यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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लता भाभी को चोदते हुए मुझे लगभग 15 दिन हो गये थे तो इसकी भनक हेमा भाभी को लग गई थी. वह ऐसे हुआ कि एक रोज़ लता भाभी शनिवार को, जब मेरी छुट्टी होती थी, मेरे कमरे में ऊपर आई और मैंने फटाफट दरवाज़ा बंद करके, अपना लोअर निकाला और उन्हें बेड पर लिटा कर, उनकी साड़ी ऊपर करके चोदने लगा. करीब 5-7 मिनट बाद ही मेरे दरवाज़े की घण्टी बजी, उस वक्त मेरे लंड से लता भाभी की चूत में वीर्य की पिचकारियां चल रही थीं, अतः कपड़े ठीक करते हुए दरवाज़ा खुलने में टाइम लग गया.
जब दरवाजा खोला तो बाहर हेमा भाभी खड़ी थी.
हम उन्हें देखकर हड़बड़ा गए थे, मेरा लोअर वीर्य के दाग से गीला हो गया था और लता भाभी भी जहाँ खड़ी हुई थीं, वहां उनकी चूत से जमींन पर वीर्य की बूंदें गिर रही थी.
हेमा भाभी सब कुछ समझ गई थी, बस वे इतना ही बोली- राज! दरवाजा इतनी देर में क्यों खोला?
मैंने कहा- मैं बाथरूम में था.
वह मुस्कराई और वापस चली गई.
लता भाभी अपनी गर्दन नीची करके खड़ी रही. उन्हें कुछ भी नहीं कहते बन रहा था.
जब हेमा भाभी चली गई तो लता भाभी बोली- राज! आज तो इसे पक्का शक हो गया है. अब तुम इसे भी एक बार पकड़ कर ज़रूर चोद दो, वर्ना यह कहीं भी हमारी बात बता सकती है.
मैं तो पहले ही चाहता था, अतः यही सोचकर कि कहीं लता को बुरा न लगे, मैं हेमा के साथ पहल नहीं कर रहा था. मैंने लता भाभी से कहा- ठीक है, मैं ट्राई करता हूँ.
लता बोली- ट्राई जल्दी करनी है, दो-तीन दिन में मेरे हस्बैंड टूर से वापिस आ जायेंगे, उनके सामने या किसी पड़ोसन से यह बात न कर ले.
मैंने कहा- आप परेशान न हों, मैं देखता हूँ.
लता भाभी ने वहाँ पड़े एक छोटे हैंड टॉवल से अपनी चूत और पांवों को साफ़ किया और नीचे अपने मकान में चली गई.
जैसा कि मैंने पहले बताया था कि शनिवार को बच्चे और प्रोफेसर साहब स्कूल और कॉलेज जाते थे और मेरी छुट्टी होती थी तो हेमा भाभी कई बार मुझे अपने घर बीच वाले पोर्शन में किसी बहाने से हेल्प के लिए बुला लेती थीं.
हेमा भाभी हमेशा मेकअप करके रहती थी. उनके बॉब कट घुंघराले बाल थे, स्लीवलेस ब्लाउज में उनकी बड़ी-बड़ी खड़ी चूचियां और साड़ी में कसी हुई उनकी भरी हुई गांड किसी भी आदमी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी. उनकी आंखें बड़ी नशीली थीं.
लगभग आधे घंटे बाद मैं हेमा भाभी का रिएक्शन जानने के लिए उनके घर बीच वाले पोर्शन में गया. हेमा भाभी ने उस दिन एक घुटनों से थोड़ा नीचे तक का घाघरी टाइप स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहन रखा था जिसमें वे गज़ब की सेक्सी लग रही थीं.
मैंने भाभी जी से पूछा- भाभी जी, कोई काम था?
उन्होंने कहा- काम तो था, परन्तु तुम तो दूसरे ही काम में लगे हुए थे.
उन्होंने पूछा- लता तुम्हारे कमरे में क्या कर रही थी? कमरा खोलने में इतनी देर क्यों लगाई?
मैंने कहा- लता भाभी तो बाहर छत पर थीं और मैं बाथरूम में था.
हेमा भाभी बोली- मुझे बेवकूफ मत बनाओ, कई दिन से तुम उसी के पास आते-जाते हो और वह तुम्हारे पास आती है, कोई चक्कर चल रहा है, मैं कई देर से दरवाज़े के बाहर खड़ी बेड के चरमराने की आवाजें सुन रही थी.
