यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
प्यार सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मेरी प्रेमिका मुझसे सेक्स तो हरदम चाहती ही थी लेकिन वो मुझे दिलोजान से मुहब्बत भी करती थी. मैं जैसे उसकी रगों में बहता खून था.
हम दोनों झड़ने वाले थे तो हमारे होंठ आपस में जुड़ गये और हम एक साथ ही झड़ गये.
उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और मेरी कमर को पैरों से जकड़ लिया!जब नॉर्मल हुये तो हम दोनों ने एक-दूसरे को साफ किया और हाथ-पांव धोकर, कपड़े पहन किचन में चले गये.
आब आगे की प्यार सेक्स की कहानी:
मैं- अब भी कुछ कह रही हैं तुम्हारी गांड और चूत?
ज़ारा- हां कह रही हैं!
मैं- अब क्या कह रही हैं?
मैं हंसते हुए बोला!
ज़ारा- कह रही हैं कि मजा आ गया!
और वो भी हंसने लगी!
ऐसे ही एक दूसरे को छेड़ते-छेड़ते, हंसते-मुस्कुराते खाना बन चुका था.
उसने खाना लगाया, मैं बैठा तो वो मेरी गोद में एक तरफ पैर करके बैठ गयी और कभी एक-दूसरे को खिलाते, कभी कुछ खुद से खाते हुये खाना हो गया.
बर्तन किचन में रखे, कुल्ला किया और हम लेट गये.
वो मेरे कंधे पर सिर रखकर लेट गयी.
शाम छह बजे मैंने उसे उठाया तो वो नहाने चली गयी.
जब तैयार होकर आयी तो उसे देखकर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया. पलकें बंद होना भूल गयीं!
रुपहला सूट जिसमें बेल-बूटे कढ़े थे, नीचे उसी रंग की सलवार!
हेजल आंखों में डला हल्का सा काजल जैसे किसी ने अभी-अभी कटार को धार लगायी हो!
उसके होंठ वैसे ही लाल हैं लेकिन आज तो हल्की सी लिपस्टिक भी लगायी थी!
कानों में प्लेटिनम के झुमके, हाथों में एक-एक अंगूठी वाले सोने के ब्रेसलेट!
गले में पड़ी चेन और दुपट्टा!
गोरा रंग!
कसा हुआ इकहरा बदन!
कुल मिलाकर ऐसी लग रही थी जैसे हूरें उसी से हुस्न उधार मांगती हों!
ज़ारा- क्या हुआ?
मैं- तुम इतनी ख़ूबसूरत क्यों हो?
ज़ारा- आपको कोई दिक्कत?
मैं- लोगों की हाय लगती है मुझे!
ज़ारा खिलखिला उठी!
ज़ारा- आप अभी तक तैयार क्यों नहीं हुए?
मैं- मेरा सबके साथ आना ठीक नहीं रहेगा.
ज़ारा- आप नहीं आओगे तो मुझे नहीं करनी कोई पार्टी-वार्टी!
मैं- यार सब गड़बड़ हो जायेगा!
ज़ारा- क्या गड़बड़ हो जायेगा?
मैं- वहां तुम सबसे पहले मुझे केक खिलाओगी!
ज़ारा- वो तो खिलाऊंगी ही!
मैं- बस यहीं से सबको हमारे बारे में पता चल जायेगा!
ज़ारा- तो चलने दो!
मैं- तुम्हारा दिमाग खराब है?
ज़ारा- फिर क्या करुं मैं?
झुंझला गयी ज़ारा!
मैं- ऐसा करो! तुम पार्टी देकर आओ, अपनी पार्टी हम यहीं करेंगे!
ज़ारा- ठीक है!
उदास सी बोली वो!
मैं- अब ये चेहरा ठीक करो और जाओ. मैंने कैब मंगवा दी है!
ज़ारा- ठीक है लेकिन खाना खाने के बाद मेरे पास फोन कर देना ताकि मैं भी खा लूं!
मैं- कर दूंगा पक्का!
ज़ारा चली गयी और रात करीब आठ बजे मैंने खाना मंगवा कर खाया और उसे बता दिया!
वो पार्टी निबटाकर दस बजे वापस आयी!
आते ही उसने मुझे बांहों में भर लिया!
मैं- अरे जरा सब्र करो!
ज़ारा- नहीं होता! इतनी देर दूर रही हूं आपसे!
हम किस करने लगे.
कुछ देर में वो हटी और एक छोटी सी प्लेट में एक छोटा सा चॉकलेट केक लेकर आयी जिसके एक किनारे पर उसका और एक किनारे पर मेरा नाम लिखा था और बीच में एक दिल बना हुआ था.
मैं- ये क्या है?
