यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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मेरी कामुकता भरी सेक्स कहानी में अब तक आपने पढ़ा कि मैं अपने लेटेस्ट यार प्रीत सिंह के साथ सेक्स करके उसकी गोद में बैठी थी कि प्रीत ने मेरे भाई के बारे में सच बोल दिया. जिसे सुनकर मैं हड़बड़ा गई.
अब आगे:
मैं हड़बड़ाते हुई बोली- तुम ये क्या बोल रहे हो?
प्रीत मेरे बूब्स दबाते हुए बोला- तुम्हें दुपट्टा अच्छे से बांधना चाहिए था.
और हंसने लगा.
अब मैं चुप हो गई.
तब उसने कहा- क्या हुआ बोलो?
मैं- प्लीज़, ये बात किसी को मत बताना प्लीज़ डार्लिंग.
प्रीत- अरे पागल हो क्या … मैं क्यों बताऊंगा … तुम टेंशन मत लो.
मैंने उसे अपने सर की कसम दी.
वो बोला- कसम से … किसी को नहीं बताऊंगा. बस तुम मेरा एक काम कर दो.
मैं- क्या!
प्रीत- बस मैं एक बार उसकी गांड मारना चाहता हूँ.
आप लोगों को तो पता ही है दोस्तो … कि पंजाबी लोग गांड मारने के कितने शौकीन होते हैं.
मैं थोड़ा सोचने लगी. वैसे भी आदी मेरे आशिकों से चुदाना चाहता था और इसे मना करती, तो प्रीत बुरा मान जाता. अब मैं उसे नाराज नहीं कर सकती थी.
मैं बोली- ठीक है रात में!
प्रीत- ओके.
आदी शाम को घर आ गया. तब मैंने उसे प्रीत से मिलाया कि ये मेरा फ्रेंड है और मुझसे मिलने आया है.
तभी अचानक से प्रीत ने मुझे अपनी तरफ खींचा और आदी के सामने मुझे किस करके मेरे मम्मों को दबाने लगा.
इस अचानक हुए हमले से मैं बच पाती, तब तक सब कुछ हो गया था.
प्रीत ने आदी से कहा- कल रात में तुमने मेरी आंख पर पट्टी बांध कर मेरा लंड चुसाई की थी … आज बिना पट्टी के लंड चूसना चाहोगे?
ये सुन कर आदी मेरी तरफ देखने लगा.
मैं उसे साइड में लेकर गई और सब बताया. तब वो खुश हो गया कि उसे अब चुदाई का मज़ा मिलेगा.
रात में मैं खाना बनाने लगी और ये दोनों मेरे रूम में पता नहीं क्या कर रहे थे.
थोड़ी देर बाद मैं उन दोनों को देखने अपने रूम में गई, तो आदी को प्रीत बेड पर झुका कर उसकी गांड मार रहा था.
मैं अन्दर गई, तो प्रीत मुझे देख कर स्माइल देने लगा. आदी दर्द वाले चेहरे के साथ मुझे देखने लगा.
तब मैं बाहर आ गई और फिर खाना बनाने लगी.
रात में अब प्रीत ने मुझे एक बार चोदा और फिर आदी के पास चला गया. मैं नहीं चाहती थी कि हम एक ही रूम में भाई बहन किसी से चुदें. इसलिए मैं प्रीत से बोली- उसके रूम में ही चले जाओ.
फिर वो रात में मेरे पास नहीं आया. मैं कब सो गई, मुझे पता नहीं चला.
मैं सुबह उठी और आदी के रूम में गई, तो वे दोनों नंगे पड़े थे.
ऐसे ही दो दिन और मेरी और मेरे भाई की चुदाई हुई.
फिर मम्मी डैडी आ गए. लेकिन अब उससे कोई फर्क नहीं पड़ा. क्योंकि प्रीत का जब मन होता, तो वो हम दोनों को अपने फार्महाउस पर बुला लेता. अब हम दोनों भाई बहन को वो चोद देता. अब घर से बाहर जाने में भी कोई प्रॉब्लम नहीं थी … क्योंकि मैं भाई के साथ जाती थी.
