यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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अब तक की सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि स्वीटी आंटी की कातिल जवानी ने मेरे लंड को उनकी चुदाई करने के लिए खड़ा कर दिया था. रात में उनके साथ रसभरी बातें होने के बाद मैं मुठ मारके सो गया था. सुबह जब उठा तो मम्मी ने मुझे स्वीटी आंटी को लखनऊ घुमाने के लिए कह दिया.
अब आगे:
मैं काफी खुश था और स्वीटी आंटी के तैयार होकर आने का इंतजार कर रहा था. कुछ मिनट बाद स्वीटी आंटी आसमानी रंग की पारदर्शी साड़ी में तैयार होकर नीचे आईं. जिसमें उनकी सुंदर नाभि, पूरी सेक्सी कमर और लाजवाब पेट सब दिख रहे थे. उनकी साड़ी के साथ ही मैचिंग ब्लाउज में फंसे उनके चूचे काफ़ी बड़े बड़े एकदम गोल और सुडौल दिख रहे थे. सीढ़ियों से उतरते समय उनकी लहराती कमर को एक लय में ऊपर नीचे होते हुए देखा. उनके थिरकते मम्मे, मटकती गांड को देख कर मेरा लंड फिर से ठनक गया.
जब वह सीढ़ियों से नीचे उतर रही थीं, तब ऐसा लगा कि आसमान से कोई अप्सरा उतर रही है.
वे मेरे पास आईं और बोलीं- चलो … अब चलते हैं.
मैं भी तैयार होकर ही बैठा, उनका नीचे आने का इंतजार कर रहा था.
फिर मैं, आंटी और खुशी तीनों स्कूटी पर बैठ कर घूमने निकल गए. आज होलिका दहन था … तो मम्मी ने जल्दी घर आ जाने के लिए कहा था … ताकि मुहल्ले वालों के साथ रह कर होलिका दहन मना सकें.
मैं मम्मी को हामी भरता हुआ स्वीटी आंटी के संग निकल गया. सबसे पहले हम लखनऊ शहर के बीचों बीच बसा सबसे लोकप्रिय मार्केट हजरतगंज मार्केट गए. वहां सबसे सुंदर कपड़े और हर तरह के चीजें मिलती हैं. यहां नवाबों की तरह हर चीज बहुत ही महंगी मिलती है.
सबसे पहले हम वहां पर स्थित शुक्ला चाट का मज़ा लेने गए. हम बहुत मज़े से चाट का मजा ले रहे थे पर मेरी नजर तो लगातार साड़ी से ढकी स्वीटी आंटी की नंगी कमर पर थी.
मैंने टेबल के नीचे से सबकी नजर बचाते हुए अपने हाथ को स्वीटी आंटी की नंगी कमर पर फेरना शुरू कर दिया. स्वीटी आंटी कसमसाईं, फिर से आराम से बैठ गईं.
चाट का मजा लेने के बाद हम एक मॉल में गए और वहां पर शॉपिंग करने लगे. इस बीच स्वीटी आंटी को एक सलवार सूट पसंद आ गया और वो ड्रेसिंग रूम में जाकर कपड़े बदल आईं. लाल रंग के सलवार सूट में उनके बोबे काफी बड़े नजर आ रहे थे.
उसके बाद हम ब्रिटिश प्रेसिडेंसी घूमने गए. यह अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ था. यहां घूमने के लिए बहुत अच्छे गार्डन हैं.
हम एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए. तभी आंटी ने खुशी को जरा घूम आने को कहा और वह कुछ दूरी पर गार्डन में घूमने लगी. गार्डन में बहुत लोग थे, पर वे सब बहुत दूरी पर थे और सब अपने अपने में मस्त थे.
आंटी ने मुझसे कहा कि तुम फिर से ये क्या कर रहे थे. मेरी कमर छू रहे थे. इसलिए अब मैंने सलवार सूट पहन लिया.
