यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
लड़की के लंड चूसने और माल खाने का यह दृश्य बहुत ज़्यादा मज़ेदार और उत्तेजक होता है. लड़की जब प्यार से लौड़ा चूसती है और स्खलित होने पर वीर्य को पीती है तो लड़की की मस्ती, ख़ुशी और भीषण कामेच्छा उसके चेहरे पर बरसती हुई बेहद मादक लगती है. इसी लिए मैं हमेशा चाहता हूँ कि जब मेरी रानी लंड चूसे तो मैं उसका चेहरा देखते हुए चुसवाऊँ और रानी की आँखों में आँखें डाले चुसाई के पूरे समय उसको देखता रहूं. रानियों को भी बहुत अच्छा लगता है जब मैं उनको प्रेम से निहारता हूँ और उनके चूसने पर ख़ुशी से किलकारियां मारता हूँ.
तभी बेबी रानी ने ज़ोर की चीख़ लगायी और मेरे पैर का अंगूठा रस से तर बतर हो गया. बेबी रानी झड़ गई थी और बिस्तर पर ढेर हुई पड़ी थी. अंगूठा रानी की बुर से बाहर फिसल आया था. मैं भी निढाल होकर गुड्डी रानी की बगल में लेट गया.
मेरे दोनों तरफ एक एक रानी लेटी हुई लम्बी लम्बी साँसें ले रही थी. मैं राजा इन्द्र जैसे बीच में मस्त पड़ा था. इतना स्खलित होकर थोड़ा सा सुस्ताना भी चाहता था. मैंने दोनों अप्सराओं को खींच कर अपनी तरफ करवट से कर लिया और आनंद पूर्वक आँखें मूँद के दोनों रानियों के गर्म गर्म शरीर का लुत्फ़ उठाता हुआ मीठी सी नींद में खो गया.
करीब आधे या पौने घंटे के बाद मेरी आंख खुली होगी. मैं दोनों रानियों के बीच में पड़ा था. एक रानी में अपनी रेशमी सी दाहिनी टांग मेरे ऊपर रखी हुई थी जबकि दूसरी रानी ने अपनी साटिन जैसी मक्खनी टांग मेरे बदन पर फ़ैलायी हुई थी. दोनों की बाहें मेरी छाती पर थीं. बेबी रानी का सिर मेरे कंधे पर था और गुड्डी रानी का सिर मेरी बाज़ू से सटा हुआ था.
मैंने बहुत धीरे धीरे से रानियों की टाँगें और बाहें अपने बदन से हटायीं. मेरी चेष्टा थी कि रानियों की नींद डिस्टर्ब ना होने पाए. ऐसी धमाकेदार चुदाई और चरम आनंद प्राप्ति के बाद नींद आ जाना स्वाभाविक ही है.
उठकर मैंने एक गिलास पानी पिया और बाथरूम जाकर फ्रेश हुआ. वापिस आकर बेड के सामने खड़ा होकर मज़े से दोनों रानियों की सुंदरता निहारने लगा. क्या बला की हसीनाएं थीं दोनों रानियां! एक से बढ़कर एक हसीन!! एक से बढ़ कर एक कामुक!!! दोनों रानियां देख कर लगता था कि उन्हें विधाता ने बहुत अच्छी मनोस्थिति में गढ़ा था. एक एक अंग चुन चुन के फिट किया था. बेबी रानी और गुड्डी रानी दोनों ही क़यामत थीं. दोनों एकदम भिन्न भिन्न मगर खूबसूरती में एक समान.
मैं यूँही काफी देर तक इस कामुक दृश्य रस का स्वाद लेता रहा. बेबी रानी लगता था कि नींद में भी चुदाई का स्वप्न देख रही थी क्यूंकि उसकी एक उंगली बार बार अपनी चूत पर चली जाती थी. कभी कभी सोते सोते में ही आह भरने लगती थी. मुझे बहुत आनंद आ रहा था.
तभी गुड्डी रानी की निद्रा टूटी और वह कसमसाती हुई उठ के बैठ गई. रानी ने हाथ सिर के पूरे ऊपर करके एक लम्बी अंगड़ाई ली. वाह!!! क्या नज़ारा देखने को मिला. रानी के चूचों का उतार चढ़ाव, उसकी दूध सी गोरी बाल रहित बग़लें, गुलाबी सी नाभि, उसके बिखरे हुए केश और मस्त चुदाई के बाद चेहरे पर छाये संतुष्टि के हाव भाव देख कर कामोत्तेजना से मेरा दिमाग झन्ना उठा.
