यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
मेरी सेक्स कहानी के दूसरे भाग में अब तक आपने पढ़ा कि पटेल के लड़के और उसके दोस्त ने मुझे झाड़ियों में खींच लिया और मेरी चूत चाटने लगे. मेरे मुँह में लंड डालने की कोशिश करने लगे.
अब आगे:
वो लड़का जिसे नीच बोलकर पटेल और उसका दोस्त बात कर रहे थे. उसका नाम प्रदीप है और ये बात सच है कि मेरी क्लोज फ्रेंड नीलू से उसका चक्कर है. मैं बस उसके साथ चली जाती हूं, पर प्रदीप ने कभी मुझे नहीं छुआ. हां साथ भर रहती हूं, तो ये सोचते होंगे कि मैं भी उससे फंसी हूं.
इधर नीचे वो पटेल और तेजी से मेरी चुत को चाटने लगा. वो तो साला मेरी चूत को खाने जैसा लगा. अब ना जाने मुझे क्या हो गया, मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूँ. तभी अचानक अपने आप ही मेरे हाथ ने उस पटेल के दोस्त के लंड को जोर से पकड़ लिया और अपने आप ही उसे ऊपर नीचे करके रगड़ने लगी. तभी उसने मेरे मुँह को जिस हाथ से दबाया हुआ था, जिससे मैं चिल्लाऊं नहीं … उस हाथ को मुँह से हटा लिया.
मेरा मुँह अब आजाद हो गया, पर फिर भी मैं जानें क्यूं चिल्लाई नहीं, न ही कोई रिएक्ट किया. मैंने अपनी इस छोटी उम्र में आज पहली बार लंड पकड़ा था और रगड़ा था. मुझे बहुत अजीब सी फीलिंग हो रही थी. नीचे पटेल मेरी चुत को अपनी जीभ से चाट चाट कर रगड़े जा रहा था. अब मुझे ऐसा लगा कि लिपट जाऊं इन दोनों से. आज पहली बार इस तरह की फीलिंग आई. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मेरे मुँह से अपने आप ही ‘ऊंह ऊंहहह ऊंहहह ओहह …’ निकलने लगा.
अब नीचे से मुझसे रहा नहीं गया, मैंने अभी तक अपनी पेशाब को रोक के रखी थी. यहां सु-सु करने ही तो आई थी तो अचानक इतनी अकुलाहट लगी कि मेरी पेशाब अपने आप छूट गयी.
तभी पटेल बोला- साली रंडी … पेशाब कर दिया?
उसका दोस्त बोला- साले ये पेशाब करने ही तो आई थी यहां … और अपन ने करने नहीं दिया. चूत चाटोगे तो ये पेशाब तो करेगी ही. इतनी मस्त माल है पी ले बे इसका पेशाब … नहीं तू इधर आ … मैं पी लेता हूं.
तभी पटेल बोला- सही बोलता है तू!
उसने तुरंत अपना मुँह वहीं मेरी चूत में लगा दिया. बाद की जितनी पेशाब बची थी, वो पटेल सब गट गट करके पी गया.
मुझे उस समय ना जाने ये सब कुछ किस तरह लग रहा था. ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था. अब मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं- सी सी आहहहह आहह!
यह सब अपने आप निकल रही थीं. मुझे कुछ नहीं पता था कि यह क्या है और क्यूं हो रहा है. पटेल मेरी पेशाब का एक एक बूंद चाट कर पी गया और बोला- इसकी पेशाब बहुत मस्त है … ये साली बहुत बड़ी चुदक्कड़ है यार.
तभी उसका दोस्त बोला- यार अब ये बंध्या फुल गर्म हो चुकी है … अपने आप मेरा लंड हाथ से ऐसे रगड़ रही है कि लगता है उखाड़ लेगी, बंध्या तू तो एक्सपर्ट है साली … सुन तो इसकी सिसकारियां … ऐसे मचल रही है, जैसे कि चुदवाने के लिए पागल हो रही है.
पटेल बोला- सच में यार … बहुत गर्म माल है … इसीलिए तो साली को जबरदस्ती उठाकर पकड़ा है कि एक बार इसकी चुत में हाथ लगेगा, तो खुद तैयार हो जाएगी.
