यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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मेरा उत्तर सुनकर लता भाभी एकदम रोमांचित हो गई और मुझसे लिपट गई; कहने लगी- देवर जी, यह मेरी खुशकिस्मती है कि आपका लंड फर्स्ट टाइम मेरी चूत में जाएगा और आप पहली बार मुझे चोदोगे.
मैं लता भाभी को तरह-तरह से चूमने लगा और उनकी चूचियों को पीने लगा.
लता भाभी के हाथ मेरे लंड तक पहुंच गए, उन्होंने कहा- राज आपने तो मेरा सब कुछ देख लिया, अपना हथियार तो दिखाओ.
यह सुनते ही मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और जैसे ही मैंने अंडरवियर नीचे किया, मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड बाहर निकाला तो लण्ड एकदम झटके से बाहर निकल कर मेरे पेट पर लगा.
लता एकदम ज़ोर से बोली- ओ माई गॉड, ये क्या है?
मैंने कहा- जो आपके पति के पास है, वही मेरे पास है.
लता भाभी बोली- उनका तो आपसे आधा लंबा और पतला सा है, लगभग 4 इंच का.
उसने कहा- ये तो घोड़े जैसा है.
लता मेरे लंड को हाथ से ऊपर-नीचे करने लगी.
लता भाभी ने लंड को हाथों में पकड़ लिया और नीचे होकर अपने मुंह में चूसने लगी. लता भाभी के मुंह में मेरा लंड इस प्रकार फंसा हुआ था कि उन्हें सांस लेना भी मुश्किल हो गया था. भाभी कहने लगी- राज, यह तो बहुत मोटा है, मेरे हसबैंड का तो बिल्कुल ही छोटा सा है.
मैं खड़े-खड़े लता भाभी को कभी सामने से बांहों में लेकर उनके चूतड़ों को सहलाता तो कभी उनके चूतड़ों की तरफ अपना लंड लगाकर आगे से उनके मम्मों को भींचने लगता. लता भाभी का बुरा हाल हो गया था. उनकी चूत बार-बार पानी छोड़े जा रही थी और मैं बार-बार उनकी चूत को मसल रहा था.
मैंने खड़े-खड़े भाभी की टांगों को थोड़ा चौड़ा किया और चूत के ऊपर अपने लंड का सुपारा टिका दिया. चूत पर लंड का सुपाड़ा टिकते ही लता भाभी ने अपनी आंखें बंद कर ली और तरह-तरह की शी… शी… की आवाज़ निकालने लगी.
कुछ देर लंड को चूत के दाने पर रगड़ने के बाद भाभी कहने लगी- राज, अब ज्यादा मत तड़पाओ और इसको अंदर डाल दो.
मैंने भाभी के गाउन को उतार दिया और उनको बिल्कुल नंगी करके बेड पर लिटा दिया. मैं भाभी के पांव की तरफ गया और उनके दोनों घुटनों को खोलकर उनकी सुंदर चूत को देखा.
‘ओह माई गॉड!’ क्या कमाल की चिकनी और मलाई जैसी गोरी और छोटी सी सुन्दर चूत दिखाई दी. एकदम साफ़ चूत पर बाहर दो फूली हुई गोरी पुट्टियां, उनको मैंने अपनी उँगलियों से अलग किया तो अन्दर, सुन्दर दो गुलाबी रंग की छोटी गुलाब की छोटी पंखुड़ियां जैसे चूत के होंठ, और उनके अन्दर पानी छोड़ने से गीला हुआ गुलाबी छोटा सा छेद दिखाई दिया.
भाभी की चूत का दाना किसमिस जैसा था जो फूल कर छोटे अंगूर जैसा हो गया था.
मैंने भाभी की चूत को चूमा, उसके अंदर अपनी जीभ डाली और भाभी के दाने को अपने होठों से चूसा, तो भाभी बेड के ऊपर अपना सिर मारने लगी और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मुझसे बोली- राज! बस करो, अब अंदर डाल दो.
मैंने भाभी के घुटनों को थोड़ा मोड़ा और लंड को चूत के छेद पर सेट किया.
चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी भाभी के थूक से गीला हो चुका था.
