यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
अभी तक आपने पढ़ा कि मैं अपनी सहेली कर घर में अपने आशिक के साथ नंगी हालत में पकड़ी गई और मुझे बदनामी का दंश झेलना पड़ा.
अब आगे:
फिर मैंने मम्मी के फोन से दूसरे दिन आशीष को फोन लगाया पहली बार. मैंने फोन लगाया, तो वह भी बहुत दुखी था. वह अपने गांव जा चुका था. वह बहुत डरा हुआ था. उसकी मम्मी को भी उसकी मामी और वह उसकी जेठानी ने सब बता दिया था, तो आशीष को भी बहुत डांट पड़ी थी. पर उसके पापा को यह सब अभी नहीं पता था.
आशीष बोला- मम्मी से मैंने बोला है कि मैं बंध्या से शादी कर लूंगा. तो मम्मी ने मना कर दिया, वे बोलीं कि तुम उस घर को … उस बंध्या की मम्मी को नहीं जानते हो. यह शादी नहीं हो सकती. तुम्हारे पापा तुमको और मुझको मार डालेंगे. इसलिए अभी तो सोचना ही नहीं, फिर आगे कुछ होगा तो देखेंगे.
उसकी बात सुनकर मैं बोली- तुम्हारा क्या मन है आशीष?
तो आशीष बोला- बंध्या तुम मेरी जान हो … मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता … और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम से ही मेरी शादी हो.
इतना सुनते ही मैं बहुत खुश हो गई और इस उम्मीद पर आ गई कि मेरी शादी आशीष से हो सकती है. उसके बाद जब भी टाइम मिलता, हम दोनों मैं और आशीष डेली फोन में हर दिन तीन चार घंटे कभी-कभी छह-सात घंटे तक आपस में बात करने लगे.
अब दूसरे दिन से कमलेश सर मुझे ट्यूशन पढ़ाने लगे. मम्मी कमलेश सर को बोलीं कि इसको बहुत अच्छे से पढ़ाना … और जो भी इसने सुना देखा है, वह सब इसके मन से हट जाए.
पर मैंने देखा कि कमलेश सर का भी नजरिया मेरे लिए बदला हुआ था.
उन्होंने एक दिन पूछा- क्या जो गांव में मोहल्ले में चर्चा है … वह सच है?
तो मैंने सर झुका लिया.
तब कमलेश सर ने बोला- तुम अब जवान हो गई हो और यह सब हर लड़की करती है.
उस दिन से 8 दिन बाद एक काकरोच मेरे स्कर्ट के अन्दर पढ़ाते समय घुस गया था. उस समय मम्मी भी घर में नहीं थीं. उसमें उस कहानी में मैंने थोड़ा सा झूठ लिखा था कि उसके पहले मुझे किसी मर्द ने टच नहीं किया. पर यह झूठ लिखा था. सच यह था कि उसके पहले वह शादी की रात वाली और आशीष के साथ रंगे हाथों पकड़े जाने वाली बात हो चुकी थी. परंतु उसके बाद जो भी मैं उस कहानी में लिख चुकी हूं. जीजा के भाई और उनके मकान मालिक की बात वो सब एक एक शब्द सही है. अन्तर्वासना के सभी पाठकों से मेरा निवेदन है कि वह सच्चाई आप जरूर पढ़ें, जो उस समय मेरे साथ हुआ. उस कहानी को अन्तर्वासना में आप पढ़ सकते हैं. उस सत्य कहानी का टाइटल है ‘भाई की कुंवारी साली की सील तोड़ी.’ इस सत्य कहानी को आप जरूर पढ़िए. तभी मेरी पूरी सच्चाई आपको पता चल पाएगी. उस कहानी में हर शब्द सच लिखा है.
अब मैं इस सच्ची कहानी में आगे बढ़ती हूं.
तो अब आशीष से मेरी हर दिन 2 घंटे कभी 4 घंटे कभी 6 घंटे फोन में बात होने लगी. पर उससे मिलने का कोई भी जुगाड़ नहीं हो रहा था. अगले 5 महीने बाद तीन जून को आशीष को सतना आना था … क्योंकि पालिटेक्निक के उसके सेमेस्टर एग्जाम एक जून को खत्म होने थे. आशीष ने मुझे बताया कि उसकी बुआ का घर सतना में है, वह भी सिद्धार्थ नगर बढ़ैया के पास है.