इस तरह से प्रीत को आदी के बारे में पता चल गया और वो हम दोनों को चोदने लगा था. अब जब भी मौका मिलता, हम दोनों भाई बहन प्रीत से चुदा लेते और अब वो आदी को अकेले भी ले जा कर चोदता था.
कुछ महीने ऐसा ही चला फिर मेरी बैचलर डिग्री कम्प्लीट हो गयी तो अब मैं मास्टर्स करने के लिए पुणे आ गई.
यहां मैंने पुणे के एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया और यहां मैं एक हॉस्टल में रहने लगी. लेकिन मैं हॉस्टल में नहीं रहना चाहती थी … क्योंकि प्रीत मुझसे मिलने पुणे आता था. हॉस्टल की वजह से हम ज्यादा नहीं मिल पाते थे. वहां मुझे आज़ादी नहीं थी. मैं कुछ महीने हॉस्टल में रही. वहां पूजा नाम की एक लड़की मेरी रूम मेट थी. पूजा भी अच्छी दिखती थी, लेकिन वो मुझसे पतली थी और उसके बूब्स भी छोटे थे.
कुछ दिन बाद अब मेरी चुत में आग लगने लगी और जब प्रीत हफ्ते में आता, तब मैं कम टाइम होने की वजह से एक राउंड से ज्यादा नहीं चुद पाती.
फिर कुछ दिन बाद में अपना प्लान चालू कर दिया. वो जब बुलाता, तो मैं बोल देती कि हॉस्टल में हूँ, नहीं आ सकती … वॉर्डन नहीं आने देती. ऐसे बोल बोल कर मैं अब उसको टालने लगी थी.
फिर एक दिन उसी ने मुझसे कहा तुम बाहर फ्लैट लेकर क्यों नहीं रहतीं?
मैं- नहीं … डैडी बोलते हैं कि बाहर सेफ नहीं है.
प्रीत- तो यहां कौन सा डैडी आकर देखने वाले हैं?
मैं- हां … लेकिन जब फ्लैट का बिल डैडी के क्रेडिट कार्ड से कटेगा, तो वो पूछेंगे ना.
इस पर उसने कुछ नहीं कहा.
कुछ दिन बाद उसने मुझे एक फ्लैट की चाबी और एक क्रेडिट कार्ड दिया और बोला- लो … इससे फ्लैट का रेंट दे देना अब खुश हो न!
मैं बहुत खुश हुई और उसे एक किस कर दी.
फिर मैं हॉस्टल छोड़ कर अपने फ्लैट पर शिफ्ट हो गई. वो एक कमरे का फ्लैट था. मैं यहां अकेले रहती थी … और वो फ्लैट भी कॉलेज से दूर था.
मैंने अपनी फ्रेंड को, जो मेरी रूम मेट थी उससे बोली कि तुम मेरे साथ फ्लैट पर शिफ्ट हो जाओ, मैं इधर अकेली रहती हूं. तुम रहोगी तो मुझे साथ मिल जाएगा और तुम्हारे हॉस्टल के पैसे बच जाएंगे.
इस पर वो बोली- ठीक है, ये महीना खत्म होने दो … फिर मैं शिफ्ट हो जाउंगी.
अब कुछ दिन सब ऐसे ही चलता रहा और प्रीत को जब टाइम मिलता, तब वो पुणे आ कर मुझे चोदता, घुमाता फिराता शॉपिंग कराता. अब मुझे किसी को जवाब देने की जरूरत भी नहीं थी, इसलिए मैं बहुत शॉपिंग करती और उसी के दिलाए हुए कपड़े पहनती.
अब प्रीत ने भी अपने डैडी का बिजनेस ज्वाइन कर लिया था, तो वो अब बहुत बिजी रहने लगा था. मुझे कई कई दिन तक प्रीत का लंड नहीं मिलता था, इसलिए अब मेरी चुत में आग लगने लगी थी.
मैं अब किसी नए लंड की तलाश करने लगी.
मैं अब पुणे के एक जिम में जाने लगी थी. वहां काफी लड़के आते थे, जो अच्छी फैमिली से थे. वहां हमारे ही कॉलेज का एक लड़का भी आता था, वो फाइनल ईयर में था. उसका नाम सागर था और वो कॉलेज में भी मिलता था.