फिर वह भी कहने लगी- राज! बिल्कुल धीरे-धीरे डालना, मैंने कभी इतना मोटा लंड न देखा है और न ही चूत में लिया है. इससे तो लगता है मेरी चूत आज फट ही जाएगी.
मैंने भाभी से कहा- मैं बिल्कुल धीरे-धीरे डालूंगा, आप चिंता न करें.
भाभी कहने लगी- ठीक है, जो तुम्हें ठीक लगता है उस तरह से करो.
मैंने भाभी की चूत पर थोड़ा सा लंड का दबाव दिया तो लंड का सुपारा चूत के नर्म और छोटे से पिंक छेद के अंदर चला गया.
भाभी कहने लगी- राज, थोड़ा धीरे करना.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपको भैया अच्छी तरह से नहीं चोदते क्या?
तो भाभी कहने लगी- उनकी तो आप बात ही छोड़ो, अब हमारे अंदर यह संबंध रहा ही नहीं है, शादी के 7 साल हो चुके हैं, और कहावत है कि 7 साल के बाद आदमी का औरत से मन भर जाता है परन्तु तुम्हारे भैया का तो 3 साल में ही भर गया था, आज बहुत दिनों बाद तुम मेरी चूत की आग को शांत करोगे.
बातें करते-करते मैंने लंड को थोड़ा और ज़ोर लगा कर अन्दर किया और आधा लंड भाभी की चूत में घुसेड़ दिया. भाभी थोड़ा असहज लग रही थी तो मैंने भाभी के होंठों पर किस किया और एक ज़ोर का धक्का लगा कर पूरा लंड अन्दर घुसेड़ दिया.
भाभी उस धक्के के लिए तैयार नहीं थी और जैसे ही पूरा लंड चूत के अंदर फंसा, भाभी की एकदम चीख निकल गई, बोली- राज! मुझे मार ही दिया, इतना मोटा लंड है तुम्हारा.
कुछ देर तक मैंने अपने लंड की हरकत रोक दी और लंड को चूत में डाल कर भाभी के ऊपर लेट गया और भाभी को प्यार करने लगा.
कुछ देर बाद लता भाभी बोली- अब ठीक लग रहा है, धीरे-धीरे करो.
मैं लंड को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा. लंड पूरा भाभी की बच्चेदानी के ऊपर लग रहा था. कुछ ही देर में जब सब कुछ सेट हो गया और भाभी को मज़ा आने लगा तो लता भाभी ने अपनी टांगें मेरी टांगों के अंदर फंसा दी.
मैं समझ गया कि अब भाभी को मज़ा आने लगा है. उनके टांगे फसाने से मैं ज्यादा ऊपर नहीं उठ पा रहा था, मैंने भाभी की टांगों को अपने हाथों में लिया और चूत के ऊपर अच्छी तरह से चढ़कर लंड से ठुकाई करने लगा.
भाभी कहने लगी- आह … आए …. हाय … मार दिया … मार दिया … इतना बड़ा लंड … इतना मोटा … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैंने पहली बार लिया है. तुम तो असली मर्द हो, तुमने पहली बार मेरी चूत मारी है, मैंने तुम्हारे कुंवारेपन को तोड़ दिया. मुझे बहुत मजा आ रहा है, राजा! मुझे चोदो, चोदो … मुझे … हाय … हाय … आई …
करते हुए भाभी अपना सिर बेड पर इधर-उधर मारती रही.
जैसे-जैसे मैं भाभी की चूत में धक्के लगा रहा था, उसी रफ्तार से भाभी की चूचियां उनकी छाती पर ज़ोर-ज़ोर से हिल रही थी.
भाभी कहने लगी- और ज़ोर से करो मेरे राजा. आज तो मज़ा दे दिया तुमने. सच में … अब मैं हर रोज़ तुमसे चुदा करूंगी, हाय मेरी जान … करो … करो … करो, मेरे राजा!
और अचानक भाभी का शरीर अकड़ने लगा, उन्होंने ज़ोर से मुझे अपनी बांहों में कसकर अपनी छाती के साथ भींच लिया और भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
भाभी कहने लगी- मेरा तो हो गया है. अब तुम अपना काम कर लो.
मैंने उसी पॉजीशन में भाभी की टांगों को अपने कंधों पर उठा लिया और धकाधक चुदाई जारी रखी.