वह बोला- मैं कोशिश करूंगा कि हम दोनों वहां मिल पाएं.
मैंने भी घर में तीन जून की पूरी तैयारी कर ली. मैंने 3 जून के लिए मम्मी से पहले ही बता दिया था कि मुझे और मेरी सहेली को सतना जाना है. वहां 3 जून को हम दोनों कढ़ाई बुनाई वाला फार्म भरेंगे. इस तरह मैंने मम्मी को भी राजी कर लिया था.
मैंने अपनी सहेली नीलू से भी बात कर ली थी, तो 3 जून को मैं बहुत तैयार होकर मैं और नीलू अपने गांव के बस स्टैंड से बस में चढ़कर सतना पहुंच गए. सतना में बस स्टैंड सबेरा होटेल के नीचे आशीष मुझे मिलने को बोला था, वह वहीं पर खड़ा मिला.
मैंने नीलू को बताया कि यह आशीष है और आशीष को बताया कि यह मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड नीलू है. हम दोनों में कोई बात छुपी नहीं है. एक दूसरे से सब शेयर करती हैं.
आशीष बाइक लेकर आया था, तो मुझसे बोला कि बंध्या मैं और तुम चलते हैं.
मैं नीलू से बोली- तुम वेट करोगी या साथ चलोगी?
तो उसने मुझे कान में बोला कि मेरा भी एक फ्रेंड है, वह वेट कर रहा है. तुम जाओ जब फ्री हो जाना, तो बताना. यहीं पर मिलेंगे.
तो मैंने बोला कि अपन बस स्टैंड में ही मिलेंगे. मैं जा कर आती हूं.
मैं बाइक में आशीष के साथ बैठ गई. आशीष सीधे मुझे बढ़ैया सिद्धार्थ नगर की तरफ ले गया. वहां एक घर था. उसकी चाभी आशीष के पास थी.
उसने उसका दरवाजा खोला. मैंने पूछा- आशीष, यह किसका घर है?
तो उसने बोला- यह घर मेरी बुआ का है, मैंने तुम्हें बताया था, वही है. वह लोग अभी थोड़े दिन के लिए बाहर हैं. इधर अभी मेरा भाई रहता है, बुआ का बेटा. मैंने उससे ऐसे ही बहाने से चाभी ले ली थी.
फिर उसने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया और मुझे अन्दर ले गया. वहां तीन कमरे थे, जिस कमरे में पलंग रखा था उस कमरे में आशीष मुझे ले गया.
मैं बोली- आशीष कोई आएगा तो नहीं? मुझे बहुत डर लग रहा है, मैं तो तुम्हारे प्यार में मजबूर होकर आ गई हूं … वरना मुझे बहुत डर लगा, पर तुम्हारे लिए तुमसे मिलने की चाह में आ गई.
मेरा इतना कहना हुआ तो उसने सीधे मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठों में अपने होंठ रख दिए और बहुत जोर से होंठों को चूमने लगा.
फिर बोला- बंध्या तुम अब कोई चिंता नहीं करो, मैं तुमसे वादा करता हूं कभी उस तरह से नहीं होगा. उस दिन को भूल जाओ. उस दिन तुम्हारी सहेली सोनम और मेरी मामी की लड़की ने धोखा दिया था. अब मैं भी उस घर में कभी नहीं जाऊंगा, अगर उस गांव आया भी तो सिर्फ अपनी बंध्या डार्लिंग से मिलने आऊंगा.
मैं उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुई और मैंने भी आशीष को अपनी बांहों में भर लिया.
मैं एक बात यहां बताना चाहती हूं, मैंने आशीष को बहुत प्यार किया है … सच्चे मन से, सच्चे दिल से. … मैं उसे बेइंतहा प्यार करने लगी थी. उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती थी … वह मेरा पहला प्यार था.
मैं आशीष से बोली- आशीष मैं अब सिर्फ तुम्हारी हूं … तुम मुझे जो भी कहोगे मैं करूंगी … आई लव यू.
आशीष ने भी मुझसे बोला कि आई लव यू मेरी जान … मेरी खूबसूरत सेक्सी बंध्या.