मैंने भी हिम्मत से बोल दिया कि या ये भी हो सकता है कि आपने जानबूझ कर सलवार सूट पहन लिया हो, ताकि इसमें आपके बड़े बड़े मम्मे नजर आएं और मुझे इनको दबाने का मन हो जाए.
ऐसा कहते ही मैंने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों बोबे पकड़ लिए और हल्का सा दबा दिए.
तभी स्वीटी आंटी ने मेरे हाथों को हटाते हुए कहा कि ये क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा.
मैंने कहा- तो फिर कहां करें … ताकि कोई नहीं देखे.
आंटी ने कहा- कहीं भी नहीं. तुम समझते क्यों नहीं … तुम अभी मेरे सामने छोटे हो.
उनकी इस बात से मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उनके दोनों मम्मे जोर से मसलते हुए और लिपकिस करते हुए बोला- मैं छोटा नहीं हूं … आप एक बार बोलो तो सही, मैं आपको बहुत अच्छी तरह से चोद सकता हूं.
मेरे मुँह से ‘चोद सकता हूँ.’ शब्द सुन कर आंटी सकपका गईं. फिर वो भी गुस्से में बोलीं- तुम्हारी उम्र में और मेरी उम्र में काफी अंतर है. मैं एक एडल्ट औरत हूं. मुझे चोद पाना तुम्हारे बस की बात नहीं.
मैंने इस बार उनके निप्पल को कपड़े के ऊपर से ही मींजते हुए कहा कि अच्छा ऐसी बात है, तो अभी चलो घर … आज ही आपको चोद कर निहाल कर देता हूँ.
इस पर आंटी का गुस्सा और भी ज्यादा भड़क गया. उन्होंने कहा- इसके लिए घर जाने की जरूरत नहीं है, मेरे पास एक जगह है, वहां चले चलते हैं. लेकिन मेरी एक शर्त है.
मैंने पूछा- क्या?
आंटी ने कहा- पहले तुम्हें मुझे चोदने के लिए तैयार करना होगा. मतलब कि तुम्हें कुछ ऐसा करना होगा कि मैं खुद तुमसे चुदने को तैयार हो जाऊं. इसके लिए तुम मुझे कहीं भी हाथ लगा सकते हो … लेकिन कपड़े के ऊपर से ही. इसके लिए मैं तुम्हें सिर्फ 5 मिनट देती हूं, जिसमें अगर तुमने मुझे गर्म करके चुदने के लिए मजबूर कर दिया, तो मैं तुमसे चुद जाऊंगी. और अगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, तो आज के बाद मुझे छूने की कोशिश मत करना.
मैंने कहा- ठीक है.
उसके बाद हम लोग इमामबाड़ा चले गए. यह इमामबाड़ा अवध के नवाबों के द्वारा बनाया गया है. इस तरह से बनाया गया है कि यह बिल्कुल एक भूल भुलैया जैसा लगता है. जो कोई भी इसके अन्दर जाता है, फिर बाहर निकलने का रास्ता जल्दी नहीं मिलता है. इसके लिए आप सभी को ऊपर छत की ओर जाना पड़ेगा, जहां से फिर बाहर निकलने का रास्ता पता चलता है.
स्वीटी आंटी को शायद इस जगह के बारे में पहले से पता था. इसलिए वो इस जगह पर मुझे चुदाई के लिए गर्म करने की बात कर रही थीं.
मैं स्वीटी आंटी और खुशी सभी वहां घूमने के लिए गए. स्वीटी आंटी ने खुशी से कहा- तुम जरा वहां घूमकर आओ.
वो चहकते हुए चली गई.
फिर हम दोनों इमामबाड़े की एक ऐसी जगह पर पहुंच गए कि जहां पर कोई नहीं था. इधर हम लोग ने चैन की सांस ली.
