इस सेक्स स्टोरी के दूसरे भाग
दीदी को बनाया बीवी-2
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी प्रमिला दीदी मुझे ज्यादा चुदाई नहीं करने देती थी. मेरा फ्लैट का रिनोवेशन हो चुका था, तो मैं अपने फ्लैट पर वापस आ गया था.
अब आगे:
अगले हफ्ते एक शनिवार को कुछ यूं हुआ कि मॉर्निंग को मेरा कैंटीन पे जाना हुआ और दीदी का उसी वक्त वहां पे आना हुआ. ये सब पहले जैसे ही हुआ. मेरा उसे दूर से देखना … और उसका एक बार अपने मम्मों की घाटी का दिखाना. वो पूरा दिन नॉर्मल ही निकला था. रात को अचानक मेरे फोन की मैसेज रिंग बजी. उस वक्त करीब 11 बजे थे.
प्रमिला दीदी- हाय.
मैं- हाय.
प्रमिला दीदी- क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं.
प्रमिला दीदी- ओके.
मैं- याद आ रही है तेरी.
प्रमिला दीदी- ओके … तो यहां अभी मेरे घर आ जाओ.
मैं- अभी?
प्रमिला दीदी- हां कुछ अर्जेन्ट काम है.
मैं- काम?
प्रमिला दीदी- QF
मैं- ओह … अभी कैसे आऊं?
प्रमिला दीदी- तुम आओ तो यार.
मैं- ओके आता हूँ.
प्रमिला दीदी- प्लीज़ जल्दी.
मैं- आता हूँ.
प्रमिला दीदी- थैंक्स.
मै दीदी के घर गया. रूम में अंधेरा था. वो मुझे किचन में लेकर गयी और मेरा हाथ अपने मम्मे पर रखा. मैंने दीदी के मम्मे दबाये. वो अगले ही पल नीचे लेट गयी. उसने झट से अपनी साड़ी ऊपर कर दी. मैंने भी तुरंत शर्ट पेंट उतारी और उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने लंड सैट करते हुए कहा- तेरी सासू माँ?
मेरी प्यासी दीदी ने गांड हिलाते हुए लंड सैट किया और कहा- वो सो रही है, तुम जल्दी अन्दर करो.
मैं लंड रगड़ कर दीदी को गर्म करने में चालू हो गया. उसके मम्मे दबाना, किस करना शुरू हुआ. फिर मैंने अपना लंड बाहर निकला, उसकी बिल्ली पे रख के उसे ठोकने लगा. अभी मेरा ठोकना चालू हो गया था. मैं उसे किस करना चाहता था, लेकिन उसने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया, जहाँ बगल के कमरे में उसकी सासू माँ सो रही थी. मैं समझ गया वो सासू माँ की तरफ ध्यान दे रही है.
मैं दीदी की चूत में लंड ठोकता गया.
अचानक मैंने ऊपर देखा, सासू माँ सामने आकर खड़ी हो गयी. मैं डर गया … अब क्या होगा. मैं तुरंत ही उठा और कपड़े लेकर अपने आपको ढकने की कोशिश करने लगा. दीदी ने भी अपनी साड़ी नीचे कर ली. उसने उठ कर साड़ी को ठीक किया. अब रूम शांत था.
दीदी की सासू माँ ने कहा- क्या चल रहा है ये? चलो बेडरूम में दोनों बात करते हैं.
मैंने दीदी की ओर देखा, दीदी ने इशारा किया. हम दोनों बेडरूम में आ गए. बेडरूम में थोड़ा उजाला था, उधर एक डिम लाईट जल रही थी. लेकिन हम तीनों एक दूसरे को देख सकते थे. दीदी की सासू माँ वहीं आराम कुर्सी पे बैठ गयी. हम दोनों जमीन पर बैठे थे. सब शांत था. मेरी और दीदी की गर्दन नीचे थी. हमारी हिम्मत सासू माँ को देखने की नहीं हो रही थी.
