नमस्ते दोस्तो, मेरी गर्लफ्रेंड की छोटी बहन की अब तक की चुदाई की कहानी
बड़ी बहन को चोदना चाहा छोटी चुद गई-1
आपको अच्छी लगी और आपने मुझे अपने प्यार भरे मेल भेजे, इसके लिए आप सभी का शुक्रिया।
अब आगे..
जब नेहा मुझे चुदकर अपने घर पहुँची तो सुमन ने पूछा- इतनी देर कहाँ हुई?
नेहा ने बोल दिया कि पैर में मोच आई थी.. तो अमित ने दवा ला कर दी, इस वजह से देर हो गई।
फिर नेहा ने सुमन को सामान दे दिया।
ब्रा-पेंटी देख कर सुमन भी खुश हो गई और चूत की सील खुलवा कर नेहा भी हैप्पी थी।
दूसरे दिन नेहा सुबह आई और बोली- आज तुम दुकान नहीं जाना.. मुझे जरूरी काम है।
वो मुस्कुरा कर आँख मारते हुए एक किस देकर चली गई।
अब मैं उसका इन्तज़ार करने लगा, वो करीब 12 बजे आ गई और आते ही मुझसे चिपक गई।
नेहा बोली- कल जल्दी-जल्दी में मैं तुमको प्यार करना भूल गई थी.. आज दिल खोल कर प्यार करूँगी।
मैं बोला- जो मर्जी मेरी जान!
हम एक-दूसरे से चिपक कर बेड पर गिर गए। सच में दोस्तों क्या बताऊँ आपको, वो इस तरह से मुझसे चिपटे जा रही थी जैसे मुझे खा ही जाएगी।
खैर चूमा-चाटी चलती रही और हमारे सारे कपड़े कब निकल गए, पता ही नहीं चला। मैं भी नेहा के मदमस्त शरीर से खेलते हुए मदहोश हो गया था।
फिर मैं नेहा के कानों को काटते और लम्बी-लम्बी सांसें लेते हुए उसके दूध को मसलने लगा, वो भी ‘आह आह..’ करने लगी और मेरे लंड को जोर-जोर से दबाने लगी।
मैं भी मस्त हो चला था.. जल्दी ही हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए। वो अपने मुँह में मेरा पूरा लन्ड अन्दर-बाहर करते हुए लंड चूसने लगी। मैं भी उसकी चूत की खाल को दांतों से काटने लगा इससे वो जोर से चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अमित ऐसे नहीं करो.. प्लीज़ लगती है यार!
मैंने काटना छोड़ कर उसकी चूत में जीभ डाल कर चूत की चुसाई करने लगा।
अब वो मस्त हुए जा रही थी और उसने ‘अह..आह सी सी..’ करते हुए पानी छोड़ दिया।
मैंने अब उसको उल्टा किया और घोड़ी बना कर उसकी गांड के छेद पर तेल डाला और अपने लंड पर लगा दिया।
उसके बाद लंड को गांड के छेद में लगा कर गांड मारने की तैयारी की साथ ही आगे हाथ बढ़ा कर उसके दूध पकड़ लिया, ताकि गांड पर लंड की ठोकर पड़े तो साली आगे को ना भाग सके।
फिर मैंने जोर का धक्का मारा, अभी उसकी गांड में मेरे लंड का सुपारा ही घुसा था कि वो चिल्ला उठी- जान नहीं.. जान नहीं.. मेरी जान निकल जाएगी।
मैंने उसको सहलाते हुए पीठ पर किस करते हुए कहा- जान बस थोड़ा सहन करो।
कहते हुए मैंने एक धक्का और दे मारा, वो दर्द से रो पड़ी।
मैंने उसको बोला- जान जादा दर्द हो रहा हो तो निकाल लूँ।
इस पर वो बोली- जान दर्द जितना हो यदि अभी सहन नहीं किया तो तुम और किसी और दिन दे दोगे.. इसलिए आज ही सब हो जाने दो।
उसकी इस बात पर खुश हो कर मैंने उसको किस किया और बोला- बस मेरी जान एक और बार सहन करना।
उसने दांतों को भींच लिया और मैंने भी पूरे जोर से धक्का दे मारा। वो भी हल्की सी आवाज करके सहन कर गई।
अब मैं उसके मम्मों को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए किस करता रहा।
जब उसको मजा आने लगा तो मैं लंड को नेहा की गांड में अन्दर-बाहर करने लगा। फिर तो ताबड़तोड़ जोरदार धक्कों के साथ मैं उसकी गांड लगातार मारता रहा।
नेहा भी अब मस्त हो चुकी थी, वो भी साथ देने लगी। कुछ देर गांड मारने के बाद मेरा निकलने वाला था.. तो मैंने नेहा से पूछा।
नेहा बोली- गांड में ही निकाल दो यार, जरा गर्म मलाई से राहत भी मिल जाएगी।
उसके कहने की देर थी कि मैं दो-तीन धक्के मार के तुरन्त ही उसकी गांड में झड़ गया।
फिर उसके पीछे से लंड निकाल कर हट कर उसको चूमा और शाम 5 बजे तक उसको दोनों तरफ से खूब बजाया।
शाम 5 बजे के बाद वो अपने घर चली गई।
दोस्तो, ये चुदाई की कहानी कैसी लगी.. बताना जरूर।
आगे कभी सुमन को चोदूंगा तो उसकी भी चुदाई की कहानी लिखूंगा।