फिर उसने मुझे अपनी बांहों में भर कर मेरे बालों में जो बैंड लगा था, उसे खोल दिया और बोला- तुम्हारी जुल्फें बहुत खूबसूरत हैं, इन्हें खोल दो बंध्या … तुम बहुत सेक्सी हो.
वह अपने दोनों हाथों से मेरे पिछवाड़े को मेरी गांड को जींस के ऊपर से ही दबाने लगा.
आशीष मुझसे बोला- आज हमारी पहली सुहागरात है, खुल के होगी.
मैं बोली- हां आशीष, जो तुम्हारा मन करे, जिससे तुम्हें खुशी मिले, सब करो.
मैं उसके ऊपर पूरी तरह से फिदा थी. आशीष मेरे बालों को सहलाने लगा.
फिर वो मुझसे बोला- बंध्या, हम दोनों आज बहुत खुलकर प्यार और सेक्स करेंगे … तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं?
मैं बोली- नहीं आशीष में तो तुम्हारी हूं. … बस तुम्हें जो अच्छा लगता है, वह करो … मैं तुम्हारा साथ दूंगी.
आशीष बोला- तो तुम मुझे अब तुम नहीं तू बोलो … और प्यार में जितना खुल के बिल्कुल जानवरों जैसा जिसे वाइल्ड सेक्स कहते हैं … वैसा करना चाहिए. तो बहुत मजा आता है.
मैं बोली- ठीक है आशीष.
वैसे मैं सब कुछ पहले से जानती थी, सब कुछ पढ़ चुकी थी सेक्सी कहानियों में, कमलेश सर मुझे सब पहले ही पढ़वा चुके थे. मैं सेक्स वीडियो भी कई देख चुकी थी, पर आशीष के सामने बिल्कुल अनजान बन रही थी. मेरा भी मन वैसा ही था.
तो आशीष ने बोला- अब तुम मुझे खुल के गाली देना … गंदी से गंदी बातें बोलना.
मैंने कहा- जो हुकुम मेरे आशीष.
उसने बोला- अब हम दोनों के बीच इन कपड़ों का कोई मतलब नहीं है. तो सेक्सी बंध्या तुम मेरे कपड़े खोलो, मैं तुम्हारे उतारूंगा.
मैंने कहा- ठीक है.
तो आशीष बोला- पहले तुम शुरू करो बंध्या.
मैंने कहा- चलो … जो तुम कहो, पर मुझे कुछ पता नहीं है, मेरा यह फर्स्ट टाइम है.
यह मैं आशीष से झूठ बोली थी. तो आशीष मेरे सामने आ गया वह व्हाइट शर्ट और जींस पहना था. वो मेरे सामने हाथ उठा कर खड़ा हो गया. मैं आशीष के शर्ट की बटन खोलने लगी. जैसे ही आशीष की बटन खोलने लगी, आशीष मेरी वाइट कलर के टॉप के ऊपर से मेरे सीने को दबाने लगा.
मेरे मम्मों को पकड़ते ही आशीष ने बोला- बंध्या, पहले से तुम्हारे दूध बहुत बड़े हो गए हैं … इन पांच-छह महीनों में किसी से दबवाई हो क्या?
मैं बोली- नहीं आशीष, मैंने किसी को हाथ नहीं लगाने दिया, तुम पहले हो जो उस दिन किए थे, फिर तुम्हारी याद जब आती थी, तो सच सच कहूं अपने हाथों से खुद ही दबा लेती थी. वो भी ये इमेजिन करके कि तुम दबा रहे हो. उस समय ज्यादा दबाती थी, जब तुम फोन में मुझे करते थे.
आशीष फिर जोर से पकड़ के मेरे मम्मों को दबाकर बोला- तुम बहुत अच्छी हो, यह तेरे दूध और बड़े कर दूंगा, मैं तुमसे मिलने आता रहूंगा और अब तुम्हें कभी नहीं छोडूंगा.
मैंने आशीष की शर्ट खोल कर अपने हाथों से उतार दी. उसने बनियान पहनी थी, तो बोला- इसे भी उतार दो.
मैं अपने हाथ से आशीष की बनियान उतारने लगी. जैसे ही बनियान उतारना शुरू किया, उसका नंगा पेट और सीना मेरे सामने आ गया. वह भी मेरी तरह स्लिम था, बहुत दुबला पतला, पर लंबा उसकी मंजी भूरी आंखें और मस्त सीना देखकर में गरम होने लगी.
