उठ कर अपनी धोती को अपने जिस्म से अलग करते हुए कहा।
“ओहह पिता जी आप तो सच में बड़े बेशर्म हो गये हैं। अपनी बहू के सामने नंगे हो गये आप.. छी छी!” नीलम ने नाटक जारी रखते हुए कहा।
“बेटी देखो न … यह हरामी मुझे नींद ही नहीं आने देता। कहता है मुझे अपनी बहू के गर्म छोटे से बिल में रहना है.” महेश ने अपनी बहू के पास बैठकर उसके एक हाथ को अपने लंड के ऊपर रखते हुए कहा।
“पिता जी आप अपने इसको समझा दो कि बहू का बिल बहुत छोटा है और यह बड़ा और मोटा है। इसीलिए मुझे इसे नहीं घुसवाना अपने बिल में …” नीलम ने अपने नर्म हाथों से अपने ससुर के मूसल लंड को सहलाते हुए कहा।
वह बड़े गौर से अपने ससुर के लंड को घूर रही थी उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि इतना मोटा और लम्बा लंड वह अपनी छोटी सी चूत में पूरा घुसवा चुकी है।
“आहहह बेटी, मैंने तो इस गधे को बहुत समझाया मगर मेरी बात तो यह मानता ही नहीं. तुम ही इसे समझा दो ना!” महेश ने अपनी बहू के नर्म हाथ अपने लंड पर पड़ते ही सिसकते हुए कहा।
“चलो पिता जी, मैं ही इसे समझाकर देखती हूँ. आप सीधे होकर लेट जाएँ!” नीलम ने अपने ससुर के लंड से अपना हाथ हटाते हुए कहा।
“हाँ बेटी यह तेरा दीवाना है, हो सकता है तुम्हारी बात मान ले” महेश बेड पर सीधा लेटते हुए बोला।
“तुम मेरे पिता जी को क्यों तंग करते हो? तुम्हें शर्म नहीं आती? इनकी उम्र का तो कुछ ख्याल करो!” महेश के सीधे लेटते ही नीलम ने अपने ससुर के लंड को अपने एक हाथ में पकड़ते हुए कहा।
नीलम का चूडियों वाला नर्म हाथ पड़ते ही महेश का लंड ज़ोर से झटके खाने की कोशिश करने लगा। मगर नीलम ने उसे अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था इसीलिए वह ज्यादा उछल न पाया।
“अरे वाह … तुम तो नाराज़ हो गये, अच्छा अब मैं तुम्हें प्यार से समझाती हूं.” नीलम ने अपने ससुर के लंड को घूरते हुए कहा और नीचे झुककर उसके गुलाबी सुपारे को चूम लिया।
“आहहह बेटी क्या कर रही हो?” अपनी बहू के होंठ अपने लंड पर पड़ने से महेश ने सिसकते हुए कहा।
“पिता जी प्लीज, आप चुप हो जाओ. आज मैं इसे मनाकर रहूंगी.” नीलम ने अपने पिता को डाँटते हुए कहा.
अपनी बहू की बात सुनकर महेश चुप हो गया।
“अब बताओ कैसा लगा मेरा चुम्मा?” नीलम ने नीचे झुके हुए ही अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा. वह पागलों की तरह अपने ससुर के लंड से बातें कर रही थी।
“एक और चुम्मा चाहिए? छी … तुम तो बहुत गंदे हो, अच्छा ठीक है अभी देती हूं.” नीलम ने इतना कहा और नीचे झुककर अपने ससुर के पूरे लंड को जगह जगह चूमने लगी।
ऐसा करते हुए नीलम बहुत ज़ोर से हांफ रही थी. वह पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, नीलम ने अपने ससुर के लंड को पूरी तरह चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसके सुपारे को चाटा और फिर से वहां से थोड़ा ऊपर हो गयी।
नीलम के ऐसा करने से महेश के मुँह से बहुत ज़ोर की सिसकारियाँ निकल रही थी।
“कैसा लगा … अब तो तुम खुश हो गये ना?” नीलम ने फिर से अपने ससुर के लंड को घूरते हुए कहा।
“अरे तुम तो सच में बदमाश हो, नहीं ऐसे नहीं चलेगा. बस आखरी बार ही मैं कर रही हूँ ठीक है ना?” नीलम ने अपने थूक से चमकते हुए अपने ससुर के लंड के सुपारे को देखा और अपना पूरा मुँह खोलकर उसे अपने मुँह में ले लिया, नीलम अपने ससुर के लंड के मोटे सुपारे को बड़े प्यार से अपनी जीभ और होंठों के बीच लेकर चूसने लगी। महेश की हालत उस वक्त देखने लायक थी. उसका पूरा शरीर झटके खा रहा था.
