यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
ममता जी का मुँह खिड़की की ओर होने से उनकी चुत भी अब खिड़की की तरफ हो गयी थी. ऐसा मैंने जानबूझकर किया था ताकि शायरा अच्छे से हमारी चुदाई देख सके.
दोस्तो, मैं महेश एक बार फिर से अपनी प्रेम से लबालब सेक्स कहानी में डुबोने हाजिर हूँ.
अब तक आपने पढ़ा था कि मैं शायरा के कमरे में अपने कॉलेज की टीचर और भाभी की बहन ममता की चुदाई कर रहा था.
अब आगे:
शायद ममता जी को मेरे नीचे लेटकर ऐसे मज़े लेता देख शायरा को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था, इसलिए वो नीचे से उठकर खिड़की पर खड़ी होकर लाइव ब्लू-फिल्म देखने लगी थी.
वो शायद सोच रही थी कि हम दोनों तो चुदाई करने में व्यस्त हैं, इसलिए उस पर कोई ध्यान नहीं देगा, मगर मैं चुदाई के बीच बीच में खिड़की की ओर देख ले रहा था.
हमारी चुदाई का जोश देख कर शायरा की हालत पतली हो रही थी. ममता जी की सिसकारियां अगर मुझमें इतना जोश बढ़ा रही थीं, तो शायरा का क्या हाल हो रहा होगा?
मैं सोच रहा था कि शायरा की पैंटी कितनी गीली हो गई होगी.
ये बात मेरे दिमाग में आते ही मैं और भी जोश में आ गया.
अब मैंने अपने हाथों के बल अपने शरीर को ऊपर उठा लिया और नीचे से अपनी पूरी तेजी व ताकत से ममता जी चुत में लंड के धक्के लगाने शुरू कर दिए.
ममता जी भी एक बार तो थोड़ा सा कराहीं, मगर वो भी तो पूरे जोश में थीं इसलिए अब उन्होंने भी अपने दोनों पैरों को मेरी जांघों में फंसा लिए थे और नीचे से अपने कूल्हों को जोरों से उचका उचका कर लंड को धक्के देने लगीं.
धमाकेदार चुदाई का सीन चल रहा था. मगर जल्दी ही ममता जी का संयम जवाब दे गया और उनकी चुत ने कामरस का ज्वार उगल दिया.
ममता जी की चुत ने पानी छोड़ा … तो वो ढीली पड़ गईं, मगर मेरा ज्वार उतरा नहीं था … इसलिए मैं अब भी वैसे ही उनकी चुत पर ताबड़तोड़ हमले करता रहा.
“आआह्ह्ह् … मम्मी बस्स्स … बस्स … अब छोड़ दे.”
ममता जी ने मुझे रोकते हुए कहा और दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया.
मेरे धक्के लगाने से ममता जी को दिक्कत हो रही थी, इसलिए कुछ देर के लिए मैं भी रुक गया और अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया.
ममता जी ने भी लंड के बाहर निकालते ही एक मीठी सी ‘आह ..’ भरी और अपनी आंखें बंद करके निढाल सी हो गईं.
अपना लंड ममता जी की चुत से बाहर निकालकर मैंने पहले तो एक नजर खिड़की की ओर देखा, फिर ममता जी की बगल में ही लेट गया.
शायरा अब भी खिड़की पर ही थी मगर वो मेरे देखते ही एकदम से नीचे बैठ गयी थी.
मैंने ममता की एक जोरदार चुदाई की थी, जिससे ममता जी खुश हो गई थीं.
मगर उधर शायरा की हालत शायद खराब हो गई थी. उसकी महीनों से चुदाई नहीं हुई थी, इसलिए उसकी चूत लंड की प्यासी थी.
ऐसे में चुदाई देखकर शायद उसका गला सूख गया था मगर चूत से पानी ही पानी निकल रहा था. शायद उसका वहां खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था, इसलिए भी हो सकता था कि वो नीचे बैठ गयी हो.
वैसे तो शायरा नीचे बैठ गयी थी और पहले के जैसे ही एसी के बगल से हमें अब भी देख रही थी.
मगर उसके नीचे बैठ जाने से मुझे अब ये डर लग रहा था कि कहीं वो वापस ना चली जाए. क्योंकि अभी तो उसको बहुत कुछ दिखाना बाकी था. ममता जी ने जिस चुदाई की मेरी तारीफ की थी, वो चुदाई उसे दिखानी थी, साथ ही उसको दिखाना था कि मुझमें कितना दम है.
ये बात मेरे दिमाग में आते ही मैंने तुरन्त ममता जी को फिर से पकड़ लिया.
मैंने पहले तो उनके गालों को चूमा, फिर दोनों हाथों से उनकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया.
