नमस्कार मित्रों, मैं आपका दोस्त हैरी हूँ. मेरी उम्र 20 साल है. यह कहानी जून 2017 में शुरू हुई जब मैंने अपनी बी.टेक. पढ़ाई पूरी करने के बाद एग्ज़ाम दिए थे. मैं घर में फ्री रहता था. पेपर का रिज़ल्ट आने में 2 महीने का समय बाकी था. मेरी हर रोज़ की दिनचर्या एक जैसी थी. सुबह मैं कॉलेज जाता था और शाम को आने के बाद जिम में चला जाता था. पिछले चार साल से मेरा यही रुटीन चल रहा था.
लड़कियों के बारे में कई बार सोचता था मगर मुझे मेरी उम्र की लड़कियां ही ज्यादा पसंद थीं. मुझे ख़ासकर भाभी या शादीशुदा औरतें ज्यादा पसंद थीं. जो मुझसे चार-पांच साल बड़ी होतीं या जिनका शरीर मेरी पसन्द का होता था. मोटे-मोटे होंठ, रंग सांवला हो या गोरा, मगर बूब्स का साइज़ कम से कम 34 इंच का हो. ऐसी औरतों में मेरी ज्यादा रूचि होती थी.
मेरी प्रेमिकाएं भी कई सारी रही हैं और कई औरतों से बात भी होती थी, मगर सेक्स करने का मन उन्हीं के साथ करता था जिनका जिस्म मेरी पसंद का होता था.
एक दिन मैं ऐसे ही घर पर था और मेरी माँ किसी से फोन पर बात कर रही थी. थोड़ी थोड़ी आवाज़ माँ की मुझे भी सुनाई दे रही थी. जैसे वो किसी के घर आने के बारे में बात कर रही हो.
कुछ देर के बाद माँ मेरे पास आई और बोली- तुम्हें रेलवे स्टेशन तक जाना पड़ेगा. तुम्हारे मामा और मामी इन्दौर से आ रहे हैं. ट्रेन एक घन्टे में स्टेशन पर पहुंच जाएगी.
मैंने माँ से पूछा कि मेरे मामा और मामी तो कोई हैं ही नहीं फिर ये कौन आ रहे हैं.
फिर माँ ने मुझे बताया कि वो हमारे दूर के रिश्तेदार हैं और रिश्ते में तुम्हारे मामा लगते हैं.
जून का महीना था तो गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही थी. मैं तैयार होकर स्टेशन की तरफ चल पड़ा. मैं आधे घन्टे के बाद स्टेशन पर पहुंच गया और वहीं प्लेटफॉर्म पर इंतज़ार करने लगा. माँ ने मुझे उनका फोन नम्बर दे दिया था ताकि मैं उनसे फोन पर बात कर सकूँ.
मैंने उनको पहले कभी नहीं देखा था. मैं वहीं इंतज़ार करने लगा. उसके बाद ट्रेन आई और मैं इंतज़ार करने लगा कि कब वो लोग आएंगे मेरे सामने. इतनी भीड़ में उन दोनों को पहचान पाना भी आसान काम नहीं था क्योंकि मैं उनसे पहले कभी मिला ही नहीं था.
कुछ देर बाद मैंने फोन किया और पूछा कि वो दोनों कहां हैं तो उन्होंने बताया कि वो स्टेशन से बाहर की तरफ निकल रहे हैं. मैं स्टेशन के बाहर जाकर इंतज़ार करने लगा. वहां पर काफी लोग आ और जा रहे थे.
कुछ देर बाद मेरी नज़र सामने से आ रही औरत और एक मर्द पर पड़ी. मैंने फोन किया तो उसने फोन उठाया और मैं समझ गया कि वही मामी है, और मामा उनके पीछे ही आ रहे हैं.
मैं उनके पास जाने लगा और मामी मेरे सामने पहुंच गयी. मैंने उनको नमस्ते किया और कहा कि मैं हैरी हूँ. मां ने मुझे आप लोगों को लेने के लिए भेजा है. मामी मेरी आंखों में देख रही थी. मामी ने पूछते हुए कहा- तुम बलदेव के लड़के हो न?
