सेक्स की आग अब बर्दाश्त से बाहर हो चुकी थी … मैं भी बेशर्म होकर उसके सामने नंगी पड़ी थी; बार-बार अपनी गांड उठाकर उसका लोड़ा अपनी चूत में लेना चाह रही थी.
अन्तर्वासना की इस फ्री कहानी के पिछले भाग
में अपने पढ़ा कि मैं अपनी भाभी के भाई से चुदाने को तैयार थी. मैं अपनी चूत में लंड चाह रही थी.
अब आगे की मेरी चूत की आग की कहानी:
अबकी बार उसने अपने चारों उंगलियां मेरी चूत की फांकों में मसलना शुरू कर दिया. चारों उंगलियों को उसने मेरी गीली चूत के पानी से भिगो दिया और दुबारा से मेरी पैंटी में से हाथ निकालकर चारों उंगलियां अपने मुंह में लेकर मेरी चूत के पानी को चाट लिया.
और फिर वही चारों उंगलियां उसने मेरे मुंह में डाल दी.
मैंने अपनी चूत का पानी, जो उसकी उंगलियों पर लगा हुआ था, उसको पूरा चाट लिया और हम दोनों की होंठ दोबारा से आपस में मिल गए।
हम दोनों के होंठ आपस में मिले हुए थे. हम आपस में जुड़े हुए पलंग पर आ गए.
उसने मुझे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गया. अपने हाथों से उसने मेरी पैंटी को उतार दिया और मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया.
मैंने भी अब शर्म को पूरी तरह छोड़ दिया था. मैं खुलकर आज रात मजे लेना चाहती थी.
इसलिए मैं भी बेशर्म होकर उसके सामने नंगी पड़ी थी.
ना ही मैंने अपने बूब्स को हाथों से ढका और ना ही अपनी चूत को छुपाया।
विजय मेरी चूत को देखकर पागलों की तरह उस पर टूट पड़ा और मेरे दोनों पैरों को फैलाकर उसने चूत पर अपना मुंह लगा लिया.
मेरी चूत की दोनों फांकों को अपनी उंगलियों से खोलते हुए अपनी पूरी जीभ को मेरी चूत के दाने पर लगा दिया.
मुझे अचानक से भाभी से किया हुआ हम दोनों की चुदाई का वीडियो का वादा याद आ गया और मैं विजय को बोल उठी- जानू सुनो!
विजय ने चूत से मुँह हटाकर मेरे सामने देखा.
“मेरे पास आओ जान पहले!”
वो तुंरत मेरे ऊपर आ गया.
“जानू हम दोनों ने इस पल के लिए बहुत लंबा इंतजार किया है और आज जब मिले हैं तो इस तरह मिले हैं कि हमें इस पल को जीने से रोकने वाला कोई नहीं है. ना ही हम पर किसी तरह की पाबंदी या किसी का डर है. मैं अपने इस मिलन के पलों को हमेशा के लिए संजोकर के रखना चाहती हूं.”
मैं आगे बोली- मैं चाहती हूं कि हमारे इस प्यार को तुम कैमरे में कैद कर लो … और मुझे जब भी जयपुर में तुम्हारी याद आएगी और तुम मेरे पास नहीं होंगे तो मैं हमारे इस प्यार के पलों को देखकर तुम्हें अपने पास महसूस किया करूंगी!
विजय बोला- शालू, तुमने मेरे दिल की बात कह दी. यही तो सच्चा प्यार होता है कि अपने प्रेमी के दिल की बात सामने वाला भी जान जाए!
वो आगे बोला- मैं भी यही चाहता था लेकिन मैं डर रहा था कि कहीं तुम चुदाई के इन पलों को कैमरे में कैद करने के लिए मना तो नहीं कर दोगी. इसलिए मैंने तुम्हें इस बारे में कुछ कहा नहीं।
विजय ने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और अपने मोबाइल से मेरी नंगी फोटो लेनी शुरू कर दी.
उसने मेरे बूब्स की, मेरी नंगी चूत की और मेरी नंगी फोटो ली, और हम दोनों ने भी साथ में बहुत सारी नंगी फोटोज ली.
हम दोनों के लिप किस करते हुए, वह मेरे बूब्स चूसते हुए, अपनी जीभ मेरी चूत में डालते हुए, पीछे से मेरी गांड में अपनी जीभ डालते हुए अलग-अलग स्टाइल में उसने फोटो ली।
मैंने अपने मोबाइल का फ्रंट कैमरा ऑन करके उसमें वीडियो रिकॉर्डिंग चालू कर दी और कैमरा विजय को दे दिया … वह तुरंत पलंग के साइड में जाकर मोबाइल इस तरह से रख दिया कि हम दोनों की पूरी चुदाई उसमें रिकॉर्ड हो सके और तुरंत पलंग पर वापस आ गया.
