अन्तर्वासना प्रेमियों को नमस्कार! मेरा नाम विक्की शर्मा है. मेरी पिछली हिंदी सेक्सी स्टोरी
सेक्सी भाभी संग चलती बस में संभोग
को सभी ने बहुत पसंद किया और मुझे ढेर सारे मेल भी आए. इतना प्यार देने के लिए शुक्रिया और जिन्हें रिप्लाई नहीं दे पाया, उनसे माफी चाहूंगा.
जिन्होंने मेरी कहानियाँ नहीं पढ़ी, वो ऊपर मेरे नाम के लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं… तो जैसा मैंने बताया कि उस कहानी को बहुत से पाठकों ने पसंद किया और उन्हीं पाठकों में से एक थी इस हिंदी सेक्सी स्टोरी की नायिका करिश्मा भाभी.
उन्हें मेरी हिंदी सेक्सी स्टोरी इतनी पसंद आई कि उन्होंने मुझे एक लंबा चौड़ा मेल किया, जिसमें मेरी खूब तारीफ लिखी थी, साथ ही उन्होंने यह भी लिखा था कि उन्हें मेरा मसाज देने का तरीका बहुत पसंद आया और वो भी मुझसे मसाज करवाना चाहती है.
सच कहूं तो उनके पहले ही मेल में उनकी यह बात सुन कर मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हुआ और मुझे उन पर यकीन नहीं हुआ.
मैंने उनसे उनके बारे में जानकारी मांगी तो पता चला कि वो भी इंदौर से ही है, उनकी शादी को छः साल हो गए हैं… उनकी पांच साल की एक बेटी है, उनके पति का व्यवसाय है जिस वजह से वो बहुत व्यस्त रहते हैं, वो करिश्मा भाभी पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं तो वो बहुत अकेलापन महसूस करती थी और इसीलिए मुझसे दोस्ती करना चाहती थी.
मेरे कहने से पहले ही उन्होंने अपनी दो फोटो मुझे मेल कर दी. वो दिखने में बहुत सुंदर तो नहीं थी, पर उनका फिगर बहुत सेक्सी था. करिश्मा भाभी के सांवले-सलोने चेहरे पर ना जाने क्यूं एक अजीब सी तड़प थी, एक अकेलापन था जो मुझे कुछ बेचैन कर रहा था. मैंने सोचा कि यदि मैं उन्हें अपना कुछ समय देकर उनकी लाइफ में थोड़ी खुशियाँ ला सकता हूँ तो क्यूं नहीं…
पहले तो मैंने उन्हें कुछ तरीके बताए जिससे वो अपने पति के साथ अपने संबंध सुधार सकें और उन्हें दोबारा अपने प्रति आकर्षित कर सकें, पर जब मेरे बहुत कहने पर भी वो नहीं मानी तो मैंने उनसे अगले दिन मिलने का फैसला किया.
अगले दिन उनकी बेटी के स्कूल जाने और पति के व्यवसाय पर जाने के बाद मैं उनके बताए पते पर उनके घर पहुंच गया.
घर बहुत ही सुरूचिपूर्ण तरीके से सजा हुआ था.
कॅाल बेल बजाते ही उन्होंने दरवाजा खोला तो मैं उस सामान्य सी महिला को देखता ही रह गया. वो सफेद रंग की नाईटी में हूर की परी तो नहीं पर गजब तो लग ही रही थी. नाईटी के अंदर भाभी ने ब्रा-पेंटी भी नहीं पहनी थी… आगे से खुलने वाली नाइटी डोरी से कमर में लिपटी हुई थी.
उस पल जब वो मुस्कराई तो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी.
करिश्मा भाभी का सांवला चेहरा सफेद नाईटी में चमक रहा था, उसका व्यक्तित्व अब मुझे आकर्षित कर रहा था।
मुझे अंदर बुलाकर भाभी ने झट से दरवाजा बंद किया और चिटकनी लगाकर झट से गले लगा लिया और आने के लिए थैंक यू कहने लगी.
भाभी ने अंदर कुछ पहना तो था नहीं तो उसके नर्म मुलायम मम्मों को अपनी छाती पर पाकर मेरा जोश बढ़ गया और तभी भाभी ने मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और मेरी आंखों में देखते हुए मेरे लबों पर अपने गुलाबी होंठ मिला कर चूमने लगी.
