यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
बेबी रानी उससे लगातार उत्साह बढ़ाने वाली बातें करे जा रही थी. गुड्डी रानी का सिर सहला के बोली- गुड्डी मेरी जान … अब कम हो गया ना दर्द … अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना?
गुड्डी रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया.
“देख मैंने कहा था ना मज़ा आयेगा … अभी देखे जा … कितना ज़्यादह मज़ा आने वाला है.”
मैंने पूरे ज़ोर से उसके दोनों मम्मों को दबाया. अपने अंगूठे और उंगलियाँ चूचुक में गड़ा दीं. फ़िर उनको सहलाया और बारी बारी से चूसने का काम चालू दिया. मैं लगातार धक्के भी हौले हौले लगाये जा रहा था.
फिर से मैंने रानी के होंठों को चूसा. इस दफा उसने भी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी. उसका मुंह चूसते चूसते ही मैंने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी सी तेज़ की. चूत में खून और चूतरस के कारण बड़ी पिच पिच हो रही थी और हर धक्के पर फच फच की आवाज़ आती. रानी ने अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला हिला के धक्कों में मेरा साथ देना शुरू कर दिया था. उसने अपनी टांगें मेरी जाँघों पर कस के लपेट ली थीं.
मैंने रानी की चूचियों को पकड़ा और उन पर ही टिक कर धक्के मारने शुरू किये. हर धक्के में चूची कभी नीचे को खिंचती और कभी ऊपर को. जब मैं अपने चूतड़ गोल गोल घुमाता तो गुड्डी रानी के चूचे भी दायें या बायें को खिंचते. मैंने चूचों को पूरी ताकत से भींच रखा था और मैं अपने पंजे चूचुक में गड़ा गड़ा के गुड्डी रानी को लपक लपक के दनदन दनदन चोदे जा रहा था.
गुड्डी रानी चुदास की भरपूर मस्ती के नशे में कमर उछाल उछाल के मेरा साथ दे रही थी. वो बार बार सी सी सी सी करती, हाय हाय करके अपनी मां को याद करती, तथा और ज़ोर से चोदने के लिये पुकारती हुई चुदे जा रही थी.
रानी की चूचियाँ खूब कस के निचुड़ रही थीं, चूत रस पर रस बहाये जा रही थी और गुड्डी रानी की सीत्कारों की आवाज़ें होटल के कमरे में गूंजने लगीं.
उधर बेबी रानी भी पूरी फॉर्म में थी. वो घसर घसर करके अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर किये जा रही थी. कमरे में पहले से ही गूंजती हुई चुदाई वाली आवाज़ों में उसकी सीत्कारें भी जुड़ गयी थीं.
तभी एक और नई हाय हाय हाय की आवाज़ आने लगी. मैंने चौंक के बेबी रानी की तरफ देखा तो पाया कि उसके मोबाइल फोन से आवाज़ आ रही थी.
मैंने बेबी रानी की तरफ भौंहें उठाकर प्रश्न किया ये कौन है.
बेबी रानी बोली- राजे यह पिंकी है … मैं उसको चुदाई का आँखों देखा हाल दिखा रही थी … बहनचोद गर्म होकर चूत का दाना रगड़ रही है … चुदाई के बाद तेरी बात करवाऊंगी.
इस आशा में कि एक और चूत को भोगने का मौका मिलेगा मेरी भड़की हुई कामोत्तेजना और परवान चढ़ गयी और मैंने मचल कर धमाधम धक्के पेलने शुरू कर दिए.
गुड्डी रानी भरपूर आनंद में मतवाली हो कर ज़बरदस्त धक्के मार रही थी. चूचियाँ कस के दबवाने का मज़ा और चूत में मची धकमपेल का मज़ा मिल कर उसकी सुध बुध उड़ा बैठे थे.
अचानक से गुड्डी रानी ने खुद को उचकाया, मेरी गर्दन पकड़ के झूल गई और अपनी टांगें मेरी कमर में कस के लिपटा के भिंची भिंची सी आवाज़ में बोली- राजे … राजे … मुझे अपनी बांहों में संभाल ले … मेरा दिल बैठा जा रहा है … मुझे लग रहा है कि मैं आकाश से नीचे गिरे चले जा रही हूँ … मेरे तन बदन में बिजली सी दौड़ रही है … थाम ले राजे मुझे थाम ले … आज तेरी गुड्डी रानी चल बसेगी.