मार्च का महीना था, हम दोनों उस कमरे में पसीना-पसीना हो गए थे. मैं बेड से नीचे उतरा और भाभी को बेड के किनारे पर घसीट कर उनकी चूत में दोबारा लंड डाल कर उन्हें पेलने लगा.
भाभी ने कहा- मुझे दर्द होने लगा है.
तो मैंने उनकी चूत में 15-20 ज़बरदस्त झटके लगाए और उनकी चूत को अपने लंड के वीर्य की पिचकारियों से भर दिया. लगभग 10-15 पिचकारियों के बाद मेरा लंड शांत हुआ और मैं भाभी को ऊपर सरका कर उनके ऊपर ही लेट गया. मैं दोनों हाथों में उनके चेहरे को पकड़कर प्यार करने लगा. मैंने भाभी की चूचियों पर काटने के निशान बना दिए थे. भाभी पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी थी.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे ऊपर से हटने का इशारा किया. मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, लंड के बाहर निकलते ही ढेर सारा वीर्य उनकी चूत से निकल कर उनके चूतड़ों को भिगोता हुआ बेड की चादर पर गिरने लगा.
भाभी लेटी रही, मैं उठकर बाथरुम में चला गया, जब वापस आया तो भाभी भी उठ कर बाथरुम जाने लगी तो खड़े होते ही उनकी चूत से वीर्य निकल कर उनके पटों से होता हुआ नीचे उनके घुटनों तक बह रहा था और भाभी अपनी टाँगें चौड़ी करके लड़खड़ाती हुई चल रही थी.
भाभी बाथरूम गई और अपनी चूत को साफ करके आई. आने के बाद भाभी ने वही गाउन फिर पहन लिया और रसोई से मेरे लिए गर्म दूध और कुछ ड्राई फ्रूट लेकर आई, मुझसे कहने लगी- मेरे राजा, आज जिंदगी में तुमने जो मेरी चुदाई की है वह सदा याद रहेगी.
इस पूरी चुदाई में रात के 11:00 बज गए थे. मैंने दूध पिया और कुछ ड्राई फ्रूट खाए, गर्म दूध पीने के बाद मेरे अंदर फिर जोश पैदा हो गया, मैंने भाभी को उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया और प्यार करने लगा. मैंने भाभी की सुंदरता की खूब तारीफ की और कहा- हेमा भाभी तो आपके मुकाबले में कुछ भी नहीं है, उसके पट मैंने देखे हैं.
मैंने वह सारी बात बता दी जब वह मेरे ऊपर गिरी थी, मैंने उनको बताया कि हेमा भाभी ने आपसे बात छुपा ली थी.
भाभी मुस्कुराने लगी और मुझे कहने लगी- अब तुमने मेरा शरीर और मेरी चूत सब देख ली है, जरा उसका भी हिसाब किताब चेक करो.
मैंने भाभी से कहा- मैं आपको छोड़कर अब दूसरी के पास नहीं जाऊंगा.
तो भाभी कहने लगी- कोई बात नहीं, एक बार देखो तो, मुझमें और उसमें क्या अंतर है?
मैंने कहा- ठीक है अगर वह अपने आप अपनी चूत मुझे देंगी, तो मैं ले लूंगा, वरना मैं खुद ट्राई नहीं करूंगा.
ऐसे ही बातें करते-करते मैं भाभी के होंठ और चूचियां पीने लगा और चूत के ऊपर हाथ लगाने लगा, भाभी फिर गर्म हो गई और उन्होंने मुझे बेड पर धक्का देकर नीचे लिटा लिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई. उन्होंने मेरे खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर सेट करके नीचे की तरफ बैठ गई, भाभी के बैठते ही पूरा लंड चूत में घुस गया, भाभी मेरे लंड की सवारी करने लगी और फटाफट अपने चूतड़ों को ऊपर उछाल-उछाल कर लंड को अंदर-बाहर करने लगी. कुछ देर बाद ही जब उनकी चूत से पानी छूट गया तो एकदम शांत होकर मेरे ऊपर लेट गई.
