यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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इस चोदन कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि चंढ़ीगढ़ में मैंने एक रूम किराये पर लिया मगर साथ में ही मिली दो गर्म भाभियां, दोनों ही हुस्न की मल्लिकाएँ थीं और शायद एक दूसरी से जलती थीं.
अब आगे:
प्रोफेसर साहब और उनके दोनों बच्चे सुबह 8 बजे स्कूल और कॉलेज चले जाते थे. मैं यूनिवर्सिटी 10 बजे जाता था. इन दो घंटों में हेमा भाभी मुझे कई बार अपने छोटे मोटे काम के बहाने अपने घर नीचे बुला लेती थी.
एक दिन जब हेमा भाभी स्टूल पर चढ़कर ऊपर की अलमारी से कुछ सामान निकाल रही थी तो उनका पाँव लड़खड़ा गया और वह सामान सहित मेरे ऊपर गिर गई और जब मैंने उन्हें संभालना चाहा तो हम आपस में एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे के ऊपर गिर गए. मेरे दोनों हाथों में भाभी के मम्मे आ गए और भाभी बिल्कुल मेरे ऊपर गिरी और सामान भाभी के पांव पर गिर गया.
भाभी ने गाउन पहना हुआ था और उनका गाउन उनकी जांघों तक उल्टा हो गया था जिससे मैंने भाभी के पूरे पट और गुदाज गोरी चिकनी नंगी टांगें देख ली थीं. भाभी के पाँव में चोट लग गई थी. उनसे चला नहीं गया तो मैंने उनकी कमर में हाथ डाल कर बेड पर बैठा दिया.
क्या गुदाज शरीर था उनका.
जब उन्होंने गाउन ऊपर किया तो उनकी गोरी पिंडली लाल हो गई थीं. उन्होंने मुझसे अलमारी से आयोडेक्स निकालने को कहा. मैं आयोडेक्स निकाल लाया और भाभी की गोरी पिंडली पर आयोडेक्स लगाने लगा. उन्होंने अपना गाउन घुटनों तक उठा लिया था और मैं फर्श पर बैठ कर आयोडेक्स लगाने लगा. सामान और स्टूल गिरने की आवाज़ सुनकर नीचे से लता भाभी ऊपर आ गई और उन्होंने मुझे हेमा भाभी के नंगे पाँव में दवाई लगाते देख लिया था.
मैंने लोअर और टीशर्ट पहन रखी थी और घर पर मैं लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहनता हूँ. मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड भाभी के गुदाज पट और पाँव देखकर टाइट होने लगा था, परन्तु मैं बैठा था इसलिए दिखाई नहीं दे रहा था.
जब मैं दवाई वापिस रखने के लिए उठा तो लोअर में उभार साफ़ दिखाई देने लगा था जिसे दोनों भाभियों ने साफ देख लिया था. लता भाभी मुस्कराने लगी थी.
उन्होंने पूछा- क्या हुआ?
तो हेमा भाभी ने बता दिया कि सामान उतारते वक्त मैं गिर गई थी, राज सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था तो आवाज सुन कर अन्दर आ गया।
भाभी ने लता भाभी को नहीं बताया कि इसे मैंने बुलाया था और मैं राज के ऊपर गिरी थी.
मैं वहां से निकल कर ऊपर अपने कमरे में चला गया और फिर तैयार होकर यूनिवर्सिटी निकल गया. शनिवार को मेरी क्लास नहीं होती थी, बाकी सभी अपने अपने काम पर जाते थे.
अगले दिन होली थी. मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था. अचानक ग्राउंड फ्लोर वाली लता भाभी मेरे कमरे में आई और मेरे चेहरे को गुलाल से मल दिया और कहा- होली मुबारक हो.
मैं बैठा रहा.
उन्होंने कहा- मुझे रंग नहीं लगाओगे?
मैंने लता भाभी के लिफाफे से ही गुलाल लिया और थोड़ा सा चुटकी भर कर उनके माथे पर लगा दिया.
लता भाभी बोली- ऐसे होली खेलते हैं?
“हेमा की तो टांगों में लगा रहे थे!” इतना कहते ही उन्होंने दोबारा मुट्ठी भरकर गुलाल मेरे चेहरे पर ज़बरदस्ती रगड़ दिया और अपना हाथ मेरी छाती में घुसा कर रगड़ने लगी. लता लगभग मुझसे लिपट गई थी.
मैंने भी लता के पॉलिथीन से मुट्ठी भरकर गुलाल उनके गालों पर रगड़ा और उन्हीं की तरह हाथों को उनके गले से रगड़ता रहा. भाभी नीचे झुक गई. मेरा लंड अकड़ने लगा था. मैंने उनको पीछे से पकड़ा और अपने लंड को उनके चूतड़ों पर अड़ा कर उनके गालों और ब्लाऊज पर गुलाल मसलने लगा.
