यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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नमस्ते दोस्तों, अपनी इस सेक्सी कहानी के तीसरे भाग में आपने पढ़ा कि मैंने अपने भाई, चाचा की लड़की के साथ ग्रुप सेक्स का मजा लिया. उसके बाद जब भी हम तीनों को मौका मिलता था हम तीनों ही मिलकर चुदाई के मजे लेते रहते थे. कुछ दिन के बाद हम घर में चुदाई करके बोर हो गये.
इस खेल से बोर होकर हमने बाहर घूमने जाने के लिए प्लान किया. आप लोगों को तो पता ही होगा कि रायपुर से थोड़ी दूरी पर ही गंगरेल डैम है. हम लोगों ने वहीं पर जाने के लिए सोचा.
मुझे और भाई को तो घर से निकलने में कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि भाई और मेरा रिश्ता तो भाई-बहन का था. इसलिए किसी को शक नहीं होने वाला था. मगर चाचा की लड़की को साथ लेकर जाना एक चुनौती थी.
उसको साथ लेकर जाने के लिए हम लोगों को चाचा को भी मनाना था. बहुत मिन्नत करने के बाद चाचा ने भी दिव्या को हमारे साथ जाने के हामी भर दी. लेकिन उन्होंने जल्दी वापस लौटने के लिए भी हिदायत दे दी.
अगले दिन हम तीनों ने जल्दी से तैयार होकर खाने पीने का सारा सामान रख लिया. दिव्या और मैंने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. हम दोनों ही काफी सेक्सी लग रही थीं.
हमारी ड्रेस को देख कर सुनील भैया भी तारीफ करने लगे कि हम दोनों बहुत ही हॉट लग रही हैं. वो बोला कि तुम्हें देख कर तो किसी का भी मन तुम्हें चोदने को हो जाये. ये बात सुन कर मैंने धीरे से भाई का लंड उसकी पैंट के ऊपर से ही दबा दिया. ये देख कर दिव्या भी हंसने लगी.
हमने बाइक पर जाने का ही प्लान किया था इसलिए हम बाइक लेकर गंगरेल डैम के लिए निकल गये. मेरा भाई सुनील बाइक चलाते हुए बहुत हैंडसम लग रहा था. मैं और दिव्या पीछे बैठे हुए थे. हम लोग सफर का मजा लेते हुए जा रहे थे.
मैंने और दिव्या ने स्कार्फ बांधा हुआ था. इसी बात का फायदा उठा कर मैं भैया की पीठ के साथ चिपक कर बैठी हुई थी. दिव्या पीछे बैठी हुई मेरे चूचों को दबा रही थी. हमारे चेहरे छिपे हुए थे इसलिए सफर के दौरान आने जाने वाले लोगों का हम पर शक नहीं हो रहा था.
दिव्या मेरे बूब्स को पूरा दबाने लगी थी. मैं पूरी तरह से भाई से चिपकी हुई थी और मेरी चूचियां और दिव्या के हाथ दोनों ही भाई की पीठ से सटे हुए थे. मैंने भी नीचे से हाथ ले जाकर भाई के लंड को उसकी पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया तो उसका लंड पूरा खड़ा हो गया.
मगर अगले ही पल दिव्या ने हद कर दी. उसने मेरे बूब्स को मेरी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसलना शुरू कर दिया जिससे मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई. मैं भी जोर से भाई के लंड को सहलाने में लगी हुई थी और भाई भी बेचैन होने लगा था.
मुझसे रहा नहीं गया तो मैं दिव्या को मना करने लगी कि कुछ देर रहने दे क्योंकि हम लोग अभी ड्राइव कर रहे हैं. मगर दिव्या मेरी बात को नहीं सुन रही थी और मुझे गर्म करने में लगी हुई थी. मेरे रोकने पर उसने और जोर से मेरे चूचों को दबाना शुरू कर दिया.
मैंने भी पीछे से हाथ ले जाकर उसकी जीन्स को टटोलते हुए उसकी पैंट के अन्दर हाथ डाला तो मैंने पाया कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी.
मैंने पूछा- क्यों री? तूने पैंटी क्यों नहीं पहनी है?
वो बोली- बस, आज मेरा मन ऐसे ही रहने को कर रहा था. इसलिए मैं नहीं पहन कर आई.
मैंने कहा- तू तो मेरे जैसी हो गई है बिल्कुल।
वो बोली- तुमने भी नहीं पहनी हुई है क्या?
