यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
इस कहानी के प्रथम भाग में अब तक आपने पढ़ा कि मेरी सहेली सोनम के मामा का लड़का मेरे ऊपर डोरे डाल रहा था. मुझे भी उसे देख कर न जाने क्यों कुछ कुछ होने लगा था.
अब आगे:
इस वक्त रात के करीब तीन बजे थे. मुझे सुसु लगी, सोनम दिख नहीं रही थी. वहां गांव के कारण बाहर खुले में करना था, तो मैं उठी, बाहर थोड़ी दूर गयी जिधर एकांत था. झाड़ी के पीछे सलवार खोल कर बैठी कि इतने में अचानक दो लड़के आ गए. एक मेरे गांव का पटेल है गांव की स्कूल में बारहवीं में पढ़ता था. मैं नाम से तो नहीं जानती, पर पहचानती थी … और एक गांव का नहीं, बाहर का लड़का था. वह पटेल से थोड़ा सा बड़ा था. वे दोनों मुझसे लिपट गए. मैं जान ही नहीं पाई कि वो मेरे पीछे पीछे कब आ गए.
इस तरह से आज मेरे साथ दूसरी बार हुआ. अभी इसके थोड़े दिन पहले करीब चार-पांच महीने पहले हुआ था, जब मैं लेट्रीन करने अपनी कजिन सिस्टर के साथ गई थी. तब रात के 8 बजे रहे होंगे, अंधेरा हो गया था. तब दो लड़के ही वह गांव के ही आदिवासी थे, वो भी दारूखोर नशे में थे. हम दोनों जैसे लेट्रीन करने बैठे, वे कमीने हम दोनों से लिपट पड़े. पहले मेरी कजिन से दोनों एक साथ वहीं लेट्रीन करते में ही पटक कर चढ़ गए. मेरी सिस्टर कजिन की शादी हो चुकी थी. हालांकि वो अभी छोटी ही थी, पर बड़े पापा ने उसकी शादी जल्दी कर दी थी. वो ससुराल से आई थी. हम दोनों में बड़ी दोस्ती थी, तो साथ ही बाहर जाते थे. वहां पहले वे उसी से लिपटे और उसके तो अन्दर अपना सामान तक डाल दिया था, लेकिन जब मैं चिल्लाई कि मेरी बहन को छोड़ो. तो एक मेरे पास आकर मुझसे लिपट कर मुझे वहीं गिरा कर मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने अपनी चड्डी उतार कर जैसे ही जल्दी जल्दी डालने को किया. मैंने अपनी जांघें समेट लीं और फिर चिल्ला दी.
उसने मेरा एक हाथ से मुँह दबा दिया और मेरी टांगें चौड़ी करने लगा कि तभी कोई आदमी टॉर्च लिए उधर से आ रहा था.
आहट सुनकर वे दोनों जल्दी जल्दी उठे और भाग गए. हमारे गांव में अक्सर ऐसी घटनाएं होती हैं. मैं उस अपनी सिस्टर को बोली कि चल घर में बताएंगे.
तो उसने मना कर दिया कि हट पगली इससे कुछ नहीं होता, फालतू हमारी ही बदनामी होगी … सब लोग हम दोनों पर हंसेंगे और घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा. फिर आए दिन कोई भी ये सब करने लगेगा … इसलिए भूलकर कभी ऐसी गलती नहीं करना. आज तो तू मेरे साथ है, तुझे तो उसने कुछ किया ही नहीं है. तेरा पहली बार है मेरे साथ तो यहीं जब लेट्रीन आई थी, तब एक बार दो साल पहले और एक बार खेत में दो बार पूरा हो चुका है … बहुत किया था सालों ने पटक कर … पर मैंने आज तक घर में नहीं बताया … ना कभी बताऊंगी. शायद ही कोई ऐसी लड़की हो, जिसके साथ कभी ना कभी ऐसा ना होता हो. हम लोगों को ऐसे अँधेरे में एकांत झाड़ियों में लेट्रीन करने नहीं आना चाहिए. अब आते हैं तो थोड़ा तो ऐसा हो ही जाता है. यहां सब दारूखोर लोग घूमते रहते हैं. जब कोई ऐसे ही फंस जाती है, तो उससे ये नशेड़ी अपने मजे ले लेते हैं. अभी तुझे तो बंध्या पटका ही था और सिर्फ चढ़ा था … कुछ कर नहीं पाया और मेरे तो अन्दर डाल के थोड़ी देर अन्दर बाहर भी किया, पर कोई बात नहीं … हो गया चलता है ये सब. तू घबरा नहीं.