ज़ारा- केक!
मैं- वो तो मुझे भी दिख रहा है!
ज़ारा- ये हमारे लिये लायी हूं!
इतना कहकर उसने अपने नाम वाला हिस्सा मेरे मुंह में डाल दिया और मेरे नाम वाला हिस्सा अपने मुंह में ले लिया तो दिल बेचारा हमारे होंठों के बीच पिस गया!
हम वो चॉकलेटी किस करने लगे!
काफी देर तक किस करते-करते हमने वो चॉकलेट पूरी तरह से चट कर ली.
मैं उसे उठाकर बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लिटा लिया.
अचानक मुझे शरारत सूझी और उसके कूल्हे पर चिकोटी काट ली.
ज़ारा- ऊई! क्या कर रहे हो?
मैं- क्यों तुमने मेरे गाल पर नहीं काटी थी?
ज़ारा- बदला ले रहे हो?
ये कहकर उसने मेरे कान पर काटा तो मेरे हाथ में उसका निप्पल आ गया और मैंने उसे मरोड़ दिया.
ज़ारा कहां पीछे रहने वाली थी उसने तो सीधे ट्रांसफार्मर पर हमला कर दिया.
मैं कराह उठा- ज़ारा प्लीज छोड़ दो दर्द हो रहा है!
ज़ारा- पहले सॉरी बोलो!
मैं- सॉरी यार! अब तो छोड़ दो!
अब उसने लंड को छोड़ा.
मैं लंबी-लंबी सांसें लेने लगा तो वो बोली- ज्यादा दर्द हुआ क्या?
मैं- और नहीं तो क्या!
ज़ारा- चलो मालिश कर देती हूं!
ये कहकर वो नीचे हुई और मेरा अंडरवियर उतार कर लंड को चाटने लगी!
कुछ ही देर में लंड खड़ा हो गया तो मजे लेकर चूसने लगी जैसे कुल्फी चूस रही हो!
अब मुझे भी कुछ चाहिये था तो मैंने उसे 69 की पोजीशन में कर लिया और उसकी चूत चाटने लगा व क्लिट को रगड़ने लगा.
अचानक ही ज़ारा सिसकारियां लेने लगी तो मैंने उसे ऊपर से उतारा और सीधे लिटाकर उसके ऊपर आ गया.
उसने नीचे हाथ ले जाकर लंड को अपनी चूत पर सेट किया.
अब आगे का काम मेरा था!
मैंने उसके होंठ अपने होंठों में दबाये और लंड को उसकी चूत की गहराई में उतार दिया.
काफी देर तक मिशनरी पोजीशन में ही चुदाई करते-करते हम झड़ गये.
उठकर एक-दूजे को साफ किया.
मैं- काफी वक्त हो गया है अब सोते हैं!
ज़ारा- हां!
हमने एक किस किया और सो गये!
सुबह ज़ारा ने करके मुझे जगाया तो मैं उठकर नहाया और नाश्ता करके हम कमरे में आ लेटे!
ज़ारा- जान हैदराबाद चलें?
मैं- मैं हैदराबाद नहीं जाऊंगा!
मैंने हड़बड़ा कर कहा तो ज़ारा हंसते हुये मुझे छेड़ने लगी, गुदगुदी करने लगी!
ज़ारा- क्यों? क्यों नहीं जाओगे हैदराबाद?
मैं- जिन्नाती एरिया है!
ज़ारा- क्यों आपने कौन से जिन्नात देख लिये वहां पर?
कहते-कहते मेरे दोनों हाथों को पकड़ा, मेरी छाती पर रखा और छाती पर चढ़कर मेरे दोनों कान पकड़ लिये!
मैं- ज़ारा! छोड़ो दर्द हो रहा है!
ज़ारा- नहीं बताओ कौन से जिन्न देखे वहां पर?
मैं- तुम हो तो क़रीन!
ज़ारा- क़रीन क्या होता है? बताओ!
कहकर मेरे कान उमेठ दिये, मैं दर्द से कराह उठा!
मैं- ज़ारा छोड़ दो प्लीज!
ज़ारा- पहले बताओ!
मैं- बेइंतहा खूबसूरत जिन्नी को क़रीन कहते हैं! अब छोड़ो!
उसने मेरे कान छोड़े और छाती से उतर कर मेरे सीने पर सिर रख कर लेट गयी!
मैं अपने कान सहलाने लगा- उहह! अच्छा है कि तुम मेरी बीवी नहीं हो! नहीं तो जान ले लेतीं किसी दिन मेरी!
ज़ारा- सच में! बताओ ना?
मैं- मैं नहीं जाने वाला!
ज़ारा- क्यों?