भाभी की साँसें तेज हो गई थीं और उनकी गर्मागर्म साँसें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी.
हमारे होंठ कुछ यूं मिले कि पंद्रह मिनट तक अलग होने का नाम ही नहीं लिया… वो और मैं सिर्फ सांस लेने के लिए अलग होते और अगले ही पल फिर हमारे लब एक दूसरे से चिपक जाते.
वो मुझसे अलग होने का नाम ही नहीं ले रही थी.
मेरा एक हाथ अब उनकी गर्दन और दूसरा उनके मम्मों को सहला रहा था. तभी मैंने उन्हें होंठों पर चूमना छोड़ा और उनकी गर्दन और चेहरे के आसपास सब जगह चूमने लगा पर वो मुझे फिर चूमने लगी।
मैंने आज तक कई लड़कियों का चुम्बन लिया है पर करिश्मा भाभी का किस करने का तरीका काफी अलग था… सेक्सी और समर्पित चुम्बन के साथ वो इतनी मादक आवाज निकाल रही थी कि मेरा भी उनके होंठों को छोड़ने का मन नहीं हुआ.
मैं इतना उत्तेजित हुआ कि मैंने वहीं उसे दीवार से सटाया और एक ही झटके में उनके कमर में बंधी नाईटी की डोरी खोल कर उनकी नंगी कमर में हाथ डाला और उनकी छाती को जोर से अपनी ओर खींच लिया और उनकी नाईटी उतार फेंकी.
हम एक दूसरे को छोड़ ही नहीं रहे थे, तभी उसने अपना हाथ मेरी टी शर्ट के अंदर किया और अपने मुलायम हाथों से मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी टीशर्ट उतार फेंकी.
अब भाभी पूरी नंगी थी और मैं सिर्फ जींस में था.
उसने मेरे होंठ चूमना छोड़ कर मेरी छाती को चूमना शुरू कर दिया. मेरा हथियार अब मेरी जींस को फाड़ने पर आमादा था और मुझे वहां दर्द भी होने लगा था.
तभी जैसे उसने मेरा दर्द समझा और मेरी जींस का बटन खोल कर मेरी जींस और चड्डी उतार दी और फिर मेरे होठों को अपने होंठों में लेकर चूमने लगी.
अब हम दोनों आदमजात नंगे होकर चुम्बनरत थे.
मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए उसके चूतड़ों को दबाया और अपना एक हाथ भाभी की चूत पर लगाया तो पूरी गीली थी… मैंने उसको चूमना नहीं छोड़ा और अपने हाथ से भाभी की गुलाबी चूत को सहलाने लगा.
वो सिहर गई और उसने मेरा लंड पकड़ा, उसे सहलाने लगी.
मेरा एक हाथ चुची को मसल रहा था और दूसरा भाभी की चूत को रगड़ रहा था. उसकी सिसकारियाँ तेज होने लगी थी.
मैंने भाभी की चुची को अपनी हथेली में भरा और उनकी निप्पल को अपने अंगुलियों से मसलने लगा.
मैं अभी भी उसकी आग को और भड़काना चाहता था, मैं नीचे सरका और उसकी नाभि के आसपास उसके पेट को चूमना शुरू कर दिया और उसके चूतड़ों को अपनी हथेली में भरा और दबा दिया.
वो चिल्लाई…
मैं भाभी की चूत से बहने वाले कामरस की भीनी भीनी खुशबू को सूंघने लगा. मैंने संतरे की फांक सी भाभी की चूत को अपने दोनों हाथों से फैलाया और उसमें अपनी लपलपाती जीभ लगाई और उसको चूमने लगा।
वो कांपने लगी और उनका कामरस भाभी की चूत से बहने लगा.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया वो उछली और अंदर डालने का इशारा किया. भाभी शायद कई महीनों से नहीं चुदी थी और उसकी चूत कुछ टाईट जरूर थी पर वो इतना पानी छोड़ चुकी थी की मेरा लंड बड़ी आसानी से अंदर घुसता चला गया.