आशीष बोला- मेरी सेक्सी बंध्या, अब मेरी पैंट को भी उतारो.
मैंने उसके बेल्ट को पहले खींचा, फिर उसकी जींस का बटन खोला और अपने हाथों से उसकी पैन्ट उतारने लगी. उसका जो अंडरवियर था, उसके अन्दर उसका छुपा हुआ लौड़ा बहुत फूला हुआ दिखा. एकदम फाड़कर उसका लौड़ा बाहर आने को तैयार था. मैं अब उसके कपड़े उतार चुकी थी, सिर्फ अंडरवियर उसके शरीर पर रह गया था.
आशीष ने बोला- जान इसको भी उतार दो.
मैं बोली- मुझे शर्म आ रही है.
तभी आशीष ने कसके मेरी जींस के ऊपर से ही मेरी चुत को दबा दिया और बोला- उतार ना साली सेक्सी … और मुझे गाली भी दे … मैं बहुत पागल हो रहा हूं.
मेरे हाथ पकड़ कर आशीष ने अपनी अंडरवियर पर रख दिया.
मैं अब आशीष का अंडरवियर उतारने लगी. मैंने उसे जैसे ही नीचे खिसकाया, आशीष का लौड़ा मेरे सामने आ गया. वह बहुत कड़क लंबा फनफना रहा था. आशीष ने बोला- यह मेरा लौड़ा तेरी अमानत है. तू बहुत सेक्सी है साली बंध्या … तू भी मुझे गाली बक.
मैं बोली- आशीष तेरा लौड़ा बहुत मस्त है.
तो आशीष बोला- इसे चूस ले.
मैं बोली- आशीष मैंने आज तक ऐसा नहीं किया.
उसने मेरे खुले बाल से मुझे पकड़ा और बैठा कर बोला- ले इसे चूस बंध्या.
मैंने आशीष का लंड अपने हाथों से पकड़ कर अपने मुँह में होंठों पर लगाया, तो आशीष तड़प उठा और जोर से पकड़ कर मेरे मुँह में अपना लंड दबाने लगा. मैंने मुँह खोल दिया, तो आशीष का लंड मेरे मुँह में घुस गया और उसे मैं चूसने लगी.
आशीष अब बिल्कुल हांफने लगा, मैं करीब दो-तीन मिनट तक उसका लंड चूसती रही.
तब आशीष बोला- चल साली कुतिया बिस्तर में आ जा.
मैं बोली- ले चल हरामी मुझे बिस्तर में.
उसने जोर का धक्का दिया, पीछे ही बिस्तर था. मैं उस पर गिर गई. आशीष अब बिस्तर में चढ़ गया और बोला- अब मैं तेरे एक-एक कपड़े उतारता हूं.
वो मेरे व्हाइट टॉप को पकड़ कर उतारने लगा. उसने टॉप को उतार कर फेंक दिया. उसके बाद में अब समीज और नीचे जींस में थी.
आशीष मेरी समीज को देख कर बोला- बंध्या तू तो पागलपन की हद है … वाह क्या मस्त उठे हुए तेरे बूब्स हैं … वो भी कड़क. जब पहली बार गांव में पांच महीने पहले तू मिली थी, तो तेरे ठीक से दूध ही नहीं थे और अब तो कमाल के हैं. ऐसा लगता है कि बहुत दबवाई हो यार … कुछ तो किया है. मुझे सच बता दे, मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानूंगा.
मैं बोली- सच बोल रही हूं आशीष मुझे तुम्हारे अलावा किसी ने नहीं छुआ.
मैं आशीष से यह सफेद झूठ बोली क्योंकि जब आशीष और मैं उसकी मामी के घर में पकड़े गए थे. उसके बाद कमलेश सर और फिर मेरे जीजा के भाई और उनके मकान मालिक के साथ इन 5 महीनों में बहुत कुछ हो चुका था.
आशीष का शक सही था, पर मैंने उससे सब छुपा लिया.
मेरी प्रेमकथा और चुदाई की कहानी आपको अच्छी लग रही होगी. मुझे मेल कीजिएगा.
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कहानी जारी है.