इसलिए अब वो जब जिम में मिलता, तो मुझसे बातें करने लगा. मैं भी उससे बात करने लगी और वो मुझे जिम में हेल्प करने लगा था.
कुछ दिन ऐसे ही चला. अब हम दोनों कॉल पर भी बातें करने लगे थे.
एक दिन संडे को उसने मुझे कॉल किया- तान्या, क्या कर रही हो?
मैं- कुछ नहीं … बस असाइनमेंट कम्प्लीट कर रही थी, पर ये लैपटॉप को पता नहीं क्या हो गया … हैंग कर रहा है.
सागर- अच्छा तो शाम का क्या प्लान है?
मैं- कुछ नहीं … बस ये लैपटॉप बनने देने जा रही हूँ, वहीं थोड़ा शॉपिंग का प्लान है.
सागर- किसके साथ?
मैं- अकेली.
सागर- मैं आ जाता हूं, मैं भी बाहर ही जा रहा था, तो हम साथ में चलते हैं.
मैं- ठीक है, मैं रेडी होकर तुमको कॉल करती हूं.
मैं उठी और रेडी होने लगी. मैंने एक सेक्सी सी शोल्डर ऑफ ड्रेस पहन ली. वो मेरे घुटनों तक की ड्रेस थी.
मैंने उसको कॉल किया, वो थोड़ी देर में आ गया.
फिर हम एक मॉल में गए, वहां मैंने 3 ड्रेस लीं और ट्राई करने चली गई.
मैं बाहर आई, तो सागर 2 ड्रेस लेकर खड़ा था. वो बोला- लो … इसे भी ट्राई करो, तुम पर अच्छी लगेगी.
मैंने ड्रेस लीं और उन्हें भी ट्राई किया.
फिर मैंने एक शर्ट सागर के लिए भी देखी और उसे ट्राई करने के लिए दे दी.
हम दोनों बिल की लाइन में खड़े हो गए. तब मैंने सागर को कहा- तुम यहां रुको, मैं आती हूँ.
सागर- कहां जा रही हो?
मैं- अभी आती हूँ.
मैं चली गई. वहां से मैंने दो सैट ब्रा पैंटी ले ली … और आ गई. तब तक सागर जॉकी का बैग देख कर स्माइल करने लगा. मैंने भी उसे देख कर स्माइल की.
फिर मैं बिल पे करने के लिए अपने पर्स से पैसे निकाल ही रही थी कि सागर ने अपना कार्ड दे दिया.
मैं- अरे तुम क्यों दे रहे हो, मैं दे देती हूं न … मेरे ही तो सारे कपड़े थे.
सागर- कोई बात नहीं.
मैं बोली- ठीक है.
हम दोनों बाहर आए और कार में सामान रख कर बैठ कर जाने लगे. तब शाम के 8 बज रहे थे.
तो सागर ने कहा- चलो, हम डिनर कर लेते हैं.
मैंने ओके बोल दिया.
फिर हम दोनों एक रेस्तरां में गए, वहां डिनर किया. कोई दस बजे उसने मुझे घर छोड़ दिया. मैं अपने शॉपिंग बैग कार से निकाल रही थी, तब उसने मुझे एक गिफ्ट का बॉक्स दिया.
सागर- ये लो मेरी तरफ से मेरे साथ टाइम बिताने के लिए गिफ्ट.
मैं- ये क्या है?
सागर- खोल कर देख लो.
मैंने खोल कर देखा, तो उसमें एक लैपटॉप था. ये देख कर मैं बहुत खुश हुई और सागर को गले लगा कर थैंक्यू बोलने लगी.
तभी सागर ने मुझे और कस कर गले से लगा लिया और मेरे गले पर एक किस कर दिया. उसने मेरे कान में ‘आई लव यू’ बोला.
ये सुनकर मैं उससे अलग हो गई.
सागर- क्या हुआ तुम मुझे पसंद नहीं करती क्या?
मैं- करती हूं … पर ये सब बहुत जल्दी हो रहा है … मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
मैं ये बोली ही थी कि तभी सागर ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और एक जोर की किस करके मेरी कमर को अपने दोनों हाथ से पकड़ लिया.