उसने एक लंबी और जोर की आह भरी और अपना एक पैर मेरी कमर पर लपेट लिया. मैंने भी धीरे से अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और फिर से उसकी चूत पर टिकाते हुए धक्के लगाना शुरू कर दिए.
आहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफफ… की चीख और मादक आवाजों के बीच उसके रसीले होंठों का रसपान करते हुए, उसकी मुलायम चुची से खेलते हुए भाभी की चुदाई करने में बड़ा मजा आ रहा था. भाभी भी अपनी कमर हिला हिला कर चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी.
एक ओर तो हर धक्के के साथ कमरे में फच फच की चुदाई की सरगम गूंज रही थी तो दूसरी ओर हम दोनों की उम्हहह… आहहह… की आवाज भी हमारी कामवासना को परवान चढ़ा रही थी. अपनी आदत के अनुसार मैं निप्पल को उमेठने लगा तो उसने भी मुझे छेड़ते हुए मेरे होंठ पर हल्का सा काट लिया.
मैंने भी अचानक से अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और तेजी से फिर उसकी चूत में डालकर 3-4 जोरदार धक्के लगा दिए, जिससे उसकी चीख निकल गई और वो मुझसे और कस के लिपट कर जोर जोर से चुदने लगी कि तभी अचानक दरवाजे पर घंटी की आवाज आई.
हम दोनों चौंक गए कि यह अचानक कौन आ गया, पर चुदाई का नशा हम दोनों पर कुछ ऐसा था कि 2-3 बार घंटी बजने के बाद ही हम अलग हो पाए.
मैं अपने कपड़े लेकर अंदर के बेडरूम की ओर गया और वो अपनी नाईटी पहनने लगी।
बैडरूम में आकर मैंने अपने कपड़े पहने और परदे के पीछे से झाँक के देखने लगा कि कौन आया है।
करिश्मा भाभी ने खुद को व्यवस्थित करके दरवाज़ा खोला।
सामने एक 27-28 साल की सुन्दर सी औरत खड़ी थी।
करिश्मा- अरे कनक तुम… कैसी हो?
कनक- मैं बिल्कुल ठीक हूँ भाभी, आपकी तबीयत ठीक है? आप इतना पसीना पसीना क्यों हो रही हो?
करिश्मा- अरे वो मैं थोड़ी साफ़ सफाई कर रही थी न। तो बस… तुम बताओ कुछ काम था?
कनक- दरअसल मैं बाजार जा रही थी तो मैंने सोचा आपसे भी पूछ लूँ।
करिश्मा- यार, अभी तो ढेर सारा काम पड़ा है।
कनक- ठीक है आप काम निपटाओ, शाम को मिलते हैं, बाय!
करिश्मा- ठीक है, बाय!
कनक के जाते ही भाभी ने दरवाज़ा बंद किया और जल्दी से बैडरूम में आई।
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि ये कनक थी जो उनके पास वाले फ्लैट में रहती है और उनकी अच्छी दोस्त है।
करिश्मा- सॉरी, मैं आपसे चाय पानी का तो पूछना ही भूल गई। कहिये क्या लेंगे आप?
मुझे पता है कि आप लोग क्या सोच रहे हैं पर नहीं मैंने वो नहीं कहा।
मैं- सिर्फ आपका दिल …
करिश्मा- मेरा दिल तो तुम्हारा ही है मेरी जान… रुको, मैं तुम्हारे लिए चाय बना के लाती हूँ।
वो किचन की तरफ जाने लगी लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी ओर खींचा और उसे अपनी बाहों में लेते हुए कहा- चाय बाद में मेरी जान, पहले थोड़ा प्यार तो दे दो!