ममता जी- ये क्क्.. क्या कर रहा है? थोड़ा रुक तो जा.
“अब रुकने का टाईम नहीं है … बहुत दिनों बाद मिली है ये …!” कहते हुए मैंने अपना हाथ उनकी चूचियों पर से नीचे ले जाकर सीधा ही अपनी दो उंगलियों को चुत में घुसा दिया, जिससे वो हल्का सा कराह उठीं.
ममता जी- आआह्ह्ह .. क्या कर रहा है … क्यों क्या अब तेरी भाभी नहीं देती?
उन्होंने कसमसाते हुए कहा और दोनों हाथों से मेरे हाथों को पकड़ लिया.
मैं- भाभी चोदने तो देती हैं … पर बच्चा होने के बाद ज्यादातर वो उसी में व्यस्त रहती हैं … और उनकी चुत भी अब थोड़ी ढीली भी पड़ गयी है.
नीचे से मैं उनके पकड़ने के बावजूद धीरे धीरे उनकी चुत में उंगली को अन्दर बाहर करने लगा.
ममता जी ने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़े पकड़े ही कहा- अच्छाआआ … कल को जब मेरी भी ढीली पड़ जाएगी फिर! फिर क्या करेगा!
मैं- फिर? फिर कोई और माल देखेंगे … हा … हा … हा.
मैंने हंसते हुए कहा और वैसे ही धीरे धीरे उनकी चुत में उंगली करता रहा.
ममता जी- सच में बड़ा कमीना है तू!
बाहर खिड़की से शायरा भी ये सब सुन रही थी.
मेरी और ममता जी की बातें सुनकर वो भी शायद अब यही सोच रही होगी कि मैं कितना बड़ा कमीना हूँ जिसने अपनी भाभी को भी नहीं छोड़ा.
मगर मेरे लिए ये अच्छा ही था क्योंकि उसे भी तो पता चले कि मैं कितना बिन्दास हूँ.
मैं- चलो छोड़ो … तब की तब देखेंगे … पर अभी तो टाइम खराब मत करो. बड़ी मुश्किल से ये मौका हाथ लगा है.
ये कहते हुए मैंने फिर से ममता जी को अपनी बांहों में भींच लिया.
ममता जी- ना मैं कहीं जा रही हूँ और ना ही तू कहीं जा रहा है … अभी पूरे तीन साल यही रहना है तुझे. फिर कभी चोद लेना.
मैं- फिर किसने देखा है जान … आज तो बड़ी मुश्किल से ये मौका मिला है.
ममता जी- हां … हां … सारी ठरक आज ही निकाल लेना … चाहे किसी की हालत खराब हो तो हो.
मैं- क्यों मजा नहीं आता क्या?
ममता जी- मजा आता है … तभी तो तेरे साथ यहां तक आ गयी. तेरी तो मैं मुरीद हूँ. पर थोड़ा सांस तो लेने दे. अभी तक बदन दुख रहा है, सारी हड्डियां चटका कर रख दी हैं तूने.
उन्होंने अंगड़ाई सी लेते हुए कहा. मगर मैं कहां रुकने वाला था. ममता जी को पकड़कर मैं सीधा उनके ऊपर आ गया और उनके होंठों को चूसने लगा.
“उह्ह् … ओय्य … थोड़ा रुक ना … बहुत गर्मी लग रही है … थोड़ा एसी को तेज कर दे.”
ममता जी ने मेरी बांहों में कसमसाते हुए कहा.
अब एसी को तेज करने की बात सुनते ही मुझे तो जैसे कोई झटका सा लगा. क्योंकि शायरा एसी के पीछे से ही तो छुपकर हमें देख रही थी.
मैं नंगा तो था ही, एसी को तेज करने के बहाने उसको उसको अपना लंड इतना करीब से दिखाने का मौका मुझे कहां मिलना था.
तो मैं भी जल्दी से उठकर खिड़की के पास चला गया और एसी को तेज करने के बहाने वहीं खड़े खड़े ही अपने लंड को सहलाने लगा.
मैंने एसी को तो बस दो पॉइंट ही तेज किया था … मगर शायरा के इतना करीब होने से मेरा लंड का तापमान कई गुना बढ़ गया.
मेरा लंड पहले ही तनतनाया हुआ था. ऊपर से शायरा को इतने करीब होने से वो और भी अपने विकराल रूप में आ गया.
लंड का सुपारा तो गर्म होकर एकदम टमाटर की तरह बिल्कुल सुर्ख लाल और पहले से भी काफी बड़ा हो गया था.
ममता जी की चुत का रस लगा होने से लंड बहुत चमक भी रहा था.
शायद उसकी तपिश को खिड़की के पीछे से शायरा भी महसूस कर रही होगी.
