यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
मेरे धक्के लगाने से ममता को मज़ा आ रहा था, मेरे धक्कों की ताल से ताल मिलाकर वो भी नीचे से अपने कूल्हों को उचका रही थीं. यह नजारा शायरा देख रही थी.
पाठको और पाठिकाओ, मैं महेश फिर से आपके सामने अपनी प्रेम कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
अब तक की सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि मैं शायरा के घर में अपनी जुगाड़ ममता को चोदने के लिए ले आया था. तभी शायरा भी घर वापस आ गई.
अब आगे:
शायरा शायद सोच रही थी कि हमें उसके बारे में मालूम नहीं है, इसलिए वो छुप छुप कर आगे बढ़ रही थी.
मगर खिड़की से वो मुझे साफ नजर आ रही थी.
शायरा कुछ देर तो किचन की ओर बढ़ती हुई मुझे दिखाई देती रही, फिर शायद वो किचन में घुस गयी थी.
इसलिए मुझे नजर आना बन्द हो गयी.
पता नहीं किचन में वो क्या करने गयी थी और क्या नहीं, मगर वो अब मुझे दिखाई नहीं दे रही थी, जिससे मुझे अब फिर थोड़ी घबराहट होने लगी.
उधर ममता को नहीं पता था कि क्या हो रहा है … इसलिए वो बिस्तर पर लेट गयी थीं. मगर मेरी नजरें तो अब भी शायरा को ही तलाश कर रही थीं.
शायरा कुछ देर तो मुझे नजर नहीं आई. मगर ममता ने बिस्तर पर लेटकर जैसे ही मुझे पकड़कर अपने ऊपर खींचा, मेरी नजरें पीछे बालकनी वाली खिड़की की ओर चली गईं.
खिड़की पर तेज धूप के कारण नीले रंग का सा प्रकाश अलग ही नजर आ रहा था.
वो शायद शायरा थी, जो कि किचन के रास्ते से बालकनी में आ गयी थी और एसी के पीछे छुपकर खिड़की से हमें देखने की कोशिश कर रही थी.
दरअसल किचन और कमरे का एक एक दरवाजा बालकनी में भी खुलता था.
अब शायरा हमें सामने से तो देख नहीं सकती थी … और कमरे के अन्दर देखने के लिए कहीं और से कोई जगह थी नहीं. इसलिए वो अब किचन के रास्ते से बालकनी में आ गयी थी.
वो शायद नीचे बैठी हुई थी और एसी के बगल में जो खाली जगह रह गई थी, वहां से हमें देखने की कोशिश कर रही थी. नीचे बैठी होने के कारण शायरा मुझे साफ तो नजर नहीं आ रही थी मगर तेज धूप के कारण उसके कपड़ों का नीला रंग खिड़की पर फैला हुआ अलग ही नजर आ रहा था.
मैंने तो सोचा था कि वो हमारी आवाज सुनकर या तो दरवाजा खुलवाकर हमें खूब खरी-खोटी सुनाएगी, या फिर वो वहां से चुपचाप वापस चली जाएगी.
मगर उसके इस तरह छुप छुपकर हमें देखने से मेरे दिल में अब एक और ही नयी योजना ने जन्म ले लिया.
मैं सोच रहा था कि अब जब शायरा ने हमें देख ही लिया है और वो कुछ बोल भी नहीं रही है. इसलिए क्यों ना उसे आज मेरी और ममता की चुदाई का सीधा प्रसारण ही दिखा दिया जाए.
वो पहले ही प्यासी है और अब मेरी और ममता की चुदाई का सीधा प्रसारण देखेगी, तो मेरे लिए ये अच्छा ही होगा.
क्योंकि मेरा लंड जाएगा तो ममता की चूत में, मगर पानी तो शायद शायरा की चूत से भी निकाल ही देगा.
ये बात मेरे दिमाग में आते ही मुझमें एक नया ही जोश भर गया.
मैंने एक ही झटके में ममता के बदन से उनके सारे कपड़े छिलके की तरह नौच डाले, जिसमें ममता ने भी मेरा पूरा साथ दिया.
ममता के कपड़ों को उतारकर मैं सीधा ही उनके होंठों पर टूट पड़ा. ममता भी शायद आज अपनी आग पूरी तरह से बुझाने के इरादे से मेरे साथ आई थीं … इसलिए वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
हम दोनों ही एक दूसरे के होंठों व जीभ को जोरों से चूम-चाट रहे थे और पूरा मजा ले रहे थे.
मगर हमारे इस चुम्बन का बाहर खिड़की पर खड़ी शायरा पर शायद कुछ और ही असर हो रहा था. वो पहले ही प्यासी थी … ऊपर से हमारे इस गर्मागर्म सीन को देखकर जरूर वो वासना की आग में जलने लगी थी.
