सेक्स कहानी लवर्स को नमस्कार! आप सब कैसे हैं दोस्तों? मेरा नाम अंकित पटेल है और मैं अहमदाबाद (गुजरात) से हूँ. मैं बी.ई. मकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ. मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि मैं अपने मामा के घर गर्मी की छुट्टियां मनाने के लिए गया हुआ था जहां मैंने मामा की सबसे बड़ी लड़की मनीषा को चोद दिया.
यह कहानी उसी कहानी
लुकाछुपी की मस्ती बड़ी बहनों के साथ-1
का अगला भाग है. उस दिन जब मैं मनीषा को चोद रहा था तो जागृति ने दरवाजे की झिर्री से हम दोनों को चुदाई करते हुए देख लिया था. मैं सोच रहा था कि जागृति मामी को सब कुछ बता देगी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. अगली सुबह मैं जागृति से बचता फिर रहा था. मगर मैंने देखा कि जागृति मुझे देख कर मुस्करा रही थी.
उस दिन हम लोगों ने कोई खेल नहीं खेला क्योंकि जागृति को मनीषा और मेरे बीच में पक रही खिचड़ी के बारे में शक हो गया था. इसलिए दोपहर में आराम करने के बाद मैं मनोज के साथ उसके दोस्त के घर चला गया. मनीषा ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
शाम को सब लोगों ने खाना खाया और साथ में हॉल में बैठ कर मूवी देखने लगे. मामी भी हम चारों के साथ ही फिल्म देख रही थी. फिर जागृति कहने लगी कि उसको टीवी सीरियल देखना है लेकिन मनीषा मूवी देखने की बात कर रही थी. मैं भी मूवी ही देखना चाह रहा था और मनोज भी.
मामी हम चारों भाई-बहनों के बीच में कुछ नहीं बोल रही थी. जागृति ने मनीषा के हाथ से टीवी का रिमोट छीन लिया. इस पर मनीषा भड़क गई और उसने जागृति के हाथ से रिमोट दोबारा छीनने की कोशिश की. मगर मनीषा ने रिमोट नहीं दिया और वो रिमोट लेकर भागने लगी. जागृति उसके पीछे दौड़ी और दोनों बहनें एक दूसरे से लड़ती हुई रिमोट हासिल करने के लिए मशक्कत करने लगीं. इतने में ही पावर कट हो गया. बिजली गुल होते ही पूरे घर में अंधेरा हो गया. मामी ने फोन की टॉर्च से इमरजेंसी लाइट जला दी.
मनीषा बोली- ये ले, अब देख ले सीरियल. जागृति इस बात पर चिढ़ गई और मामी से शिकायत करने लगी. मामी उन दोनों का झगड़ा देख जोर जोर से हंसने लगी.
मामी बोली- अगर तुम दोनों अगर लड़ाई नहीं करती तो शायद बत्ती भी गुल न होती. चलो अब किचन में जाकर बचा हुआ काम निपटा लो दोनों.
जागृति बोली- मैं कोई काम-वाम नहीं करने वाली इसके साथ.
मामी ने डांटते हुए कहा- चल जा किचन में और मनीषा का हाथ बंटा. कल को तेरी शादी होगी तो ससुराल में भी यही सब करना पड़ेगा.
जागृति झल्लाती हुई किचन में चली गई.
मगर बिजली के कारण अंधेरे में क्या काम होता. मनीषा किचन से चिल्लाई- मनोज, ज़रा इमरजेंसी लाइट देकर जा. यहां पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.
मनोज ने हॉल में रखी इमरजेंसी लाइट उठा ली और किचन में जाने लगा. तभी मामी उठ कर गेट के पास जाती हुई बोली- मैं ज़रा पड़ोस वाली शीला आंटी के यहां होकर आती हूं. यहां गर्मी में बैठ कर क्या करना है. जब लाइट आएगी तो मैं आ जाऊंगी.
मनोज बोला- मां, मैं भी आपके साथ चल रहा हूं. बाहर थोड़ी ठंड भी है और मैं भी शीला आंटी के बेटे के साथ टाइम पास कर लूंगा.
मामी बोली- तू यहीं पर अंकित के साथ रह.
मनोज जिद करने लगा- मां, ले चलो न अपने साथ.
मामी बोली- ठीक है आ जा.
मामी और मनोज दोनों गेट से बाहर जाते हुए दरवाजा ढाल कर चले गये.
जागृति और मनीषा किचन में बर्तन साफ कर रही थीं. मैं वहीं हॉल में गद्दे पर अकेला पड़ा हुआ था. हॉल में पूरा अंधेरा था और कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था.
फिर दो मिनट बाद अचानक ही मेरे बदन पर एक गीला सा हाथ आकर फिरने लगा. वह हाथ मेरे शरीर को टटोलने लगा. मैं समझ गया कि मनीषा अंधेरे का फायदा उठा कर चुदाई करवाना चाहती है. उसने मेरी छाती से होकर अपना हाथ नीचे ले जाते हुए मेरी लोअर पर रख कर मेरे लंड को सहला दिया. मेरे लंड में तुरंत तनाव आना शुरू हो गया.