लता भाभी बोली- छोड़ो कोई आ जायेगा.
मैंने भाभी को छोड़ दिया.
परन्तु भाभी गर्म हो चुकी थी और मेरा लंड भी तन चुका था. भाभी में दोबारा जोश भर गया और दरवाज़े को हाथ मार कर बंद कर दिया और मुझे फिर रंग लगाने लगी. मैंने उन्हें धक्का देकर पेट के बल बेड पर गिरा दिया और उन्हें पीछे से अपने नीचे दबा कर गुलाल रगड़ता रहा.
लता दिखाने के लिए पूरा ज़ोर लगाकर विरोध करती रही. जैसे ही मैंने बलाऊज में हाथ डालना चाहा तो वह नाराज़ हो गई. मैंने उसे छोड़ दिया. लता ने अपने कपड़े ठीक किये और बोली- बस और कुछ नहीं.
मैंने कहा- सॉरी भाभी जी, लेकिन शुरुआत तो आपने ही की थी.
भाभी चुपचाप नीचे चली गई लेकिन उनको मेरे मोटे लंड की फीलिंग पूरी हो चुकी थी.
नहाने के लगभग दो घंटे बाद मैंने मेरी आगे की बालकॉनी से नीचे देखा, लता बाहर खड़ी थी. मैं यह देखने के लिए कि भाभी नाराज तो नहीं है, नीचे गया और मैंने फिर कहा- सॉरी भाभी जी.
उसके बाद क्या हुआ:
लता भाभी अदा से मुस्कराकर बोली- अच्छा छोड़ो अब, आज सांय को मुझे पिक्चर दिखा कर लाओ?
मैं खुश हो गया, मैंने कहा- ठीक है, 6 से 9 बजे वाले शो में चलते हैं।
वह बोली- तीन टिकट ले आना, बच्ची भी साथ चलेगी लेकिन हेमा को पता नहीं चलना चाहिए, हम पिक्चर हाल में ही मिलेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
और मैं पास के थिएटर के तीन एडवांस टिकट लास्ट लाइन के कार्नर की सीट के ले आया.
हम अलग-अलग पौने छः बजे पिक्चर हाल पहुँच गए. हाल लगभग खाली था. बच्ची को कॉर्नर की सीट पर बैठा दिया. बैठते ही लता बोली- हेमा के साथ कहाँ तक पहुंचे हो?
मैंने कहा- जहाँ तक आपने देखा था.
वह बोली- झूठ बोल रहे हो, वह तो आप पर पूरे डोरे डाल रही है, कैसे स्कूटर पर चिपक कर बैठती है.
मैंने कहा- भाभी! आपकी कसम है, मैंने कुछ नहीं किया है।
वह बोली- हेमा मुझसे ज्यादा सुन्दर है क्या?
मैंने थोड़ा मक्खन लगाते हुए कहा- कहाँ हेमा और कहाँ आप, आप तो अप्सरा जैसी हैं।
भाभी खुश हो गईं. मैंने सोच लिया था कि आज लता को कस कर चोदना है.
मैंने धीरे से लता भाभी के हाथ पर हाथ रख दिया, उन्होंने बच्ची की तरफ देखा और कुछ नहीं कहा. बच्ची सोने लगी थी.
मैंने लता का हाथ पकड़े-पकड़े उसे किस कर लिया.
भाभी बोली- कोई देख लेगा.
मैंने कहा- यहाँ अँधेरे में कौन देखेगा?
मैंने धीरे-धीरे लता के ब्लाऊज़ के ऊपर हाथ फिरना शुरू किया, लता ने थोड़ी देर बाद ब्लाऊज़ के ऊपर के दो-तीन हुक खोल दिए. मैंने झट से लता के मम्मों को पकड़ लिया और मसलने लगा. लता भाभी आँखें बंद करके चेयर पर पसर गई. मैंने लता भाभी की साड़ी ऊपर उठा कर उसके पटों (जांघों) पर हाथ फिराया. कुछ देर में लता ने अपनी टांगों को थोड़ा चौड़ा किया तो मैंने अपना हाथ उनकी चूत तक पहुंचा दिया, लता ने पैंटी नहीं पहनी थी.
मैं उनकी चिकनी और गीली चूत पर हाथ फिराता रहा. कुछ देर बाद लता ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया. मेरा मोटा और बड़ा लंड पैंट को फाड़ रहा था. लता ने लंड की पूरी लंबाई और मोटाई अपने हाथ से नाप ली थी. वह बिल्कुल गर्म हो गई और चुदास से भर गई थी. हम ऐसे ही एक दूसरे के अंगों को छेड़ते और मसलते रहे.
थोड़ी देर में इंटरवल हो गया. हमने अपने कपड़े ठीक किये, लता की चूत पानी छोड़ चुकी थी.
लता बोली- राज! चलो, घर चलते हैं, उठो यहाँ से.