फिर दीदी की सासू माँ बोलने लगी- क्या चल रहा था वो? और कब से चल रहा है?
हम दोनों चुप थे.
दीदी की सासू माँ ने बोलना चालू किया- मुझे सब मालूम है.
मैंने चौंक कर ऊपर देखा और फिर नीचे मुंडी करके बैठा रहा. दीदी की सासू माँ बोलने लगी- ये एक हफ्ते से चल रहा है ना … पूछो मुझे कैसे मालूम … याद है मैं एक दिन जब सुबह मंदिर से आयी, तुमने दरवाजा खोला और तुम्हारी दीदी बाथरूम में थी. उस दिन मैंने पूरा ध्यान दिया तुम्हारी दीदी के चाल चलन पर. मुझे लग गया कि ये सगे भाई बहन का नाता नहीं रहा, अब ये अलग नाता बन गया है. पहले तो मुझे बुरा लगा, फिर मैंने भी सोचा कि ठीक है, मेरा बेटा नहीं है … बहू भी अकेली है … वासना की इच्छा सबको होती है. ऊपर से ये जवान बहू है तो कौन पूरी करेगा उसकी वासना की इच्छा?
दीदी की सासू माँ वो बोले ही जा रही थी, हम सुन रहे थे. तभी दीदी उठ के अन्दर चली गयी.
दीदी की सासू माँ बोल रही थी- बाबू, तेरी दीदी ना शादी करना चाहती है. ठीक है वो पूरी ईमानदारी से मेरे साथ रही और वासना तो वासना है, सबकी जरूरत होती है. ना वो बाहर गयी किसी के साथ, अगर बाहर जाती, तो बदनाम होती और क्या क्या न होता, कुछ पता नहीं.
सासू माँ के बाजू में एक रेड कलर का सिल्की कपड़ा रखा था. उसन वो मेरी तरफ फेंका और कहा- इसे अपनी कमर पे लपेटो.
मैंने वही किया.
दीदी की सासू बोल रही थी- एक बात बताऊं बेटे … घर की बात घर में ही रहनी चाहिये, चौराहे में लाने का कोई मतलब नहीं होता है. अब मैं एक सवाल पूछती हूँ, जवाब देना? देगा ना?
मैंने कहा- हां.
दीदी की सासू माँ ने कहा- क्या तुम अपनी दीदी से प्यार करते हो? हां वो तुमसे सात साल बड़ी है, फिर भी अगर तुम्हारी दीदी तुम्हारी बीवी बन गयी, तो भी क्या तुम उसे पसंद करोगे?
यह बात सुन के मेरा लंड फिर से तन गया. सासू माँ ने हाथ में लकड़ी ली और मेरी पेंट के ऊपर लिपटा हुआ वो लाल सिल्की कपड़ा ऊपर किया. फिर मेरे खड़े होते लंड को देखा.
दीदी की सासू माँ बोलने लगी- याद है, उस दिन जब तुम लोगों में संग मिलन हुआ, तभी उसी दिन मैं शाम को शादी के लिए चली गयी? क्यों चली गई, मालूम है? ताकि तुम दोनों को थोड़ी प्राइवेसी मिले, एकांत मिले. उस रात में तुम लोगों ने फिर से किया. अब बताओ क्या तुम अपनी दीदी को अपनी पत्नी मानने के लिए तैयार हो?
उस वक्त मुझे याद आया, जब मैं कैंटीन में था. वो दो अजनबी थे. उसमें से एक ने दीदी को देख के बोला था कि हां यार ये जिसकी भी बीवी होगी, उसका पति क्या लकी होगा.
मेरे पास यही मौका था ‘लकी पति’ बनने का … मैंने भी तुरंत ही हां बोला- हां मैं तैयार हूँ अपने दीदी को अपनी पत्नी बनाने के लिए.