मैंने सफाई देते हुए कहा- भाभी! वो अकेली हैं, मैं भी अकेला हूँ, बस यूँ ही मिल लेते हैं, और कुछ नहीं है.
मैंने कहा- आप उसे छोड़ो, बताओ आपकी क्या सेवा करूँ?
हेमा भाभी कहने लगी- मैं तो अपनी एक प्रॉब्लम बताने तुम्हारे पास आई थी.
मैंने कहा- बताइये?
भाभी जी कहने लगी- दो-तीन दिन से मेरी कमर में, मेरे कन्धों के बीच दर्द हो रहा है, लगता है किसी मांसपेशी में खिंचाव आ गया है, मेरा वहां हाथ नहीं पहुँचता, तो सोचा था तुमसे थोड़ी आयोडेक्स लगवा लेती हूँ. जब तुमने पाँव पर लगाईं थी तो जल्द ही आराम आ गया था.
भाभी जी के बात करने के तरीके से लग रहा था कि वह पूरी तरह से चुदासी हो गई थीं. उनकी नशीली आँखों में आज अजीब सी खुमारी छाई हुई थी, वैसे भी उन्होंने लता और मेरी चुदाई की आवाजें सुन लीं थीं, जिससे वह उत्तेजित हो गई थीं.
नहा कर भाभी जी ने अपने आपको तरो ताज़ा कर रखा था. उनके हाथ और पाँव की नाजुक पतली और गुदाज उंगलियों में बहुत सुन्दर नेल पोलिश लगी हुई थी. उनके नंगे, गोल गुदाज बाजू और घुंघराले कन्धों तक सजे बाल गजब ढहा रहे थे. मुझे लग रहा था कि भाभी जी आज स्पेशल तैयार हो कर मेरे कमरे में आई थीं.
खैर, मैंने बात को टालते हुए कहा- नहीं भाभी जी! ऐसी कोई बात नहीं है, दरअसल मैं आपसे शरमाता हूँ और झिझकता हूँ.
भाभी बोली- जब स्कूटर पर बैठा कर जान-बूझकर झटके मारते हो, तब तो नहीं शरमाते.
मैं भाभी की बात सुनकर अवाक् रह गया.
उन्होंने कहा- अब मेरे दर्द का कोई इंतज़ाम है या नहीं?
मैंने कहा- अभी आयोडेक्स मल देता हूँ.
भाभी कहने लगी- उससे तो सारे घर में ही स्मेल हो जाती है. उस समय दिन के 11 बजे थे, काम वाली जा चुकी थी.
मैंने कहा- आप चाहो तो थोड़ी मालिश कर दूँ?
भाभी बोली- अगर आपको बुरा न लगे तो कर दो, वही ठीक रहेगा.
भाभी बाथरूम गई और टॉप के नीचे से अपनी ब्रा निकाल आई. हेमा भाभी के बड़े-बड़े मम्मे अब साफ हिलते हुए दिखाई दे रहे थे.
मैंने भाभी से पूछा- मालिश कहाँ करनी है?
तो भाभी ने कहा- पीछे दोनों कन्धों के बीच में, कमर पर.
मैंने भाभी के टॉप के ऊपर से हाथ लगा कर मालिश शुरू की तो भाभी कहने लगी- राज! अन्दर से करो न, शरमा क्यों रहे हो? जब पाँव पर की थी तब तो नहीं शरमा रहे थे.
मैं समझ गया लाइन क्लियर है.
मैंने भाभी के टॉप में हाथ डाला और उनकी गुदाज कमर पर हाथ से मालिश करने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने हाथ इधर-उधर घुमाना शुरू कर दिया और हाथ को पूरी कमर पर फिराते हुए भाभी की चूचियों को छुआने लगा.
भाभी मुझसे कहने लगी- राज! कई साल पहले मुझे ऐसा ही दर्द हुआ था, तब प्रोफेसर साहेब ने मुझे पीछे से भींच कर दो-तीन बार ऊपर उठा दिया था, जिससे मेरी कमर में से एक चट की आवाज़ आई थी और मुझे आराम आ गया था, परन्तु अब उनका पेट आगे निकल आया है और उनमें ताकत भी नहीं है, क्या तुम मुझे वैसे ही उठा सकते हो?
मैंने कहा- भाभी! पहले दरवाजा बंद कर लो.