ममता के होंठों को चूसते चूसते मैं उनकी चूचियों पर आ गया था … इसके साथ ही मैंने अपना एक हाथ भी उनकी चुत पर ले आया था. जिससे ममता के मुँह से मीठी मीठी सिसकारियां फूटना शुरू हो गयी थीं.
शायरा को जलाने में मैं कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहता था … क्योंकि जितना ज़्यादा मज़ा ममता लेंगी, उतना ही शायरा जलेगी.
जो मेरे लिए अच्छा था.
मैंने ममता के होंठों से चूमना शुरू किया था … मगर धीरे धीरे उनकी भरी हुई चूचियों पर से चूमते चाटते मैं अब उनकी चुत पर आ गया. इससे ममता जल बिन मछली की तरह तड़प उठीं.
और उधर शायरा को भी चुत चटते देख कर आग लग गई होगी.
“आआ आआहह … आअहह … हाआय यइईई … बस्स … अब कुछ आगे भी करऊओ ओह आग लग गई है.”
ममता ने तड़पते हुए कहा और दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर अपनी चुत पर दबा लिया.
ममता का आशय मैं समझ गया था इसलिए मैंने अब उनकी चुत को ही चूमना और चाटना शुरू कर दिया, साथ ही साथ ही मैंने ममता को खींचकर थोड़ा सा टेढ़ा भी कर लिया ताकि शायरा भी मुझे ममता की चुत को चाटते हुए अच्छे से देख सके.
मेरी जीभ के साथ साथ ममता ने अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था, जिससे मेरा जोश और भी बढ़ गया था.
मैंने भी अपनी जीभ पूरी निकालकर उनकी चुत को चूसना और चाटना शुरू कर दिया था. ममता अब जोरों से सिसकारियां लेने लगी थीं. वो मुझे लंड पेलने के लिए कह रही थीं, मगर मैं कुछ देर यूं ही ममता की चुत चाटता रहा.
“अकेले अकेले ही मजा करोगी क्या?” मैंने उसकी चुत पर से मुँह हटाते हुए कहा.
“तो क्या करूं? तुम … तुम ये पहले कपड़े तो निकालो?” ममता ने खीजते हुए कहा.
मुझे भी ध्यान आया कि मैंने ममता को तो पूरी नंगी कर दिया था मगर खुद अभी भी सारे कपड़े पहने हुए था.
इसलिए देर ना करते हुए मैंने भी अब जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार फेंके और बिल्कुल नंगा होकर ममता के ऊपर उल्टा 69 की पोजिशन में लेट गया.
ममता के ऊपर लेटकर मैंने एक बार फिर से अपना सिर उनकी जांघों के बीच घुसा दिया और उनकी चुत को चाटने लगा.
उधर नीचे से मेरा लंड ममता के मुँह के पास था, जिसका उन्होंने भी अपना पूरा मुँह खोलकर स्वागत किया और अपने मुँह में पूरा लंड भरकर जोरों से चूसना चाटना शुरू कर दिया.
हम दोनों ही अब एक दूसरे के अंगों को जोरों से चूस और चाट रहे थे.
मैं एक साथ अपनी दो दो उंगलियां उनकी चूत में डाल कर चुत को जीभ से चाट रहा था.
दूसरी तरफ ममता भी अपना मुँह खोल कर ज़्यादा से ज़्यादा मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थीं.
ममता की चुत चाटते चाटते मैं तिरछी नज़रों से खिड़की की तरफ भी देख ले रहा था. शायरा अब भी वहीं थी मगर वो शायद अपनी चूत पर हाथ घुमाने के सिवा कुछ नहीं कर पा रही थी.
वो पूरा कमरा मेरी और ममता की मादक सिसकारियों से गूंज रहा था.
हम दोनों में से कोई भी रुकना नहीं चाहता था.
जितनी तेजी से ममता मेरे लंड को चूस रही थीं, उतनी जोर से मैं भी उनकी चुत को चाट रहा था.
इसका परिणाम ये निकला कि कुछ ही देर में हम दोनों अपने अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गए.
हम दोनों के बदन अकड़ गए और हम दोनों ने ही रह रह कर एक दूसरे के मुँह में अपना अपना काम ज्वार उंगलना शुरू कर दिया. उस रस को हम दोनों पीते भी चले गए.
