यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
मेरी माशूका मुझसे इतनी मुहब्बत करती है कि वो हरदम मेरे आगोश में रहना चाहती है. अब उसकी सुहागरात मनाने की तमन्ना मैं पूरी करना चाह रहा था.
सुहागरात से पहले दिन हम सुबह उठे, नहाये और नाश्ता कर लिया.
मैं- ज़ारा!
ज़ारा- हां?
मैं- आज कोई सेक्स नहीं करेंगे!
ज़ारा- क्यों?
मैं- क्योंकि कल हमारी सुहागरात है इसलिये!
ज़ारा- ठीक है!
मैं- ये तुम्हारा चेहरा क्यों उतर गया?
ज़ारा- ऐसे ही!
मैं- यार तुम चार-चार, पांच-पांच दिन बिना सेक्स किये रह लेतीं थीं अब क्या हो गया है तुम्हें?
ज़ारा- जान मेरा आखरी दिन है गर्लफ्रेंड रहने का!
मैं- ठीक है! एक बार करेंगे! केवल एक बार!
ज़ारा उठी और मेरे कंधे से सिर टिकाकर बोली- जान, कितना ख्याल रखते हो आप मेरा!
मैं- कोई ख्याल नहीं कंपनसेशन दे रहा हूं. और हां लंच में मटन बनाना!
ज़ारा- आज मैं आपको कहीं नहीं जाने दूंगी!
मैं- अरे अजीत को बोल देना. मैं भी तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला!
उसने अजीत को फोन कर मटन लाने को बोल दिया.
हुयी दोपहर तो अजीत मटन दे गया.
वो मटन लेकर रसोई में गयी. मटन बनाया, रोटी बनाई!
बेहतरीन! लज़ीज़!
खाने वाला उंगलियां चाटते-चाटते उंगलियां ही खा जाये और पता भी ना चले!
मसालों का कमाल था या उसके हाथ का, या फिर उसके प्यार का!
मैं तो उसके प्यार का ही मानता हूं!
मैंने बहुत जगह मटन खाया है लेकिन वो ज़ारा के हाथ का स्वाद कहीं नहीं!
आज कुछ ज्यादा ही खा लिया; आंखें भारी होने लगीं और मुझे नींद आ गयी!
ज़ारा मोबाइल में पता नहीं क्या कर रही थी.
लगभग एक घंटे बाद उसने मुझे झिंझोड़ कर उठाया!
ज़ारा- जान, उठो!
मैं- हां, क्या हुआ?
ज़ारा- ये इंडियन पॉर्न फिल्म्स क्यों नहीं आ रहीं?
मैं- यार इंडियन पोर्न फिल्म्स बनती ही नहीं तो आयेंगी कैसे?
ज़ारा- बनती ही नहीं?
मैं- नहीं!
ज़ारा- फिर ये वीडियोज?
मैं- सब एम.एम.एस हैं या फिर एम्येच्योर सेक्स वीडियोज!
ज़ारा- एम.एम.एस क्या होते हैं?
मैं- कौन से जमाने में जी रही हो?
ज़ारा- मैंने सुना तो है लेकिन इसके बारे में ज्यादा पता नहीं है!
मैं- एम.एम.एस ये मानो जैसे स्टिंग ऑपरेशन होते हैं न्यूज़ चैनल्स के! इसी तरह कुछ लोग कैमरा छुपाकर हमबिस्तरी के वीडियो बना लेते हैं.
ज़ारा- और एम्येच्योर वीडियोज?
मैं- ऐसे वीडियोज जो बिल्कुल ही अनप्रोफेशनल होते हैं. ना डायलॉग, ना एक्टिंग, ना शॉट वेरियेशन, ना डायरेक्शन और ना ही मेकअप!
ज़ारा- सेक्स में मेकअप की क्या जरूरत?
मैं- बहुत ज्यादा जरूरत है!
ज़ारा- चेहरा कितना भी पोत लो, चूत तो वैसी ही रहेगी!
मैं- यही! यही तो नहीं जानते एम्येच्योर! चूत, गांड और लंड का भी मेकअप होता है!
ज़ारा- अच्छा जी?
मैं- हां, और इनके मेकअप आर्टिस्ट भी अलग होते हैं!
ज़ारा- ऐसा भी है?
मैं- बिल्कुल!
ज़ारा- एक बात बताओ आप कि हिंदुस्तान में इतने अच्छे डायरेक्टर हैं, एक्टर हैं, एक्ट्रेस भी हैं तो यहां पोर्नोग्राफी क्यों नहीं होती?