बहू ने कुछ देर तक अपने ससुर के लंड के टोपे को चाटने के बाद उसे अपने मुँह से निकाल दिया और बहुत ज़ोर से हाँफने लगी।
“पिता जी ने सच कहा था. तुम बहुत बदमाश हो. मुझे थका ही दिया. चलो अब बहुत हो गया. अब मैं कुछ नहीं करूंग़ी” नीलम ने अपने ससुर के लंड को अपने मुँह से निकालकर उसे घूरते हुए कहा।
“क्या कहा बदमाश? नहीं देखो यह अच्छी बात नहीं है। मैं यह सब नहीं कर सकती!” नीलम ने फिर से अपने ससुर के लंड से बात करते हुए कहा।
“हाहहह बेटी क्या कह रहा है यह नालायक? ज़रा मुझे भी तो बताओ?” महेश जो इतनी देर से अपनी बहू का नाटक देख रहा था उसने नीलम को देखते हुए कहा।
“पिता जी आपने सही कहा था यह बहुत बदमाश है. मैंने इसकी सारी फ़रमाइशें पूरी कर दीं। फिर भी यह नहीं मान रहा और यह फिर से वही बात कर रहा है.” नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।
“कौन सी बात बेटी?” महेश ने भी इस बार अपनी बहू को छेड़ते हुए कहा।
“पिता जी आप भी न … वही जो आपसे कह रहा था.” नीलम अपने ससुर की बात सुनकर शरमाते हुए बोली।
“ओह बिल में घुसने वाली बात?” महेश ने हँसते हुए कहा।
“हाँ पिता जी!” नीलम ने शर्म से अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा।
“बेटी, बेचारे को एक बार अपने बिल में ले ही लो. कुछ नहीं होगा तुम्हें.” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
“नहीं पिता जी, फिर यह हर रोज़ ऐसा करने को कहेगा.” नीलम ने अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही कहा।
“अरे बेटी, देखो तो बेचारा कैसे तुम्हें देख कर झटके खा रहा है ज़रा रहम करो इस पर!” महेश ने नीलम से कहा।
“पिता जी ठीक है आप कहते हैं तो आपकी खातिर मैं इसे एक बार अपने बिल में घुसने की इजाज़त दे देती हूं!” नीलम ने अपनी आँखों से अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा।
“देखो पिता जी की खातिर मैं तुम्हें एक बार अपने बिल में घुसाने की इजाज़त दे रही हूँ मगर इसके बाद तुम सुधर जाना.” नीलम ने अपने एक हाथ से महेश के लंड को पकड़ते हुए कहा और खुद बेड से उठकर अपनी नाइटी को अपने जिस्म से अलग कर दिया।
नीलम ने अपनी नाइटी को उतारने के बाद अपनी पेंटी को भी अपने जिस्म से अलग किया और खुद बेड पर चढ़ गई, नीलम बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी जिस वजह से उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी बह रह था।
उसने बेड पर चढ़ने के बाद अपने ससुर के लंड को अपने हाथ में लिया और नीचे झुक कर अपनी जीभ से उसके सुपारे को चाटने लगी।
“आआह्ह बेटी … ऐसे ही इसे अपने थूक से गीला कर दो ताकि तुम्हें कोई तकलीफ न हो!” अपनी बहू की जीभ अपने लंड पर लगते ही महेश ज़ोर से चिल्लाते हुए बोला।
नीलम ने अपने ससुर के लंड के सुपारे को पूरी तरह अपने थूक से गीला करने के बाद अपना मुँह वहां से हटा दिया और खुद अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर अपनी चूत को अपने ससुर के लंड पर रख दिया।