ममता की चुत का सारा रस पीने के बाद मैं तो उन्हें छोड़ देना चाहता था मगर वो मुझे वैसे ही अपनी जांघों के बीच दबाए पड़ी रहीं. ममता के ऐसे दबाए रहने से मेरा दम सा घुटने लगा था … मगर मैंने उन्हें कुछ कहा नहीं क्योंकि उनका चरमोत्कर्ष कुछ ज्यादा ही उग्र था.
कुछ देर बाद जब उनका ज्वार उतर गया और उन्होंने मुझे छोड़ा तो मुझे राहत मिली.
“हहाआह्ह … क्या है … इतनी जोर से दबाते हैं क्या … जान ही निकाल दी मेरी ..!”
मैंने ममता पर से उठते हुए कहा और उनके पैरों की तरफ से उठकर उनकी बगल में लेट गया.
“क्या करूं जान? मैं भी तो बहुत दिनों से प्यासी हूँ. काफी दिनों बाद आज जाकर इतना मजा आया है.” ममता ने आह सी भरते हुए कहा.
“क्यों … आपका पति नहीं करता क्या?” मैंने ये जानबूझकर शायरा को सुनाने के लिए ममता से पूछा था.
“वो करता तो है मगर तेरे जैसे बिल्कुल भी नहीं … बस अन्दर पेला और पुल्ल पुल्ल करके खत्म हो जाता है.”
ममता ने गहरी सांस लेते हुए कहा और मेरे एक गाल को जोरों से चूम लिया. ममता ने सीधे सीधे मेरी इस चुदाई करने के तरीके की तारीफ की थी जो शायद शायरा ने भी सुनी.
सुनी क्या … वो खुद देख भी तो रही थी.
अब ये देखने वाली बात थी कि वो ये मौका मुझे कब देती है.
मैंने दिल में ही सोचा कि शायरा की चुत मिलने की उम्मीद तो बहुत है, पर देखो कब लंड को मजा मिलता है.
खैर … मैं शायरा के बारे में सोच ही रहा था कि तभी ममता की आवाज आई- क्या हुआ … क्या सोचने लगा?
ममता ने मेरे गाल को फिर से चूमते हुए कहा.
“क्क्..कुछ नहीं यार … बस एक ‘अप्सरा’ के बारे में सोच रहा था!”
मैंने शायरा को सुनाने के लिए अब जानबूझकर ये जिक्र छेड़ दिया.
ममता- कौन अप्सरा?
मैं- अरे … शायरा, जिसका ये घर है, उसे तो शायद तुम भी जानती होगी?
ममता- कौन शायरा? कहीं तुम उस बैंक वाली लड़की की तो बात नहीं कर रहे हो?
मैं- हां वही शायरा.
“य्य.. ये.. ये उसका घर है? तू मरवाएगा क्या मुझे … अगर वो आ गयी तो जानते हो क्या होगा?”
मैंने अभी तक ममता को बताया नहीं था कि ये किसका घर है, इसलिए उसने थोड़ा डरते हुए कहा.
मैं- नहीं आएगी. अभी तो वो बैंक में होगी.
मुझे पता था कि शायरा पीछे खिड़की पर ही खड़ी है और हमारी बातें सुन भी रही है.
मगर ये बात ममता को नहीं पता थी.
ऊपर से मैं ये बात शायरा को भी सुनाना चाहता था कि हमें उसके बारे में पता नहीं है.
इसलिए मैंने थोड़ा जोर से कहा.
ममता- उसके साथ भी चक्कर है क्या तेरा?
मैं- नहीं … चक्कर तो नहीं है मगर उसके बारे में सोचता जरूर रहता हूँ.
मैंने सीधा सीधा ही ये कहा ताकि बहाने से ही सही, मगर उसे भी तो पता चले कि मैं उसके बारे में क्या सोचता हूँ.
ममता- क्यों? उसके पास कुछ अलग छेद है क्या?
मैं- अलग तो नहीं है, पर उसकी चुचियां आपसे काफी बड़ी हैं.
ममता- तो फिर उसी को लेकर आता ना, मुझे क्यों लेकर आया है यहां?
मैं- आप गुस्सा क्यों हो रही हो. वो तो आपने पूछा, इसलिए बता रहा हूँ. नहीं तो मेरी ऐसी किस्मत कहां? पर देखो ना उसका नाम लेते ही ये कैसे खड़ा हो गया है.
मैंने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, जो कि तन कर फिर से खड़ा हो गया था.
सही में मेरा लंड अब फिर से खड़ा हो गया था … जो कि खिड़की से शायद शायरा भी देख रही थी.
मैंने ये उसको सुनाने के लिए कहा था, मगर मेरे ऐसा कहने से ममता जल-भुन गई.
“तुमको जो करना है करो, पर मेरे सामने किसी और का नाम मत लो.” ये कहते हुए ममता ने मेरे होंठों पर अब जोर से काट लिया.