पटेल का दोस्त बोला- तुमने सही प्लान बनाया … तेरा प्लान सक्सेस हो गया. तू बोला था कि बंध्या बहुत चुदक्कड़ लड़की है. अब देरी मत कर, जल्दी से बंध्या की तड़प मिटा दे … डाल दे इसकी चुत में अपना लौड़ा.
पटेल खड़ा हुआ और अपना पैंट उतारने लगा. वो बोला- ठीक है यार चोदता हूं इसे.
वो पटेल का दोस्त भी थोड़ा मेरे सीने से उठा और मेरे कुर्ता को पेट से ऊपर करने लगा. जैसे ही पेट से कुर्ता ऊपर किया, मेरी नाभि में अपनी उंगली डाल कर बोला- वाऊ इसकी नाभि क्या सेक्सी है यार.
उसने कुर्ता और समीज के अन्दर से हाथ डालकर मेरे दूध पर अपने हाथ रख दिया और उन्हें जोर से दबाया कि मेरी हल्की सी चीख निकल गई.
उसने बोला- यार लगता है इसके बूब्स किसी ने नहीं दबाये … न के बराबर हैं … बहुत ही छोटे-छोटे से हैं.
सच में आज ये पटेल का दोस्त मेरी जिंदगी का पहला लड़का था, जिसने आज मेरे सीने को छुआ और उसे दबाया भी … वो भी बहुत जोर से.
उसने अब मेरी नाभि पर अपने होंठ रख दिए और मेरी नाभि को चूमने लगा. मेरा सीना जोर जोर से धड़कने लगा. मेरी सांसें और धड़कने बहुत तेज हो चुकी थीं. मैं बिल्कुल हांफने लगी थी, इतना कुछ मेरे साथ आज पहली बार हो रहा था, जिसके बारे में मैं कुछ भी जानती भी नहीं थी. पर जो भी था, उससे मैं अपने होश खो चुकी थी.
तभी वो पटेल ने अपनी अंडरवियर नीचे किया और उतार फेंका. वो ऊपर टी शर्ट पहने था. उसका लंड मेरे सामने लहरा रहा था. लंड बहुत काला और मोटा लम्बा भी था. मैं उसे देखे जा रही थी.
तभी पटेल बोला- बंध्या, तू बहुत हॉट आइटम है … ठीक से देख ले मेरे लौड़े को … आज के बाद तू हर वक्त इसी को मिस करेगी और इसी से चुदवाने के लिए तड़पेगी. चल बंध्या अब तेरी मस्त चुत से अपने लौड़े का मिलन करा देता हूं.
मैं बिल्कुल सन्न थी … मुझे कुछ भी पता नहीं था कि मैं क्या बोलूं … क्या रिएक्शन दूं. आज ये सब मेरे लिए फर्स्ट टाइम का सीन था. पटेल जैसे ही मेरी एक टांग को पकड़कर कर फैलाने लगा कि जहां बारात आयी थी, उधर से तीन चार लोग बातें करते उधर को आने लगे. जहां वो झाड़ी के पीछे मुझे लिटाये हुए थे. वे ठीक उधर ही आ रहे थे.
पटेल के दोस्त ने सबसे पहले देखा और पटेल को बोला कि अबे 3-4 लोग लोटा लिए इधर ही आ रहे हैं. बस पहुंचने ही वाले हैं. सालों ने सब काम खराब कर दिया. चल जल्दी से भाग चलें, नहीं तो बहुत ज्यादा गड़बड़ हो जाएगी और बहुत पिटेंगे. यह बंध्या बामण की लड़की है और अपन दोनों कुर्मी हैं. उठ भाग जल्दी!
दोनों झट से खड़े हुए.
पटेल मुझे बोला- चल तू भी हम लोगों के साथ भाग … आगे चल के कहीं तुझे चोदेंगे … तेरा भी काम हो जाएगा.
तभी पटेल का दोस्त बोला- तू भाग … नहीं तो मरेंगे … इस बंध्या को मां चुदाने दे … अपन इसे बाद में कभी चोद लेंगे. अभी भाग.
बस वे दोनों भाग लिए.
उन दोनों लड़कों को भागते हुए उन तीन चार लोगों ने देख लिया, तो जोर से बोले- अबे कौन है … भाग क्यों रहे हो साले … चोर हो क्या?
