यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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अब तक की इस मस्त सेक्स कहानी में आपने जाना था कि मैंने सीधे सीधे ही मीता से चुदने के लिए खुद का नाम पेश कर दिया था.
वो मेरी इस बात को सुनकर चौंक गई थी और मेरी भी गांड फट गई थी.
अब आगे:
मैंने उसे समझाते हुए कहा- देखो … मैं ऐसा कह रहा हूं, जरूरी नहीं कि तुम मान ही जाओ. तुम मना भी कर सकती हो, मैं तुमसे दोबारा कभी नहीं कहूंगा. हम दोनों फिर भी दोस्त रहेंगे.
ये कह कर मैंने फाइनल दाना डाला और फिर से कहा- चलो अब हम दोनों को देर हो रही है. दुकान चलते हैं.
उसने भी जूस खत्म किया और मैं उसको लेकर दुकान आ गया.
वो मुझे छोड़ कर घर चली गई.
मीता के बारे में मैं कुछ ज्यादा नहीं जानता था, बस मुझे इतना पता था कि वो दुकान के पास में ही कहीं रहती है. मैंने बाद में पता लगाया कि वो सुल्तानपुर की थी … और यहां अपनी मौसी के घर पर रह रही थी.
पांच दिन बीत गए थे … मेरी उससे इस विषय पर कोई बात नहीं हुई … ना ही वो मेरी दुकान पर आई.
फिर एक दिन गर्म दोपहर में वो मेरे दुकान पर आई और धीरे से मुझसे बोली- मैं आपके साथ तैयार हूं.
ये सुन कर तो मेरे दिल उछल कर मेरे मुँह में आ गया. मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि उस जैसी कमसिन कन्या मेरे साथ चुदाई को राज़ी हो जाएगी.
उसके गालों की लाली देख कर शर्म से झुका चेहरा देख कर मेरा दिल बागबां हो गया.
मैं- कब!
मीता- जब आप कहो, बस एक दिन पहले आप बता देना.
मैं- फिर सोच लो, बाद में मुझे दोष मत देना.
मीता- मैं खूब सोचा … पांच दिन तक सोचा … तभी आपको यस कहा. मुझे पता है कि आप मुझे धोखा नहीं दोगे और मुझे जिंदगी भर की ऐसी यादगार यादें दोगे. बस मुझे प्रेग्नेंट मत करना, मैं सिर्फ कॉलेज टाइम में ही आपके पास रह सकती हूं. आप देख लो कि आप कितनी देर दुकान बंद कर सकते हो.
मैं- क्यों ना हम वीकली ऑफ वाले दिन मिलें?
मीता- ओके … तो परसों मैं आपके घर आ जाऊंगी.
मैं- डन … परसों मेरे घर पर ही हम एन्जॉय करेंगे.
ऐसा कह कर मैंने उसके हाथ को पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर उसके लबों को अपनी लबों से जोड़ कर एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया. साथ ही साथ उसकी मखमली चूची को भी दबा दिया.
उफ्फ्फ … क्या रस भरे होंठ थे … क्या नरम सी चूचियां थीं. ऐसी लगीं कि रुई के गोले हों … मुलायम सा बदन, सिल्की सी उसकी त्वचा … मेरे लंड तो फुल मूड में आ गया था. और आए भी क्यों नहीं … सालों बाद मेरा लंड फिर से एक कुंवारी चूत का उद्घाटन करने जा रहा था.
मीता- मैं आपके घर सुबह 8 बजे आ जाऊंगी … और पांच बजे चली जाऊंगी.
मैं- ओके … मेरे घर में तुम्हारा स्वागत रहेगा.
मीता ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ झुक कर एक मेरे होंठों को चुम्बन दिया और जाने लगी.
उफफ … जाते जाते मीता जोर से मेरे को लंड को भी दबा गई. मतलब वो लंड के लिए हद से ज्यादा बेताब थी.
अब तो मेरे लंड को मीता की चुत फाड़ने का इंतज़ार था.
मेरा एक दोस्त नेटवर्क कंप्यूटर मार्केटिंग का काम करता था, तो मैंने उसको बोल कर करीब एक महीने के लिए घर की एंट्री में, ड्राइंग रूम में, लॉबी और बच्चों के कमरे में नाईट विजन वाले कैमरे फिक्स करा दिए. ऐसा मैंने कुछ गलत इंटेंशन से नहीं किया था, बल्कि अपनी सेफ्टी के लिए किया था.
अगले दिन मैं रात को दुकान को जल्दी बंद करके अंदाज़े से उसके लिए मस्त लाल ब्रा पैंटी, एक पारदर्शी नाइटी काले रंग की, जो मेरे हिसाब उसके चूतड़ों को भी ठीक से ढंक नहीं पाती. ब्रा और पैंटी बहुत झीनी सी थी, जिसमें सब कुछ दिख सकता था. साथ में कंडोम के पैकेट … केवाई जैली और दो रंग के गुलाब के ढेर सारे फूल लेकर घर आया.