चूंकि अंधेरे में किसी लड़की के इस तरह से छूने से मेरे अंदर भी सेक्स की भावना जाग गई थी इसलिए मैं भी उत्तेजित हो गया था. फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे उठाने के इरादे से हाथ को ऊपर खींचने लगी. मैं उठ कर उसके साथ चल दिया. वह मेरा हाथ पकड़ कर आगे-आगे चल दी और मैं अंधेरे में अपने खड़े लंड की भूख मिटाने के इरादे से उसके पीछे-पीछे. मैं सोच रहा था कि जागृति की नजरों से बचने का यह अच्छा तरीका है कि मनीषा अंधेरे में चुदाई करवाने का प्लान कर रही है.
धीरे-धीरे चल कर हम दोनों बाथरूम में घुस गये. हल्के से दरवाजा बंद कर लिया और उसने मुझे दीवार के साथ सटा दिया. मेरी पीठ दीवार पर लगी थी और उसका हाथ मेरे लंड को मसलने और सहलाने लगा. मैं बेकाबू सा होकर उसके सूट के ऊपर से उसके चूचों को दबाने लगा. फिर उसने मेरे गालों को टटोलते हुए मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. सब कुछ अंधेरे में हो रहा था इसलिए मजा भी दोगुना आ रहा था. मैंने उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया और उसकी चूत की तरफ अपने लंड को धकेलता हुआ उसके कपड़ों के ऊपर से चोदने की कोशिश सी करने लगा.
उसने मेरी लोअर को नीचे करवा दिया और मेरे तने हुए लौड़े को हाथ में लेकर सहलाने लगी. मेरा लंड तड़प उठा. मैंने उसकी सलवार को खोल कर नीचे खींच दिया और उसे अपनी वाली जगह पर दीवार के साथ सटा दिया. फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराया तो मेरे हाथ को उसकी चूत की गर्मी महसूस होने लगी. मैंने उसकी चूत को तेजी के साथ सहलाना शुरू कर दिया और वो मेरे चूतड़ों को दबाते हुए मुझे अपनी तरफ खींचने लगी.
मैं सोच रहा था कि आज मनीषा कुछ ज्यादा ही चुदासी हो गई है.
उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर रगड़ दिया. वह शायद लंड को अंदर लेने के लिए मचल उठी थी. उसने खुद ही मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया और मैंने बिना देर किये उसकी चूत में लंड को धकेल दिया. उसके सीने से एक दबी हुई ऊंह … की आवाज निकलने को हुई. शायद लंड ज्यादा ही जोश में डाल दिया था मैंने उसकी चूत में.
मगर उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और मेरे मुंह में जीभ डाल कर मेरी लार को पीने लगी. मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया था और मैंने दीवार की तरफ धक्के देते हुए उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. मैं उसके होंठों को पी रहा था और वो मेरे होंठों को चूस रही थी. लंड उसकी चूत में चल रहा था. आह्ह … बहुत मजा आ रहा था.
मेरे धक्के का जोर बढ़ रहा था जिससे उसके नंगे चूतड़ बाथरूम की दीवार पर लग जाते थे और फट्ट की आवाज सी हो जाती थी. इस आवाज को रोकने के लिए उसने अपने एक हाथ को पीछे अपने चूतड़ों पर लगा लिया जिससे उसकी चूत थोड़ा और आगे आ गई. अब पीछे की आवाज भी बंद हो गई थी.
मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुसने लगा. अब चुदाई में वाकई मजा आ रहा था. मैं तेजी के साथ उसकी चूत की चुदाई करता हुआ आनंद में डूबने लगा. वो एक हाथ से मुझे अपनी तरफ खींचने की कोशिश करती हुई पूरा लंड चूत में उतरवा रही थी.
उसकी चूत को चोदने में इतना मजा मुझे पहले दिन भी नहीं आया था. फिर उसने मुझे पीछे धकेला और लंड को चूत से बाहर निकलवा दिया. उसने मुझे नीचे बैठने के लिए अपने हाथों से मेरे कंधे पकड़ कर नीचे की तरफ धकेला. मैं घुटनों के बल बैठ कर उसकी चूत को चूसने और काटने लगा. उसने टांग उठाकर मेरे कंधे पर रख दी और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में धकेलते हुए मेरे बालों को सहलाने लगी.
उसकी चूत का नमकीन सा पानी मेरे मुंह में स्वाद देने लगा. मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी और अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा. वो अपनी गांड को आगे की तरफ धकेलते हुए चूत को मेरे होंठों की तरफ फेंकने लगी. मेरी जीभ तेजी से उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी.
कुछ देर तक उसने मजे से चूत चटवाई और मुझे दोबारा से खड़ा होने के लिए ऊपर की तरफ खींचा. मेरा लंड अब तक थोड़ा डाउन हो गया था. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर सहलाया और फिर से मेरा लौड़ा तन गया. मैंने दोबारा से उसकी चूत में लंड को डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया.