“आह्ह … अच्छा बाबा नहीं लेता, अब बस प्यार करते हैं.”
मैंने कनखियों से एक नजर शायरा की तरफ देखते हुए कहा और ममता को फिर से अपनी बांहों में भरकर उसके गालों को चूमने लगा.
शायरा अब भी खिड़की पर ही थी.
एक दो बार ममता के गालों को चूमने के मैं धीरे से उनके ऊपर आ गया और मैंने उनके नर्म नर्म रसीले होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
ममता तो इसके लिए पहले से ही तैयार थी, इसलिए मेरे ऊपर आते ही उन्होंने भी अपनी टांगों को फैलाकर मुझे अपनी दोनों जांघों के बीच में ले लिया.
मैंने भी उनके होंठों को चूसते ही एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर उनकी चुत के मुँह पर लगा लिया.
और ममता जब तक कुछ समझती, तब तक मैंने एक जोर का धक्का मारकर अपना आधे से ज्यादा लंड चुत में घुसा दिया.
वैसे तो ममता लंड लेने की लिए पहले से ही तैयार थीं और उनकी चुत भी गीली होकर बिल्कुल चिकनी हो रही थी … मगर फिर भी वो लंड लेते ही चीख पड़ी- आआअहह … ऊओउऊ … आआअहह … पूरा बेरहम है साले … एकदम से घुसेड़ दिया.
ये कहकर ममता ही जोरों से कराह उठीं.
मैंने कहा- आपने छेद खोला ही लौड़े के लिए था तो मैंने पेल दिया.
ये कह कर मैंने एक जर्क और मार दिया.
“क्या कर रहा है मारेगा क्या? आराम से कर ना … आह कितने दिन बाद तेरा ले रही हूँ.”
ममता ने कराहते हुए कहा.
मगर अब आराम से करने का समय कहां था.
ममता की उस गहरी गुफा की गर्मी अपने लंड पर पाकर मैं तो जैसे पागल ही हो गया था.
इसलिए मैंने वैसे ही अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचकर एक धक्का फिर से लगा दिया.
अबकी बार लगभग मेरा पूरा लंड उनकी चुत में समा गया और ममता की मां चुद गई थी.
“आआह्ह्ह् … ओय्य् … मार दिया मादरचोद ने.” ये कहकर वे फिर से जोरों से चीख पड़ीं.
मैं लगा रहा.
“लगता है तू आज वापस घर नहीं जाने देगा? मेरी जान यहीं निकालेगा … आह.”
ममता ने कराहते हुए कहा.
“क्या करूं जान, अब सब्र ही नहीं होता.” मैंने उनकी आंखों में देखते हुए कहा और वैसे ही धीरे धीरे अपनी कमर को हिला हिलाकर धक्के लगाने शुरू कर दिए.
ममता भी कुछ देर तो हल्का हल्का कराहती रहीं, मगर जल्दी ही उनकी चुत कामरस से भर गयी और उनकी कराहों की जगह अब कामुक सिसकारियों ने ले ली.
मादक सिसकारियां सुनकर मुझमें भी जोश आ गया था. इसलिए मैंने भी अपने धक्कों की गति को बढ़ा दिया.
मैंने बहुत तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए जिससे ममता की वासना से भरी हुई सिसकारियां और तेज हो गयी थीं.
साथ ही उन्होंने भी अब नीचे से अपने कूल्हों को उचका उचका कर धक्के लगाने शुरू कर दिए थे.
ममता के दोनों पैर भी अब मेरी जांघों पर आ गए थे और वो मुँह से ‘उईई … श्श्श्श श्शश … आआह्ह्ह … ईईईई … श्श्श्श्शश … आआह्ह्ह.’ की जोरों से सिसकारियां निकालते हुए मेरे हर धक्के का जवाब नीचे से अपने कूल्हों को उचका उचका कर देने लगी थीं.
मेरे धक्के लगाने से ममता को अब मज़ा आ रहा था … इसलिए मेरे धक्कों की ताल से ताल मिलाकर वो भी नीचे से अपने कूल्हों को उचका रही थीं. मगर ममता के इस मजे को देख शायरा शायद जल रही थी.
ममता की चुदाई करते करते मैं बीच बीच में हल्की सी एक नजर खिड़की की ओर भी देख ले रहा था. शायरा अब भी खिड़की पर ही थी, मगर वो अब नीचे से उठकर खिड़की पर खड़ी हो गयी थी.
तो दोस्तो, इस बार आपको सेक्स कहानी में कैसा लगा … प्लीज़ मेल करना न भूलिएगा.
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कहानी जारी है.