सभी दोस्तो को मेरी हेलो! अपनी कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपना एक संक्षिप्त परिचय दे देता हूं. मेरा नाम अंकित पटेल है और मैं अहमदाबाद (गुजरात) से हूँ. मैं बी.ई. मकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ.
तो अब मैं अपनी कहानी शुरू करता हूं. ये बात तब की है जब मैं बाहरवीं कक्षा में था. वह अप्रैल का महीना था. सभी स्कूलों की छुट्टी शुरू हो चुकी थी. मैं हर साल छुट्टी मनाने के लिए अपने मामा (अंकल) के घर जाता था. इस बार भी मैं उनके घर छुट्टी मनाने चला गया. आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता देता हूं कि मेरे मामा की बहुत साल पहले ही डेथ हो गई थी.
उनके जाने के बाद अब मेरे मामा के घर पर मेरी मामी, उनकी बड़ी बेटी मनीषा और उससे छोटी बेटी जागृति व सबसे छोटा बेटा मनोज रहते थे. यहां पर मैंने लड़कियों के नाम बदल दिये हैं.
मनीषा की उम्र बीस साल, जागृति की 18 साल और उनका बेटा सबसे छोटा था.
मेरी मामी एक कम्पनी में क्लर्क के पद पर काम करती हैं. वो पूरा दिन घर पर नहीं होती हैं. मनोज और जागृति पूरा दिन घर पर खेलते रहते थे जबकि मनीषा घर का छोटा-मोटा काम कर लेती थी. रात को हम सब नीचे फर्श पर गद्दा बिछाकर एक साथ ही सोते थे. जबकि मामी एक अलग बेडरूम में सोती थी.
मामी के घर के पास रहने वाला एक लड़का मेरा दोस्त बन गया था. एक दिन मैंने और मेरे एक दोस्त ने उसके घर पर ब्लू फिल्म चला कर देखी. ब्लू फिल्म देखते हुए मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया था क्योंकि मैंने उस दिन पहली बार ब्लू फिल्म देखी थी. उस दिन वो फिल्म देखने के बाद मेरे दिमाग में पूरा दिन वो फिल्म ही चल रही थी. बार-बार उस फिल्म के सीन याद आ रहे थे और मेरा लंड खड़ा हो रहा था. उस दिन सेक्स करने का मेरा बहुत मन कर रहा था.
उसी रात की बात है कि जब हम सोने लगे तो मेरे मन में सेक्स के ख्याल आने लगे. बाकी सब को तो नींद आ गई थी लेकिन मैं जाग रहा था, आपको भी पता चल गया होगा कि मैं क्यूं जाग रहा था. मेरी बगल में मेरे मामा की जवान लड़की सो रही थी.
मनीषा के सेब जैसे चूचे बिल्कुल ऊपर उठे हुए थे. मैं बार-बार उसके चूचों की तरफ देख रहा था. फिर मैंने हिम्मत करके उसके चूचों पर हाथ रख दिया. हाथ रखने के बाद मैंने धीरे से उनको दबा दिया तो मनीषा की नींद खुल गई. लेकिन मैं सोने का नाटक करता रहा. मैं ऐसे बिहेव कह रहा था जैसे मुझे सच में ही नींद आई हुई है और मैंने नींद में ही उसके चूचों पर हाथ रख दिया है.
फिर अगले दिन मनीषा मेरी तरफ अजीब सी नजरों से देख रही थी लेकिन मैं बिल्कुल नॉर्मली बर्ताव कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो.
फिर जब मामी ऑफिस चली गई तो हम सब आपस में छुपा-छिपी का खेल खेलने लगे. पहले मनोज की बारी आई और हम तीनों छिप गये. उसने 100 तक गिनती गिनकर हमें ढूंढना शुरू किया और हम तीनों अलग-अलग जगह पर जाकर छिप गये. मनीषा बेडरूम में छिपी हुई थी, जागृति दरवाजे के पीछे और मैं बाथरूम में छिपा हुआ था.
