बहन को बनाया लंड का गुलाम-6

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

बहन को बनाया लंड का गुलाम-5

बहन को बनाया लंड का गुलाम-7

अभी तक आपने पढ़ा कि मेरी रंडी बहन मुझे चुदाई के खेल में खेल रही थी मैं उसके साथ वाइल्ड सेक्स कर रहा था, जोकि उसी की पसंद थी.
अब आगे:

मैं उसके पीछे आया और उसके बाल पकड़ कर खींचे. वो दर्द के साथ कामुकता भरी सिसकियां ले रही थी. उसने फुंफकार के सर ऊपर किया. गुस्से और कामवासना का सम्म्लित भाव उसके चेहरे पे था. वो जोर जोर से सांस ले रही थी या यूं कहें वो हांफ रही थी. सच में वो “हम्म हम्मम..” करके हांफ भी रही थी.

मैंने बोला- डू यू लाइक इट स्लट ( तुम्हें पसन्द आया मेरी रंडी)
उसने हामी में सर हिलाया.

मैंने उसे बनावटी गुस्से से डाँट के कहा- से इट लाऊड स्लट (तेज बोलो मेरी रंडी)
वो रोती सी आवाज में कांपती आवाज में बोली- यस आई लाइक इट मास्टर ( मुझे ये अच्छा लग रहा है मेरे मालिक)

मैंने उसके चूतड़ों पर फिर से व्हिप से मारा. उसने गांड उचकाते हुए “उम्म्म हम्म उम्मम्म …” की आवाजें निकालीं. वो अपनी सिसकारियों को दबा रही थी … या यूं कहें कि जितना हो सके, वो धीमी आवाज कर रही थी.
दर्द कामुकता और सेक्स की गर्मी से उसका बदन जो तप रहा था, वो पिघलना शुरू हो गया था. पसीने की कुछ बूंदें उसके माथे पर झलक रही थीं.

मैंने अगला कोड़ा उसकी चूचियों पर मारा वो पहले जैसे ही जोर से सिसकी- उम्म्म हूँ उम्मम्म … आह इस्स.
दर्द भरी मादक आवाजें उसके मुँह से निकल पड़ीं. मैं यहां बताना चाहूंगा कि अब मैं उसे धीरे धीरे कोड़े मारने लगा था ताकि उसे दर्द न हो. लेकिन उसका जिस्म इस वक़्त काफी सेंसटिव था. हल्का सा स्पर्श भी उसे गर्म कर रहा था.

उसकी आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामवासना का भाव था. वह पक्की रंडी की तरह वो बर्ताव कर रही थी.

अब मैंने उसके चूतड़ों पे कोड़ा मारा और बोला- से … यू आर माय स्लट (कहो तुम मेरी रंडी हो)
वो अपनी सांसें सम्भालते हुए बोली- उम्म्म हम्म यस आई एम योर परमानेंट स्लट सर (मैं आपकी निजी और हमेशा के लिए रखैल हूँ)
मैंने उसके नंगे पेट पे एक और कोड़ा मारा और बोला- से आई एम योर लाइफटाइम स्लट. ( कहो मैं तुम्हारी जिंदगी भर के लिए रंडी हूँ)
उसने वैसा ही बोला- यस विशाल, आई विल बी योर परमानेंट स्लट फॉर लाइफ टाइम. (मैं तुम्हारी रखैल रहूंगी जिंदगी भर)

अब उसकी आवाज सामान्य थी. उसने रोना बंद कर दिया था. मैंने दो-तीन कोड़े लगा कर व्हिप को साइड में रखा और उसके जिस्म को ताड़ने लगा. दोबारा अब वो सामान्य हो रही थी. उसका जिस्म वासना से तप के लाल पड़ गया था.

वो सर झुकाये पुल बार से बंधी खड़ी थी. मैंने एक दफ़ा उसके चेहरे को देखा. उसके माथे पे पसीने की बूंदें थीं. उसके गर्दन और कंधे के भाग से पसीना चूते हुए उसके चुचों के बीच की घाटी में आ रहा था. उसका बदन पसीने के बूंदों के कारण चमक रहा था.