अगली सुबह मैंने घर को खूब साफ-सुथरा करके दूसरे कमरे को सजाने में लग गया. बिस्तर पर धुली सफ़ेद चादर बिछा कर उस पर सफ़ेद गुलाब के फूलों से एक दिल का आकार बनाया. उस सफ़ेद गुलाबों के दिल में लाल गुलाब भर दिए. पूरे बिस्तर पर गुलाबों की चादर बिछा दी. परदे चेंज करके मोटे परदे लगा दिए, जिससे कमरे में काफी हद तक रात का माहौल तैयार हो गया. पूरे कमरे खुशबू वाली कैंडल लगा दीं. पंखे की पंखुड़ियों पर गुलाब रख दिए और मस्त परफ्यूम स्प्रे कर दिया. आखिर काफी सालों के बाद मैं कुंवारी कमसिन कन्या की सील तोड़ने वाला था. मीता का इतना हक़ तो बनता ही था न दोस्तों.
कमरा सजाने के बाद मैंने उस कमरे को बंद कर दिया. फिर फ़ोन पर आर्डर करके खाने को मंगवा लिया.
अब इंतज़ार था मीता के आने का.
ठीक 8.15 पर मीता का फ़ोन आया कि दरवाजा खुला रखना.
मैं चुपचाप दरवाजा खोल कर ड्राईंग रूम में बैठ गया. थोड़ी देर में मुझे दरवाजा बंद होने की आवाज आई.
अन्दर आते क़दमों की आहट … और उस आहट ने मेरी धड़कनें और भी बढ़ा दीं. मैंने पलट कर देखा तो सामने एक खूबसूरत सा चेहरा एक कातिल सी मुस्कान लिए मीता खड़ी थी. कुछ ही पलों में मुझे एक तेज बॉडी स्प्रे की महक सी आई.
अह्हह्ह … मीता क्या खूबसूरत लग रही थी. उसने लाल रंग का पटियाला सूट पहना हुआ था. आंखों में काजल, दो अमृत कलश के बीच में साफ़ दिखती गहरी रेखा, गोरे गाल सेव सी गुलाबी रंगत लिए हुए थे. मीता की सुराही जैसी गर्दन और उसके कुर्ते के अन्दर उसकी उभरी हुई चूचियां कहर बरपा रही थीं. कागजी त्वचा वाले कानों में बूंदे, हाथों में कंगन, खुले हुए बाल. उफ़ ये तो खुद ही दुल्हन की तरह सज कर आई थी.
उसे देखते ही मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया.
मीता पास आई और अपने नर्म हाथों से मेरा मुँह बंद करके पूछा- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं … तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो, बिल्कुल दुल्हन की तरह. मीता, तुम्हारे कोमल-कोमल गाल, कोमल-कोमल होंठ, बड़ी-बड़ी आंखें, जो हल्का सा काज़ल लगने के बाद इतनी कातिलाना हो जाती हैं कि किसी का भी खून हो जाए. अब देखो तुमने मेरा ही क़त्ल कर दिया ना..!
ये कह कर मैंने उसे अपनी बांहों में ले कर उसके गालों पर हौले से एक चुम्बन धर दिया.
इस चुबंन और आलिंगन के साथ ही मैंने मीता के लाल होते चेहरे के साथ ही एक सिहरन सी महसूस की.
मीता- क्या आप भी … मुझे क्यों बना रहे हो … मैं इतनी भी खूबसूरत नहीं हूँ, जितनी आप तारीफ कर रहे हो.
मुझे उसकी यह बात बहुत अच्छी लगी … इतनी बला की खूबसूरत होने के बाद भी उसमें फालतू वाले नखरे नहीं थे.
मैं- सच कह रहा हूं मीता … आज तुम बहुत ज्यादा ही खूबसूरत लग रही हो. बहुत तैयारी की साथ आई हो.
मीता- पता नहीं, पर मन में बहुत डर है. पता नहीं, मैं सही कर रही हूं या गलत!
मैं- देखो मीता … अगर तुम्हारा मन नहीं कर रहा है, तो तुम अभी भी वापस जा सकती हो.
यह कह कर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. इतने नर्म होंठ मैंने कभी चूमे नहीं थे.
वो अपने मुलायम होंठों से मेरे होंठों को चूसने लगी.
मैंने उससे बांहों में भर रखा था. मैं नहीं चाहता था कि वो वापस जाए. ये तो हम दोनों को पता था कि हम दोनों एक साथ क्यों हैं. उसको लंड चाहिए था और मुझे कमसिन चूत.
हम दोनों करीब 15 मिनट तक एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.