थोड़ी देर के बाद जागृति आउट हो गई. उसके बाद मनोज मुझे ढूंढने के लिए बाथरूम की ओर आ रहा था लेकिन उससे बचने के लिए मैं भी बेडरूम में मनीषा के पास भाग गया.
मनीषा ने फुसफुसाते हुए कहा- तुम यहां क्यों आ गये? यहां पर हम दोनों एक साथ पकड़े जाएंगे और आउट हो जायेंगे.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, तुम आराम से यहीं पर छिपी रहो.
उसके बाद मनोज बेडरूम की तरफ आने लगा और हम दोनों पलंग के नीचे जाकर बैठ गये.
जब उसने बेडरूम का दरवाजा खोला तो मैं मनीषा को पलंग की साइड में लेटा कर उसके ऊपर लेट गया. इस पोजीशन में हम मनोज को दिखाई ही नहीं दिये. एक दो बार यहां-वहां झांकने के बाद वो वहां से चला गया. लेकिन मेरी छाती मनीषा के चूचों को दबा रही थी. वो मेरी आंखों में देख रही थी और मैं उसकी आंखों में देख रहा था. उसकी बॉडी पर लेटे रहने के कारण मेरा लंड तन गया था जो मनीषा की बॉडी से टच होने लगा था. शायद मनीषा को भी मेरे खड़े हुए लंड का अहसास हो गया था.
फिर देखते ही देखते मेरे अंदर हवस जाग गई और मैंने मनीषा के होंठों को चूस लिया. उसने कुछ नहीं कहा. मैंने दोबारा उसके होंठों को चूसा तो उसने भी बदले में मेरे होंठों को चूस लिया. फिर तो हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने में ही लग गये. पलंग की साइड में पड़े हुए हम दोनों एक दूसरे के होंठों को जोर से चूसने लगे. पांच मिनट तक किसिंग करने के बाद मनीषा ने उठने का इशारा किया और बोली- मनोज आ जायेगा, हमें उठ जाना चाहिए.
हम दोनों उठ कर खड़े हो गये. ऐसे ही खेलते-खेलते फिर मेरा टर्न आया. लेकिन मैं 2-3 बार में भी उनको आउट नहीं कर पाया. तब तक शाम के 4 बज गये थे. फिर मैं मनोज के साथ उसके दोस्त के घर क्रिकेट खेलने के लिए चला गया. हम लोग शाम को खाने के टाइम पर वापस आये. तब तक मामी भी आ चुकी थी.
हमने खाना खाया और फिर कुछ देर टीवी देखने लगे. इस दौरान मैंने देखा कि मनीषा मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही थी. मैं समझ गया था कि शायद उसका मन भी कर रहा है सेक्स करने के लिए. फिर जब रात काफी हो गई तो सब लोग सोने लगे. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं मनीषा को छेड़ने के मकसद से जगा हुआ था.
रात के करीब 11.30 बजे का टाइम था, मैंने मनीषा की तरफ देखा तो वह भी जाग रही थी.
मैं उसकी तरफ देख रहा था और वो मेरी तरफ देख रही थी. हम दोनों ही करीब आना चाहते थे लेकिन जागृति और मनोज भी साथ में सो रहे थे इसलिए दोनों ही आगे नहीं बढ़ रहे थे. फिर मैंने अपने बरमूडा के ऊपर से अपने लंड को सहला दिया. मैंने नीचे से अंडरवियर नहीं पहना हुआ था. मनीषा ने मेरे खड़े हुए लंड को देख लिया.
फिर मैंने धीरे से अपना बरमूडा खोलकर अपनी जांघों तक कर दिया और अपने खड़े हुए लंड को बाहर ले आया. मैंने मनीषा का हाथ पकड़ा और अपने खड़े हुए लंड पर रखवा दिया. मनीषा ने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया लेकिन वो बार-बार मनोज और जागृति की तरफ देख रही थी. वह पूरी तरह से मेरा साथ नहीं दे पा रही थी.