उसके बाद मैं स्वीटी आंटी को देखे जा रहा था और वो मुझे. सबसे पहले मैंने स्वीटी आंटी का हाथ पकड़ा और फिर जैसे ही मैं आंटी को लिपकिस करने के लिए आगे बढ़ा, तो आंटी ने कहा कि जिस जगह पर कपड़े नहीं हैं, उसे तो तुम्हें छूना भी नहीं है.
ऐसा कह कर स्वीटी आंटी ने अपने रसीले होंठों और गोरे गालों को मुझसे बचा लिया. लेकिन आंटी के मालदार मम्मों का क्या … जिस पर मेरी कब से नजर थी.
मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और आंटी की कमर के पीछे हाथ ले गया.
उनकी गजब ढाती गांड पर हाथ रख कर उसे बहुत ही जोर से दबा दिया. मैंने आंटी को अपनी तरफ खींचा और दूसरे हाथ को सीधा उनके मम्मे पर रख दिया. मैंने पहले तो आंटी के चूचे को हल्के से दबाया, तो आंटी के मुँह से वो कामुक आवाज़ निकाल गई, जिसे सुनकर किसी का भी लंड फुंफकार मारने लगता है.
आंटी ने जैसे ही ‘आह. … उन्ह..’ की आवाज़ निकाली, मैंने और जोर से उनके मम्मे दबा दिए.
आंटी के मुँह से फिर से आह की आवाज़ निकली. मेरा लंड इतना खड़ा हो गया था कि सीधा उनके चुत में सट रहा था और मैं अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही आंटी के चुत में दबाने लगा.
आंटी लगातार ‘आह … उह..’ करती जा रही थीं. धीरे धीरे माहौल गर्म होता जा रहा था. मैं अपने लंड को आंटी के पजामे के ऊपर से ही उनकी चुत में भौंके जा रहा था.
फिर मैं उनके एक मम्मे को अपने हाथ में अच्छी तरह से थाम कर जोर जोर से दबाने लगा. आंटी के मुँह से ‘उफ्फ आह … ओह..’ की आवाज से मैं और भी गर्म होता गया. बस अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मुझे लगा कि बस बहुत हुआ, अभी ही आंटी का कुर्ता फाड़ कर और कर ब्रा खोल कर फेंक देता हूं … और इनकी चुत चोद देता हूं.
मैं अभी आंटी की चुदाई की कल्पना ही कर रहा था कि मैं इनके पजामे का नाड़ा खोल कर पैन्टी में हाथ डाल दूंगा, फिर अपने लंड को इनकी चुत में घचाघच घुसाने लगूंगा.
फिर मैंने सोचा कि नहीं … अगर आंटी गुस्सा हो गईं, तो ये भी चुदाई करने ही नहीं देंगी.
मैंने धीरे से अपने हाथ को उनकी कमर पर लाकर उनकी कमर को दबाया, तो आंटी ने मदमस्त आवाज निकलते हुए कहा- आह … ह उह … उह तुम तो पक्के खिलाड़ी निकले … शाबाश … लगे रहो मुझे और गर्म करो.
तब मैं अपने हाथ को उनकी चुत पर ले गया. पहले अपने अंगूठे से उनकी चुत रगड़ने लगा.
चुत पर रगड़न पाते ही आंटी के मुँह से आह का तेज शब्द निकला, जिससे मेरा लंड और भी तन गया. उसी समय अपने दोनों हाथों से उनके दोनों चूतड़ों को पकड़ा और अपना मुँह सीधा उनकी चुत में गड़ा दिया. अब मैं आंटी की चुत को उनके कपड़ों के ऊपर से ही बेतहाशा चूसने चाटने लगा.
आंटी का बहुत ही बुरा हाल हो रहा था. आंटी कामुकता से भरी सिसकारियां छोड़े जा रही थीं. आंटी अपने दोनों हाथों से मेरा माथा पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगीं. उसी समय मैंने आंटी के पजामे के नाड़े की डोरी पकड़ी और खोल दी.
आंटी ने मुझे अलग करते हुए कहा- बस हो गए पूरे 5 मिनट … अब छोड़ो. तुम मुझे चुदने पर मजबूर नहीं कर पाए … इसलिए अब कभी भी मुझे छूने की कोशिश मत करना.