अब मैं भी उसका साथ देने लगी. मुझे पता ही नहीं चला कि कब उसका एक हाथ मेरे मम्मों पर आ गया और वो दबाने लगा.
तभी मुझे किसी गाड़ी की आवाज़ आई, तो मैं अलग हो गई और उसे एक स्माइल दे दी.
मैं अपना सामान उठा कर उसे बाई बोल कर अपने घर आ गई.
घर आकर मैंने अपने कपड़े अल्मारी में रखे और ब्रा पैंटी पहन कर चैक ही कर रही थी कि तभी प्रीत का कॉल आ गया. मैं फोन लिए ऐसे ही ब्रा पैंटी में ही लेट गई और उससे बातें करने लगी.
तभी सागर का कॉल आने लगा तो प्रीत से बोली- यार मम्मी का कॉल आ रहा है, बाद में बात करती हूँ.
यह बोल कर मैं सागर से बात करने लगी.
अब मुझे दो ब्वॉयफ्रेंड सँभालने थे, मैं दोनों में से किसी को नहीं छोड़ सकती थी … क्योंकि एक मेरी पैसों की जरूरत पूरी कर रहा था और दूसरा मुझे मेरी चुत ठंडी करने के लिए चाहिए था.
फिलहाल मैं सागर से बात कर रही थी.
सागर बोला- क्या कर रही हो?
मैं- कुछ नहीं … बस ड्रेस पहन कर देख रही थी.
सागर- अच्छा कैसी है ड्रेस?
मैं- अच्छी है.
सागर- और जॉकी …
ये बोल कर वो हंसने लगा.
मैं- हां … वो भी अच्छे हैं.
सागर- तो पहन कर कब दिखा रही हो?
मैं- अच्छा … मुझे लगा तुम उतार कर देखना चाहते हो.
मेरी इस बिंदास बात पर सागर चुप हो गया.
मैं- क्या हुआ?
सागर- कुछ नहीं बस ऐसे ही.
फिर हम दोनों में ऐसे ही बातें होती रहीं, कुछ देर बाद मैं सो गई.
मेरा वही रोज जैसा कॉलेज जिम चालू हो गया था.
एक दिन प्रीत आया, तब उसने मुझे होटल ले जाकर चोदा और मैं रात को उसी के साथ रही और सुबह वहीं से कॉलेज चली गई. वो मुंबई वापस चला गया.
फिर एक दिन मैं और सागर मूवी देखने गए. उस दिन मैं एक सेक्सी सी ऑफ़ शोल्डर टॉप और शार्ट जीन्स पहन कर गई थी. थिएटर में ही सागर मेरे मम्मों को दबाने लगा और एक हाथ अन्दर डाल कर मसलने लगा.
मैं भी मज़े लेने लगी, कुछ नहीं बोली.
जब मूवी खत्म हो गई, तो हम घर के लिए निकल गए. वो मुझे अपने घर ले गया.
उसने मुझसे कहा- मेरे घर वाले बाहर गए हैं. आज तुम मेरे साथ मेरे घर चलो.
मैं राजी हो गई.
उसके घर जाकर हम दोनों अन्दर गए. वो मुझे अपने रूम में ले गया और मुझे बैठा कर बाहर चला गया. मैं उसके रूम में घूम रही थी, तभी वो आ गया.
उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और दीवार पर लगी अपनी फोटो दिखाने लगा. मैं सर उठाए दीवार की तरफ देख रही थी और वो मुझसे चिपका हुआ था. उसी समय वो मेरे मम्मों को दबाने लगा. मैं भी मजा लेने लगी. उसने मुझे घुमाया और मुझे किस करने लगा. मैं भी उसका साथ दे रही थी.
फिर उसने मेरा टॉप नीचे कर दिया. अब मेरे चूचे नंगे थे. वो उनसे खेलने लगा, मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था.
सागर से मुझे पहली बार चुदने का अवसर मिल रहा था. कैसा अनुभव रहा, इसको आगे लिखूँगी.
मेरी कामुकता भरी सेक्स कहानी में आपको खूब मजा आ रहा है ना? मुझे आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
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कहानी जारी है.