दीदी की सासू माँ ने इशारा किया. मैंने देखा तो दीदी बाजू में खड़ी थी. वो एक लाल साड़ी पहन कर आ गई थी. उसके ऊपर लाल साड़ी और लाल ब्लॉउज बड़ा फब रहा था. वो सर पे घूँघट लिए थी. दीदी एकदम शादी की दुल्हन टाईप की लग रही थी. फिर मैं खड़ा हो गया.
दीदी की सासू माँ ने मेरा और दीदी का हाथ पकड़ कर हमें पीछे बेड पर बिठाया और कहा- रुको मैं आती हूँ.
वो दूसरे रूम में जाके फिर आयी. उसके हाथ में दो शादी के बड़े हार थे. एक उसने मेरे हाथ में दिया. दूसरा दीदी के हाथ में दे दिया. हम अब दोनों आमने सामने खड़े हो गए थे. दीदी की सासू माँ ने कहा- अब एक दूसरे को हार पहनाओ.
मैंने मेरी दीदी के गले में हार डाल दिया और दीदी ने मेरे गले में हार पहना दिया.
फिर उसने एक मंगलसूत्र दिया और कहा- ये पहना अपनी दीदी को.
मैंने मंगलसूत्र पहनाया. फिर दीदी की सासू माँ ने एक डिब्बी निकाली और मुझसे कहा- भर अपनी दीदी की मांग.
सिंदूर लेकर मैंने दीदी की मांग भर दी. दीदी बहुत सुंदर दिख रही थी.
उसने हाथ पकड़ कर फिर से बेड पर बिठाया. मेरा ध्यान गया तो बेड पे गुलाब की पत्तियां बिछाई हुई थीं.
दीदी की सासू माँ ने कहा- अभी रुको, मैं आती हूँ.
फिर वो चली गयी.
मैंने दीदी को कहा- मोबाइल है?
दीदी ने कहा- हां.
मैंने कहा- जरा एक मिनट के लिए दो … कुछ टाईप करके दिखाना है.
मैंने टाईप और दीदी को दिखाया.
दीदी ने भी टाईप किया और स्माईल करके मेरे हाथ में दिया.
मैंने टाईप किया था- आज हम शादीशुदा पति पत्नी हैं, लेकिन मैं चोदते वक्त तुझे दीदी ही मान कर चोदना चाहता हूँ. वो मेरा पहला प्यार है.
दीदी ने रिप्लाय में टाईप किया था- तुम्हारी खुशी में मेरी खुशी है.
साथ में चुम्मी वाला स्माईली भी था.
मैंने देखा, फिर हम दोनों ने एक दूसरे को देख कर स्माईल किया. तभी दीदी की सासू माँ आ गयी. उसके हाथों में दूध से भरे दो गिलास थे. एक उसने मेरे हाथ में दिया, दूसरा दीदी के हाथ में पकड़ा दिया.
दीदी की सासू माँ ने कहा- रुको.
उसने अपने ड्रॉवर से एक जड़ी बूटी का बाउल निकाला, एक बड़ा चम्मच लिया. दो फुल जड़ी बूटी पावडर भरके भरा और मेरे गिलास में डाला. फिर दीदी के गिलास में दो नहीं, चार चम्मच भरके डाल दिया. फिर बचा खुचा पूरा उसके गिलास में डाल कर कहा- पियो.
हम वो मुँह तक लेके गए, तभी उसने हम दोनों के हाथ पकड़े और कहा- प्रमिला, तू अपने हाथ का गिलास का दूध प्रकाश को पिला. और प्रकाश तू अपने हाथ का गिलास का दूध अपनी पहली दीदी यानि अब तुम्हारी बीवी को पिला.
मैंने कहा- ओह लेकिन ये क्या है?
सासू माँ ने कहा- मूर्ख है … तू चुपचाप पिला दे.
यह सुन के दीदी मुझे देख कर थोड़ी हंस पड़ी.