मैं- एक बार गया था तो तुम मिल गयीं अब कोई और बला साथ लग गयी तो?
ज़ारा- अच्छा जी!
कहतेकहते उठी … मेरे हाथ मेरे पेट के नीचे देकर मुझे उल्टा किया और कमर पर बैठ गयी.
मैं- ज़ारा उठो!
ज़ारा- नहीं … उस दूसरी से कहो उठाये मुझे!
मैं- किससे कहूं?
ज़ारा- हैदराबाद वाली से!
मैं- हैदराबाद जाऊंगा तभी तो कहूंगा!
ज़ारा- मतलब दूसरी के ख्याल घूम रहे हैं दिमाग में? लाओ तो जरा! गर्दन मरोड़ दूंगी उसकी!
मैं- मेरी सालियों के बारे में कुछ नहीं कहोगी!
ज़ारा- अच्छा! पूरी तैयारी में हो!
कहते हुये उठकर मुझे सीधा किया और लंड पकड़ लिया!
ज़ारा- ट्रांसफार्मर ना तोड़ दूं आपका?
मैं- तोड़ दो!
ज़ारा- मुझे चूत पर तरस आ जाता है!
मैंने उसकी लैगिंग में हाथ घुसाकर बड़ी उंगली उसकी चूत में डाल दी और हुक सा बनाकर ऊपर की ओर खींचने लगा तो ज़ारा कराह गयी!
ज़ारा- ऊईईईई! छोड़ो! नहीं तो लंड मरोड़ दूंगी!
मैं- मरोड़ दो!
उसने तो सच में ही मरोड़ दिया! मुझे बहुत तेज दर्द हुआ!
मैं- आ … छोड़ो!
ज़ारा- पहले उंगली निकालो!
मैं- निकालता हूं!
उसने मेरा लंड छोड़ा तो मैंने उंगली सीधी की और दो उंगलियां उसकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा.
ज़ारा मेरे होंठों पर टूट पड़ी! मैं एक हाथ से उसकी चूचीयां दबाने लगा तो वो सिसकारियां लेने लगी और मेरी बनियान निकाल दी.
मैं थोड़ा नीचे हुआ और उसके निप्पल मुंह में लेकर चुभलाने लगा.
ज़ारा की छाती ऊपर-नीचे होने लगी और वो मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैंने उसकी चूचियों को छोड़ा और पेट से चूमते-चूमते नीचे की ओर जाने लगा तो वो एकदम पागल सी होने लगी.
तेज-तेज आहें भरने लगी.
उसकी पिंडलियों को चूमकर मैंने जैसे ही उसका पांव पकड़ा तो उसने एक झटके से पांव छुड़वाया और उठकर बैठ गयी.
ज़ारा- क्या कर रहे हो ये?
मैं- तुम्हारे पैरों को चूमूंगा!
ज़ारा- कैसी बातें कर रहे हो?
मैं- अरे पैरों में बड़ा पॉवरफुल सेक्स पॉइंट होता है!
ज़ारा- मुझे नहीं करना ऐसा सेक्स जिसमें आप मेरे पैरों को हाथ भी लगायें! चूमना तो दूर की बात है!
मैं- कैसी बातें कर रही हो?
ज़ारा- दीदी के साथ किया है कभी ऐसा?
मैं- वो भी हाथ नहीं लगाने देती!
ज़ारा- फिर मुझे क्यों दोज़ख की आग में जलाने पर आमादा हो?
मैं- ज़ारा! वो मेरी बीवी है तुम मेरी महबूबा हो!
ज़ारा- चाहे कुछ भी हो! आप मेरे कदमों पर आयें इससे अच्छा तो मैं मौत को गले लगा लूं!
मैं- हे भगवान! क्यों ये दोनों नमूने मेरी ही किस्मत में लिखे हैं?
ज़ारा- अब लिखे हैं तो लिखे हैं! मिट थोड़े ना जायेंगे!
मैं- चलो नहीं हाथ लगाऊंगा तुम्हारे पैरों को! अब सेक्स तो कर लें?
ज़ारा- मुझे नहीं करना!
मैं- अब क्या हुआ?
ज़ारा- आपके कुछ उसूल है तो मेरे भी हैं! आपने सोचा भी कैसे ये कि मेरे कदमों को चूमेंगे?
कहते-कहते ज़ारा की आंखें भर आयीं.
मैं उसे चुप कराने लगा तो उसने मुझे हटा दिया- दूर रहिये मुझसे! आपने तो मेरी मोहब्बत को ही फर्जी समझ रखा है!
तो मैं बोला- ज़ारा! मुझे पता है तुम दिल से ही नहीं अपनी रूह तक से मुझे मोहब्बत करती हो!