मैं बोली- तू खुद देख ले.
उसके बाद दिव्या ने भी मेरी पैंट में हाथ डालकर देखा तो मैंने भी पैंटी नहीं पहनी हुई थी. वो मेरी चूत पर हाथ फिराने लगी.
उसका हाथ लगने के कारण मैं सीत्कार करने लगी. मैंने अपने भाई को अपनी बांहों में जकड़ लिया क्योंकि मेरा मन लंड लेने के लिए करने लगा था.
उधर भाई भी अपना नियंत्रण खोने लगे थे. उनका लंड पूरे जोश में आकर बुरी तरह से झटके दे रहा था. इधर दिव्या की रफ्तार मेरी चूत पर बढ़ती ही जा रही थी. वो मेरी चूत में उंगली पर उंगली किये जा रही थी. मैं बेकाबू सी होने लगी थी.
अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. हमें ड्राइव करते हुए दोपहर के एक बजे का वक्त हो चला था. सारा इलाका सुनसान सा हो गया था. मैंने भाई से रोकने के लिए कहा क्योंकि मैं मूतना चाह रही थी.
भाई ने एक जगह देख कर बाइक को साइड में रोक दिया. पूरा रोड सुनसान था और हर तरफ खेत ही खेत दिखाई पड़ रहे थे. हम तीनों ही उतर कर एक खेत के अंदर जाने लगे. हम चारों तरफ देख रहे थे मगर कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था.
कुछ दूर जाकर हम तीनों एक खेत में मूतने लगे. मैं और दिव्या जीन्स खोल कर बैठ गई और भाई ने भी अपनी पैंट की जिप खोल ली और हमारे साथ ही नीचे बैठ कर मूतने लगे. मैंने भाई के लंड को पकड़ कर खींच दिया.
मैंने जैसे ही भाई के लंड को हाथ में पकड़ा तो भाई एकदम से जैसे तड़प गये. फिर मूतने के बाद जब मैं उठने लगी और मैंने बटन लगाना शुरू किया तो भाई ने अपनी जीन्स से लंड को निकाला और झट से मेरी जीन्स को नीचे करते हुए मेरी चूत में लंड को पेल दिया.
भाई ने मुझे वहीं बीच खेत में चोदना शुरू कर दिया.
मुझे भी डर लगने लगा था कि किसी ने देख लिया तो क्या होगा. मैं भाई को मना करने लगी कि यदि कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी.
तभी दिव्या कहने लगी- ये इलाका पूरा सुनसान है. यहां पर कोई नहीं आयेगा.
दिव्या की बात सुन कर भाई ने मुझे एक पेड़ से सटा दिया और मुझे जोर से चोदने लगे. मैंने भी सुनील भैया की गर्दन को पकड़ लिया और उनके लंड के मजे लेते हुए चुदने लगी.
सुनील का आधा लंड जिप के अंदर ही था इसलिए पूरा लंड मेरी चूत में नहीं जा पा रहा था. फिर भाई ने अपनी जीन्स को थोड़ा नीचे कर दिया जिससे उनका लंड पूरा मेरी चूत में अच्छी तरह से जाने लगा. अब चुदाई में और मजा आने लगा.
पास में खड़ी दिव्या ने भाई को नीचे से नंगा होकर मेरी चूत में लंड डालते हुए देखा तो वो भी अपनी जीन्स को निकाल कर अपनी चूत में उंगली करने लगी. दिव्या भी उत्तेजना में आकर तेजी से अपनी चूत में उंगली चलाते हुए पीछे से आकर मेरे भैया को अपनी बांहों में भरने लगी और उससे लिपटने लगी.
अब हमें बिल्कुल भी होश नहीं था कि हम ऐसे खुले खेत में चुदाई का खेल मजा लेकर खेल रहे हैं. कुछ देर की चुदाई के बाद मैं झड़ने के कगार पर पहुंच गई थी क्योंकि मैं ऐसी खुले में चुदाई होने के कारण बहुत ही उत्साहित हो गई थी.
अचानक ही मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा और मैं एक सांस में ही अपने भाई के लंड पर झड़ने लगी. मैंने भाई को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरी चूत का सारा पानी भाई के लंड पर गिर गया. मेरा पानी निकलने के बाद भी भाई मुझे चोदता रहा.