कुछ देर बाद भाभी मेरे ऊपर से उतर कर मेरी साइड में लेट गई, मैंने भाभी की टांगों के ऊपर अपनी एक टांग रखी और उनकी गर्दन के नीचे से हाथ डालकर उनको अपनी साइड में लेकर सीने से चिपका लिया. मेरा लंड अभी भी खड़ा था जो भाभी की चूत से टकरा रहा था, मैंने भाभी की पीठ पर हाथ फिराना शुरू किया उनके चूतड़ों को सहलाया, उनके पटों को सहलाया.
भाभी कहने लगी- राज! अब आप अपने कमरे में चले जाओ, बहुत देर हो चुकी है.
मैंने भाभी से कहा- एक बार ज़रा घोड़ी बन कर और चोदना चाहता हूँ.
भाभी कहने लगी- वो कल कर लेना.
लेकिन मैंने कहा- अब मेरा तो खड़ा हो चुका है, इसे तो छुटवाना ही नहीं है.
भाभी कहने लगी- ठीक है, कर लो!
और नाईटी पहने-पहने घोड़ी बन गई.
मैं बेड से नीचे खड़ा हो गया. नाईटी भाभी के चूतड़ों को आधा ढके हुए थी और आधे चूतड़ दिखाई दे रहे थे. मैं भाभी के गोरे और सुडौल चूतड़ों पर हाथ फिराने लगा. भाभी की गाण्ड का छेद भी बिल्कुल पिंक था.
मैंने जब लंड को गाण्ड के छेद पर रखा तो भाभी बोली- गन्दा काम नहीं.
मैं भी गांड में ज्यादा इंटरेस्टेड नहीं था, अतः मैंने उनके पटों के बीच में से उभरी चूत को उँगलियों से अलग किया, उनकी टांगों को थोड़ा चौड़ा किया और लंड अन्दर जाने की जगह बना कर, सुपारा चूत के बीच में रख कर, एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर तक ठोक दिया.
भाभी इस झटके के लिए तैयार नहीं थी, वह एकदम चिहुंक गई और आ … आ … आ … की आवाज़ से इकट्ठी हो गई.
भाभी बोली- जान ही निकाल दी.
थोड़ी देर बाद भाभी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा हिलाया और लण्ड को चूत में अच्छे से सेट करके बोली- अब करो.
मैंने भाभी की कमर पर और उनके बालों पर हाथ फिराया और थोड़ा आगे हाथ करके उनके चूचों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और धीरे-धीरे लण्ड को पूरा-पूरा बाहर निकाल कर भाभी को पीछे से चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद भाभी की वासना फिर भड़क गई और मुझे बोली- राज! ज़रा ज़ोर-ज़ोर से तेज़-तेज़ करो, बहुत ही मज़ा आ रहा है.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और लगभग 5 मिनट की चुदाई के बाद भाभी की बुर ने फिर पानी छोड़ दिया और भाभी ने अपनी छाती और चूचियाँ बेड पर टिका ली.
ऐसा करने से चूत बिल्कुल मेरे लण्ड के निशाने पर आ गई. मैंने भाभी की जांघों को हाथों से पकड़ कर ज़बरदस्त 20-25 झटके मारे और मेरा लण्ड वीर्य की फिर से पिचकारियाँ मारने लगा.
पिचकारियाँ लगते-लगते भाभी बेड पर पसर गई और मैं भी अपना लण्ड अन्दर डाले डाले, उन्हें पसरे हुए ही पीछे से वीर्य की अंतिम बून्द तक चोदता रहा और उनके ऊपर ही लेट गया. भाभी मेरे नीचे दबी पड़ी थी.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटाया और बोली- अब जाओ अपने कमरे में, मुझे तो तोड़ कर ही रख दिया है.
रात के 1 बजे का समय हो गया था, मैं अपने कपड़े पहन कर लता भाभी के ड्राइंग रूम वाले दरवाजे से निकल कर चुपचाप अपने कमरे में चला गया. हेमा भाभी का दरवाजा बंद था, किसी को कुछ भी नहीं पता लगा और मैंने लगभग 5 घंटे चुदाई का आंनद लिया और दिया.
मैं और लता भाभी चुपचाप हर रोज़ चुदाई करते रहे और जैसे कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छुपता, हमारे इस खेल का हेमा भाभी को शक हो गया था.
हुस्न की जलन की यह कहानी जारी रहेगी.
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