उसने मुझे बहुत समझाया. तब मैं कैसे भी रुकी और फिर घर में कुछ नहीं बताई.
यह आज मेरे साथ दूसरी बार था. जब मैं अकेली बाहर आई थी. मैं जैसे ही सलवार खोल के पेशाब करने झाड़ी के पीछे बैठी थी. पेशाब करना शुरू भी नहीं किया था कि दोनों लड़के मुझसे लिपट गए. एक ने मेरी सलवार को नीचे खींच दिया. मेरे हाथ पकड़े, ये सब इतना जल्दी हुआ कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं मुँह से जोर से मम्मी कहकर चिल्लाई. बस मैंने ये आवाज निकाली ही थी.
अब वह जो मेरे गांव वाला पटेल था, वो धीरे-धीरे आवाज में बोला- साली तेरे पीछे मैं दो तीन महीने से पड़ा हूं, तू और तेरी सहेली नीलू तुम दोनों उस नीच जात से फंसी हो. मैंने कई दिन देखा है. स्कूल से गोल मारते उसके साथ तुम उधर इमली और बेर लेने के बहाने जाती हो. बामण होकर उससे चुदवाती हो. मैंने जब से तुझे देखा, तब से सोचा कि किसी दिन फंसेगी, तो तेरी सारी चुल्ल मिटा दूंगा. आज जब तू यहां शादी में दिखी, तो मैं तब से तेरे ऊपर नजर लगाए था. अभी तू छोटी क्लास में है, पर अभी से कितना लिपस्टिक मेकअप करके निकलती है. तुझे बहुत चुदाई की प्यास है. मैं देख रहा था कि लड़के तेरे को कैसे स्कूल में और अभी यहां भी लाइन मार रहे थे. तू कैसे सबको लाइन देती है. मैं बस ताक में था कि तू इधर-उधर हो और तुझसे मिलूं, बात करूं. तू खुद ही चली आई, वो भी ऐसा मौका दे दिया कि मैं अपनी इच्छा पूरी कर लूं.
पटेल मेरी सलवार नीचे पैर के उतारने लगा. मैंने उसका हाथ झटक कर पकड़ लिया और विरोध करने लगी. खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. पर वो एक नहीं माना. मेरे मन में भी था कि देखूँ ये क्या क्या करते हैं, मैं दिखावे के लिए विरोध कर रही थी.
वो अपने दोस्त को बोला- अबे पकड़ ठीक से इसके दोनों हाथ … बस कस के पकड़ … फिर बताता हूं साली को, सबको बांटती है और हमसे नाटक दिखा रही है.
उस दूसरे लड़के ने मेरे हाथ पकड़ कर ऊपर दबा लिया. तब वो पटेल ने मेरी सलवार को नीचे उतार कर बगल में रख दिया और बोला- तू बंध्या मस्त चिकनी माल है. ये ओहहह … क्या जांघें हैं तेरी … लगता है चाटता ही रहूं.
वो मेरी जांघों को अपनी जीभ से चाटने लगा. मुझे बहुत अजीब अजीब सा लगाने लगा, कुछ समझ नहीं आ रहा था.
तभी वो पटेल का दोस्त बोला- अबे जल्दी कर … किसी और दिन चाटा-चूटी कर लेना, अभी जल्दी चोद इसको.