फिर वो बोली- आप तो मुझे वापस नहीं जाने दोगे … एक तो मैं वैसे ही मेरा बहुत मन है, उस पर से ये आपका गर्म किस … उफ्फ … आप तो मुझसे ज्यादा बेक़रार हो.
तब मुझे लगा कि शायद मैंने कुछ जल्दीबाजी कर दी.
मैं बोला- मीता तुम आज इतनी खूबसूरत और सेक्सी लग रही हो कि मेरा मन डोल गया.
मीता बोली- मन तो मेरा भी आपके लिए डोल गया है, पर आप मुझे मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से ऐसा गर्म कर दो कि मेरे दिल वो दिमाग में कोई अपराध बोध न रहे.
मैंने कहा- तुम बैठो … मैं कुछ पीने को लाता हूं.
ये कह कर मैं रूहअफजा, चिप्स, समोसा ले कर आया. फिर हम दोनों वहीं सोफे पर बैठे बैठे खाने लगे.
साथ ही साथ मैं बीच में उसकी जांघ और पीठ सहला रहा था. ब्रा की स्ट्रिप्स को खींच कर अचानक छोड़ देता, तो वो चट की आवाज के साथ उसकी पीठ को लाल कर देती थी.
मीता की दर्द और सिसकारी के आवाज निकल जाती ‘आआह्ह … उफ्फ … लगती है न!’
फिर मैं उसके गाल पर किस कर लेता. इन सबका असर ये हुआ कि वो भी जल्दी गर्म होने लगी. उसका हाथ मेरी जांघों पर आ गया.
इस बार पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैं उसे पागलों की तरह चूमने लगा. उसके पटियाला सूट के ऊपर से उसकी चूची दबाने लगा.
उसके मुँह से मादक और कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. वो मुझसे कस कर चिपक गई.
अचानक मुझे ध्यान आया कि ये मैं क्या कर रहा हूं … मैंने तो कुछ और ही प्लान कर रखा था.
मैं तुरंत उससे दूर हो गया. मीता मेरी तरफ आश्चर्य से ऐसे देख रही, जैसे पूछ रही हो कि क्या हुआ?
मैं उठा और एक बड़ा सा रुमाल उठा लाया. फिर मैंने उसको पकड़ कर उसकी आंखों पर वो रूमाल बांध दिया. वो पूछना चाह रही थी कि ये हो क्या रहा है, पर मैंने उसके खुलते लबों को उंगली से चुप करा दिया. फिर उसको बांहों में उठा कर मैं दूसरे रूम में ले चला.
दूसरे रूम में जाकर उसको वाशरूम के सामने खड़ा किया और बोला कि तुम अन्दर जाओ … और वहां एक ड्रेस रखी है. तुम्हें वो पहन कर बाहर आना है. जब तक मैं कहूँ … तब बाहर आना. अन्दर जो ड्रेस रखी है उसे देख कर कुछ भी सोचना नहीं … बस पहन लेना.
वो अन्दर चली गई. मैंने दरवाजा उड़काते हुए बंद कर दिया.
मैं ये भी जानता था कि ऐसी ड्रेस पहनने के लिए उसको टाइम लगेगा. इस बीच मैंने कमरे में कैंडल जला दी. कैंडल की पीली रोशनी से कमरा नहा गया … खिड़की पर लगे मोटे परदों ने पहले ही कमरे को दिन में अंधेरा … मतलब रात जैसा कर दिया था.
एसी के वजह से कमरा बहुत ही ठंडा था. आप सब सोच सकते हो कि सुहागरात जैसा रोमांटिक माहौल था.
इस बीच मीता की आवाज आई कि ये मैं पहन नहीं सकती.
मैंने कहा- मीता यदि तुम आज के दिन को अपनी जिंदगी का सबसे यादगार दिन बनाना चाहती हो, तो कुछ पूछो मत … सोचो मत … बस जो मैं कह रहा हूं, वैसा करो. और हां पहन कर अच्छे से रूमाल को आंखों में बांध लेना और कोई बदमाशी मत करना.
थोड़ी देर बाद उसने दरवाज़ा खटखटाया, तो मैं दरवाज़ा खोलने उठा. मैंने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था … उसको खोला तो उसके गोरे रूप को काले रंग में देख कर मेरा तो होश उड़ गए. मैंने किसी तरह अपने पर काबू करके उसका हाथ पकड़ कर फैन के नीचे ला कर खड़ा कर दिया.
फिर मैं स्विच के पास जाकर खड़ा हो गया और बोला- अब तुम आंख खोल सकती हो.
मीता ने पट्टी हटा दी.
कमरे का माहौल देख कर उसकी आंखें खुली रह गईं … मुँह भी खुला रह गया था. उसके चेहरे की ख़ुशी देखते ही बन रही थी. तभी मैंने फैन का स्विच ऑन कर दिया. मीता पर लाल और सफ़ेद फूल की पखुड़ियों से बौछार होने लगी. मीता ख़ुशी के मारे दोनों हाथ खोल कर गोल गोल घूमने लगी.