भाभी एकदम उठी और मेन गेट बंद करके वापिस आ गई. जैसा कि मैं हर बार लिखता हूँ कि मैं घर में लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहनता हूँ, भाभी की बात सुन कर मेरा लौड़ा मेरे लोअर में तन चुका था.
मैंने भाभी को पीछे करके उनको अपनी बाहों में भरा और ज़ोर से भींचकर ऊपर उठा दिया. मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लौड़ा भाभी की बड़ी और फूली हुई गांड में, उनकी स्कर्ट के ऊपर से धंस गया और भाभी मेरे लौड़े और मेरी बाजुओं में जकड़ी, मेरे ऊपर उल्टी हो कर लटक रही थी. मेरे हाथ भाभी के मम्मों के नीचे थे. भाभी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और आनंद के रस में भीग रही थी.
कुछ देर बाद मैंने भाभी को नीचे उतारा और पूछा- कुछ ठीक लगा?
भाभी कहने लगी- राज! ऐसा दो तीन बार कर दो.
अबकी बार मैंने भाभी को उठाते हुए अपने हाथ उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर अच्छी तरह रख लिए और उन्हें दोबारा उठाया. भाभी बिल्कुल चुदास से भर गई थी. मैंने अपने एक हाथ से भाभी को उठाये रखा और दूसरा हाथ उनके पेट पर फिराने लगा.
जब भाभी नीचे सरकने लगी तो मैंने अपने दाहिने हाथ को भाभी को सहारा देने के बहाने उनकी जांघों में डाल कर उनकी चूत को दबा दिया. भाभी कुछ नहीं बोली.
तीसरी बार जब मैं भाभी को उठाने लगा तो मैंने अपना हाथ भाभी के टॉप के अन्दर डाल कर उनके मम्मे पकड़ कर ऊपर उठा दिया.
भाभी एकदम पलट कर मुझसे लिपट गई और बोली- अब शुरू हो ही गए हो तो सामने से भी उठा लो.
मैंने भाभी को सामने से बाँहों में भरकर ऊपर उठा लिया और अपना लण्ड कपड़ों के ऊपर से ही उनकी चूत पर टिका दिया. भाभी मेरे आगोश में आकर निढाल हो गई.
मैंने उन्हें नीचे उतार कर चूमना शुरू कर दिया और अपने होंठ उनके सुलगते होंठों पर रख दिए और बहुत देर तक उन्हें चूसता रहा. जब हम अलग हुए तो भाभी बोली- बुद्धू, कितनी देर बाद बात को समझे हो.
मैं एकदम भाभी से चिपक गया. भाभी ने मुझे अपने हाथों से अपनी बांहों में जकड़ लिया और हम बहुत देर तक एक दूसरे के अंगों को मसलते रहे.
कुछ देर बाद मैंने भाभी के टॉप को निकाल दिया और उनके दोनों बड़े-बड़े खरबूजा के जैसे मम्मे बाहर खड़े हो गए. मैं उनको हाथों में लेकर दबाने लगा और मुंह में पीने लगा. मैंने भाभी के स्कर्ट के इलास्टिक में हाथ डाला और स्कर्ट को नीचे निकाल दिया, भाभी ने अपनी पैंटी पहले ही उतार दी थी. वह भी मेरी तरह से दो कपड़ों में ही थी और पहले से ही अपना मन चुदवाने के लिए बना चुकी थी.
स्कर्ट नीचे निकलते ही भाभी पूरी तरह से मेरे सामने नंगी खड़ी हो गई. एक बात जो बहुत सेक्सी लग रही थी वह यह कि भाभी ने अपनी कमर में चूतड़ों के ऊपर एक चांदी की झालर नुमा चेन पहन रखी थी, जिसको तगड़ी कहते थे. भाभी थोड़ी प्लस साइज की थी तो उनका सारा शरीर इतना गुदाज और मस्त था कि जहां भी हाथ रखो, हाथ मलाई की तरह से उनके शरीर पर चल रहा था. भाभी की आंखें पहले ही नशीली थी और जब उनके ऊपर सेक्स का खुमार चढ़ा तो उनकी आंखें बिल्कुल ही शराबी की तरह से हो गई.
भाभी ने मेरे लोअर में खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया और मेरी टी-शर्ट निकालने लगी. मैंने टी-शर्ट निकाल दी और भाभी ने जैसे ही मेरा लोअर नीचे किया, मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आकर झूलने लगा.