ऐसा वे चिल्लाए, तभी मैं घबराकर जल्दी उठी. इधर उधर अपनी पैंटी देखने लगी. अंधेरा था, ऊपर चांद की बहुत तेज रोशनी थी. पर पेंटी नहीं दिखी. मैं जल्दी जल्दी नीचे सलवार पहनने लगी. तब तक में वह तीन चार लोग वहीं पास आ गए. वो मुझसे कुछ नहीं बोले. मैं सलवार ऊपर खींचते हुए अपना सलवार का नाड़ा बांधते हुए बारात घर तरफ तेजी से चल दी. जैसे ही मैं मुड़ी, तो उनमें से दो लोगों से मेरी आंख मिली. वहीं दोनों लोग ने मेरा चेहरा देख लिया, पर वह मेरे गांव के नहीं थे या तो बाराती थे या सोनम के रिश्तेदार रहे होंगे, जो इस शादी में आए हुए थे.
वे चारों समझ गए और बोलने लगे कि अरे यह लड़की का चक्कर है. इस लड़की ने उन लड़कों को बुलवाया होगा यहां. चुदाई का कार्यक्रम चल रहा था. हम लोगों की वजह से इन लोगों की चुदाई खराब हो गई. यदि अपन चुपचाप आते, तो हम लोग भी मजे ले सकते थे. अपन लोग भी शामिल हो जाते. आइटम तो मस्त और नई दिख रही है. पर चलो अपनी किस्मत में नहीं थी.
इसके बाद मैं तेजी से चलते हुए वहीं पहुंच गई, जहां शादी चल रही थी. मैं बहुत डरी हुई थी, बहुत घबराई हुई थी. मेरी सांसें बहुत तेज चल रही थीं कि कहीं वो लोग मुझे पहचान ना जाएं और किसी को कुछ बता ना दें, नहीं तो मैं किसी को कैसे मुँह दिखाऊंगी.
मैं इस बात को लेकर बहुत घबरा रही थी.
तभी सामने से आशीष आ गया और मुझसे बोला कि तुम कहां चली गई थीं? मैं इधर उधर तुम्हें देख रहा था. मैंने सोचा कि कहीं तुम अपने घर ना चली गई हो.
मैं बोली- नहीं … ऐसी कोई बात नहीं, थोड़ा बाहर तक गई थी.
तभी आशीष बोला- तुम तो पसीना पसीना हो रही हो क्या हुआ?
मैं बोली- कुछ नहीं … बस ऐसे ही फ्रैश होने बाहर गई थी, इसीलिए पसीना आ रहा होगा.
आशीष मुझसे बोला- कुछ तो गड़बड़ है?
मैं बोली- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.
उसने मुझे थोड़ा अलग एकांत में बुलाया. मैं चली गई.
वह मुझसे बोला- तुम मुझे मारोगी, तो नहीं … मैं कुछ कहूं.
मैं बोली- नहीं कुछ नहीं बोलूंगी, बोलो.
वह बोला- किसी से बताओगे तो नहीं?
मैं बोली- नहीं बताऊंगी.
तब आशीष बोला कि मैंने जब से तुम्हें देखा है, मुझे कुछ और अच्छा नहीं लग रहा है. तुम बहुत सुंदर हो, मुझे तो बहुत पसंद आ गई हो. अब तुम अपना नाम बता दो, वैसे तो मैंने तुम्हारा प्यारा सा नाम पता कर लिया है, पर मैं तुमसे सुनना चाहता हूं.
तब मैंने उसे अपना नाम बंध्या बताया, तो वह खुश हो गया और मुझसे बोला कि मेरा नंबर लिख लो और अपना नंबर बता दो.
मैं कुछ नहीं बोली, तो उसने मेरा हाथ पकड़ा. पहली बार आशीष ने मेरा हाथ छुआ. मुझे करंट सा लगा, पता नहीं जो भी रहा हो, उसने मेरे हाथ में अपना मोबाइल नंबर लिख दिया.
मुझसे बोला- तुम बहुत सुंदर हो, आई लव यू … बंध्या … मैं तुम्हारे बिना लगता है कि नहीं रह पाऊंगा.