दीदी की सासू माँ ने कहा- इतने साल से तेरी दीदी भूखी है. उसकी प्यास तो बुझानी पड़ेगी ना. हां और एक बात ये कल तक मेरी बहू और बेटी थी, लेकिन आज से सुन प्रमिला, तू मेरी बहू और ये तेरा भाई मेरा बेटा है. एक बेटा मैंने खोया, पर दूसरा पाया. तू भी सुन प्रमिला आज के बाद मेरे बेटे को खुश रख ना तेरा काम है और तू सुन प्रकाश, तेरी बहन अब जो तेरी पत्नी बीवी बनी है, वो मेरी लाड़ली बहू है, उसका पूरा ख्याल रखना. चलो अब जल्दी से पिलाओ एक दूसरे को दूध.
मैंने दो चम्मच वाला गिलास का दूध दीदी को पिलाया और चार चम्मच से भी ज्यादा पावडर वाला गिलास दीदी ने मुझे पिलाया. हमने एक दूसरे को दूध पिलाया. उसने गिलास लेकर टेबल पे रख दिए और वहीं सामने चेयर पे बैठ गयी.
मुझे लगा कि वो चली जाएगी, लेकिन वो वहीं बैठी रही.
मैंने धीरे से दीदी से पूछा- ये तेरी सासू माँ और मेरी नयी माँ इधर क्यों बैठी है?
दीदी ने कहा- वो हमारा सेक्स देखना चाहती है.
मैंने कहा- इसके सामने तो मुझसे नहीं होगा, मुझे शर्म आती है.
दीदी ने कहा- रुको.
फिर दीदी अपनी सासू माँ को बोली- माँ जी, उन्हें थोड़ी दिक्कत है. आप समझ रही हो ना?
सासू माँ ने ‘हम्म..’ करके इशारा किया. दीदी पलंग से उठी और पलंग और सासू माँ के बीच में ऊपर एक रॉड था, उस पर एक नेट वाला परदा पड़ा था, वो खींच लिया. अब सासू माँ उस नेटवाले परदे के उस तरफ थी और हमारा सेक्स देखने वाली थी.
मैंने दीदी की ओर देखा. दीदी ने कहा- ठीक है, तुम उधर ध्यान मत दो.
अब 12:30 बज गए थे. मेरा भी लंड उठ गया था. मैंने अब दीदी को चूमा और उसके ब्लॉउज में हाथ डाल कर उसका ब्लॉउज लगभग फाड़ कर खोल दिया. अब उसने भी अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी. मैंने दीदी का साया खींचा और उसकी कच्छी निकाल दी. फिर उसे चुदाई की पोजीशन में लिटा कर मेरा लंड उसकी बिल्ली में घुसेड़ दिया. मैं ठोकर देने लगा और वो भी अपनी चूतड़ हिला हिला कर रिस्पॉन्स देने लगी.
उसके मुँह से मादक आवाजें आने लगी ‘ओओह … आह … आह …’
मैं जड़ीबूटी वाला दूध पीकर कुछ एक्स्ट्रा ताकत महसूस कर रहा था. मैंने अपनी दीदी को चोदता चला गया.
आखिरी मुकाम पर आके, मैंने अपना पानी उसकी बिल्ली में छोड़ दिया. इस तरह ये पहला राउंड पौना घंटा चला. उसके बाद हर एक घंटे के बाद एक और राउंड हुआ. सासू माँ भी वहीं बैठ कर हमारा सेक्स देख रही थी. पता नहीं दीदी की सासू माँ ने क्या पिलाया था. सुबह जब 11 बजे नींद खुली, तो हम दोनों नंगे ही पड़े थे.
सासू माँ फिर आ गयी. हम रात को इतना मदहोश थे कि हमें पता ही नहीं चला कि वो कब उठ कर चली गयी. अब वो फिर हमारे रूम में आ गयी.
दीदी की सासू माँ ने कहा- चलो अब.
उसने हमारे दोनों के हाथ पकड़े और बाथरूम में ले गयी. मैंने बाथरूम में भी शॉवर के नीचे दीदी, जो अब मेरी बीवी है उसको घोड़ी बना कर चोदा. सासू माँ भी बाहर ही थी और हमारी चुदाई की कामुक आवाजें सुन रही थी.