मैं उसके पीछे गया और पीछे से उसके गाल पे किस किया. मेरे लबों का स्पर्श पते ही वो सिहर गयी. उसने सर ऊपर की तरफ उठा लिया.
मैंने उसके कान की लटकन को धीरे से काटा. उसके मुख से धीमी सी आवाज निकली- ईईस्स …

मैंने उसके कान के पीछे वाले भाग पे लगे पसीने की बूंदों पर जीभ को फिरा दिया. उसने दांत भींचे धीमी सी सिसकारी भरी- उम्म … विशाल.
उसका मुँह खुला था. आंखों पर पट्टी थी. वो धीमी धीमी कामुक सिसकारियां लेते हुए मेरा नाम पुकार रही थी.

यह काफी उत्तेजना भरा दृश्य था. वो काफी उत्तेजित भी थी. पिछले एक घंटे से मैं उसे अलग अलग तरीकों से उत्तेजित कर रहा था. मैं अपने हाथ आगे उसके सीने पे ले गया और अपनी तर्जनी उंगली से उसके सीने पर लगे पसीने को पौंछते हुए गर्दन तक आया और पीछे बाल पकड़ के उसका सर ऊपर कर दिया. इसके बाद मैंने अपनी उंगली को उसके मुँह में ठूंस दिया. वो कामवासना की आग में जल रही थी. उसने मेरी उंगली चाट ली.

मैंने उंगली को उसके लबों पे फेरा, तो वो मीठी आहों के साथ बस इन खुराफातों का मजा ले रही थी. इधर मैं भी उसके बालों को वैसे ही पकड़े हुए उसके उसके कंधे पे लगी पसीने की बूंदों को जीभ से चाट रहा था. मैंने जीभ उसकी पीठ पे फेरी, तो वो तो जैसे सिहर ही उठी. वो मुझे बोलने लगी- विशाल मेरे भाई … अब चोद दे ना … कितना तड़पाएगा.
मैं खड़ा हुआ और उसके होंठों पे उंगली रखते हुए बोला- नो साउंड … ( कोई आवाज नहीं)
वो चुप हुई तो मैंने कहा- मास्टर ओनली लाइक यू … आइदर साइलेंट और स्क्रीम.” (मास्टर को तुम या तो सिसकारियां” लेते हुए पसन्द हो या तो बिल्कुल चुपचाप)
उसने बोला- सॉरी मास्टर.

मैं उसकी चूचियों को आगे से पकड़ लिया और दबाते हुए कंधों पे, गर्दन पे, उसकी लटकती बांहों पे किस करने लगा. वो बस “हम्मम आह उम्म्मम यस्स..” की सिसकारियां ले रही थी.

मैं उसके चुचों को जोर जोर से दबाता, लेकिन उसे तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ रहा था … उलटे उसे आनन्द आता. वो बस मादक सिसकारियां लेती- ओह्ह यस … उम्म्ममम्म हम्म … ओह्ह फ़क.
मैंने उसकी चूची को और जोर से भींचा.

वो फिर से बोल पड़ी- मास्टर प्लीज फ़क मी … (कृपया मुझे चोद दे मेरे मालिक)
“हम्म..”
“हां आप जहां जैसे चाहें. जहां चाहें, बस चोद दे मुझे.”
ये सब वाइन के नशे का असर था.

मैं बस उसे मसले जा रहा था.
वो दोबारा बोल पड़ी- विशाल प्लीज भाई चोद दे प्लीज भाई.
मैंने बोला- ओके … लेकिन यहां नहीं.

उसकी बगलों की खुशबू मुझे पागल कर रही थीं. मैं उसे चाटना चाहता था. लेकिन बहन के आग्रह के आगे मजबूर होके मैंने अपनी इच्छा का त्याग कर दिया. मैंने उसकी आंखों की पट्टी हटाई और उसके हाथ खोल दिए. वो निढाल सी गिर पड़ी. मैंने उसको अपनी बांहों में सम्भाला. उसे वापस से खड़ा किया. वो एक सभ्य गुलाम की तरह खड़ी थी. मैंने उसके हाथों को ऊपर करा के आपस में रस्सी से बांध दिया. इस बार बंधन थोड़ा ढीला था. मैंने टेबल पे रखे कुछ सामान लिए.