उसके बाद मैंने मनीषा के लहंगे में हाथ डाल दिया और मेरा हाथ सीधा उसकी चूत तक पहुंच गया. मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और अंदर-बाहर करने लगा. थोड़ी ही देर में उसकी चूत ने गीला सा पदार्थ छोड़ना शुरू कर दिया. मनीषा मेरे लंड की मुट्ठ मार रही थी. मैं उसकी चूत में उंगली कर रहा था. कुछ ही देर में मेरे लंड से पानी निकल गया और हम दोनों किस करने के बाद सो गये.
मनीषा के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब मैं उसको चोदने के बारे मैं प्लान करने लगा.
अगले दिन जब उन्होंने मेरे साथ छुपा-छिपी खेलने के लिए कहा तो मैंने ये कहकर मना कर दिया कि मेरे पैर में दर्द हो रहा है. मैंने उनके सामने बहाना बना दिया. जबकि मेरे पैर किसी तरह का दर्द नहीं हो रहा था. फिर दोपहर को करीब 2 बजे हम सब सो गये. मैं, मनोज और जागृति हॉल में सो रहे थे और मनीषा बेडरूम में सो रही थी. मनीषा को शायद मेरे प्लान के बारे में पता चल गया था.
तीन बजकर पचास मिनट पर मनोज अपने दोस्त के घर क्रिकेट खेलने के लिए चला गया. जागृति अभी गहरी नींद में सो रही थी. मैं चुपके से उठा और अंदर बेडरूम में चला गया. अंदर जाकर मैंने दरवाजा लॉक कर दिया. मैंने घूम कर देखा तो मनीषा हल्के से मुस्करा रही थी.
ओह! मैं उसके पास गया और बोला- आज ज़रा इत्मिनान से करते हैं.
उसने सिर हिलाकर हां में जवाब दे दिया. उसकी हाँ पाकर मैं एकदम से उत्तेजित हो गया. मैंने उसको बेड से नीचे खड़ी रहने के लिए कह दिया. एक-एक करके मैं उसके कपड़े उतारने लगा. पहले उसकी कमीज और फिर सलवार उतारी. फिर उसकी ब्रा और पेंटी उतार दी.
मनीषा अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो गई थी. उसके चूचे उसकी छाती पर सेब के जैसे लटके हुए थे. उसने अपनी चूत को अपने हाथों से छिपा लिया था.
मैंने उसके चूचों को हाथों में लेकर उनको आराम से दबाया और फिर उनको प्यार से चूम लिया. बहुत ही सिल्की से चूचे थे मनीषा के. एक दो मिनट तक उसके चूचों को अपने मुंह में भर कर उनका आनंद रस लेता रहा.
मेरा लंड मेरी पैंट में टाइट होकर जैसे घायल होने वाला था. मैंने मनीषा को मेरे कपड़े निकालने के लिए कहा. उसने मेरी टी-शर्ट उतरवाई और फिर मेरी लोअर को भी निकाल दिया. अब मैं केवल अंडरवियर में था और मेरा 4.8 इंच का लंड एकदम नुकीला होकर तंबू बनाकर मनीषा की चूत में घुसने के लिए बेताब हो चुका था. फिर उसने मेरे अंडरवियर को भी नीचे कर दिया. मैंने अपनी टांगों से अपने अंडरवियर को वहीं फर्श पर निकाल कर एक तरफ डाल दिया.
मनीषा मेरे लंड को ध्यान से देख रही थी. मैंने उसने अपनी तरफ खींचा और उसको बांहों में कसते हुए उसके नंगे बदन से लिपट गया. उसका नर्म-मखमली बदन मेरे नंगे बदन से सट गया और मेरा लंड उसकी चूत पर चुम्बन देने लगा. हम दोनों ही अब तक वर्जिन थे.
जब मेरा लंड उसकी चूत से बार-बार छूता रहा तो मुझे खुद पर कंट्रोल करना भारी हो गया और मैं उसे बेड पर लेकर गिर गया. मनीषा की चूचियों को जोर से पीते हुए उसकी चूत को सहलाने लगा. वो भी तड़प उठी. मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी और तेजी के साथ चलाने लगा. आस्स … स्स्स … आह … आह … करते हुए मैं उसकी चूत को अपनी उंगलियों से चोदने लगा.
