यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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अभी तक आपने पढ़ा कि शिखा और मेरे बीच में बहुत कुछ होने लगा था. मगर अभी तक बात चुदाई तक नहीं पहुंची थी. एक दिन जब दीदी घर से बाहर गयी हुई थी तो हमने मौके का फायदा उठाया और अपनी हवस को पूरी करने की सोची. मैं उसको बेडरूम में ले गया जहाँ मैंने उसको नंगी कर दिया. जब उसने मुझसे कपड़े उतारने को कहा तो मैंने कह दिया कि वह खुद ही उतार ले.
अब आगे की कहानी:
उसके बाद शिखा ने मेरे अंडरवियर को भी खींच दिया और मेरा लंड उछल कर बाहर आ खड़ा हुआ.
वह बोली- इतना बड़ा?
मैंने कहा- क्यूँ, इससे पहले तुमने लंड नहीं देखा क्या?
वह बोली- मैंने तुम्हें बताया तो था कि मैं वर्जिन हूँ. मगर मैंने ब्लू फिल्म में लंड देखा हुआ है.
मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया कि वो ब्लू फिल्म भी देखती है.
मैंने पूछा- तुम कहाँ देखती हो ब्लू फिल्म?
वह बोली- मैं तो अपने लैपटॉप पर देख लेती हूँ इंटरनेट चला कर.
मैंने कहा- अरे वाह … तो फिर शांत कैसे करती हो खुद को?
वह बोली- मैं तो उंगली करके शांत हो जाती हूँ.
मैंने कहा- अब तुम्हें खुद को शांत करने के लिए उंगली की जरूरत नहीं पड़ेगी.
मेरे ऐसा कहने पर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया, वह बोली- इस दिन का तो मुझे कितने समय से इंतजार था!
वह मुझे किस करने लगी और मैंने उसके बदन को चूमना शुरू कर दिया.
उसके बाद मैं उसके जिस्म को चूमता हुआ नीचे तक पहुंच गया. वह सिसकारियाँ ले रही थी. मैंने धीरे से उसकी चूत के पास जाकर किस किया तो उसकी खुशबू मेरी नाक में आने लगी. उसकी चूत से बड़ी ही मोहक खुशबू आ रही थी.
मैंने तुरंत ही जीभ लगा कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. वह एकदम से मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी. मैं भी उसकी चूत की खुशबू लिये जा रहा था. मैंने अपनी जीभ उसमें डालने की कोशिश की. जितनी अंदर तक मैं अपनी जीभ उसमें डाल सकता था मैंने डालने की कोशिश की.
उसकी चूत से नमकीन सा स्वाद आ रहा था. मैंने एक उंगली को उसकी चूत में डाल दिया. उसने एक दम से अपनी चूत को सिकोड़ लिया. मेरी उंगली को वह अपनी चूत में ही दबाने की कोशिश करने लगी. मैं अपनी उंगली को अंदर-बाहर करने की कोशिश करने लगा. उसकी चूत अब काफी गीली हो चुकी थी. अब मेरी उंगली आराम से उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगी.
वह बड़बड़ाते हुए मेरा नाम लेने लगी- आह्ह … पंकज … ओह्ह … स्स्सश … उम्म … आआ … ह्ह … बहुत मजा आ रहा है. मुझे तो इसी दिन का इंतजार था.
ऐसा कहते हुए वह मेरे सिर को अपनी चूत में दबाये जा रही थी. मैं बीच-बीच में उसकी चूत के दाने को भी मसल देता था. मैं उसकी गांड पर चपत भी लगा देता था.
अचानक ही उसने मेरे सिर को जोर से अपनी चूत में दबा लिया और उसका बदन अकड़ना शुरू हो गया. दो पल के बाद उसकी चूत से रस बाहर बह कर निकल पड़ा. मेरा मुंह शिखा की चूत में ही था और उसके रस से पूरा भीग गया था. उसकी चूत-रस का नमकीन स्वाद मेरे मुंह में जा चुका था. वह शांत हो गई थी.
वह बोली- आह्ह … बहुत मजा दिया तुमने आज.
मैंने कहा- अब तुम्हारी बारी है मजा देने की.
वह बोली- ठीक है, तुम मेरी चूत में अंदर डाल लो अपने लंड को.