ज़ारा- फिर मेरे पैरों को हाथ क्यों लगाया?
मैं- यार, मुझे नहीं पता था कि तुम्हें बुरा लगेगा!
ज़ारा- क्यों दीदी को नहीं लगा था?
मैं- लगा था!
ज़ारा- तो मुझे नहीं लगना चाहिये?
मैं- अब मैं क्या कहूं?
ज़ारा- कोई जवाब होगा तो दोगे ना!
मैं- अच्छा तुम खुद ही बता दो कि कैसे मानोगी?
ज़ारा- मैं नहीं मान रही!
मैं- ठीक है .. मैं भी रूठ जाता हूं!
और मैं उसके दूसरी तरफ मुंह करके लेट गया.
ज़ारा- हां आप तो रुठोगे ही! मुझे रुलाने में मजा जो आता है आपको!
मैं- रोओ! जी भरके रोओ! मैं भी आज मानने वालों में से नहीं!
ज़ारा- मैं भी आज नहीं रोऊंगी! देखती हूं कैसे आपके दिल को सुकून मिलता है.
वो भी मेरी पीठ की ओर पीठ करके लेट गयी!
मेरे तो तोते उड़ गये … बाजी ही उल्टी पड़ गयी!
अब क्या करूं?
कुछ सोचा और उसकी तरफ करवट ली!
मैं- जान! मान जाओ!
ज़ारा- नहीं!
मैं- प्लीज!
अब वो मेरी तरफ पलटी और मेरे होंठों को चूम लिया!
ज़ारा- वादा करो आईंदा ऐसा कुछ नहीं करोगे!
मैं- वादा!
उसने मेरे होंठों पर होंठ टिका दिये.
तभी मेरा फोन बजा!
मैंने सुना!
मैं- यार, मुझे एक बार पारुल के पास जाना पड़ेगा!
ज़ारा- क्यों?
मैं- अब, बुलाया है!
ज़ारा- अर्जेंट है?
मैं- हां!
सुनते ही उसका चेहरा उतर गया!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- कुछ नहीं … मैं खाना बनाती हूं!
कहते हुये वो उठी और किचन में चली गयी.
मैं भी पीछे-पीछे गया- यार जरूरी है!
ज़ारा- तो जाओ! मैंने कब रोका है?
मैं- तुम नाराज हो!
ज़ारा- नहीं! किसने कहा?
मैं- तुम्हारे चेहरे ने!
ज़ारा- मेरा चेहरा तो ये भी कहता होगा कि आप मुझसे एक लम्हा भी दूर ना हों?
मैं- जान! जरूरी है!
ज़ारा- तो जाओ ना! किसने रोका है?
मैं- ज़ारा प्लीज समझो!
ज़ारा- मैं तो पहले दिन ही समझ गयी थी! चलो खाना लगाने दो अब!
उसने खाना लगाया.
मैं कुर्सी पर बैठा तो उसने एक निवाला मेरी तरफ बढ़ाया!
ज़ारा- लो खाओ!
मैं- थोड़ा प्यार से खिला दो यार!
ज़ारा- प्यार से ही खिला रही हूं जान!
मैं- इतना प्यार?
ज़ारा- कम है? थोड़ा बेलन मिला दूं?
मैं- नहीं! मेरे लिये काफी है!
मैंने वो निवाला खाया और एक उसे खिलाकर खाना शुरु कर दिया.
खाना खाकर मैं चलने लगा तो ज़ारा बोली- किस कौन करेगा?
मैं- मैं करूंगा जान!
उसे किस किया मैंने … और चला गया. सभी काम निबटाये और शाम करीब पांच बजे मैं घर पहुंचा.
खाना खाकर हम सो गये!
अगले दिन उठकर हमने नाश्ता किया और मैं किसी काम से बाहर चला गया.
दोपहर करीब बारह बजे वापस आया और खाना खाकर लेट गया!
मैं- ज़ारा, मुझे नींद आ रही है तुम मुझे तीन बजे उठा देना!
ज़ारा- क्यों कहीं जाना है?
मैं- हां मिलना है किसी से!
ज़ारा- किससे मिलना है?
मैं- यार एक तो तुम आजकल सवाल बहुत ज्यादा करने लग गयी हो!
ज़ारा- मैं तो बस ऐसे ही पूछ लेती हूं! आप ही आजकल चिड़चिड़े हो गये हो!
मैं- छोड़ो तुम! बस मिलना है किसी से!
ज़ारा- फाईनेंसर से?
पकड़ा गया.
चोर को चोरी करते रंगे हाथ पकड़ लिया ज़ारा ने!
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मेरी मेल आई डी है
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प्यार सेक्स की कहानी जारी रहेगी.