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड रखा और उसकी चूत में लंड को अंदर धकेल दिया. आह … उसकी कुंवारी चूत बहुत गर्म अहसास दे रही थी. मैंने उसकी चूत में अपना लंड पूरा धकेल दिया और उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को पीने लगा. वो कसमसाती हुई मेरे होंठों को काटने लगी. फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में धक्के देने शुरू किये. मैं उसको चोदने लगा और जल्दी ही मेरी स्पीड बढ़ने लगी. मैं तेजी से उसकी चूत मारने लगा और 7-8 मिनट की चुदाई के बाद उसको बिना बताए ही मैंने उसकी चूत में अपना माल गिरा दिया. मैं कुछ देर तक मनीषा के ऊपर गिरा रहा.
मगर अभी तक मनीषा का माल नहीं निकला था. उसने मुझे उठाया और मेरे बदन को सहलाने लगी. वह मेरे होंठों को चूसने लगी और फिर मेरा लंड दोबारा से तनाव में आने लगा. मैंने उसकी चूत में तेजी के साथ उंगली करना शुरू कर दिया. उसकी चूत मेरे लंड से चुद कर बिल्कुल गर्म और चिकनी हो गई थी. वह फूल भी गई थी. फिर उसने एकदम से पिचकारी सी छोड़ दी और वह भी झड़ गई.
उसकी चूत की चुदाई करने के बाद मैं उसकी गांड भी मारने की सोचने लगा. मैंने उसको डॉगी की पोजीशन में आने को कहा और उसकी गांड को रिलेक्स करने के लिए मैंने उसकी गांड के छेद पर उंगली फेरी. कुछ ही देर में उसकी गांड रिलेक्स होने लगी. मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद में लगाया और उसको अंदर घुसाने लगा.
उसकी गांड बहुत टाइट थी इसलिए उसको दर्द होने लगा. मैंने बालों के तेल की शीशी से लंड पर तेल लगा लिया ताकि लंड में कुछ अतिरिक्त चिकनाई चली जाये क्योंकि मेरे लंड में भी दर्द सा हो रहा था. उसके बाद मैंने जोर लगा कर अपना लंड उसकी गांड में धेकेल दिया. उसने पूरा लंड गांड में ले लिया और कराहने लगी.
मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसकी गांड को चोदना शुरू किया. मैंने चुदाई शुरू ही की थी कि मुझे उस कमरे के दरवाजे पर कुछ आवाज सी सुनाई दी. मैंने उसकी गांड से लंड को बाहर निकाला और देखने के लिए गया. मैंने की-होल से झांक कर देखा तो जागृति वहां खड़ी थी. मैं डर गया. शायद उसने सारा सीन देख लिया था. फिर हमने अपने कपड़े पहन लिये.
मनीषा को मैंने नहीं बताया कि जागृति ने हमें देख लिया है. फिर उसके बाद शाम के खाने के समय जब सब साथ में बैठ कर खाना खा रहे थे तो जागृति मुझे अजीब सी नजरों से देख रही थी. मैं डर रहा था कि कहीं ये मामी को मनीषा और मेरी चुदाई के बारे में बता न दे.
खाना खाकर मैं चुपचाप उठ कर चला गया. उस रात मुझे नींद भी नहीं आयी. मैं यही सोचता रहा कि जागृति हमारे बारे में कहीं मामी को न बता दे. मगर अगली सुबह उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया. मैं खुश था कि जागृति ने मामी को कुछ नहीं बताया. लेकिन वह भी बदले में कुछ मुझसे चाहती थी.
वह कहानी मैं आपको अगली बार बताऊंगा. इस कहानी पर अपनी राय देने के लिए आप कमेंट करें और मेल भी करें. थैंक्यू.
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कहानी का अगला भाग: लुकाछुपी की मस्ती बड़ी बहनों के साथ-2