मेरे लंड को देखते ही भाभी एकदम से बोली- राज! तुम लगते तो छोटे हो परंतु तुम्हारा लंड इतना बड़ा कैसे हुआ?
उन्होंने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बहुत देर तक उसको आगे पीछे करके देखती रही.
मैंने भाभी से पूछा- क्या प्रोफेसर साहब का इतना बड़ा नहीं है?
तो भाभी कहने लगी- प्रोफेसर साहब तो नाम के ही आदमी हैं, बाकी उनमें कुछ नहीं है, उनका लंड तो बिल्कुल छोटा सा है, लगभग 3 या साढ़े 3 इंच का होगा और वह भी उनके टट्टों के अंदर ही घुसा रहता है.
जब मैंने पूछा- भाभी, आपको चुदवाये कितने दिन हो गए हैं?
तो भाभी उदास हो गई और कहने लगी- मुझे नहीं पता कितने साल हो गए हैं, जब यह छोटा हुआ था उसके बाद हमने एक दो बार किया है. लगभग 4 साल से मैं कुंवारी की तरह से रह रही हूँ, हम तो सोते भी अलग-अलग हैं, प्रोफेसर साहब तो बच्चों को पढ़ाने के बाद ड्राइंग रूम में ही दीवान पर सो जाते हैं और मैं बच्चों के साथ बेड पर सोती हूँ. कभी जब बहुत मन करता है तो रात भर नींद नहीं आती और मैं चूत में उंगली से कर लेती हूँ.
भाभी ने बताया- जब तुम कमरा किराए पर लेने आए थे तो मुझे बहुत अच्छे और स्मार्ट लगे थे. मैंने सोच लिया था कि तुम अगर मुझ पर ट्राई करोगे तो मैं तुम्हें अपना सब कुछ सौंप दूंगी. परंतु तुमने कभी ट्राई ही नहीं की, उसकी पहल भी मुझे ही करनी पड़ी.
भाभी कहने लगी- अब मैं तुमसे एक बात पूछती हूं, सच-सच बताना, झूठ नहीं बोलना है … “क्या तुमने लता को चोद लिया है?”
मैं पहले तो कुछ नहीं बोला और चुप रहा लेकिन भाभी ने मुझसे दोबारा पूछा- देखो राज! मुझसे झूठ नहीं बोलना, मैं अपना सब कुछ आज तुम्हें सौंप रही हूँ.
मैंने भाभी से कहा- भाभी आप ठीक कह रही हैं, मैं और लता पिछले 15 दिन से हर रोज़ सेक्स करते हैं, कभी वह मेरे कमरे में आ जाती है और कभी मैं उनके नीचे चला जाता हूं.
फिर भाभी ने बताया कि तुम लता के साथ पिक्चर भी गए थे. यह सुन कर मैं हैरान रह गया.
मैंने पूछा- आपको कैसे मालूम?
तो भाभी ने बताया कि सामने वाले घर में जो प्लस टू में लड़की पढ़ती है उसका नाम सोनू है. उसने तुम दोनों को एक दिन पिक्चर हाल से 7:30 बजे निकलते देखा था और निकलने के बाद तुम अलग-अलग घर पर आए हो. सोनू सामने वाले घर में रहती है और वह तुम्हारा और लता का चक्कर समझ गई है. उसी ने एक दिन मुझे बताया था. उसने यह भी ध्यान रखा कि तुम 8:00 बजे घर पर तो आए परंतु तुम्हारे कमरे की लाइट नहीं जली, जिसका मतलब था कि तुम लता के घर सीढ़ियों में से अंदर चले गए.
ये सारी बातें जानकर मैं हैरान रह गया और फिर मैंने याद किया कि सामने वाले घर के आंगन में से एक बहुत ही सुंदर छोटी लड़की हर वक्त मेरे कमरे के ऊपर की ओर देखती रहती थी. मैंने यह सोच कर कि वह अभी छोटी है, कभी ध्यान नहीं दिया. अब मेरी चोरी पकड़ी जा चुकी थी.
इसलिए मैंने भाभी से कहा- भाभी! जैसे आप लंड के लिए तरसती हो ऐसे ही लता भाभी भी लंड के लिए तरसती है. आज हम दोनों मिले हैं तो लता को भूल जाओ और आओ साथ मिलकर इस मिलन को रंगीन बना दें.
कहानी अगले भाग में जारी है.
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