अब मुझे दर्द हो रहा था और मैंने दिव्या को आगे आने के लिए इशारा कर दिया. दिव्या पीछे खड़ी हुई अभी भी अपनी चूत में उंगली कर रही थी. मेरे कहने पर वो सामने की तरफ आ गयी.
मैंने भाई को पीछे धकेलते हुए उसके लंड को अपनी चूत से निकलवा दिया और दिव्या को अपने आगे कर दिया. अब दिव्या अपनी चूत मरवाने लगी. वो उछल-उछल कर भाई का लंड अपनी चूत में लेने लगी.
अब भाई और दिव्या चुदाई में मस्त हो गये. मैं दिव्या का स्टेमिना देख कर हैरान हो रही थी कि वो लड़की एक मिनट भी सांस नहीं ले रही थी और लगातार मेरे भाई का मूसल लंड अपनी चूत में लेने में लगी हुई थी. वो दोनों अपनी चुदाई में इतने मस्त थे कि उनको कुछ होश नहीं था कि आस-पास कोई आ भी सकता है.
वैसे मुझे भी उन दोनों की चुदाई को देख कर मजा आने लगा. अब दिव्या ने भाई को पेड़ से सटा दिया और खुद ही अपनी चूत को भाई के लंड पर फेंकने लगी. वो अपनी मोटी सी गांड को हिला-हिलाकर भाई का लंड लेने में लगी हुई थी. भाई भी मजे से उसके सामने खड़े हुए थे और दिव्या की चूत अपने आप ही उसके लंड पर आकर घुस रही थी.
उसके बाद भाई नीचे ही बैठ गये और दिव्या ने उसको नीचे लेटा कर उसके लंड पर उछलना शुरू कर दिया. वो उसके लंड पर कूदते हुए खूब जोर-जोर से अपनी चूत में उसके लंड के धक्के लेने लगी. उन दोनों को देख कर मैं फिर से गर्म होने लगी.
मगर मैं आस-पास ध्यान भी रख रही थी कि कहीं कोई हमें ऐसे खुले में चुदाई करते हुए देख न रहा हो. दिव्या के मुंह से अब जोर-जोर की सिसकारियां निकलने लगी थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… अम्म … मा …’ करते हुए भाई के लंड को अपनी चूत में घुसवा रही थी.
भाई अचानक कहने लगा- मेरा निकलने वाला है.
दिव्या बोली- रुको, थोड़ी देर और करते रहो. बहुत मजा आ रहा है.
दिव्या भाई के ऊपर से हटने के लिए तैयार ही नहीं थी. इतनी चुदक्कड़ लड़की मैंने पहली बार देखी थी. फिर दो मिनट तक किसी तरह भाई ने अपने वीर्य को कंट्रोल में रखा और दिव्या जोर-जोर से आवाजें करती हुई झड़ने लगी तो भाई के मुंह से भी आवाजें निकल पड़ीं. दोनों ने ही अपना पानी निकाल दिया.
सुनील भैया की सांसें तेजी के साथ चल रही थीं. ऐसा ही हाल दिव्या का भी हो गया था. सुनील ने हांफते हुए दिव्या को अपने लंड के ऊपर से उठने के लिए कहा.
भैया का पूरा बदन पसीने से भीग गया था और उसके लंड पर दिव्या और सुनील के लंड से निकला हुआ वीर्य धूप में अलग से ही चमक रहा था. जब दिव्या भाई के लंड के ऊपर से उठने लगी तो उसकी चूत से वीर्य निकल कर उसकी जांघों पर बह रहा था.
उसको ठीक से उठने में भी परेशानी हो रही थी. मैंने दिव्या को भाई के ऊपर से अपने हाथों का सहारा देकर उठाया और उन दोनों को पीने के लिए पानी दिया. हम तीनों की ही हालत खराब हो गयी थी. हमारी इतनी हिम्मत भी नहीं हो रही थी कि हम लोग अपनी बाइक के पास चले जायें.
कुछ देर हम वहीं पर बैठे रहे. हमने उठ कर अपने कपड़ों को ठीक किया और आस-पास ध्यान से देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा था. जब सब कुछ ठीक लगा तो उसके बाद हम उठ कर अपनी बाइक के पास पहुंचे और फिर गंगरेल डैम के लिए निकल गये. हम तीनों ने बीच रास्ते में ही चुदाई कर ली थी.
तो दोस्तो, ये मेरी रियल सेक्स स्टोरी थी. आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके बतायें. मैंने अपनी आई-डी नीचे दी हुई है.
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