फिर आंटी वहां से उठ कर चली गईं. मेरे लंड का बहुत बुरा हाल हो गया था.
स्वीटी आंटी ने खुशी को खोजा और हम सब घर आ गए.
मेरा मन अभी भी चुदाई करने को कर रहा था. मैं हारने वाला नहीं था. शाम को सभी होलिका दहन में इकट्ठे हुए. वहां स्वीटी आंटी मस्त डार्क ब्लू कलर की साड़ी में आईं. उसमें उनकी लचकती कमर मुझ पर गजब ढा रही थी.
तभी मम्मी ने पूछा- अब तक मनोज नहीं आए?
आंटी ने कहा- वो कल होली के दिन सुबह आ जाएंगे.
कुछ देर बाद सभी वहां से जाने लगे.
जब सब लोग सो गए, तब मैं स्वीटी आंटी के कमरे की तरफ गया और हल्के से कमरा खोला, तो दरवाजा खुल गया.
कमरे में काफी अंधेरा था. खुशी आंटी से थोड़ा दूर, लेकिन एक ही पलंग पर सो रही थी.
मैं धीरे से स्वीटी आंटी के पास गया और उनके बगल में लेट गया. मैंने अपनी एक टांग को उनकी टांग पर चढ़ा दिया.
आंटी वही डार्क ब्लू कलर वाली साड़ी में सो रही थीं. मैंने आंटी के छाती पर से उनकी साड़ी का पल्लू हटा दिया. आंटी का ब्लाउज और नंगा सेक्सी पेट दिखने लगा.
मैंने अपने हाथों को उनकी कमर पर रखा और रगड़ने और दबाने लगा. आंटी थोड़ा कसमसाईं. मैंने आहिस्ते से उनकी साड़ी को पेटीकोट के साथ कमर से नीचे सरका दिया. उनकी सफेद पैंटी दिख गई. अब मैंने उनके ब्लाउज को वहां रखी एक कैंची से ऊपर से काट दिया. जिससे उनकी ब्रा दिखने लगी.
इसके साथ ही आंटी भी उठ गईं. मैंने अपनी टांग उन पर चढ़ाते हुए उनको लिटा दिया और उन पर चढ़ गया. मैं उनके कड़क मम्मों को ब्रा के ऊपर से चूसने चाटने लगा. साथ ही में मेरा लंड भी आंटी के पैंटी के ऊपर से ही चुत पर रगड़ने लगा. मैं आंटी पर पूरा चढ़ गया था.
स्वीटी आंटी- आह रॉकी … ये सब क्या कर रहे हो … उफ़ … उफ … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह रॉकी छोड़ो भी न … आह रॉकी … आह रॉकी…
मैं- सिर्फ मज़े लो स्वीटी आंटी, अपने इस खजाने को आप मुझसे नहीं बचा सकती हो. अब और मत तड़पाओ. अब चुद भी जाओ न.
मैंने उनकी पैन्टी में हाथ डाल दिया और चुत को अपनी उंगली से छूने और रगड़ने लगा.
तभी आंटी का फोन बजा और आंटी ने मुझे धक्का देकर अपने आपसे मुझे छुड़ाया.
मैं नीचे फर्श पर गिर गया.
उसके बाद फोन पर बात करने बाद स्वीटी आंटी ने मुझे बताते हुए कहा- मनोज आ चुके हैं, वो नीचे दरवाजे के पास हैं. तुम अभी जाओ.
आंटी ने झट से दूसरा ब्लाउज पहन लिया और अपनी साड़ी ठीक करके नीचे चली गईं.
खड़े लंड पर फिर एक बार धोखा हो गया था. स्वीटी आंटी की चुदाई का मंजर आपको पूरे विस्तार से अगले भाग में लिखूंगा.
आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
[email protected]
कहानी जारी है.
धन्यवाद.