अब मेरे संयम की भी इन्तेहा हो गई थी. मैंने धीरे से उसके पास आकर उसकी कमर में हाथ डाला और उसको अपने पास खींच लिया. हम इतने पास आ गए थे कि हम दोनों एक दूसरे की गर्म सासों को महसूस कर सकते थे. हमारी नजरें मिलीं और फिर हमारे होंठ जुड़ते चले गए.
उफ्फ कितने सॉफ्ट … रस से भरे गुलाबी होंठ … और तीव्र आवेश से भरा एक प्रगाढ़ चुम्बन!
मेरे होंठों ने उसके होंठों को चूमना चूसना शुरू कर दिया था. फिर मीता ने भी थोड़ा सा रेस्पॉन्स करना शुरू कर दिया. उसके हाथ मेरे कंधों से होते हुए मेरे गले का हार बन गए.
अब हम दोनों के होंठों इस कदर जुड़े थे कि सांस भी नहीं ले सकते थे. मीता जितनी बेसब्र थी, वहीं मैं बहुत कूल था. क्योंकि मुझे बहुत आगे तक जाना था. मैं वो सब उसको करने दे रहा था, जो कि वो चाहती थी.
मीता मुझे पागलों की तरह किस करने लगी थी. हमने किस या एक लम्बा स्मूच किया.
कितने सॉफ्ट और रसीले होंठ थे मीता के … मैं भी कुछ पल के लिए मदहोश हो गया था … मगर मुझे खुद पर संयम रखना जरूरी था.
थोड़ी देर के लिए सांस लेने के बाद हमारे होंठ फिर जुड़ गए. कभी वो मेरे नीचे होंठ को, तो कभी वो मेरा ऊपर के होंठ को चूसने लगती. इसी बीच हम दोनों की जीभ भी आपस में मिल गई थीं. हम दोनों एक दूसरे की सलाइवा को महसूस किया … वाओ … किता टेस्टी था.
हम दोनों कुछ सेकंड के लिए रुके, तो मीता की आंखें बंद थीं.
उसके मुँह से एक ही आवाज आ रही थी ‘आआहह … यस्स … आई लवव … इट … किस मी हार्ड!
मीता की आंखें आनन्द में बंद हो गई थीं. दिल तो मेरा भी जोर से धड़क रहा था … क्योंकि काफी सालों बाद मैं एक कमसिन जवानी को चखने वाला था. मुझे पता था कि मीता को मेरे मोटे लम्बे लंड को लेने में बहुत चिल्लाएगी, रोएगी, पर ये तो हर लड़की को एक न एक दिन सहना ही पड़ता है.
ये बात उन सभी को पता होगी, जिन्होंने कुंवारी कन्या के साथ पहला सम्भोग किया होगा … या फिर उन लड़कियों को भी पता होगा, जब उन्होंने अपना कौमार्य खोया होगा. आज का दिन मैं यादगार बना देना चाहता था. मेरा मंसूबा मेरी नियत या उद्देश्य यही था.
मीता को देखा जाए, तो वो एक साधारण सी लड़की थी … पर सेक्स के लिए एक परफेक्ट पार्टनर थी. वो करीब पांच फुट 6 इंच लम्बी थी. उसकी स्लिम बॉडी, उम्र के हिसाब से 32D साइज की परफेक्ट चूचियां थीं. पीछे 34 इंच की उठी हुई गांड … और गांड के ऊपर 30 इंच की एकदम मक्खन सी कमर. इस हाहाकारी ड्रेस में उसकी चूचियां मुझे साफ दिख रही थीं.
उसे भोगने के लिए मेरे पास काफी टाइम था और मैं चाहता था कि मीता का पहला अनुभव यादगार हो … ताकि मैं उसको हमेशा पा सकूं … और जब चाहूं, तब तक उसको चोद सकूं. यानि की अगले 3 या चार साल तक जब तक वो लखनऊ में रहे, तब तक सिर्फ मुझसे ही चुदवाए और मैं उसके साथ अपनी वो सब इच्छाएं भी पूरी कर सकूं, जो मैं अपनी पत्नी के साथ नहीं कर सकता था.
मेरी ये सब कामनाएं तब पूरी हो सकती थीं, जब उसे मेरा चुदाई का अंदाज पसंद आए और वो मेरे लंड की शैदाई बन जाए.
आगे की कहानी में मैं उसे चोदूंगा और आप मुठ मारेंगे. ये मेरा दावा है.
आप इस सेक्स कहानी पर अपने विचार मुझे मेल कर सकते हैं. मैं राहुल जी की मेल आईडी नीचे लिख रहा हूँ.
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कहानी जारी है.