इतने में उसके मुंह से एक गहरी हिचकी निकली, उसने मेरे बाल जकड़ लिये और बड़े ज़ोरों से उसकी टांगें मेरी कमर से चिपक गयीं. चूत से गर्म गर्म सी एक बौछार छूटी जिसने चूत को और लौड़े को पूरा भिगो दिया. मैंने अपनी जान को बांहों में लपेट लिया और उसे चूमता हुआ तगड़े तगड़े धक्के मारने लगा.
गुड्डी रानी चरम आनंद पाकर झड़ चुकी थी और पसीने में लथपथ हो गई थी. ज़ोर ज़ोर से हांफ रही थी.
मैंने पंद्रह बीस ज़बरदस्त धक्के ठोके और फिर मेरे गोलियों में एक विस्फोट जैसा हुआ. बड़े ज़ोर से मैं झड़ा, लावा की मोटी मोटी बूंदें गुड्डी रानी की रिसती हुई बुर में तेज़ी से गिरीं. गर्म गर्म वीर्य चूत में लगते ही, चूत एक बार फिर से झड़ी और इस दफा रस की बौछार बहुत तेज़ थी.
मैंने तुरंत रानी को प्यार से अपने आलिंगन में बांध लिया और तुनके मार मार के पूरा लंड का लावा खाली कर दिया.
हाँफता हुआ मैं रानी के नाज़ुक से शरीर पर ही लुढ़क गया.
गुड्डी रानी ने बार बार ‘राजे राजे राजे’ फुसफुसाते हुए मुझे सब तरफ से कस लिया. कमर एक टांग से, मेरे पैर दूसरी टांग से, मेरा बदन अपनी मुलायम सी गोरी बांहों से और मेरा मुंह अपने मुंह से. गुड्डी रानी ने मुझे प्यार से एक के बाद एक बहुत सारे चुंबन पर चुंबन दिये. उसने मुझे सिर से पैरों तक यूं लिपटा रखा था जैसे कि हम बड़े बरसों के बाद मिले हों और जल्दी ही दुबारा अलग होने वाले हों.
ज़बरदस्त स्खलन के बाद मैं गुड्डी रानी के ऊपर ढह गया और सुस्ताने लगा. वह भी मेरे भार के नीचे चुपचाप दबी रही. अर्धमूर्छा जैसी दशा हो गई थी गुड्डी रानी की.
इधर बेबी रानी भी स्खलित हो चुकी थी और गुड्डी रानी की बगल में पड़ी हुई लम्बी लम्बी सांसें भर रही थी. मोबाइल फोन वाली लौंडिया भी खामोश थी. शायद वह भी चरम सीमा पार जा चुकी थी. अचानक से इतनी ऊँची ऊँची आवाज़ों से गूंजता हुआ कमरा शांत हो गया था. सिर्फ हम तीनों की साँस लेने की ध्वनि आ रही थी.
कुछ क्षणों में मेरे होश हवास काबू आ गए तो मैंने उचक कर सामने पड़ी हुई, चरमसुख में डूबी दोनों रानियों को निहारा. दोनों के केश बिखरे हुए थे. माथे पर पसीने की छोटी छोटी बूँदें चमक रही थीं. आँखें अधमुंदी हुई और होंठ एक हल्की सी मुस्कान में फैले हुए. दोनों रानियां ग़ज़ब की सुन्दर थीं. एक हरियाणा की अल्हड़ जाट हसीना बेबी रानी. दूसरी गुड्डी रानी, कश्मीर की शोख कली, जो अब तो कली नहीं बची थी बल्कि नथ खुलवा कर फूल बन चुकी थी. खैर कुछ समय पहले तो कली ही थी.
मैंने एक हाथ से कश्मीर की ताज़ी ताज़ी फूल बनी कली का चूचा सहलाया, दूसरे हाथ से हरयाणवी जाट सुंदरी का और ख़ुशी से झूमकर यह गीत गुनगुनाने लगा:
चेहरा है जैसे झील में हसंता हुआ कमल,
या ज़िन्दगी के साज़ पर छेड़ी हुई ग़ज़ल,
जाने बहार तुम किसी शायर का ख्वाब हो.
होंठों पर खेलती हैं तबस्सुम की बिजलियाँ,
सजदे तुम्हारी राह में करती है कहकशां
दुनिया ऐ हुस्न ओ इश्क़ का तुम ही शवाब हो!