मैंने कहा- नहीं, उससे पहले तुमको भी वैसे ही करना पड़ेगा जैसे मैंने किया.
वह बोली- क्या?
मैंने कहा- हाँ, जैसे मैंने तुम्हारी चूत को चाटा है वैसे तुम भी तो मुझे मुंह में लेकर मजा दो.
वह बोली- छी, मैं नहीं करूंगी. मुझे तो बहुत गंदा लगता है ऐसे.
मैंने कहा- देखो जानू, मैंने तुम्हारी चूत चाट कर कितना मजा दिया, क्या तुम मेरा एक बार भी मुंह में नहीं ले सकती?
वह बोली- ठीक है, मगर मैं ज्यादा देर नहीं लूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, तुम एक बार ही ले लो.
उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाया तो मेरा लंड कड़क होकर तन गया और उसने धीरे से मेरे लंड पर अपने होंठों को रख दिया.
उसने मेरे चेहरे की तरफ देखा तो मैंने उसको फ्लाइंग किस दे दी और लंड को अंदर मुंह में लेने का इशारा किया.
उसने मेरे खड़े हुए लंड को धीरे से अपने होंठों के अंदर किया और उसके बाद धीरे-धीरे उसको चूसते हुए मुंह के अंदर बाहर करने लगी.
कुछ ही देर में उसने मेरे लंड को तेजी के साथ पूरा का पूरा चूसना शुरू कर दिया. मुझे बहुत ही मजा आ रहा था. मैंने शिखा के सिर को पकड़ लिया और अपने लंड को उसके मुंह में धकेलने लगा. वह अब मजा लेकर मेरे लंड को चूस रही थी. मैंने उसके सिर को पकड़ कर पूरा दबा दिया तो लंड उसके गले तक पहुंच गया और उसको खांसी आ गयी. वह लंड को बाहर निकालना चाहती थी मगर मैंने दबाए रखा और मेरा वीर्य उसके मुंह में ही छूटने लगा. जब मेरा पूरा वीर्य निकल गया तो मैंने उसके सिर को छोड़ दिया.
उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और हाँफने लगी. जो वीर्य अंदर उसके मुंह में रह गया था उसको शिखा ने एक तरफ नीचे थूक दिया.
मैंने पूछा- कैसा स्वाद था?
वह बोली- थोड़ा कड़वा था और थोड़ा सा नमकीन भी.
शिखा मेरी बगल में आकर लेट गयी. दस मिनट बाद हमने फिर से एक दूसरे के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. शिखा ने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया. अभी मेरा लंड सोया हुआ था.
कुछ ही देर में शिखा फिर से गर्म हो गई. वह मेरे लंड को जोर से सहलाने लगी और मेरा लंड खड़ा हो गया.
वह भी काफी गर्म हो चुकी थी. कहने लगी- पंकज, अब मुझसे रुका नहीं जा रहा है. मेरी इस फुद्दी का इलाज कर दो.
मैंने कहा- जानू! फुद्दी मत बोलो, चूत बोलो.
उसने कहा- हाँ, मेरी चूत का इलाज कर दो प्लीज!
मैंने शिखा को सीधा लेटा दिया और उसकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया. इससे उसकी गांड ऊपर उठ गई. मैंने ऐसा ब्लू फिल्म में देखा था.
मैं उसकी चूत के पास लंड को ले गया और उसकी चूत के मुंह पर लंड को रख कर कहा- जान, अब तैयार हो जाओ.
शिखा बोली- मैं तो कब से तैयार हूँ, जल्दी डाल दो अब.
शिखा के बोलते ही मैंने धक्का लगाया तो मेरा लंड फिसल गया और चूत के अंदर नहीं जा पाया. मेरा तो यह पहला अनुभव था. मैंने दोबारा कोशिश की. इस बार शिखा ने अपनी चूत के मुंह पर मेरा लंड रखने में मेरी मदद की. मैंने भी थोड़ा अच्छे तरीके से धक्का लगाया और अबकी बार मेरा लंड उसकी चूत में आधा घुस गया.
मेरा लंड अंदर जाते ही उसने बेडशीट को कस कर पकड़ लिया. उसने दूसरे हाथ को मेरे पेट पर रख कर मुझे रोकने की कोशिश की. उसकी चीख निकल पड़ी- आईई … ई ईई … उफ्फ ओ … उम्म्ह… अहह… हय… याह…
शिखा के चेहरे को देख कर मैं उसका दर्द समझ गया और मैंने अपना धक्का वहीं पर रोक दिया. मैंने कहा- अगर दर्द हो रहा है तो निकाल लूँ?