रानी ने उनींदी सी आवाज़ में कहा- यार राजे … बहुत भूख लग रही है. पेट में चूहे दौड़ रहे हैं … कुछ मंगवा यार रूम सर्विस से … तब तक मैं बाथरूम होकर आती हूँ.
एक विस्फोटक चुदाई के बाद नींद का झोंका भी आता है और झपकी लेने के बाद सूसू भी लगती है और भूख भी. यह ज़्यादातर लड़कियों के साथ होता है. कुछ लड़कियों की सुस्सू तो उनके झड़ने के साथ ही निकल भी जाती है.
रानी उठकर बाथरूम के तरफ चली ही थी कि अचानक ठिठक के रुक गई- राजे, तेरे होते हुए बाथरूम क्यों जाऊँ … चल बैठ जा मुंह खोल के … अमृत पिलाती हूँ कुत्ते.
मैं बिस्तर के पास घुटनों पर बैठ गया और गुड्डी रानी आकर मेरे सामने बिस्तर पर उकडूं बैठ गयी. मैंने रानी की चूत से मुंह पूरा गोल खोल के लगा दिया- हरामज़ादे, अपने आप नहीं बोल सकता था अमृत पीने को … अगर मुझे याद न आता तो चली जाती बाथरूम … फिर?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और रानी की अमृत धारा की प्रतीक्षा करने लगा.
रानी ने हुंकार भरके धारा छोड़ दी.
हा हा हा … गुड्डी रानी साथ में शू शू शू की आवाज़ भी निकाल रही थी. जैसे मम्मियां अपने बेबी को सुस्सू करवाने के समय निकालती हैं.
मैंने बड़ी मुश्किल से हंसी रोकी.
बहनचोद खुद ही सुस्सू कर रही और खुद को ही शू शू शू बोल रही.
मस्त होकर मैं गुड्डी रानी का अमृत पीने लगा. बहुत स्वादिष्ट था हर रानी के चूतामृत के समान. रानी ने मेरे बाल हाथों में जकड़ लिए थे और कस के मेरा मुंह अपनी बुर से चिपकाया हुआ था. सर्र सर्र सर्र की मधुर ध्वनि करता हुआ रानी का चूतामृत मेरे मुंह से होता हुआ गले के नीचे जा रहा था. कुछ देर में रानी खाली हो गयी. इतने में रानी के शू शू शू के शोर से बेबी रानी भी जाग गई.
चूँकि मेरा मुंह गुड्डी रानी की चूत से लगा हुआ था इसलिए मैं बेबी रानी की अंगड़ाई का मज़ा तो नहीं ले पाया मगर शायद गुड्डी रानी को सुस्सू करते देख उसको भी लग आयी.
इधर गुड्डी रानी की चूत प्रदेश को मैंने चाट के साफ़ किया उधर बेबी रानी आकर गुड्डी रानी की बगल में बैठ गयी- राजे अब मेरी बारी है … मेरा अमृत भी निकलने को हो रहा है.
अँधा क्या चाहे दो आँखें. मैं सरक कर बेबी रानी की तरफ हो गया और फिर उसके चूतामृत का लुत्फ़ उठाया.
सूसू से फ़्री होकर गुड्डी रानी ने दुबारा से कहा- मुझे तो बड़ी भूख लगी है कुछ मंगाएं खाने को?
बेबी रानी ने भी कहा- हाँ हाँ … मेरे पेट में भी चूहे दौड़ रहे हैं.
दोनों रानियों के लिए खीरा टमाटर मशरूम सैंडविच, फ़्रेश लाइम सोडा नमक वाला और मैंने मेरे लिए चिकन सैंडविच और बियर का रूम सर्विस में फोन करके आर्डर दे दिया.
बेबी रानी ने कहा- राजे तू कपड़े पहन ले … अभी वो आता होगा न रूम सर्विस वाला … हम दोनों तो नंगी रहेंगी.
मैंने कपड़े पहन लिए जबकि रानियों ने नंगी ही रहते हुए गले तक कम्बल ओढ़ लिया.
दस मिनट में ही वेटर खाना ले आया जो उसने टेबल पर सजा दिया और सलाम करके चला गया. आराम से हमने इधर उधर की बातें करते करते नाश्ता किया.
पेटपूजा होने के बाद गुड्डी रानी को फिर से चुदास चढ़ी.