पलंग पर आते ही हमने चूमाचाटी शुरू कर दी।
मैं नंगी विजय की बांहों में झूल रही थी और वो मेरे बदन को बेहताशा चूम रहा था।
मैंने भी अब उसके अंडरवियर को नीचे खींच दिया।
उसका लंबा और मोटा लंड सर उठाकर खड़ा हो गया। उसके लंड को देखते ही मेरी आंखें फटी की फटी रह गई.
मैं कसम खा कर बोल सकती हूं कि आज तक इतना लंबा लौड़ा मैंने किसी का ना तो लिया था और ना ही देखा था.
उसका लंड हाथ में लेकर मैं सहलाने लगी।
विजय का लंड बहुत ही ज्यादा कड़क और तना हुआ था. विजय भी अब पूरे जोश में आ चुका था और मेरी तनी हुई चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने और चुम्भलाने लगा।
जब वो चूची के चूचुक को अपने दांतों से काटता और जोर जोर से चूसता तो दर्द चूत की गहराई तक महसूस होता और मैं मस्त हो जाती।
जो औरतें और लड़कियां चुदवाती हैं, उनको इस मजे का अहसास जरूर होगा।
विजय ने मुझे अपनी मजबूत बांहों में उठाया और पलँग पर लेटा दिया।
मेरे नंगे बदन को बेतहाशा चूमते हुए उसने अपने होंठ मेरी रसीली चूत पर लगा दिए।
अपनी लंबी सी जीभ के साथ विजय मेरी चूत चाटने लगा। अपनी पूरी जीभ को गोल गोल घुमा कर मेरी चूत के हर हिस्से को चाट रहा था और मैं मस्ती से पागल हुई जा रही थी।
मैं भी विजय के लंड को मुँह में लेना चाह रही थी.
मैंने मोबाइल के सामने देखा और जोर से बोल उठी ताकि मोबाइल में मेरी यह आवाज साफ रिकॉर्ड हो जाए- विजय, मुझे तुम्हारा लंड चूसना है. प्लीज अपना लौड़ा मेरे मुंह में दे दो.
विजय तुरंत घूम गया और अपना लौड़ा मेरे मुंह में डाल दिया. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
अब मैं उसका लौड़ा ऐसे चूस रही थी जैसे मुझे मेरे मनपसंद चीज मिल गई हो.
मैं मोबाइल के सामने देख कर बार-बार मुस्कुरा रही थी और उसके लौड़े को और उसके आंड को चाट रही थी.
वो भी जोर जोर से मेरी चूत को चाट रहा था.
“खा जा मेरे राजा …. चाट ले सारा रस मेरी चूत का … आज ये चूत तेरी हुई!” मैं मस्ती के मारे बड़बड़ा रही थी।
विजय मेरी चूत का रस अपनी जीभ से निकालने की भरपूर कोशिश कर रहा था जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने भी विजय के लंड को चूस चूस कर निहाल कर दिया।
अब उसका लौड़ा मेरे मुंह में फूलने लगा और मुझे अहसास हो गया कि विजय के वीर्य की धार अब आने वाली है और मेरी भी चूत किसी भी वक्त पानी छोड़ सकती थी.
विजय ने तुरंत अपना लौड़ा मेरे मुंह से निकाल दिया और मुझे पूछा- जान, मेरा पानी आने वाला है क्या तुम इसे टेस्ट करोगी तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं?
मैं बोली- प्लीज विजय, आज कुछ मत बोलो.
और ऐसा कह कर मैंने उसके लौड़े को दोबारा से अपने मुंह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लग गई।
उसका लौड़ा पूरा फूल चुका था.
मैं खेली खाई हुई औरत हूँ; मुझे पता चल गया कि इसका अमृत अब आने वाला है.
उसने ‘अहह … आहहह … आहहह … ओह्ह शालू …’ करते हुए वीर्य की एक तेजधार मेरे गले के अंदर तक छोड़ी और दनादन अपने लौड़े से मेरे पूरे मुँह को वीर्य से भर दिया.
कई औरतों को वीर्य मुंह में जाने पर उबकाई होती है और उल्टी भी हो जाती है, लेकिन आपको पता है मुझे वीर्य पीना बहुत ज्यादा पसंद है … और इसी से मेरा बदन खिला-खिला रहता है और मैं जवान बनी रहती हूं.
मैंने विजय के वीर्य को पूरा एक साथ गटक लिया और उसके लौड़े को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
मेरी चूत ने अब पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. चूत ने भी अब तेजधार उसके मुँह में छोड़ी. विजय ने मेरी चूत का पूरा पानी अपने मुंह में भर कर उसको पी लिया.
अब हम दोनों सीधे हो गए और वापस अपने होंठ मिला लिए.
मैंने अपने मुँह विजय के वीर्य को थोड़ा बचाया हुआ था. मैंने तुरंत अपने मुंह से उसका वीर्य को उसके मुंह में दे दिया.