वह बोली- हाँ, निकालो जल्दी.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया. मेरे लंड में दर्द सा हो गया था और जब लंड बाहर आया तो मेरे लंड पर खून लगा हुआ था. उसकी चूत पर भी खून लग गया था. शायद उसकी सील टूट गई थी. मैंने बेडशीट को पकड़ कर उसकी चूत को साफ किया.
वह बोली- अभी भी खून आ रहा है क्या?
मैंने कहा- पहली बार में ऐसा होता है. तुम डरो मत.
मेरी बात सुनकर वह थोड़ा नॉर्मल हो गई.
मैंने शिखा से दोबारा ट्राई करने के लिए कहा तो वह बोली कि अबकी बार आराम से करना, बहुत दर्द होता है.
उसकी बात मान कर मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और फिर से उसकी चूत पर लंड को सेट कर दिया.
लंड को सेट करने के बाद मैंने उसकी चूत में धक्का दिया और थूक की फिसलन के कारण मेरा लंड अबकी बार शिखा की चूत में आधे से ज्यादा घुस गया. इस बार उसने दोनों हाथों से बेडशीट को कस कर जकड़ लिया. मैं उसके होंठों पर किस करने लगा और उसके दर्द को कम करने की कोशिश करने लगा. मैं उसके होंठों को चूसता ही रहा जब तक कि वह नॉर्मल नहीं हो गई.
मैं धीरे-धीरे से लंड को आगे-पीछे करने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. धीरे-धीरे मैं अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा. कब मेरा लंड उसकी चूत में पूरा चला गया मुझे पता भी नहीं चला. अब वह खुद ही मुझे बोलने लगी कि तेज करो और तेजी से करो … आह्ह … मजा आ रहा है पंकज, करो … तेज-तेज, फाड़ दो मेरी चूत को.
कुछ देर इसी पोज में चुदाई करने के बाद वह बोली कि अब दूसरी पोज में करेंगे. वह उठ कर मेरे ऊपर आकर बैठ गई. उसने मेरे लंड को पकड़ कर चूत के मुहाने पर सेट किया और गप्प से मेरा लंड शिखा की चूत में उतर गया. मैं नीचे से उसकी चूत में धक्के देने लगा. अब थप-थप की आवाज़ आना भी शुरू हो गई थी.
पंद्रह मिनट तक हमारी चुदाई चलती रही. उसके बाद मैं अपने चरम पर पहुंच गया. मैंने कहा- अब मेरा छूटने वाला है शिखा … आह्ह … ओह्ह …
वह बोली- पंकज मेरा भी होने वाला है. उम्म … आआ … आह्ह …
इस तरह की कामुक आवाजें निकालते हुए उसने मेरे हाथों को पकड़ लिया और मैंने उसकी जांघों को पकड़ लिया. वह शायद झड़ने लगी थी. मुझे अपने लंड पर गर्म-गर्म तरल पदार्थ सा महसूस होने लगा. उसका रस बाहर आना शुरू हो गया. अब मेरे लंड की चिकनाहट और ज्यादा बढ़ गई और गच्च-गच्च की आवाजें करता हुआ मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ने लगा. 10-15 धक्कों के बाद मेरा वीर्य उसकी चूत में ही झड़ना शुरू हो गया.
जब मैं रुक गया तो वह बोली- तुम्हारा निकल गया क्या?
मैंने कहा- हाँ, मेरा हो गया. कहते हुए मेरी सांसें तेजी से चल रही थीं.
जब मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला तो मेरा वीर्य जो उसकी चूत के अंदर था वह बाहर की तरफ बहने लगा.
वह बोली- तुम्हें अंदर नहीं निकालना चाहिए था पंकज. अभी मेरे पीरियड्स खत्म हुए हैं.
मैंने कहा- कुछ दिक्कत हो गई क्या?
वह बोली- वह सब मैं तुम्हें बाद में समझाऊंगी. कहते हुए वह अपनी चूत के अंदर उंगली डाल कर मेरे माल को अपनी चूत से बाहर करने लगी. मेरा रस उसकी चूत से निकल कर उसकी जांघों पर बहने लगा. कुछ उसकी गांड पर भी लग गया था.