अब वह चाहती थी कि किसी नए तरीके से उसको चोदा जाए.
बेबी रानी ने सलाह दी कि चलो बाथरूम में शावर के नीचे चुदाई करते हैं.
यह बात गुड्डी रानी को बहुत पसंद आयी.
फिर क्या था, मैं दुबारा से नंगा हुआ. इन दोनों ने तो कपड़े पहने ही नहीं थे. हम बाथरूम में चले गए. मगर वहां जो शावर वाला स्थान इतना बड़ा नहीं था जिसमें तीन लोग फिट भी हो जाते और चोद भी लेते. न ही टब इतना बड़ा था जिसमें तीन क्या दो भी चुदाई कर सकते.
बहनचोद ब्लू फिल्मे देख कर के रंडी के दिमाग में ऊटपटांग चुदाई के स्टाइल आ रहे थे. खैर फिर हुआ यह कि शावर एरिया में गुड्डी रानी और मैं चले गए और बेबी रानी टॉयलेट सीट पर बैठ कर नज़ारा देखने लगी.
हम दोनों ने लिपट कर खूब एक दूसरे पर बॉडीवॉश लगाया फिर फुव्वारा फुल स्पीड पर चला कर काफी देर तक मैं और रानी एक दूसरे के बदन पर फिसलते रहे. बेबी रानी मस्त हो कर भगनासा रगड़ती रही.
आखिर में जब गुड्डी रानी चुदने के लिए गुहार लगाने लगी तो मैंने लौड़ा गुड्डी रानी की चूत में घुसेड़ दिया.
इधर बेबी रानी ने बॉडी वाश खूब सारा हमारे शरीर पर टपका दिया. कुछ फर्श पर भी गिर गया. अब हुआ यह कि हम दोनों एक दूसरे के बदन पर फिसलने से लगे. कस के लिपटने के बाद भी कटि प्रदेश से ऊपर का शरीर आपस में स्लिप होता था. जैसे ही मैं धक्का ठोकता तो दोनों फर्श पर फिसलकर दूर वाली दीवार से जा लगते.
यह एक अनोखे किस्म का सेक्स था जो मैंने पहले दो तीन रानियों के साथ किया तो था मगर बॉडी वाश के कारण फिसल फिसला के नहीं.
बहुत मज़ा आ रहा था.
रानी नीचे थी और मैं उसके ऊपर. उसको बड़ा आनंद आता था जब वह मेरे धक्कों से जाकर दीवार से टकराती थी. वह दीवार से टकराती और लौड़े का सुपारा रानी की बच्चेदानी से टकराता.
बेबी रानी ने सारा का सारा बॉडी वाश ही नहीं शैम्पू भी हमारे ऊपर उड़ेल दिया.
काफी देर तक यूँही चुदाई चलती रही. जब बेबी रानी ने देखा कि बॉडी वाश सारा निकल गया और फिसलन घट गयी तो हरामज़ादी ने कंडीशनर भी पूरा का पूरा टपका दिया. जैसा सब जानते हैं कंडीशनर तो बहुत ही अधिक चिकना होता है. फिर क्या था फिसलन खूब बढ़ गयी. कंडीशनर जल्दी से बहता भी तो नहीं न है.
गुड्डी रानी सिसकारियां भरने लगी थी. उसके चूतड़ दबादब उचक रहे थे मानो वह मुझे अपने भीतर घुसा लेना चाहती हो.
इधर उधर सिर हिलाते हुए गुड्डी रानी चिल्ला रही थी- आह आह आह कुत्ते … और ज़ोर से चोद कमीने … आह आह आआआह आआह जानू तेरा लंड क्या है बिजली का खम्बा है … अहा अहा अहा अहा … ज़ोर से ज़ोर से ज़ोर से … अहा अहा अहा अहा … उफ्फ फ़फ़फ़ मादरचोद अब जान लेगा क्या?
मैं भी गुड्डी रानी के हुकम के अनुसार धम्म धम्म धम्म शॉट पे शॉट पेले जा रहा था.
तभी बेबी रानी उठ कर मेरे सामने आ गयी. टाँगें चौड़ी करके खड़ी हो गयी. उसने मेरे बाल पकड़े और खींच कर मेरा मुंह चूत से लगा दिया- ले भोसड़ी के … ज़ोर से अमृत छोड़ना है … पी कुत्ते पी …
तुरंत ही धक्कों में ब्रेक लग गया.