तो मैंने कह दिया- हाँ.
मैं मामी को देखे ही जा रहा था. मामी का रंग सांवला था. उसने टाइट जीन्स पहनी हुई थी और टॉप डाला हुआ था. मामी के बूब्स तो जैसे उनके टॉप को बाहर ही धकेल रहे थे. मामी का कद 5 फीट 7 इंच है और मेरा लण्ड उनको देखकर मचलने लगा था. मेरी काफी भाभियों के साथ बात-चीत है मगर ऐसी औरत मुझे आज तक नहीं मिली.
मामी का भरा बदन तो किसी हिजड़े को भी वासना की ओर धकेल दे, ऐसी है मेरी मामी. उसके पीछे मामा उनका सामान उठाकर चल रहे थे. मामी के हाथ में एक बड़ा सा बैग था तो मैंने उसे मामी के हाथों से ले लिया और चल पड़ा.
मैं मामी के साथ था और मामा भी हमारे साथ ही चल रहे थे. मेरी नज़र मामी के जिस्म पर ही जा रही थी. मामी के बूब्स बड़े ही मस्त लग रहे थे; एकदम ऊपर की तरफ खड़े हुए थे. जीन्स में तो मामी की गांड जैसे कहर बरपा रही थी. कभी मैं मामी की तरफ देखता और कभी मामी मेरी तरफ देखने लगती. मैं स्माइल कर देता और मामी भी मुस्करा देती.
मामा हमारे पीछे चलने लगे. हम गाड़ी में बैठे और घर पहुंच गए. घर पर माँ उनको देखकर बहुत खुश नज़र आ रही थी. मैं, मामा और मामी साथ में बैठे थे. मेरा ध्यान बार-बार मामी पर ही जा रहा था. मैंने मन ही मन सोच लिया था कि मैं मामी को पटाकर ही रहूँगा. वैसे लड़कियों के मामले में मेरी किस्मत काफी अच्छी रही है शुरू से ही. मैंने सोच लिया था कि मामी के होठों को तो चूसना ही है.
दोपहर हो गयी तो माँ ने खाना लगा दिया और हम सब खाना खाने लगे. मैं अभी भी मामी को ही देख रहा था. मामी भी मेरी तरफ देख लेती थी और दिन बीत गया.
रात हुई, गर्मियों के दिन थे तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया. मैं रात को कच्छा कभी नहीं पहनता था. क्योंकि गर्मी के कारण लण्ड के आस-पास पसीना आने लगता था और मुझे खुजली होती थी. मैं रात को केवल एक निक्कर और टी-शर्ट पहन कर सोता था.
नहाकर मैंने तौलिया लपेट लिया और बाहर आया तो सामने मामी आ गयी. मुझे देखकर हँसने लगी, कहने लगी- तुम बिना कपड़ों के सिर्फ तौलिया लपेट कर क्यों घूम रहे हो.
मैंने कहा- मामी, बस कपड़े पहनने के लिए ही जा रहा हूँ।
मामी की नज़र जैसे मेरे बदन को ही निहार रही थी.
मैं अपने कमरे में गया और निक्कर तथा टी-शर्ट अलमारी से निकालने लगा. तभी अचानक से लाइट बन्द हो गई और पूरे कमरे में अंधेरा हो गया. मैंने तौलिया उतारा और निक्कर पहनने लगा ही था कि तभी लाइट आ गई. मैंने देखा कि मामी कमरे के दरवाज़े के पास खड़ी होकर मेरी तरफ देख रही थी. मैं पूरा ही नंगा खड़ा था. उनको देखकर ही मेरा 8 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लंड खड़ा होने लगा था. मामी मेरे लण्ड को देखे जा रही थी और मैं मामी को देख रहा था.
15 सेकेण्ड तक मामी मेरी तरफ देखती रही और मुस्करा कर अंदर आई. अपना बैग खोला, उसमें से अपना तौलिया और कपड़े निकाले और मेरी तरफ मुड़कर मुस्कराई, फिर बाथरूम की तरफ चली गई. मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था. मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बाहर ड्राइंगरूम में बैठ कर टीवी देखने लगा. तभी मामी बाहर आई. गुलाबी रंग का नाइट सूट पहने हुए मस्त लग रही थी.