मैं- जब तुम दादी बन जाओगी, तब भी तुम मेरे पास ही फोन करके पूछना कि मेरे पोते को जुकाम हुआ है मैं क्या करूं? कुछ खुद भी अक्ल लगाया करो!
ज़ारा- फिर आपसे क्यों पूछती?
मैं- मतलब सिर्फ लड़ना सीखा है. हड्डियां तुड़वा लो बस किसी की तुमसे! अक्ल! अक्ल ज़ारा! अक्ल कब इस्तेमाल करना सीखोगी?
ज़ारा- मुझे क्या जरूरत? आप हो मेरे साथ!
मैं- और अगर कभी मैं नहीं हुआ तो? भूल गयीं वो लड़का?
ज़ारा- आप पॉर्नोग्राफी वाली बात बताओ!
मैं- हिंदुस्तान का सबसे बड़ा रोग?
ज़ारा- क्या कहेंगे चार लोग!
मैं- इसलिये हिंदुस्तान में पॉर्न नहीं बनता! और यही चार लोग छुप-छुपकर पॉर्न फिल्मों के मजे लेते हैं!
ज़ारा- फिर लड़कियों को घूरते हैं, छेड़ते हैं! इसलिये फिर पिटते हैं!
उसकी ये बात सुनकर मेरी हंसी छूट गयी वो भी हंसने लगी.
मैं हंसते-हंसते बोला- तुम्हें पता है तुम लड़की नहीं रहीं. तुम हो गयी हो पहलवान!
ज़ारा- क्या बात कर रहे हो? मेरा फिगर देखो कितना सेक्सी है!
मैं- तुम सिर्फ बदन से लड़की हो वैसे तो पूरी गुंडी हो गयी हो!
वो खिलखिलाकर मुझसे लिपट गयी काफी देर तक हम लेटे हुये बातें करते रहे.
करीब तीन बजे अचानक बिजली कड़की.
ज़ारा एकदम उठी और मेरी आंखों में देखकर मुस्कुरायी.
वो मुस्कुरायी और मुझे चढ़ा बुखार.
मैं- मैं नहीं जाऊंगा!
ज़ारा- चलना तो आपको पड़ेगा.
मैं- नहीं ज़ारा …
ज़ारा- मुझे गुंडागर्दी दिखाने को मजबूर मत करो जान!
मैं- नहीं यार … प्लीज!
ज़ारा- अब चलते हो या उठा के ले जाऊं आपको?
मैं- मान जाओ यार!
ज़ारा- आप ऐसे नहीं चलोगे!
ये कहकर जैसे ही वो मुझे उठाने लगी, मैंने उसे रोक दिया.
मैं- अच्छा रुको; चलता हूं!
ज़ारा- हां ये हुई ना बात! ये चेहरा ठीक कर लो और खुश हो जाओ आखिर बारिश हो रही है.
मैं- पता नहीं क्यों हो रही है?
ज़ारा- बाद में पकौड़े खिलाऊंगी आपको!
मैं- रिश्वत?
ज़ारा- रिश्वत नहीं जान! प्यार!
हम छत पर पहुंच गये.
इस छत के चारों तरफ एक तो वैसे ही काफी ऊंची-ऊंची दीवारें हैं ऊपर से एक कोना ऐसा है कि वहां कुछ भी होता रहे किसी को कुछ नहीं पता चलेगा.
वो मुझे खींचकर सीधे वहीं ले गयी और बांहों में भरकर किस करने लगी.
देखते ही देखते हमारे कपड़े उतर चुके थे.
बारिश की ठंडी फुहारों के नीचे जलता हुआ ज़ारा का नंगा बदन मुझे भी जला रहा था.
कुछ देर की चूमा-चाटी के बाद वो नीचे लेट गयी- जान मेरे पेट पर आओ!
मैं- क्या करना है?
ज़ारा- मेरी चूचियों के बीच में लंड डालो!
मैंने उसके क्लीवेज में लंड रखा तो उसने अपनी चूचियां पर दबा लीं.
मैं आगे-पीछे होने लगा.
जैसे ही आगे होता वो जीभ निकालकर लंड को छूने की कोशिश करती.
कुछ देर बाद मैंने उसकी चूचियों से लंड निकाला और उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया.
मैं- लो चूस ही लो!
सुनते ही वो उठी और गप्प से लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी.
जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो- सुनो!
ज़ारा- हम्म?
मैं- लेट जाओ!
उसने फौरन लंड छोड़ा और लेट गयी. मैं ऊपर आया और चूत चुदाई करने लगा.