फिर मैंने कमर में हाथ डाला और चलने लगा. वो वैसे हीं हाथ ऊपर किये चल रही थी.

हम हॉल में सीढ़ियों की तरफ बढ़ रहे थे. यह सीढ़ियां ऊपर जाती थीं. जहां मम्मी पापा का और मेरी बहन प्रीति का कमरा था. मैंने उसे सीढ़ी के हैण्ड-रेल के सहारे झुका दिया. मैं उसके नंगी पीठ पे किस करता हुआ, उसके कानों के पास गया.

मैं उसके कानों में बोला- वन मोर गेम. (एक आखरी खेल)

मैंने उसकी वही पैंटी को लिया, जो उसके जूस से भीगी हुई थी. मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया. मैंने देखा उसकी चुत का रस टपक कर उसकी जांघों से बह रहा था. शायद वो दूसरी बार झड़ चुकी थी. मैंने उसकी चुत को उसी पैंटी से साफ किया और उसकी चुत में एक वाइब्रेटर, जो मैंने उसकी नजरों से छुपा के आज ही ख़रीदा था, ठूंस दिया. उसे बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ. होता भी कैसे, वो मेरा मोटा लंड पिछले तीन सालों से ले रही थी. वो काफी फिट थी और नशे में उसको बस यही सूझ रहा था कि उसकी जल्दी से चुदाई हो.

मैंने उसे उठाया, सीधी खड़ा किया और बोला- तुम चुदाई चाहती हो न?
वो बड़े उत्साह में सर हिला कर कहने लगी- हां … हां!
मैं- तो आज चुदाई हम पापा मम्मी के कमरे में करेंगे. तुम्हें बस कमरे में सीढ़ी चढ़ के जाना है.

उसने एक अच्छी स्लट की तरह हां में सर हिलाया. मैंने उसे कंधे पे किस किया और पैंटी उसके मुँह में ठूंस दी.

मैंने पूछा- आर यू रेडी (क्या तुम तैयार हो)
उसने हां में सर हिलाया- ओके.

इसके बाद वो लड़खड़ाती हुई सीढ़ियां चढ़ने लगी. उसके हाथ ऊपर हवा में ऊपर थे. वो बलखाते हुए सीढ़ियां चढ़ रही थी. मैं उसकी गांड को देख रहा था. क्या कामुक दृश्य होता है जब लड़की की गांड का पीछे से ऐसे दिखना होता है.

वो तीन सीढ़ियां चढ़ी थी कि मैंने रिमोट से बाईब्रेटर ऑन कर दिया. वो रुकी और उसने गुस्से से पीछे मुड़ के मुझे देखा. मैंने स्पीड 2 पे कर दी.

उसके बदन में एक जर्क सा लगा. उसके घुटने मुड़ने लगे. वो कांपते हुए आगे की तरफ झुकी और ऊपर की सीढ़ियों के सहारे सम्भली. मैंने उसे पीछे से प्रोत्साहित किया.
“कम ऑन दीदी, यू कैन डू इट.” (दीदी तुम कर सकती हो)

मेरा प्रोत्साहन बढ़ाना काम कर गया. वो धीरे से लड़खड़ाते हुए खड़ी हुई. उसने एक पैर आगे बढ़ाया और एक सीढ़ी चढ़ गयी. उसने किसी तरह हिम्मत की … और दो और सीढ़ियां उसने इसी हालत में चढ़ीं. मैंने स्पीड 3 पे कर दी. अब उसका सम्भल पाना और मुश्किल हुआ. वो कुछ बोल तो नहीं पा रही थी. पर वो तेज से सिसकारियां लेना चाहती थी. किसी तरह उसने रेलिंग पकड़ के 2 सीढ़ियां और पार की. अब मैंने स्पीड 4 पे कर दी, वो एकदम से निढाल सी हो के गिरी और रेलिंग पकड़ के वो किसी तरह सम्भली.