फिर हम दोनों नहा कर बाहर आ गए तो दीदी की सासू माँ ने कहा- चलो तुम्हारे घर चलते हैं, मुझे कुछ रस्में पूरी करनी है.
दीदी ने साड़ी पहनी और सासू ने गृहप्रवेश करवाया. पंडित जी आए हमारे घर की पूजा की. शाम हुई सासू माँ का फोन आया. उसने कहा- मेरे घर तैयार होके आ जाओ.
हम दोनों गए. दीदी की सासू माँ ने कहा- घर की चाबी मुझे दो. मुझे और भी कुछ करना है. तुम दोनों आज रात बाहर खाना खाओ, रात घर जाते वक्त फिर चाबी लेकर जाना.
हम बाहर गए, घूमे फिरे, मूवी देखी, फिर खाना खा कर सासू माँ के घर आ गए. तब करीब 11 बजे थे, थोड़ी देर उनके साथ बैठ कर बातें की. सासू माँ ने घर चाभी दी, हम लोगों ने उसके पैर पड़े और आशीर्वाद लिया. फिर उधर से निकलने लगे.
तभी सासू माँ ने दीदी को बुलाया और उसका हाथ पकड़ कर चाबी दे कर उसके गले से लगी. उन दोनों में कुछ बात हुई और दोनों थोड़े हंस पड़े.
फिर मैं और मेरी दीदी यानि मेरी पत्नी हम फ्लॅट पे आ गए. मैं सोफे पे बैठ गया.
दीदी ने कहा- मैं फ्रेश होती हूँ, उसके बाद तुम भी फ्रेश हो जाना और बेडरूम में आ जाना.
उसने मेरी तरफ एक रेड कलर का सिल्की कपड़ा फेंका. मैं भी फ्रेश हुआ और सब लाइट ऑफ करके रूम में चला गया. अन्दर जाकर देखा तो दीदी रेड कलर की साड़ी पहन कर खड़ी थी. उसने इशारा किया. मैंने देखा टेबल पे दो गिलास थे. उसने जड़ी बूटी वाला पावडर चार चम्मच निकाला. एक गिलास में चार चम्मच डाले और दूसरे गिलास में आठ चम्मच डाल दिए.
आठ चम्मच का गिलास दूध उसने मुझे पिलाया. हम थोड़ी देर में उत्तेजित हो गए. फिर से सेक्स चालू हुआ.
मैं बोला- इस बार मुझे तेरी गांड मारनी है.
उसने झट से अपनी गांड फैला दी.
मैंने उसके खूब जम कर गांड मारी. रात भर अलग अलग पोजीशन में सेक्स किया.
दूसरे दिन हमारी नींद 12 बजे खुली. देखा, तो पलंग पूरा चरमराया हुआ था. वो देख कर हम हंस पड़े. फिर हम दोनों ने एक साथ शॉवर लिया, पानी के नीचे चुदाई की.
शॉवर में चोदते वक्त मैंने दीदी से पूछा- दीदी बता ना … तेरी सासू माँ क्या बोली थी और तुम दोनों हंस पड़े थे?
दीदी ने कहा- उसने मुझे चाबी दी और जड़ी बूटी वाला पावडर हाथ में थमाकर कहा था कि इस बार दो चम्मच ज्यादा डालना … आज रात तुम्हारी असली सुहागरात है … पलंगतोड़ कबड्डी होनी चाहिये … मैं देखने आऊंगी. उसकी इस बात से हम दोनों एक दूसरे को हंस पड़े थे.
अब मेरी दीदी मेरी पत्नी है और मैं लकी पति हूँ. आज भी मैं हर शनिवार रविवार सुबह कैंटीन जाता हूँ और दूर से दीदी को देखता हूँ और दीदी भी शॉपिंग के बहाने आती है, झलक दिखाती है. ये हम दोनों एक दूसरे को याद रखने के लिए जरूर करते हैं.
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