शायरा को अपना लंड दिखाने के लिए मैंने वहीं खड़े खड़े ही अपने लंड को पहले तो दो चार झटके से खिलाए.
फिर वापस ममता जी के पास बिस्तर पर आ गया.
वो अभी आंखें बंद किए पड़ी थीं.
बिस्तर पर आते ही मैं उन पर टूट पड़ा और उनके ऊपर चढ़कर सीधा ही अपना लंड उनकी चुत के मुँह पर लगा दिया.
उनकी चुत अभी भी गीली ही थी इसलिए जैसे ही मैंने धक्का मारा, तो एक ही धक्के में लगभग मेरा पूरा लंड उनकी चुत की नाजुक फांकों को चीरता हुआ अन्दर धंस गया.
और ममता जी की चीख निकल गई- आआआह्ह … म्म्म्म्म म्म्ईई ऊह्ह्ह!
ये कहकर ममता जी जोरों से चीख उठीं.
“लगता है तू आज मुझे चलने लायक भी नहीं छोड़ेगा.” ममता जी ने कराहते हुए कहा.
मगर मैंने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और सीधे ही धक्के लगाने शुरू कर दिए.
“आआ आह्ह्ह्ह्ह … मम्मी … उई.ईई श्श्शश … आआह्ह्ह्ह्ह …”
ममता जी तेजी से कराहने लगी थीं.
मगर मैं वैसे ही धक्के लगाता रहा.
ममता जी भी कुछ देर तो कराहती रहीं फिर उन्हें भी मजा आने लगा … इसलिए उन्होंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया.
चुदाई करते हुए मैं फिर से खिड़की की ओर देखता जा रहा था.
शायरा अब भी खिड़की पर ही थी और छुप छुपकर हमें देख भी रही थी.
उसको गीला करने का अब फिर से समय आ गया था.
इसलिए मैंने अपने धक्कों के माप को बढ़ा दिया और तेजी से धक्के लगाने लगा.
ममता जी को भी अब चुदाई में मजा आ रहा था, इसलिए मेरे धक्के लगाने से ममता जी के मुँह से मदभरी सिसकारियां निकलना शुरू हो गयी थीं.
मजा तो मुझे भी अब बहुत आ रहा था … मगर शायरा को मेरी चुदाई करने का तरीका दिखाने के लिए मैंने अब ममता जी के ऊपर से उठकर उन्हें घोड़ी बना लिया.
ममता जी को घोड़ी बनाकर मैंने पहले तो उनके दोनों चूतड़ों पर एक एक थप्पड़ मारा.
फिर मैंने उनके चूतड़ों पर उसी जगह जोरों से चूम लिया.
“आह्ह्ह … उईईईई … क्या कर रहा है.” ममता जी ने कराहते हुए कहा.
उनके चूतड़ों को चूमकर मैंने दोनों चूतड़ों को पकड़ कर फैला दिए.
इससे उनकी गांड का छेद एकदम भूरा सामने आ गया था.
मेरा एक बार तो दिल किया कि लंड उनकी गांड में ही घुसा दूँ मगर ये सोचकर रह गया कि कहीं वो बुरा ना मान जाए.
अब ममता जी को घोड़ी बनाकर मैंने एक बार फिर से अपना लंड उनकी चुत में घुसा दिया, जिससे वो एक बार तो हल्का सा कराहीं … मगर फिर जल्दी ही वो शांत पड़ गईं.
मेरे तेज तेज धक्के लगाने से मेरी जांघें ममता जी के भरे हुए मांसल कूल्हों से टकरा रही थीं जिससे उनकी मीठी सिसकारियों के साथ साथ कमरे में जोर जोर की ‘पट … पट …’ की आवाजें भी निकलना शुरू हो गयी थीं.
आवाज ज्यादा हो रही थी मगर मैं रुका नहीं. ममता जी की चुत चोदता गया.
मैं ऐसे ही दस मिनट तक लगातार धक्के लगाता रहा, क्योंकि ऐसे धक्के मारने में मुझे कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था.
वैसे तो ममता जी भी मेरे लंड को अपनी चुत में लेकर खुश थीं, मगर ऐसे में शायद शायरा को इतना कुछ देखने को नहीं मिल रहा था.
इसलिए मैंने थोड़ी देर तक तो ममता जी को वैसे ही घोड़ी बनाकर चोदा … फिर दोनों हाथों से उनकी कमर को पकड़कर एक तरफ को लेट गया.
ममता जी का मु्ँह अब खिड़की की तरफ हो गया था और मैं उनके पीछे था.