हम बाहर आ गए. उस वक्त 7.30 बजे थे.
लता ने कहा- मैं घर चलती हूँ, तुम कुछ देर बाद मेरे घर ही आ जाना, तब तक मैं खाना बनाती हूँ, खाना इकट्ठे खाएंगे, तुम मेरे घर सीढ़ियों वाले दरवाज़े से आना जिससे कोई देख न सके, मैं दरवाजा अन्दर से खोल कर रखूंगी.
मैं टाइम पास करने के लिए एक बार में बैठ कर बियर पीने लगा. लगभग एक घंटे बाद मैं लता भाभी के घर पहुंचा. वह खाना बना कर नहा चुकी थी. बच्ची को भाभी ने ड्राइंग रूम में रखे दीवान पर सुला दिया था.
भाभी ने सीढ़ियों और बाहर के दोनों दरवाज़े बंद कर दिए.
दरवाज़े बंद होते ही मैंने भाभी को बाँहों में उठा लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा.
भाभी बोली- थोड़ा सब्र करो, पहले खाना खा लो.
हमने फटाफट खाना खाया, बल्कि भाभी ने पहला कौर मेरे मुंह में अपने हाथ से दिया और मैंने भी वैसे ही किया.
खाना खाने के बाद भाभी बोली- तुम यहीं ड्राइंग रूम में 10 मिनट बैठो, मैं आती हूँ, तुमने अन्दर नहीं आना है.
करीब 10 मिनट बाद भाभी ने मुझे कहा- राज! अन्दर आ जाओ.
जैसे ही मैं अन्दर गया, मेरी आँखें खुली की खुली रह गई, भाभी एक पारदर्शी, स्लीवलेस, पिंक छोटी सी झालर वाली नाईटी में थी, जो केवल उनकी ब्लैक प्रिंट वाली पैन्टी को मुश्किल से ढके हुए थी. भाभी ब्लू फिल्मों की हीरोइन लग रही थी. नाईटी में से उनके चुचे साफ़ दिखाई दे रहे थे, उन्होंने अपनी जुल्फें खुली छोड़ रखीं थी.
मैं एक टक देखता रहा.
भाभी बोली- हर रोज़ सुबह-सुबह ऊपर खड़े हो कर यही देखते हो न, आज अच्छी तरह से देख लो.
मैं हैरान रह गया.
दोस्तो! औरत वैसे ही अनजान बनी रहती है लेकिन वह आदमी की हरकतों को सब जानती है.
मैंने झट से भाभी को गोद में उठा लिया और उनके गालों और होंठों को चूसने लगा.
भाभी बोली- गालों पर निशान मत डालना.
हमने खड़े-खड़े बहुत देर तक स्मूच किया. मैंने भाभी के गोरे बदन को हर जगह चूमा और उनके हुस्न की मुक्त कंठ से तारीफ की.
अपनी तारीफ़ सुनकर भाभी बोली- हेमा के पास क्या है, जो वह लोगों को दिखाने की कोशिश करती है.
मैं समझ गया था कि मुझे जो कुछ मिल रहा है वह औरतों की ईर्ष्या की वजह से मिल रहा है.
मुझे भाभी नाईटी में बहुत सेक्सी लग रही थी. मैंने भाभी की चूत पर पैन्टी के ऊपर से हाथ फिराया, पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने अपने हाथ से भाभी की पैंटी निकाल दी.
लता भाभी की सफ़ेद जांघें और केले के पेड़ जैसी शेप की टांगें, सुन्दर गुदाज गोल चूतड़, गज़ब ढहा रहे थे. उनके चिकने पेट पर बच्चा होने का कोई निशान नहीं था. लता भाभी कुल मिला कर स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी.
भाभी बोली- देवर जी, ऐसा हुस्न देखा है कभी?
मैं भाभी की कमज़ोरी पहचान गया था. उन्हें अपनी तारीफ सुननी थी जो उनका पति कभी नहीं करता था. मैंने भाभी को मक्खन लगाते हुए कहा- भाभी सच में आप अप्सरा लग रही हैं.
मैंने भाभी के पाँव को थोड़ा खड़े-खड़े खोला और उनकी चूत और चूतड़ों पर अच्छे से हाथ फिराया और फिर जमीन पर बैठ कर चूत को मुंह और जीभ से चाटने लगा.
लता भाभी पूछने लगी- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है और कभी ये काम किया है?
तो मैंने कहा- भाभी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और न ही आज तक मैंने किसी की चूत मारी है.
लता भाभी यह सुन कर खुश हो गई.
दोस्तो! जिस प्रकार आदमी यह सोचता है कि मुझे किसी कुंवारी लड़की की चूत मारने को मिले, उसी प्रकार औरत भी यह चाहती है कि उसे भी बिल्कुल कुंवारा लड़का मिले, जिसने पहले कभी चूत न मारी हो.
कहानी अगले भाग में जारी है.
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