वो रेलिंग के सहारे बैठने लगी. मैं झट से उसके पास पहुंचा. मैंने उसे सम्भाला. वो रेलिंग के सहारे झुकी थी. वो न में सर हिला रही थी कि उससे नहीं होगा. मैंने वाइब्रेटर ऑफ किया और उसकी पैंटी मुँह से बाहर निकाली.

वो बोल पड़ी- भाई मेरे से नहीं होगा. तू चाहे तो मुझे यहीं चोद दे.

मैंने वाइब्रेटर उसकी चुत से निकाला और उसके मुँह में दे दिया. वो चाटने लगी.

मैंने उससे बोला- ओके इस बार सिर्फ़ एक पे.

वो कुछ नहीं बोली.

मैंने वापस उसकी चुत में वाइब्रेटर और पैंटी को उसके मुँह में ठूंस दिया.

मैंने वाइब्रेटर एक पे चालू किया. वो धीरे धीरे किसी तरह सीढ़ी की रेलिंग पकड़े सीढ़ियां चढ़ने लगी. किसी तरह उसने बाकी की सीढ़ियां चढ़ीं. आखिरी सीढ़ी पे उसकी हिम्मत जबाब देने लगी. अब वो घुटने मोड़ के वहीं बैठने लगी. मैंने उसकी कमर में हाथ लगा के उसे ऊपर चढ़ाया. वहां पहुचते ही वो घुटने के बल बैठ गयी … वो हांफ रही थी. मैंने वाइब्रेटर ऑफ किया और उसे उठाया. मैं उसे अपने साथ कमरे में ले जाने लगा. उसके हाथ बंधे थे. मुँह में पैंटी ठुंसी हुई थी. दर्द उसके चेहरे पे साफ था. हाथ आगे पेट के पास किये हुए वो मेरे साथ चल रही थी.

मैंने गेट पे उसे रोका और बोला- दीदी, तुम गेम पूरा नहीं कर पाईं, इसकी सजा तो तुम्हें मिलेगी.
उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा, मैंने उसे देख के हां में सर हिलाया.
उसने भी हां में सर हिलाया. उसका मतलब था ‘ओके फ़ाईन.’

उसने इशारे से पूछा- क्या है मेरी सजा?
मैंने कहा- मैं तुम्हें बेड पे नहीं चोदूंगा.
उसने फिर इशारे से पूछा- फिर?

मैंने मुस्कुराते हुए खिड़की की तरफ इशारा किया. उसने मुस्कुराते हुए अपने बंधे हाथों से मेरे सीने पे धौल मारी और हंसने लगी.

मैं बता दूं कि मेरे पापा मम्मी के बेड रूम में बालकनी है. यह माध्यम आकार का है, लेकिन सामान्य से बड़ा है. मैंने बालकनी का दरवाजा खोला. यह सुविधा बिल्डिंग के टॉप फ्लोर्स के लिए थी. मम्मी को भी यह पसंद था, इसी लिए हमने ये फ्लैट भी लिया था.

मैंने लाइट ऑफ कर दी. दीदी को आने का इशारा किया. दीदी बीच बालकोनी में खुले आसमानों के नीचे बिल्कुल नंगी खड़ी थी. उसकी शर्ट मैंने कमरे में ही निकाल दी थी. मैंने अपनी पेंट निकाली और कमरे में फेंक दी. फिर मैंने आस पास देखा, कोई हमें देख नहीं सकता था. मैं उससे चिपक गया. मैंने उसके हाथों को खोला. अब मैं उसके कंधों पे किस कर रहा था. उसने एक हाथ पीछे करके मेरे गाल पे रखे हुए थे. मैंने ऐसे ही किस करना चालू रखा. मैं उसके कंधों और गर्दन के भागों को चूम रहा था तथा साथ में उसके उरोजों को भी दबा रहा था.