ममता जी का मुँह खिड़की की ओर होने से उनकी चुत भी अब खिड़की की तरफ हो गयी थी. ऐसा मैंने जानबूझकर किया था ताकि शायरा अच्छे से हमारी चुदाई देख सके.
ऐसे लेटने से मेरा लंड अब ममता जी की चुत से बाहर निकल आया था इसलिए मैंने उसकी उनकी एक टांग को ऊपर हवा में उठाया और पीछे से अपने लंड को फिर से उनकी चुत पर रख दिया.
अपने लंड को ममता जी की चुत पर लगा कर मैंने एक नजर शायरा की ओर देखा और अगले ही पल जोरदार धक्का लगा दिया.
इस धक्के से ममता जी के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गयी- आह मर गई रे आआअहह … आहह हरामी कितनी तेज पेलता है … हायईई आराम से पेल साले.
ममता जी की चीख इस बार कुछ ज्यादा ही तेज निकली थी और इस बार वो छटपटाई भी थीं.
मगर फिर भी मैं रुका नहीं. मैं उन्हें वैसे ही पकड़े रहा और उनकी एक टांग को पकड़कर नीचे से लंड के धक्के लगाने शुरू कर दिए.
ममता जी कुछ देर तो ऐसे ही छटपटाती और कराहती रहीं, फिर वो भी शांत हो गईं.
उन्होंने भी अब खुद को और अपनी चुत को मेरे लंड के हिसाब से अड्जस्ट कर लिया था. इसलिए उनकी टांग को पकड़ कर मैंने उन्हें जोरों से चोदना शुरू कर दिया.
ममता जी को भी अब मजा आ रहा था इसलिए उनके मुँह से फिर से तेज सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं.
जिसे देख कर शायरा फिर से पहले की तरह ही खिड़की पर खड़ी हो गयी और खड़े होकर हमारी चुदाई देखने लगी.
ममता जी की चुत अब एकदम खिड़की की तरफ ही थी और मैं उनकी एक टांग उठाकर पीछे से धक्के लगा रहा था.
इसलिए मेरे लंड को ममता जी की चुत में अन्दर बाहर होते शायरा आसानी से देख पा रही थी.
मेरी एक नजर ममता जी पर थी, तो दूसरी शायरा पर थी … जो कि अब बेखौफ खिड़की से खड़े होकर हमारी चुदाई देख रही थी.
मैं भी उसको ममता जी की चुत में अन्दर बाहर होते अपने लंड को दिखाने के लिए कभी धीरे धीरे … तो कभी तेज तेज धक्के लगाने लगा, जिससे ममता जी की आवाजें भी तेज हो गईं.
मैं इस समय पूरे जोश में धक्के लगा रहा था, जिससे ममता जी की कामुक आवाजें ही मुझे सुनाई दे रही थीं. जबकि मेरा मन तो शायरा की तरफ था.
ममता- आईई … आआह्ह्ह्ह … उईईई … श्श्शशश … क्या खा लिया है तूने … आह बहुत अन्दर तक लंड पेल रहा है … आह आज तो मजा आ गया.
वो जोरों से किलकारियां सी मारने लगी थीं.
फिर कुछ देर बाद ही उनकी चुत ने कामरस उगल दिया. रस स्खलित होते ही ममता जी फिर से कसमसाने लगी थीं.
एक बार चुत झड़ जाती है तो कुछ देर के लिए चुत वाली की कसमसाहट का बढ़ जाना स्वाभाविक ही होता है.
मगर इस बार मैं रुका नहीं.
ममता जी को शायद अब दिक्कत होने लगी थी इसलिए वो छटपटाने लगीं और कराहते हुए मुझे रुकने को भी बोलने लगीं.
मगर मैं रुका नहीं.
मेरा भी चरमोत्कर्ष अब करीब ही था, इसलिए मैं उन्हें वैसे ही पकड़े चोदता रहा और जोरो से लंड चुत में अन्दर बाहर करता रहा.
कुछ देर बाद ही में मैं भी अपनी मंजिल पर पहुंच गया.
मैंने चार पांच धक्के अपनी पूरी तेजी व ताकत से लगाए और हल्के हल्के धक्कों के साथ उनकी चुत को अपने ज्वार से भरना शुरू कर दिया.
ममता जी भी हल्के स्वर में कराहती हुई धीरे धीरे शांत पड़ गईं.
कुछ देर तक मैं और ममता जी ऐसे ही पड़े रहे. ममता जी पहले तो हल्का सा कसमसाईं. शायद उन्होंने अपनी चुत को हाथ लगाकर देखा था. फिर जल्दी से वो बिस्तर से उठकर नीचे खड़ी हो गईं.
अब इसके आगे की सेक्स कहानी को अगले भाग में लिखूंगा. आप मेल करना न भूलें.
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कहानी जारी है.