“आह्ह्ह पिता जी!” नीलम अपने ससुर के लंड को अपने एक हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर घिसने लगी. ऐसा करते हुए उसके मुँह से बहुत ज़ोर की सिसकारियां निकल रही थीं। नीलम ने कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपने ससुर के लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और खुद अपने वजन के साथ उस पर बैठने लगी।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… पिता जी!” नीलम के थोड़ा वजन डालने पर उसके ससुर के लंड का मोटा सुपारा उसकी चूत में घुस गया जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गई।
“आह्ह्ह्ह बेटी … कितनी टाइट है तुम्हारी चूत!” महेश ने भी अपने लंड को अपनी बहू की गर्म टाइट चूत में घुसने से सिसकते हुए कहा।
नीलम ने अपने हाथों को अपने ससुर के सीने पर रखा और वह फिर से अपने दबाव के साथ नीचे बैठने लगी।
“ओहहह पिताजी, आपका कितना लम्बा और मोटा है.” नीलम ने नीचे झुकते हुए अपनी चूत में अपने ससुर का लंड आधे से ज्यादा घुसा दिया था मगर अब उसे तकलीफ हो रही थी।
“आहहह बेटी … बस बाकी थोड़ा ही बचा है. तुम अपने पूरे वजन के साथ बैठ जाओ.” महेश ने अपनी बहू को समझाते हुए कहा। नीलम भी अपने ससुर की बात सुनकर एकदम से अपने पूरे वजन के साथ अपने ससुर के लंड पर बैठ गयी।
“उईई आहहह पिता जी बहुत दर्द हो रहा है.” महेश का लंड पूरा नीलम की चूत में घुस चुका था जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की चीख़ें निकल रही थीं।
महेश ने अपनी बहू को कमर से पकड़कर अपने ऊपर झुका लिया और वह अपने हाथों से उसकी दोनों चूचियों को मसलते हुए नीलम के होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी ही देर में नीलम का सारा दर्द ख़त्म हो गया और वह अपने चूतड़ों को अपने ससुर के लंड पर उछालने लगी।
“आआह्ह्ह्ह पिता जी, आपका कितना लम्बा और मोटा है। यह मुझे अपने पेट तक जाता हुआ महसूस हो रहा है.” नीलम ने अब सीधे होकर अपने ससुर के लंड पर ज़ोर से उछलते हुए कहा।
वह बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी इसीलिए वह ज़ोर से हाँफते हुए अपने ससुर के लंड पर उछल रही थी।
कुछ ही देर में नीलम का बदन अकड़ने लगा और वह ज़ोर से सिसकारियां लेते हुए अपने ससुर के लंड पर उछलते हुए झड़ने लगी। नीलम पूरी तरह झड़ने के बाद निढाल होकर अपने ससुर के ऊपर गिर गयी और ज़ोर से साँसें लेने लगी।
महेश ने अपनी बहू को अपने ऊपर से उठाकर उल्टा लिटाया और अपना मूसल लंड पीछे से उसकी चूत में घुसाने लगा, नीलम को पहले तो बहुत ज्यादा तकलीफ हुई मगर कुछ ही देर में उसे फिर मज़ा आने लगा और वह अपने ससुर के लंड पर अपने चूतड़ों को ज़ोर से दबाते हुए चुदवाने लगी।