नाइट सूट नीचे से थोड़ा शॉर्ट था जिसके कारण मामी के गोरे-गोरे पैर दिखाई दे रहे थे. मामी मेरे पास ही आकर बैठ गई. मामी ने बातें करना शुरू ही किया था कि तभी मेरे पापा बाहर से आ गये. मैंने मामी से कहा- शायद मेरे पापा आ गए हैं.
उसके बाद मैं, पापा और मामी वहीं ड्राइंग रूम में ही बैठकर बातें करने लगे. मेरा ध्यान बातों पर नहीं बस मामी पर था. मामी भी मुझे ही देख रही थी. कुछ देर बाद हमने खाना खाया और मैं छत पर टहलने के लिए चला गया. मामा भी पापा के साथ ही बातें करने में लगे हुए थे और माँ मेरी मामी के साथ बातें कर रही थी.
मामा और पापा कुछ देर में बाहर चले गए और मैं ऊपर छत पर ही था और तभी मामी ऊपर आ गई. मामी बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं. बस ऐसे ही टहल रहा था.
फिर मामी मेरी पढ़ाई के बारे में बातें करने लगी. मैं मामी के काफी पास खड़ा था और मामी के बड़े-बड़े बूब्स को देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था. मेरा लंड इतना टाइट हो गया था कि उसने मेरी निक्कर को ऊपर उठा दिया था. मैं अपने खड़े लंड को छिपाने के लिए एक तरफ घूम गया तो मामी ने पूछा- क्या बात हो गई मेरे प्यारे हैरी?
मैंने कहा- आप मुझे मेरे प्यारे हैरी क्यों कह रही हो?
मामी ने कहा- तुम मेरे एकलौते भान्जे जो हो. तुम्हारी माँ मुझसे फोन तुम्हारे बारे में बातें करती रहती थी.
मैंने मामी से कहा- मामी, मुझे माफ कर देना.
मामी ने पूछा- माफी किसलिए माँग रहे हो?
मैंने बताया- जब लाइट बन्द थी तो मैंने सोचा कि जल्दी से कपड़े बदल लूँ और मैंने दरवाज़ा बंद नहीं किया और अचानक से लाइट आ गयी. उसके बाद फिर आप आ गयी.
मेरी बात सुनकर मामी हँसने लगी. वह कहने लगी- मामी से क्या शरमाना.
मामी धीरे-धीरे मुझसे खुल रही थी.
फिर मैंने मामी से उन दोनों की शादी के बारे में पूछा तो मामी ने बताया कि उन दोनों की शादी एक साल पहले हुई थी. वो इन्दौर में नौकरी करते हैं और उनका काम ज्यादा अच्छा चल नहीं रहा है इसलिए वो मेरे पापा के पास आए हैं.
मामी ने फिर मुझसे मेरा फोन नम्बर ले लिया.
फिर मामी ने मुझसे कहा कि तुम्हारे कंधे पर जो टैटू बना है वो मुझे बहुत पसंद है. मुझे वह टैटू देखना है. मैंने मामी से कहा कि उसके लिए मुझे अपना टी-शर्ट उतारना पड़ेगा.
मामी ने कह दिया- उतार दो फिर तुम इतने शरमा क्यों रहे हो.
मैंने टी-शर्ट उतार दिया. मामी मेरे कन्धे पर बने शेर के टैटू को देख रही थी. मामी उस टैटू पर अपना हाथ फेर रही थी. उनके बूब्स मेरी बाजू के साथ सट गए थे. जिसके कारण मेरा लण्ड निक्कर को फाड़कर बाहर ही निकलने वाला था.
मामी ने कहा- तुम्हारा शरीर तो बहुत चुस्त और दुरूस्त है. तुम जिम जाते हो क्या?
मैंने कहा- हाँ.
मामी बोली- तुम्हारा टैटू बहुत सुन्दर है. तुम पर काफी अच्छा भी लग रहा है.