उसकी चूत को चोदते हुए मैं उसके सूट के ऊपर से उसके चूचों को दबाने लगा. उसके चूचे आज पहले से ज्यादा टाइट लग रहे थे. उनके साइज में भी थोड़ा फर्क लग रहा था. मैंने सोचा कि शायद सूट की वजह से ऐसा लग रहा है.
मैं तेजी से उसकी चूत को पेलता रहा और दस मिनट में मेरे लंड ने उसकी चूत में अपना माल गिरा दिया. मैं हाँफने लगा और उसके कंधे पर सिर रख कर वहीं खड़ा हो गया. मेरी सांसें तेजी से चल रही थीं. एक तो गर्मी का मौसम था और ऊपर से इतनी गर्मा-गरम चुदाई हो गई. पूरे बाथरूम में उमस सी भर गई.
फिर किचन में बर्तन गिरने की आवाज हुई तो हम दोनों हड़बड़ा गये. मैंने सोचा कि अगर किचन का काम खत्म हो गया और जागृति बाहर आ गई तो आज उसे फिर से हमारी चुदाई का पता लग जाएगा.
मैंने अपनी लोअर को ऊपर की तरफ खींच कर अपनी कमर पर बांधा और बाथरूम के दरवाजे से बाहर निकलने लगा. मैं गद्दे पर जाकर लेटने ही वाला था कि तभी लाइट आ गई. लाइट आते ही मैंने पंखा चलाया और अपने माथे का पसीना पोंछने लगा.
मैंने टीवी का रिमोट उठा कर टीवी ऑन करने के लिए हाथ आगे ही किया था कि मुझे किचन से मनीषा आती हुई दिखाई दी. मैं उसकी तरफ ऐसे देख रहा था जैसे मैंने कोई भूत देख लिया हो. मेरे हिसाब से मनीषा को बाथरूम में होना चाहिए था तो फिर वह किचन से कैसे बाहर आई?
मैंने बाथरूम की तरफ देखा तो जागृति बाहर हॉल की तरफ चली आ रही थी. उसने मुंह धो लिया था और उसको पौंछते हुए वो हॉल की तरफ बढ़ रही थी. इधर मनीषा मेरे बगल में आकर बैठ गई थी.
इसका मतलब वह जागृति थी जो मुझे बाथरूम में लेकर गई थी? अंधेरे का फायदा उठा कर उसने अपनी चूत चुदवा ली मेरे लंड से? मैं उसकी चालाकी पर हैरान था. वह मेरे पास आकर बैठ गई. मैंने उसकी तरफ देखा तो वह मुस्करा रही थी. मैंने फिर मनीषा की तरफ देखा और फिर सीधा टीवी देखने लगा.
कुछ ही देर में मामी और मनोज भी घर में दाखिल होते हुए दिखाई दिये. मामी सीधे अपने कमरे में चली गई और मनोज हमारे साथ बैठ कर टीवी देखने लगा.
अब जागृति आराम से बैठ कर हमारे साथ फिल्म देख रही थी. रात को सोते समय मैंने अनजाने में हुई जागृति की गर्मा-गर्म चुदाई के बारे में सोचकर मुट्ठ मार डाली. उन दोनों बहनों ने एक दूसरे के साथ लुकाछिपी करते हुए अपनी चूतें चुदवा लीं. मगर मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई थी. इस बारे में मैंने मनीषा से भी कोई जिक्र नहीं किया कि जागृति भी मेरे लंड के नीचे से चुद कर निकल चुकी है. एक ही घर में दो-दो जवान चूतें मिल गईं मुझे.
अगले दिन जब मनीषा बाथरूम में नहाने गयी हुई थी और घर मे कोई नहीं था तो मैंने जागृति से पूछा- तुम्हें डर नहीं लगा रात को ऐसे बाथरूम में चुदाई करवाते हुए?
वो बोली- जब मेरी बहन को अपनी चूत में तुम्हारा लंड चोरी से लेते हुए डर नहीं लगा तो मैं कैसे पीछे रहती. वो मजे ले सकती है तो मैं क्यों नहीं?
उस दिन के बाद से वो दोनों बहनें अपनी चूतें मुझसे चुदवाने लगीं. मगर अभी तक उन्होंने एक दूसरे को इस बात की भनक नहीं लगने दी कि मैं दोनों की ही चूतों के मजे लेता हूं. जागृति तो मनीषा के बारे में जानती थी लेकिन मनीषा अभी भी यही सोच रही थी वो छिपते-छिपाते हुए ही अपनी चूत मुझसे चुदवा रही है.
उन दोनों बहनों के साथ लुक्का-छिपी का ये खेल मैंने काफी दिनों तक खेला और फिर मैं अपने घर आ गया.
दोस्तो, ये थी मेरी कहानी. आपको ये कहानी कैसी लगी. क्या मैंने उन दोनों बहनों की चूत मारकर सही किया? या मुझे मनीषा को बता देना चाहिए था कि उसकी छोटी बहन जागृति भी मुझसे चुदाई करवा रही है? आप इस बारे में अपने विचार जरूर साझा करें. कहानी पर कमेंट करें या फिर मेल के द्वारा अपनी राय दें.
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