“आहहह बेटी, तुमने कभी अपने पति का लंड अपनी गांड में लिया है?” अचानक महेश की नज़र अपनी बहू की गांड के छेद पर पड़ी जिसे देखते ही महेश का लंड ज्यादा तनकर झटके खाने लगा और उसने सिसकारते हुए अपनी बहू की चूत में अपना लंड ज़ोर से अंदर बाहर करते हुए कहा।
“छी छी पिता जी, उस गन्दी जगह में भी यह घुसाया जाता है भला?” नीलम ने वैसे ही मस्ती में चुदवाते हुए जवाब दिया।
“हम्म्म्म बेटी, इसका मतलब तुमने वहां कभी नहीं लिया.” महेश ने अपनी एक उंगली से अपनी बहू की गांड को कुरेदते हुए कहा।
“ओहहह पिता जी, छोड़िये न क्या कर रहे हैं आप, वहां मैंने कभी नहीं लिया.” नीलम ने अपनी गांड पर अपने ससुर की उंगली के लगते ही ज़ोर से उछलते हुए कहा।
“बेटी जैसे चूत में लंड घुसता है वैसे ही वह गांड में डाला जाता है.” महेश ने अपनी उंगली को थोड़ा दबाव देकर अपनी बहू की गांड में डालते हुए कहा।
“उईई निकालिये पिता जी, मुझे नहीं पता कुछ … मुझे वहां नहीं करवाना.” नीलम ने अपने ससुर की थोड़ी सी उंगली को ही अपनी गांड में घुसने के कारण ज़ोर से चीखते हुए कहा।
महेश अपनी उंगली को अपनी बहू की गांड से निकाले बिना ही उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। थोड़ी ही देर में नीलम को जन्नत का मजा आने लगा और वह ज़ोर से अपने चूतड़ों को उछालते हुए अपने ससुर से चुदवाने लगी।
महेश ने मौका देखकर अपनी उंगली को पूरा अपनी बहू की गांड में पेल दिया और उसे बहुत ज़ोर से चोदने लगा। नीलम भी अब चुदाई में उसका पूरा सहयोग कर रही थी। महेश जब भी पेलता नीलम अपनी गांड से धक्का मार देती।
महेश को अपनी बहू को चोदने में इतना मज़ा आ रहा था कि वह अपनी बहू की गांड में अब दो दो उंगली पेल रहा था और नीलम की चूत को पूरी बेरहमी से चोद रहा था- आह साली रांड, कितनी टाइट और गर्म चूत है तेरी साली. मेरे लंड को पूरा निचोड़ लेगी क्या … आह्ह्ह्ह्ह!
“उईई पिता जी ज़ोर से … ओह्ह्ह्हह मैं आई!” कुछ ही धक्कों के बाद नीलम ज़ोर से चिल्लाते हुए झड़ने लगी।
नीलम की चूत ने झड़ते हुए अपने ससुर के लंड को ज़ोर से जकड़ लिया जिस वजह से महेश भी अपने आप को रोक नहीं पाया और वह भी ज़ोर से सिसकते हुए झड़ने लगा। महेश का लंड पूरी तरह झड़ने के बाद नीलम की चूत से सिकुड़ कर निकल गया और उसकी चूत से ढेर सारा वीर्य नीचे गिरने लगा, महेश और नीलम दोनों निढाल होकर बेड पर सीधा होकर लेट गए। दोनों सीधे लेटे हुए ज़ोर से हांफ रहे थे।
बहू की चूत अपने ससुर के लंड से चुदने की आदी हो चुकी थी. क्या नीलम अब समीर के पास दोबारा कभी नहीं जायेगी? क्या समीर अपनी बहन को छोड़ देगा और अपनी पत्नी की चूत को वैसा ही सुख दे पायेगा जैसा कि उसके पिता ने महेश ने अपने मोटे लंड से दिया. यह सब कहानी के अगले भागों में।
बहू और बेटी की गर्म जवानी की ये कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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