मामी मेरे करीब ऐसे खड़ी थी जैसे मेरी प्रेमिका हो. उनकी आंखों में मुझे प्यार की प्यास साफ-साफ नज़र आ रही थी. मन कर रहा था कि उनके होंठों को अभी चूस लूँ मगर मैं भी उनको और ज्यादा तड़पाना चाहता था.
मैंने कहा- मामी, अब मैं टी-शर्ट पहन लूं क्या?
मामी बोली- हां, और अगर तुम मुझे अकेले में पूनम बुलाना चाहो तो बुला सकते हो.
मैंने कहा- ठीक है पूनम.
मामी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?
मैंने मामी को मना कर दिया.
मामी बोली- ऐसा तो हो ही नहीं सकता. कोई तो ज़रूर होगी.
मैंने कहा- कोई नहीं है मामी. आज तक ऐसी कोई मिली ही नहीं जिसको मैं अपनी प्रेमिका बना सकूँ.
तो पूनम बोली- तुम्हें किस तरह की लड़की चाहिए.
मैंने कह दिया- आपके जैसी.
वह बोली- तो बना लो फिर!
यह सुनकर मैं हँसने लग गया. मैंने पूनम से कहा- आपका नाइट सूट बहुत मस्त लग रहा है.
मामी ने कहा- मेरे पास और भी कपड़े हैं. मैं तुम्हें नीचे चलकर दिखाती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर माँ ने नीचे बुलाने के लिए आवाज़ लगा दी. चाय पीने का वक्त हो गया था. हम सब एक साथ बैठकर चाय पीने लगे. मामी मेरे सामने ही बैठी थी. उसके बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरे पांव को नीचे से कुछ टच हो रहा है, मैंने थोड़ा नीचे की तरफ झुककर देखा तो मामी मेरे पांव को अपने पांव से सहला रही थी. मैंने भी मामी के पांव को सहलाना शुरू कर दिया. मामी मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगी.
उसके बाद सब अपने कमरे में चले गए और मामी मेरे कमरे में आई क्योंकि उनका कुछ सामान मेरे कमरे में पड़ा हुआ था.
मामी मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई और लगातार मेरी तरफ ही देख रही थी. मामी मेरे नज़दीक आना चाहती थी लेकिन अभी मैं इतना कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि माँ और पापा पास में ही थे. मैं मामी को और ज्यादा तड़पाना चाहता था. मैं मामी से इसलिए ज्यादा कुछ बात भी नहीं कर रहा था. मामी अपने बैग में से सामान निकालने लगी और मुझे अपने कपड़े दिखाने लगी.
उनके शॉर्ट्स, जीन्स, नाइट सूट और मिनी स्कर्ट काफी मस्त थी.
मैंने मामी से पूछा- आप मिनी स्कर्ट भी पहनती हो?
तो वो बोली- बस एक बार पहनी थी उसके बाद नहीं पहनी।
मामी की उम्र कुछ ज्यादा नहीं थी. मेरे से एक साल बड़ी थी, पर लगती मेरे से कम उम्र की थी। मैंने पूनम की ब्रा जो एक तरफ़ पड़ी थी उसको उठाया और देखने लगा, तभी पूनम मेरी ओर देखने लगी और मुस्कराने लगी।
मैंने पूछा- कितने साईज़ की है?
तो पूनम बोली- 34 इन्च की है.
मैंने देखा और कहा- 34 इन्च तो बहुत बड़ा होता है. बहुत मोटे-मोटे होते होंगे न 34 इन्च के तो?
वो बोली- हां, बड़े तो होते हैं।
“मैं देखना चाहता हूँ 34 इन्च के बूब्स को …” मैंने कहा।
फ़िर पूनम मेरी ओर देखने लगी और मुस्कराने लगी और बोली- देख लो जो देखना चाहते हो।
मामी ने नाइट सूट के उपर के तीन बटन खोल दिये और बूब्स के बीच की रेखा मुझे साफ़ साफ़ दिखाई देने लग गयी थी। मामी के बूब्स देखकर मेरे लंड में उछाल आना शुरू हो गया था.
कहानी का दूसरा भाग शेष है.
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अगला भाग: मामी की चूत की प्यास-2