और हमारे होंठ दोबारा मिल गए। चुम्मा-चाटी करते हुए हमने एक दूसरे के कपड़े फिर से उतार दिए और मैंने उसे बेड पे पटक दिया, उसकी गर्दन पे चूमते हुए मैं नीचे उतरने लगा।
उसकी चिकनी चूत जो उसने आज सुबह ही साफ़ की थी, फिर से गीली होने लगी और जैसे ही मैंने अपना मुँह वहाँ रखा, वो एकदम से मचल उठी।
उसके पति ने आजतक उसकी चूत नहीं चाटी थी और उसके लिए यह एक बिल्कुल नया अनुभव था जिस वजह से वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी।
मैं भाभी की चूत की फाँकों को अलग करते हुए अपनी जीभ को अंदर तक डालते हुए भाभी की चूत चाट रहा था और वो एक हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी और दूसरे हाथ से चादर को कस कर पकड़े हुए थी।
भाभी की मादक सीत्कारें बता रही थी कि उसे कितना मजा आ रहा है… और उसे मदहोश होता देख मुझे भी मजा आने लगा।
सच कहूँ तो सेक्स का असली मजा तब ही है जब औरत को मजा आए क्योंकि एक बार उसे मजा आने लगे और वो गर्म हो जाए तो वो आपके मजे को सौ गुना बढ़ा सकती है।
और वैसे भी औरत को मजा देना ही तो मेरा मुख्य काम है।
तो भाभी की मादक सीत्कारों के बीच मैं उसकी चूत चाटते हुए उसके मम्मे भी दबाने लगा। उसकी चूत काफी गीली हो गई थी और अब मैं उसके मम्मे चूसते हुए उसकी चूत को उंगली से चोदने लगा।
कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और मुझे कस के पकड़ते हुए वो झड़ने लगी।
मैंने अपनी उंगलियों की रफ़्तार बढ़ा दी और तेज़ी से उन्हें अंदर बाहर करते हुए चूत पे हल्के हल्के चांटे मारते हुए उसे मसलने लगा, जिससे उसकी चूत से फव्वारे की तरह रास निकलने लगा। वो अपनी कमर को तेज़ी से झटके देते हुए झड़ रही थी और उसकी चूत से 4-5 छोटी छोटी धार निकली और वो हाँफने लगी।
उसका चूत रस मैं अपनी उंगली पर लेकर उसे चटाने लगा और वो मुझे अपने ऊपर लेकर चूमने लगी।
फिर करवट बदल कर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे गले पर और छाती पर चूमते हुए नीचे उतरने लगी, मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए उसका
मुँह चोदने लगा।
मुझे लंड चुसाने का ज़्यादा शौक नहीं है तो मैंने उसे जल्द ही दोबारा ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूमने लगा।
फिर किस करते हुए ही करवट बदल के उसे अपने नीचे लिया और उसकी चूत पर अपना लंड घिसने लगा। वो अपनी कमर को ऊपर उठा कर लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी पर मैं उसे चूत पर ही घिसते हुए उसे तड़पाने लगा।
वो कुछ मिसमिसाने लगी, उसकी चूत दोबारा काफी गीली हो गई थी और उसकी कामाग्नि काफी भड़क चुकी थी। तो मैंने उसके होंठ चूमते हुए धीरे धीरे अपना पूरा लंड उसकी चिकनी चूत में उतार दिया।
उसके मुँह से एक लम्बी सी उऊऊँन्नहहह… निकली और वो गहरी साँस लेते हुए मेरी आँखों में देखने लगी।
अगले कुछ पल न वो हिली न मैं… हम एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे और हमारी साँसें आपस में टकरा रही थी।
फिर एकदम से एक ज़ोरदार चुम्बन के साथ हम दोनों अपनी कमर चलाने लगे और ताबड़तोड़ चुदाई शुरू हो गई। न जाने हम दोनों में कहा से एक नया सा जोश आ गया था।
मैं कभी उसके गले पर चूम रहा था तो कभी उसके होंठों पर… साथ ही साथ उसके निप्पल भी मसलने लगा।
उसकी चूत बहुत ज़्यादा गीली हो चुकी थी जिस वजह से लंड फिसलते हुए अंदर बाहर हो रहा था और मस्त फच-फच की आवाजें आ रही थी। उसकी मादक सीत्कारें और हमारे गीले चुम्बन माहौल को और भी गर्म बनाते जा रहे थे।
करीब 15 मिनट की इस ताबड़तोड़ और प्यार भरी चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… पर तभी उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और वो फिर से झड़ने लगी, उसका गर्म गर्म चूतरस मेरे लंड पर लग रहा था और मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और अंदर ही झड़ गया।
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