मेरी आवाज़ सुनकर या चूचुक में होती सुरसुरी से बेबी रानी की तन्द्रा टूटी, जबकि गुड्डी रानी सिर्फ ऊँऊँऊँ करके रह गई.
बेबी रानी ने भर्राई हुई आवाज़ में कहा- राजे, बहन के लौड़े … क्यों तंग कर रहा है … बदन चूर चूर हुआ पड़ा है थोड़ा आराम करने दे न कमीने.
मैंने कहा- रानी मैंने कब मना किया आराम करने को … मैं तो सिर्फ गुड्डी रानी की सफाई के लिए जगा रहा था.
“ओह हाँ सही बोला तू कुत्ते … सफाई भी तो करनी है इस रांड की चूत की.”
मैं बोला- हाँ मैं चाट के साफ कर दूंगा नहीं तो यह भी तेरी तरह गुस्सा करेगी कि मेरी चूत को जीभ से क्यों नहीं चाट के साफ किया.
बेबी रानी- नहीं तू नहीं चाटेगा … गुड्डी की बड़ी ख्वाहिश थी कि यह अपनी फटी चूत से निकले लहू वाले रस का स्वाद चखे … वैसे भी इसका बहुत दिल था कि जब इसकी चूत का उद्घाटन हो तो उद्घाटन करने वाले वीर्य को चखे जिसमें इसकी फ़टी बुर का खून मिला हो … तू रुक ज़रा मैं करती हूँ इसकी इच्छा पूरी … बहनचोद चूत तो जीवन में एक ही बार फटती है न. यह मौका चूका तो फिर कभी नहीं मिलेगा.
मैंने कहा- जैसी रानी की मर्ज़ी.
बेबी रानी ने मेरी छाती पर हाथ से धकेल के मुझे लेटा दिया और झुक के वीर्य, चूत रस और खून से सने लौड़े को चाटना शुरू किया. थोड़ी देर में ही रानी ने लंड, झांटें और टट्टों के आस पास का सब चाट के अच्छी तरह साफ़ कर दिया. लंड हरामज़ादा अकड़ने भी लगा. फिर बेबी रानी ने गुड्डी रानी की टाँगें चौड़ी करके बुर को उजागर कर दिया तो गुड्डी रानी जाग गई.
बेबी रानी ने चिल्ला कर कहा- सुन गुड्डी की बच्ची … अब अपनी मुराद पूरी कर ले … चूत से बहुत कुछ निकल रहा है… सब पिलाती हूँ … रुक ज़रा सा कमीनी.”
गुड्डी रानी धीमी सी आवाज़ में बोली- हाँ हाँ … दे दे सब माल मसाला … मैं वेट कर रही हूँ.
रानी ने अपना छोटा सा, सुन्दर सा मुंह खोल दिया और थोड़ी सी गुलाबी गुलाबी जीभ बाहर निकाल दी.
इधर बेबी रानी ने एक हाथ में बुर के बाहर का सा माल समेट समेट के इकठ्ठा किया और गुड्डी रानी की जीभ पर रख दिया. गुड्डी रानी ने लपड़ लपड़ करके सब पी लिया. बेबी रानी ने जब बाहर का सब साफ़ हो गया तो चूत में दो उंगलियां घुसकर भीतर वाला माल भी निकालना शुरू किया. वो बुर के अंदर से निकालती और गुड्डी रानी को खिला या समझो पिला देती.
गुड्डी रानी भी हरामज़ादी खूब चटखारे ले लेकर पिए जा रही थी. तीन या चार बार में चूत खाली हो गयी.
बेबी रानी ने कहा- कुतिया सब ख़त्म … अब होंठों पर जो लगा हुआ है उसको चाट के साफ कर ले मादरचोद.
मैंने भी गौर किया तो देखा गुड्डी रानी का मुंह लिबड़ा हुआ था जैसे ब्लू फिल्मीं में लौड़ा चूसने वाली लौंडियों का हो जाता है. गुड्डी रानी ने जीभ निकाल के कुत्ते की तरह पहले बेबी रानी का हाथ और फिर अपने होंठों के आस पास लगा हुआ भी चाट लिया.
फिर हुंकार भरते हुए रानी ने कुतिया जैसे जीभ बाहर निकाल के अपना मुंह चाटा. वो मेरे वीर्य और अपने कौमार्यभंग वाले रक्त का एक अणु भी बर्बाद नहीं करना चाहती थी.
कहानी जारी रहेगी.
चूतनिवास
[email protected]