वो अपने चूतड़ मेरे लंड पे रगड़ रही थी. मैंने बालकोनी के रेलिंग के सहारे उसे झुकाया और उसकी चुत में पड़ा वाइब्रेटर निकाला. मैंने उसकी नंगी पीठ को चूमता हुआ उसे वापस खड़ा किया. मैंने उसके बाल पकड़ के अपनी तरफ घुमाया. वाइब्रेटर, जो उसके रस से भीगा था, उसके मुँह में डालने लगा. वो जीभ निकाल के अपना ही रस चाटने लगी. मैं भी उसके साथ उसके रस को चाटता. मैं उसकी जीभ और होंठों पे लगे रस को चाटता.

फिर मैंने वाइब्रेटर को एक तरफ फेंका और हाथ पीछे ले जाके उसकी कमर से उसे पकड़ कर उसके नंगे बदन को खुद से चिपका लिया. मैं उसके होंठों को चूसने लगा. मैं उसके होंठों को जोर जोर से चूस रहा था. वो अपनी कोमल बांहों का घेरा बना कर मेरे गर्दन में डाल के मुझसे चिपक गयी. मेरा पूरा साथ देने लगी.

हम दोनों बालकनी में बिल्कुल नंगे एक दूसरे से चिपके वासना का खेल खेल रहे थे. चांदनी रात थी. मौसम ठंडा था. चाँद की हल्की रोशनी में उसके होंठों के चूसने का मजा ही अलग था. हल्की ठंडी आरामदायक हवा बह रही थी, जो हमारे सेक्स की आग को और भड़का रही थी. यूँ कहूँ कि आज पूरी कायनात भी हमारा साथ दे रही थी.

मैं उसके रसीले होंठों को चूस रहा था. हम एक दूसरे में खो चुके थे. हम दोनों बस आंखें बंद किये वासना के सागर में गोते लगा रहे थे.

कुछ देर तक किस करने के बाद मैं रुका, मैंने आंखें खोली. मैंने एक सेकंड के लिए उसके चेहरे को देखा. उसकी बड़ी बड़ी सुरमयी आंखें, खुले बाल, चाँद की रोशनी में चमकते उसके रसीले होंठ.

ये सब देखते मैं उत्तेजित हो उठा, वासना की लहर सी दौड़ गयी मेरे शरीर में. मैंने दोनों हाथ उसके कमर पकड़ के खींचा, वो मेरे नंगे बदन से और सट गयी. उसके फूले हुए चुचे मेरे सीने से चिपक गए. मैं उसके कड़क निपल्स को अपने सीने पे महसूस कर सकता था. मैंने उसकी गर्दन पे स्मूच करते हुए किस करना चालू किया.

वो अपने सर को ऊपर करके आंखें बंद किये वासना भरी ठंडी आहें भर रही थी. उसका मुँह खुला था. वो धीमी सिसकारियां रही थी. मैंने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ लगा के उठाया. वो मेरी गर्दन में बांहें डाले झूल गई और मेरी कमर में अपनी टांगें लपेट कर मेरे बदन से चिपक गयी. मैंने उसके होंठों चूसते हुए उसे ले जाके दीवार से चिपका दिया. वो नंगी पीठ के सहारे दीवार से चिपक गयी. मैंने उसके दोनों हाथ अपने हाथों में लिए और अपने होंठों के पास ला कर चूमा. फिर झटके से ऊपर कर के दीवार के सहारे चिपका दिए. मैंने उसके हाथों को जोड़ के दीवार से चिपका रखा था. मेरा ऐसा करना उसे अच्छा लगा, उसके होंठों पे हल्की मुस्कान थी.

मैंने दूसरे हाथ की उंगली को उसकी कोमल बांहों पे फिराया. वो मस्त हो उठी. उसने आंखें बंद किये हुए हल्की मुस्कान के साथ ‘उम्मम …’ की धीमी सीत्कार ली. मैं उसे उसी अवस्था में (हाथ ऊपर करके अपने एक हाथ से दीवार में चिपकाये) दूसरे हाथ की उंगलियां उसके नंगी कोमल बांहों पे फेरते हुए नीचे आ रहा था, वो मस्त हो रही थी.