तब पटेल मेरी पेंटी को भी नीचे करने लगा और उसने मेरी पैंटी को उतार के फेंक दिया. उसका जो दोस्त मुँह दबाए था. वह फिर से बोला कि जल्दी कर … बात करने का टाइम नहीं है, जल्दी लंड डाल … मस्त माल है, कितनी चिकनी है. मेरा लौड़ा भी खड़ा हो गया. सही माल के पास लाया है तू … पर इसके दूध तो दिख ही नहीं रहे.
वो गांव का पटेल बोला- अरे तू दबा तो … दबाने से बड़े होंगे. वह कुर्ता के ऊपर से ही जोर से मेरा सीना दबाने लगा. मेरे बूब्स नन्हें-नन्हें से थे, पर वो दबाए जा रहा था.
इतने में वो बोला- यार थोड़ा इसको गर्म कर … तब तो यह चुदवाएगी … नहीं तो यह किसी को बता देगी, तो सब गड़बड़ हो जाएगा. फिर पूरे गांव में लफड़ा भी होगा.
पटेल बोला- कैसे गर्म करूं यार … बात तो तू सही बोल रहा है.
पटेल का वो दोस्त बोला कि सबसे जल्दी लड़की चुत चाटने से गरम होती है. सब कहते हैं और मैंने पढ़ा भी है. तू इधर आके हाथ पकड़ इसके … मैं नीचे तरफ आकर गर्म करता हूं.
तो पटेल बोला- रहने दे … तू सब्र कर पहले बंध्या को मैं ही चोदूंगा. करीब छः महीने से इसके नाम की मुट्ठ मारी है आज फंसी है.
वो दोनों कितनी गन्दी गन्दी बातें कर रहे थे. वो दोनों एक-दूसरे का नाम नहीं ले रहे थे, तो मैं उनका नाम भी नहीं जान पायी.
अब पटेल मेरी दोनों टांगों को चौड़ा करते हुए मेरी जांघों के पास आके बैठ गया. उसने अपनी हथेली से मेरी चुत को छुआ और सहलाने लगा. मैं वासना से कांप गई और उत्तेजना से छटपटाई.
पटेल बोला- तूने अपनी झांटें साफ़ की हुई हैं … बंध्या तू बड़ी चुदक्कड़ है … आगे जाके रंडी बनेगी क्या … अपनी मम्मी की तरह … मैं सब जानता हूं तेरे घर के बारे में. बाप तेरा मुंबई में काम करने जाता है और तेरी मम्मी, जो भी पैसे वाला दिखा, उसे फंसा लेती हैं.
मुझे उसकी इस बात का बहुत बुरा लगा. जब उसने मम्मी के लिए ऐसा बोला. मैं अपनी मम्मी से ज्यादा किसी को नहीं मानती.
अब वो पटेल के लड़के ने अपना मुँह ले जाकर मेरी चुत में रखा और उसे सूंघने लगा. आज मेरी जिंदगी में कोई ने पहली बार मेरी चुत में मुँह रखा था.
पटेल ने पहले तो बोला- तेरी चूत की अजीब सी नशीली गन्ध है … बड़ी मस्त लग रही है.
इतना कहते हुए अपनी जीभ निकाल ली. उसने जैसे ही मेरी चुत में अपनी जीभ डाली, मैं उत्तेजना से उछल पड़ी. ये मेरी जिंदगी में मेरी बाली उमर का पहला लड़का था, जिसने आज पहली बार मेरी चुत को अपने हाथों से छुआ और फिर चाटा भी. वो भी इस हालत में झाड़ी के पीछे तीन बजे रात में.
अब वो अन्दर तक अपनी जीभ डाल कर जोर से चुत को चाटने लगा. उसकी इस हरकत से मुझे पता नहीं क्या हुआ. थोड़ी देर बाद में मुझे लगने लगा कि आज जो भी हो रहा था, सब मस्त हो रहा था. ये लाइफ में फर्स्ट टाइम हो रहा था.