जब मैंने उसकी गांड को देखा तो मेरा मन कर रहा था कि आज इसकी गांड में भी लंड को डाल दूँ. मगर फिर सोचा कि अभी ज्यादा जल्दी करना ठीक नहीं है. अभी तो चुदाई की शुरूआत ही हुई है. शिखा अपनी चूत को बेडशीट से पोंछने में लगी हुई थी और बीच-बीच में मेरी तरफ देख कर मुस्करा देती थी.
चूत को साफ करने के बाद वह मेरी बगल में आकर लेट गयी. हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे. दोनों की ही आंखों में प्यार भरा हुआ था. मैं कभी उसके बालों को सहला देता तो कभी उसके नंगे बदन को छू लेता था. वह भी मेरे बदन पर हाथ फिरा रही थी.
ऐसा करते हुए मैं उसकी गांड पर चुटकी काट लेता था. उसने भी मेरी गांड पर चुटकी से काटा मगर मुझे पता नहीं चला.
फिर उसने मेरे गाल पर किस करने के बहाने मेरे गाल को काट लिया.
मैंने कहा- तुम तो भूखी शेरनी हो शिखा.
वह बोली- हाँ, मैं तुम्हारे लंड की भूखी शेरनी हूँ.
मैंने कहा- तो फिर एक राउंड और हो जाये?
वह बोली- हाँ, हो जाए.
उसके बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गये. एक दूसरे को चाटने लगे. वह मेरे लंड को चूसने लगी और मैं उसकी चूत को चाटने लगा. मेरी नजर उसकी गांड पर लगी हुई थी. बिल्कुल ही छोटा सा छेद था उसकी गांड का. वह बार-बार अपनी गांड के छेद को भींच लेती थी. कुछ देर उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने अपने होंठों को उसकी गांड की तरफ बढ़ाया. उसके चूतड़ों की दरार को अलग करके उसकी गांड को चाटने लगा.
मैं उसकी गांड के अंदर जीभ को घुसाने की कोशिश कर रहा था. यह मेरे लिए एक बिल्कुल नया ही अनुभव था. उसकी गांड चाटने में मुझे बहुत ही स्वाद मिल रहा था. फिर मैंने एक उंगली को उसकी गांड में डालने की कोशिश की तो उसने अपनी गांड को भींच लिया.
मैंने कहा- शिखा मैं तुम मेरा साथ दो, मैं तुम्हारा मजा बढ़ाने की कोशिश कर रहा हूँ.
वह बोली- नहीं, गांड में नहीं हो पाएगा. बहुत दर्द होगा.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बस तुम अपनी गांड को थोड़ी सी ढीली छोड़ दो. उसकी गांड मेरी जीभ के चाटने की वजह से पहले ही गीली हो चुकी थी. मैंने धीरे से एक उंगली उसकी गांड में डाल दी और वह उचक गई. वह सी … सी … करने लगी. मगर मैंने अपनी उंगली को उसकी गांड में चलाना शुरू कर दिया.
कुछ देर के बाद उसको मजा आने लगा और वह अपनी गांड में आराम से मेरी उंगली को लेने लगी. थोड़ी ही देर के बाद हम दोनों उठे और मैंने उससे कहा- तुम घोड़ी बन जाओ.
वह बोली- तुम कहां करने वाले हो पहले ये बताओ? कहीं तुम मेरी गांड में डालने के बारे में तो नहीं सोच रहे? मैं गांड में नहीं करवाऊंगी, पहले ही बता रही हूँ. मुझे बहुत दर्द होता है.
मैंने कहा- अरे पागल, मैं तो चूत में ही करूंगा. तुम चिन्ता मत करो. मैं तुम्हें थोड़ा सा भी दर्द नहीं देना चाहता.
वह बोली- तुमने तो कभी किसी के साथ सेक्स भी नहीं किया फिर इतने सारे पोज के बारे में कैसे जानते हो?
मैंने कहा- कुछ तो इंटरनेट से सीखा है और कुछ दोस्तों के मुंह से सुना है.
कहकर मैंने शिखा की चूत पर लंड को फिर से सेट कर दिया जो पहले से ही गीली थी.
मैंने लंड को सेट करके चूत में धक्का दे दिया. उसकी चूत की चुदाई फिर से शुरू हो गई.