गुड्डी रानी चिल्लाई- तू हट परे रंडी … मस्त धक्के लग रहे हैं … बाद में पिलाइयो अमृत.
लेकिन तब तक तो बेबी रानी ने धार मार दी थी. उसकी दोनों टाँगें नीचे पड़ी हुई गुड्डी रानी के इर्द गिर्द थीं. लड़कियों के लिए खड़े होकर सुस्सू करना कितना दिक्कत वाला होता है यह हम सभी जानते हैं. खासकर सीधी धार निशाना साध कर मारना.
काफ़ी सारा अमृत मुंह में गया और काफ़ी सारा नीचे गुड्डी रानी पर, मेरी छाती पर और बेबी रानी की टांगों पर छलक गया. चुदाई करते करते अमृत पान मैंने पहले कभी नहीं किया था. कुछ अलग ही मज़ेदार स्वाद मिला.
कामावेश भयंकर रूप से तेज़ हो गया. बहनचोद बेबी रानी के चूतड़ जकड़ के मैंने बिजली की रफ़्तार से दे धक्के पे धक्का दे धक्के पे धक्का जो ठोका तो गुड्डी रानी स्खलित हो गयी. ऊँची आवाज़ में सी सी सी हाय हाय करते हुए कुतिया ने ज़ोर से अपने नितम्ब उचकाकर चरम आनंद का पूरा लुत्फ़ लेने की कोशिश की.
अब मैं भी चरम सीमा की तरफ तेज़ी से दौड़ रहा था. मैंने बीस पच्चीस ज़बरदस्त शॉट टिकाए और धड़ाम से झड़ा. लंड से वीर्य किसी पिस्तौल से चली गोली की भाँति छूटा. भल्ल भल्ल भल्ल लौड़े ने तुनके लगाए. गुड्डी रानी की चूत को मलाई से भर दिया. मेरा मुंह बेबी रानी की चूत से फिसल गया, निढाल हुए हाथों ने उसके चूतड़ भी छूट गए. मैं बेसुध सा होकर गुड्डी रानी के ऊपर ढेर हो गया.
बेबी रानी ने शावर बंद किया और जाकर वापिस टॉयलेट सीट पर बैठ गयी. उधर गुड्डी रानी और मैं दोनों किसी रेस लगाए हुए घोड़े की तरह हांफ रहे थे. भैं भैं भैं भैं भैं भैं की आवाज़े निकाल रहे थे. दस मिनट तक समय का पहिया यूँही रुका रहा.
फिर मैं उठा और गुड्डी रानी को उठाया. हरामज़ादी अर्ध मूर्छित सी पड़ी थी. उसको गोदी में उठाकर बाथरूम से बाहर लाया और बिस्तर पर आराम से लिटा दिया. बेबी रानी ने पहले ही झपट के एक तौलिया बिस्तर पर बिछा दिया था जिससे बिस्तर गीला न हो पाए.
इसके बाद बेबी रानी ने लंड साफ किया. रानी की जीभ से सफाई करवाने का मज़ा ही अलौकिक होता है. कहानियां पढ़ पढ़ के बेबी रानी को भी चाट के लौड़ा साफ करना अच्छा लगने लगा था. वह भी हमारी बगल में लेट गयी. आधा पौने घंटा यूँही हम सब पड़े रहे. गुड्डी रानी तो नींद में फिर से चली गयी थी.
बाद में गुड्डी रानी ने कोई खतरे वाली चुदाई की इच्छा ज़ाहिर की. वह चुदाई क्या और कैसे हुई और इन रानियों की तीसरी वाली सहेली कैसे चुदी उसका वर्णन मैं अगली कहानी में करूँगा.
यह बता दूँ कि हम लोग होटल में तीन दिन रहे. अंधाधुन्ध चुदाई हुई इन तीन दिनों में. सुबह, शाम और रात चुदाई और बस चुदाई. चोदा और सो गए, फिर चोदा और फिर सो गए . बस यही चला बिना ब्रेक के.
आखिर यह चुदाई समारोह से विदा लेने का वक़्त आ गया. होटल से चेक आउट करके हम अपने अपने घर चले गए.
हमेशा की तरह यह कहानी भी महान महारानी, मेरी बेगम जान, मेरी मल्लिका ए आलिया को समर्पित है.
आशा है पहले की कहानियों की तरह यह भी आप सब पाठक पाठिकाओं को पसंद आएगी.
धन्यवाद
चूतनिवास
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