इतना कहकर वो वहां से भाग गया. मैंने उसे आवाज लगाई, पर वह नहीं रूका. मुझे लगा कि लगता है आशीष डर गया. उधर आंगन में शादी चल ही रही थी.
सुबह के करीब चार बज रहे थे. मैं जाके वहीं बैठ गई, जहां दो तीन लेडीज बैठी थी. फिर सामने आशीष आकर बैठ गया और मुझे देखने लगा. मैं भी उसे देखने लगी.
पता नहीं ये क्या होता है, क्यूं होता है … मुझे आशीष बहुत अच्छा लगने लगा और मैं उसकी तरफ आकर्षित होती जा रही थी.
तभी मुझे पता नहीं चला कि पीछे बैठी लेडीज कब चली गईं, उधर कुछ रस्म हो रही थीं. वो लोग वहीं चली गईं, पर मैं वहीं बैठी रही.
तभी कुछ लोग बगल से आके मेरे बैठ गए, मैं पहचान नहीं पाई. तभी आपस में वो बातें करने लगे कि यही लड़की है, जो झाड़ी के पीछे चुदवा रही थी. लग तो बहुत छोटी उम्र की रही है, पर जवानी चढ़ी हुई है और मस्त दिख रही है. लुक भी सेक्सी है. मैं घबराने लगी, डरने लगी मैं समझ गई कि यही वो लोग हैं, जो वहां झाड़ी के पीछे पहुंच गए थे.
एक आदमी ने अपनी जेब से कुछ निकाला और मेरी तरफ करके मुझे दिखाया. मैं देख कर और घबरा गई क्योंकि जो उसके हाथ में थी, वह उस झाड़ी के पीछे गुम हुई मेरी पैंटी थी.
फिर वह बोल भी दिया- यह तुम्हारी पेंटी है ना?
मैं डर के मारे घबराहट में थी, पर हां में सर हिलाया, तो जो उनके बगल से बैठा था, वह बोला- यार कहीं कुछ बताना नहीं इसके बारे में … नहीं तो लड़की बदनाम हो जाएगी. ये मस्त है अच्छी है. सभी लड़कियां तो आजकल यही करती हैं. तुम कहीं एकान्त जगह देख कर जाकर इसको इसकी पैंटी दे दो.
तभी जिसके हाथ में पैंटी थी, वह उठा और चला गया. बाकी लोग मुझे देखते रहे.
दो-तीन मिनट बाद, जिसके हाथ में पेंटी थी, वह आया और मेरे पास खड़े होकर बोला- चल आजा मेरे पीछे, यहीं पास में एकांत जगह है, वहीं तुम्हारी पैंटी दे देता हूं. अब पैंटी सबके सामने तो दे नहीं सकता.
मैंने भी सोचा कि सही बोल रहा है और कुछ मेरे दिमाग में ही नहीं आया.
वो बोला- आ जा मेरे पीछे मैं तुम्हें तुम्हारी पेंटी दे देता हूँ. अपनी पेंटी ले लो और कुछ बातें हमारी मान लोगी, तो हम लोग किसी से कुछ नहीं बोलेंगे.
उसने अपने दोस्तों से बोला कि तुम लोग यहीं बैठो. मैं इसकी पैंटी दे कर आता हूं और सब जमा लूंगा.
वे लोग बोले- ठीक है, सब जमा ले, हम लोग भी बाद में कहीं मजे ले लेंगे.
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूं क्या नहीं, मैंने सोची अगर इनकी बात नहीं मानी, तो यह कहीं सबको बता ना दें. इसलिए चुपचाप उठी और उस आदमी के पीछे पीछे चल दी. वह सोनम के दादा के उसी घर में जहां शादी चल रही थी, उसी घर के जस्ट बगल से उन्हीं की सार थी. जहां मवेशी बंधे थे, वो मुझे वहां ले गया. मैं भी चली गई वहां एक भैंस और 2 गाय बंधी थीं. गोबर की महक आ रही थी. वहीं जाके एक बगल से वो आदमी खड़ा हुआ.
मैं पहुंची तो उसने मेरे सामने मेरी पेंटी को निकाला और मुझसे बोला- इधर मेरे पास आओ.
उसकी इस तरह की बातों के बाद क्या हुआ, वो मैं अगले भाग में लिखूंगी. आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी.
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कहानी जारी है.