ज़ारा- आ … ह … उह … जान … चोदो … आह …!
कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. एक हाथ से उसकी चूचियां दबाने लगा और एक से उसकी क्लिट रगड़ने लगा.
ज़ारा दबी-दबी लेकिन लंबी आहें भरने लगी.
कुछ ही धक्कों बाद ज़ारा- जा … न मैं आ र … ही हूं …!
कहते कहते वो झड़ गयी.
उसकी टांगें कांपने लगीं तो मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे सहारा दिया.
मैं- ज़ारा!
ज़ारा- हुम्म?
मैं- चूसोगी या गांड में डाल दूं?
ज़ारा- गांड में डाल दो जान!
मैंने चूत से निकाल कर उसकी गांड में लंड का सुपारा घुसा दिया.
ज़ारा- उ … ह!
मैं- अब पीछे होओ!
वो धीरे-धीरे पीछे होने लगी और पूरा लंड अपनी गांड में घुसा लिया और आगे-पीछे होने लगी.
कुछ देर में मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने उसकी कमर पकड़ी और तेज-तेज झटके देने लगा.
ज़ारा हर झटके पर आह भरती.
कुछ झटकों बाद मैं उसकी गांड में झड़ा तो उसने अपनी गांड भींच ली और लंड को पूरा निचोड़ लिया.
जब मैंने लंड निकाला तो उसकी गांड से मेरा पानी रिस कर बाहर आने लगा और बारिश के पानी के साथ बह गया.
हम उठे और एक-दूसरे को बांहों में भर चूमने लगे.
मैं- सुनो!
ज़ारा- हुम्म!
मैं- नीचे चलें?
ज़ारा- क्या जान? अभी तो बारिश का लुत्फ लेना है!
मैं- बहुत ले लिया मजा! अब चलो मुझे नहाना है!
ज़ारा- अरे हां! नहाना है! चलो-चलो जल्दी चलो!
मुझे पता था कि अभी एक और जंग होनी बाकी थी!
नहाने की जंग!
इसकी तैयारी मैंने पहले ही कर ली!
हम अपने कपड़े उठाकर नीचे आ गये. कपड़ों को वॉशिंग मशीन में डाला और उसके कमरे में पहुंच गये.
ज़ारा- चलो जल्दी बाथरूम में!
मैं- मैं अकेले नहाऊंगा.
ज़ारा- क्या जान? इकट्ठे नहाते हैं ना!
मैं- तुमने नहाना थोड़े है!
ज़ारा- और बाथरूम में मैं कव्वालियां गाऊंगी?
मैं- बाथरूम में तुमने नहाने के बहाने सेक्स करना है.
ज़ारा- तो कर लेना!
मैं- ज़ारा! आज एक बार सेक्स का तय हुआ था और वो हो चुका. अब दूसरी बार नहीं!
ज़ारा- अच्छा ये बात है? तो जाओ नहा लो!
मैं- हां!
ज़ारा- और सुनो रगड़-रगड़ के अच्छे से नहाना अकेले!
ये सुनकर में हंसने लगा और बाथरूम में घुस गया.
नहाकर मैंने कपड़े पहने, अब वो भी नहायी और कपड़े पहन कर रसोई में चली गयी.
थोड़ी देर बाद मैं भी रसोई में पहुंचा.
वो पकौड़े बना रही थी.
मैंने उसे पीछे से बांहों में ले लिया- ज़ारा!
ज़ारा- बोलो!
मैं- नाराज हो?
ज़ारा- मेरी नाराजगी से आपको क्या फर्क पड़ता है?
मैं- यार मुझे तुम रूठी हुयीं बिल्कुल अच्छी नहीं लगतीं.
ज़ारा- तभी तो मेरी सारी बातें मान लेते हो!
मैं- अच्छा चलो ठीक है, रात में करेंगे चुदाई! जबरदस्त वाली!
ज़ारा- आपसे कान खुश करवा लो बस!
मैं- पक्का!
ज़ारा- छोड़ो भी!
मैं- वादा!
ज़ारा- मुकर तो नहीं जाओगे?
मैं- नहीं मुकरुंगा जान!
अब वो हुयी थोड़ा पीछे और मेरे गाल पर चूम लिया तो मैंने भी उसे चूमकर रात की चुदाई पर मोहर लगा दी.
ज़ारा- जान एक बात कहूं?
मैं- हां जान!
ज़ारा- सेक्स तो सिर्फ एक बहाना है!
मैं- पता है मुझे! तुम सिर्फ मेरे आगोश में रहना चाहती हो.