उसने भी अपने वीर्य और मेरी चूत के पानी को मिक्स करके दोबारा से आधा मेरे मुंह में दे दिया.
इस तरह हम दोनों ने अपनी चूत और लंड का पानी को मिक्स करके पी गए।
रात के 11:00 बज रहे थे और हम दोनों नंगे पलंग पर एक दूसरे से चिपक कर लेटे थे.
वह लगातार मेरे बूब्स को मसल रहा था और मेरे होंठों को चूसे जा रहा था.
हम दोनों ने बहुत सारी प्यार भरी बातें की और एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खाई.
मैं नीचे से उसके आंड सहला रही थी और उसका लंड दोबारा से अपने पूरे विकराल रूप धारण कर चुका था.
लंड को अपने विकराल रूप में आते ही विजय तुरंत उठ खड़ा हुआ और मेरे पेट के ऊपर आ गया. अपना लंड उसने मेरे दोनों बूब्स के बीच में रख दिया.
मैंने भी अपने दोनों बूब्स अपने हाथों से पकड़ कर आपस में मिला दिया.
विजय का लंड अब मेरे बूब्स की चुदाई कर रहा था. मैं भी उसके लंड को बार-बार अपनी जीभ से टच कर रही थी.
वह अब थोड़ा ऊपर हो गया और मैंने भी अपना सर पीछे से उठा लिया अब उसका लंड बूब्स में से होता हुआ आधा मेरे मुंह में जा रहा था.
मैं भी मजे से अपने बूब्स की चुदवाई करवा रही थी और उसके लंड को भी चूस रही थी.
अब तो हम दोनों चुदाई के लिए तड़प उठे थे.
मैंने विजय को बोला- जान अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, प्लीज मेरी चूत को अपने लंड से धन्य कर दो और मुझे हमेशा के लिए अपनी बना लो!
दोनों के लिए अब और इंतज़ार करना मुश्किल था।
विजय ने पलंग पर मेरे कूल्हों के नीचे एक तकिया लगाया जिससे मेरी चूत उभर कर ऊपर की ओर हो गई।
उसने 2-3 बार मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटा और अपने मूसल लौड़े को मेरी चूत की फांकों पर लगाया.
मेरी शेवेड चिकनी चूत अब लौदा खाने के लिए मुख खोलकर तैयार थी।
विजय ने अपने मोटे लंड का सुपारा चूत के मुहाने पर लगाया ऊपर नीचे रब करने लगा.
उसके रब करने से मैं तड़प उठी और अपना सर इधर उधर पटकने लगी.
मैं उससे मिन्नत करने लगी- जानू, मेरी जान निकल जाएगी ऐसे तो … मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ. अब मत तड़पाओ. प्लीज अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दो.
और मैं अपनी गांड ऊपर उठाने लगी ताकि उसका लौड़ा मेरी चूत में उतर सके।
लेकिन उसने भी शायद ठान रखा था कि जितना मैंने उसको तड़पाया है, वह भी मुझे तड़पाना चाह रहा था.
वह लगातार मेरी चूत पर अपने लौड़े का टोपा घिस रहा था. कभी हल्का सा टोपा मेरी चूत के अंदर डालता और वापस निकाल लेता.
मेरी चूत की आग अब बर्दाश्त से बाहर हो चुकी थी … मैं बार-बार अपनी गांड उठाकर उसका लोड़ा अपनी चूत में लेना चाह रही थी.
उसने जब मुझे इस तरह तड़पते हुए देखा तो मुझे बोला- शालू, मेरा लंड खाने के लिए तैयार हो जाओ!
उसको कौन समझाये कि शालू तो कब से तैयार ही बैठी है … तुम ही तड़पाये जा रहे हो!
उसने भी अब ज्यादा देर नहीं करते हुए एक जोरदार धक्के के साथ चुदाई का आगाज़ किया।
पहले धक्के में उसका आधा लंड मेरी चूत की दीवारों को छीलता हुआ चूत की गहराई में चला गया।
अगले ही पल उसने दूसरा धक्का लगाकर अपना पूरा लंड चूत में जड़ तक ठोक दिया।
उसका लंबा लौड़ा मेरी चूत की गहराई में उतर चुका था और उसका दूसरा धक्का सीधा मेरे बच्चेदानी तो टच हुआ.
मैं जोर से चिल्लाई- उईईई माँ, मम्मी … मार डाला जानू!
मेरी आंखों से पानी आने लग गया. मैंने अपने दोनों हाथों से पलंग के चादर को अपनी मुट्ठियों में भीच लिया.
मैंने आज तक बहुत सारे लंड लिए है लेकिन आज पहली बार इतना लंबा और मोटा लौड़ा मेरी चूत में उतरा था तो दर्द की तो कोई सीमा ही नहीं थी.
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मेरी चूत की आग की कहानी जारी रहेगी. चूत की प्यास का इंतजाम-5