तभी उसका दोस्त जो मेरे सर की तरफ मेरे हाथ और मुझे पकड़े बैठा था. वो पटेल को बोला कि साली क्या मस्ती से चुत चटवा रही है. ये तेरी आइटम बंध्या साली मचली जा रही है यार … तुझे चाटते हुए देखकर मेरा लंड भी अब इसे चोदने के लिए फड़फड़ा रहा है यार … क्या करूं मुँह छोड़ दूंगा, तो साली चिल्लायेगी. फिर भगना पड़ेगा इसे छोड़कर.
उसने ये कहते हुए एक हाथ से अपनी जिप खोली और अपना लंड निकाल कर लंड को मेरे गालों पर टच कराने लगा. मेरी छोटी सी उम्र में पहली बार मैं आज अपने जिस्म में मेरे सामने से किसी लड़के ने लंड टच कराया, बहुत ही अजीब और गन्दा लग रहा था मुझे. पर यह लाइफ में पहली बार हो रहा था. पहली बार किसी ने मेरे जिस्म में अपना लंड टच कराया.
वे दोनों मुझे इस तरह से दबोचे हुए थे कि मैं हिल भी नहीं सकती थी. अब वह पटेल का दोस्त मेरी टांगें इधर उधर करके सीने पर आ गया. उसने मेरे हाथ को पकड़ा और मेरे हाथ में अपने लंड को पकड़ाने लगा. मैं पहले तो लंड नहीं पकड़ रही थी. फिर मुझे लगा कि एक बार पकड़ कर देखूँ, मैंने मुट्ठी खोली तो उसने मेरी हथेली में अपना लंड पकड़ा दिया. आज पहली बार लाइफ में लंड को छुआ और पकड़ा भी. बेहद अजीब और गन्दा लग रहा था मुझे … पर कर कुछ नहीं सकती थी. पहली बार आज हाथ से लंड को पकड़े हुए थी, मैं बता नहीं सकती उस पल मुझे क्या फील हो रहा था. बहुत ही सख्त और गर्म था उसका लंड.
वो लड़का बोला- इसे रगड़.
मैं लंड नहीं रगड़ रही थी, तो अपने हाथ से मेरी मुट्ठी से अपने लंड को ऊपर नीचे करवा कर अपना लंड रगड़वा रहा था.
ऐसे में जब नीचे जोर से पटेल मेरी चुत चाटना शुरू रखा, तो मेरी चुत में कुछ हरकत सी होने लगी और अब मेरे बदन में आज पहली बार एक नई फीलिंग आई. मैं उस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी.
अचानक से जाने क्यों मेरे मुँह से ‘सी सी उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जैसी आवाज निकलने लगी और मेरी सांसें तेजी से अन्दर बाहर होने लगीं.
तभी पटेल का दोस्त, जो मेरे सीने में टांगें फैलाए बैठा था, वह बोला- और तेज चाट बंध्या की चुत … जोर जोर से चाट इसकी चुत … अब यह गर्म हो रही है … दो चार मिनट में खुद चुदवाने के लिए बोलेगी.
मुझे भी अजीब अजीब सा फील होने लगा.
तभी वह दूसरा जो पटेल का दोस्त अपना लंड रगड़वा रहा था, वह बोला- ले बंध्या, मेरा लंड चूस!
वो मेरे होंठों के पास मुँह में अपने लंड को रगड़ने लगा. मैंने ना में मुंडी हिलाई, तो बोला- साली नाटक करती है, खोल मुँह और चूस मेरा लौड़ा!
वो जबरदस्ती मेरा मुँह खुलवाने लगा, पर मैंने नहीं खोला, कसकर दांत पीस कर बन्द कर लिया.
तब वो बोला कि साली उस नीच का लंड तू और तेरी सहेली खूब लेती है, चूसती और चाटती ही होगी … तो क्या उसके लंड में शहद लगा है … और मेरे में कांटे लगे हैं. ले चूस ले साली..!
उसकी इस तरह की बातों के बाद क्या हुआ, वो मैं अगले भाग में लिखूंगी. आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी.
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कहानी जारी है.