ज़ारा- मुझे बहुत डर लगता है जुदाई का सोचकर! इसलिये जीना चाहती हूं आपके साथ एक-एक पल को!
मैं- और मैं तुम्हें इसलिये दूर रखने की कोशिश करता हूं ताकि तुम्हारी आने वाली जिंदगी में तुम्हें कोई तकलीफ ना हो.
ज़ारा- जान …
मैं- अब छोड़ो नहीं तो फिर वही रोना-धोना शुरू हो जायेगा.
पकौड़े और चाय लेकर आ हम कमरे में आ गये.
खाते-खाते मैंने उससे पूछा- ज़ारा!
ज़ारा- हां?
मैं- एक बात बताओ!
ज़ारा- क्या?
मैं- तुम्हें नहीं लगता कि तुम आजकल कुछ जल्दी ही झड़ जाती हो?
ज़ारा- मुझे तो उतना ही टाइम लगता है! आप घोड़े हो गये हो!
मैं- घोड़ा?
ज़ारा- और क्या? टंगे ही रहते हो मेरे ऊपर!
हम हंसने लगे.
खैर, चाय- पकौड़े हो चुके थे तो वो बर्तन रखकर आयी.
अगले दिन हम सुबह से ही तैयारियों में लग गये!
हुयी दोपहर तो मैंने पूछा- जान!
ज़ारा- जी?
मैं- खाना मंगवा लेता हूं!
ज़ारा- मैं बना लूंगी ना?
मैं- नहीं! आज तुम्हें कोई काम नहीं करना!
ज़ारा- ठीक है फिर मंगवा लीजिये!
खाना मंगवाकर खाया और अब हमने फ्रिज से फूल और फूलमालायें निकालीं!
सबसे पहले बिस्तर पर नई चादर डाली और कमरे को सजाने लगे!
आठ बजे तक पूरा कमरा सजा दिया था!
अब मैंने ज़ारा से कहा- ज़ारा!
ज़ारा- जी?
मैं- नहाकर तैयार हो जाओ!
ज़ारा- जी!
मैं- और ये लो!
ज़ारा- इसमें क्या है?
मैं- नथ और मांग टीका! हां, वो हार मुझे दे दो!
वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और मांग-टीका ड्रेसिंग टेबल पर रखकर एक ड्राअर से हार निकालकर मुझे दे दिया.
मैंने हार लिया और अपने कमरे में आ गया. नहाकर नये कपड़े पहन लिये! कंघी की, डियो लगाया और ज़ारा का इंतजार करने लगा!
बीता वक्त आंखों के सामने से गुजर गया!
ये अभी तक नहीं आयी?
मैं उठकर उसके कमरे में गया. वो ब्रा-पैंटी पहने ड्रेसिंग टेबल पर बैठी थी.
मैंने उसे आवाज दी लेकिन वो कुछ ना बोली.
अब मैं उसके पास गया तो देखा उसकी आंखों से आंसू बह रहे हैं.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो वो मेरी कमर से लिपट कर सुबकने लगी- जान, क्यों मेरी ही किस्मत में इतने गम लिखे हैं ऊपर वाले ने?
मैं घुटनों के बल बैठा और उसे गले लगा लिया- तुम्हारी नहीं जान … हमारी किस्मत में!
ज़ारा- मैंने ऐसे कौन से गुनाह किये थे?
मैंने उसे उठाया और वाशबेसिन पर ले जाकर उसका चेहरा धुलवाया और वापस ले आया.
मैं- चलो आज मैं तुम्हारा मेकअप करता हूं!
ज़ारा- आप नहीं कर पाओगे!
मैं- मुझे आता है मेकअप करना! सीखा है मैंने!
ज़ारा- आपको कैमरा और लाइटिंग के हिसाब से आता होगा. वो हैवी होता है!
मैं- हां हैवी तो होता है.
ज़ारा- इसलिये मेकअप मैं खुद ही कर लूंगी आप अपनी कलाकारी अपने पास ही रखिये.
उसने मेकअप किया और वो लहंगा-चुन्नी पहना.
ज़ारा- जाओ आप अपने कमरे में!
मैं- तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो कि तुम्हें छोड़कर जाने का मन ही नहीं कर रहा!
ज़ारा- आपके ही पास आ रही हूं मैं!
मैं- पहले एक पप्पी दो!
ज़ारा- क्यों बच्चों जैसी हरकतें कर रहे हो जान? जाओ!
मैं अपने कमरे में चला गया.
कहानी जारी रहेगी.