मेरी उंगलियां उसकी गर्दन के पास पहुँची. वो मीठी सी मुस्कान के साथ मस्त होके ‘उम्म्म हम्मम्म …’ की सिसकारियां ले रही थी. मैंने उंगली उसके होंठों पे फेरा. वो सेक्स के लिए प्यासी थी, मेरे स्पर्श से उत्तेजित हो रही थी. उसने मेरी उंगलियों को चूम कर दांत भींच लिया.

कामवासना उसके चेहरे पे साफ नजर आ रही थी. मैंने उसके चेहरे पर से, जो उसकी जुल्फें आ गयी थी, को उंगलियों से हटाया. उसका नूर सा चेहरा मेरे सामने था. वो आंखें बंद किये, पता नहीं कहां खोयी थी. मैं उसके पास हो गया. उसके माथे पे चुम्बन किया. तो उसके होंठों की मुस्कान बढ़ गयी. उसकी सांसें तेज थीं, जो मेरे चेहरे से टकरा रही थीं. मैंने उसकी आंखों पे किस किया. उसकी नाक के ऊपर किस किया. बारी बारी से उसके दोनों गालों पे किस किया.

वो बस आंखें बंद किये मेरे लबों के स्पर्श का आनन्द ले रही थी. उसके होंठों पे मुस्कान थी. वो मुँह खोले सिसकारियां भर रही थी. मैंने दूसरे हाथ में उसके चेहरा पकड़ के दबाया. उसके दोनों गाल दबे हुए थे, जिससे उसके होंठों से पाउट्स बन गए थे. मैंने उसके रसीले होंठों को जीभ से चाट लिया.

प्रीति के शब्द:

अपने भाई की ये अदा मुझे बड़ी पसंद थी. वो धीरे धीरे प्यार करते करते अचानक से जंगली हो जाता था, जब मैं इसकी कामना भी नहीं कर रही होती थी. यह बात मुझे और उत्तेजित करती थी.

खैर यहां खुले आसमान के नीचे सेक्स का आईडिया, बहुत ही रोमांचक था. मैं खुले आसमान के नीचे नंगे, अपने भाई से चुदने आयी थी. यह नया था तथा काफी रोमांचक था. यह मेरे रोम रोम को उत्तेजित कर रहा था. मैं दो बार झड़ चुकी थी लेकिन एक बार फिर गर्म होने लगी थी. पिछले दो घंटों से अलग अलग तरीकों से गर्म होने के बाद फाइनली मेरी चुदाई होने जा रही थी.

विशाल के शब्द:

मैंने उसकी गर्दन पे किस किया. मैं किस करते हुए नीचे बढ़ रहा था. मैं उसके दोने चुचों को दबाये उसके सीने और गर्दन के भागों पे किस कर रहा था. मैं उसकी गर्दन और कंधों तक किस कर रहा था. ऐसे ही हालात में मैंने उसके चुचों को मुँह में लिया.

वो चिहुंक उठी- आहह..
फिर उसने दांत भींच लिए और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… इस्स हम्म …’ की आवाजें निकालीं.

पिछले 2 घंटों के करतबों के दौरान उसकी चूचियां बहुत सेंसिटिव हो गयी थीं. मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही जैसे उसे आराम मिला. मैं बारी बारी से दोनों चूचियां मुँह में लेके चूस रहा था. मैं उसकी चूचियों को पूरा मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसकी चूचियां इतनी बड़ी थीं कि सम्भव नहीं था.

मैंने उसकी चूचियां चूसते हुए एक मिनट के लिए ऊपर देखा. मेरी बहन आंखें बंद किये हुए चूचियां चुसवाने में मस्त थी. उसकी बांहें अभी भी ऊपर थीं. उसका चेहरा दायीं तरफ मुड़ा हुआ था. वो दीवार से सटी सिसकारियां ले रही थी.

बहन की कामुक चुदाई की कहानी का स्वाद आप सब को कैसा लगा प्लीज़ मुझे मेल करें.
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कहानी जारी है.