वह फिर से बड़बड़ाने लगी- हाँ, जोर से आह्ह … करते रहो … ओह्ह …
तुम्हारा लंड बहुत ही अच्छा है. आज तो मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई हूँ. चोदो मुझे पंकज. तुम जितना चोद सकते हो उतना चोद दो.
मैं तेजी के साथ शिखा की चूत को चोद रहा था. उसकी चूचियों को मसल देता था. अब मेरे अंदर का जानवर पूरी तरह से जाग गया था. मैं सोच रहा था कि अब यह पूरी तरह से गर्म हो चुकी है. मैंने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाल लिया और रुक गया. उसने फिर से मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत पर लगवा कर मुझे अपने हाथों से अपनी तरफ खींच लिया. वह मेरा लंड लेने के लिए पागल हो चुकी थी. मैंने उसकी चूत को फिर से चोदना शुरू कर दिया.
उसके बाद मैंने फिर से मैंने उसकी चूत से लंड को निकाला और उसकी गांड पर लगा दिया तो वह एकदम उठ गई और घूम गई.
मैंने कहा- क्या हुआ?
वह बोली- नहीं, मैं गांड में नहीं करवा सकती.
मैंने कहा- जानू कुछ नहीं होगा.
वह बोली- नहीं, अगर चूत में करना है तो ठीक है नहीं तो फिर यहीँ पर बंद कर देते हैं सेक्स.
मैंने सोचा कि अभी यह गांड में नहीं करवाएगी इसलिए मैंने उसकी बात मान ली. मगर मैं उसकी गांड को चोदने के लिए उतावला हो रहा था.
मैंने कहा- ठीक है. चूत में ही करूंगा.
उसके बाद वह फिर से पोजीशन में आ गई. मैंने उसकी चूत में जोर से लंड को धक्का देना फिर से शुरू कर दिया. साथ में उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसकी चूत की जबरदस्त चुदाई करने लगा. उसके चूचों को हाथों से निचोड़ते हुए मैं उसकी चूत की ठुकाई करने लगा. वह भी मेरे लंड से चुद कर पूरा मजा ले रही थी. मैं समझ गया कि बॉयफ्रेंड ने उसको चुदाई का सुख नहीं दिया था. इसलिए वह पूरे मजे के साथ अपनी चुदाई करवा रही थी.
कुछ ही धक्कों के बाद वह फिर से झड़ने के करीब आ गई. पांच मिनट के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और वह झड़ गई. मैं भी ज्यादा देर नहीं टिकने वाला था क्योंकि उसकी चिकनी चूत पहले से ही मेरे लंड को उत्तेजित कर रही थी.
शिखा बोली- अबकी बार चूत के अंदर नहीं निकालना. बाहर निकाल देना.
मैंने कहा- तो फिर मुंह में ले लो जान!
वह बोली- नहीं.
मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसके होंठों से सटा दिया. उसके सिर को पकड़ कर आगे की तरफ दबाया. मैंने जोर लगा कर उसके मुंह में लंड को अंदर फंसा दिया और धक्के देने शुरू कर दिये. वह मेरे लंड को दांतों के बीच में दबाने लगी. मेरा लंड उसके दांतों के बीच होकर अंदर बाहर हो रहा था. उसके दांत मेरे लंड पर चुभ रहे थे मगर मजा भी बहुत आ रहा था.
कुछ ही धक्कों के बाद मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया जो उसके मुंह के अंदर गिरने लगा. मैंने उसके सिर को दबाये रखा और तब ढीला नहीं किया जब तक कि मेरा पूरा वीर्य उसके मुंह में झड़ नहीं गया. मैंने उसके सिर को दबाये रखा और पूरा रस उसके गले में उतार दिया. जब वह पूरे रस को गटक गई तब मैंने उसके सिर को छोड़ा.
उसके बाद हम दोनों थक कर लेट गये. हम दोनों को कब नींद आ गयी पता नहीं चला। उस दिन हमारा ‘सुहागदिन’ था. सुहागरात तो नहीं थी मगर सुहाग दिन मना लिया था हमने.
आगे की कहानी में बताऊंगा कि उसके बाद क्या हुआ. आपको यह कहानी पसंद आ रही हो तो मुझे कमेंट्स के जरिये बताना.
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