यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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सर्दी का मौसम शुरू हो चुका था, सुबह और शाम के समय हल्की हल्की सर्दी होने लगी थी. एक दिन सुबह बाहर निकला तो देखा गुप्ताइन अपने पोर्टिको में बैठकर चाय पी रही थी और उसके साथ एक लड़की बैठी थी, सुन्दर सा गोल मटोल चेहरा और गदराया हुआ भरा पूरा जिस्म. आँखें ऐसी कि किसी का भी कत्ल कर दें.
मैं वापस कमरे में आया और गुप्ताइन को फोन करके पूछा- यह लड़की कौन है?
तो बोली- मेरी भतीजी है, गोरखपुर से आयी है.
मैंने गुप्ताइन से कहा- जब मौका मिले तो आना.
उसने कहा- ठीक है.
लगभग दो घंटे बाद आई तो मैं उदास सा चेहरा लिए बैठा था, देखकर बोली- सब खैरियत है?
मैंने कहा- पता नहीं, मूड ठीक नहीं है.
तो बोली- हम किस मर्ज की दवा हैं, अभी ठीक कर देते हैं.
वो मुझे बेडरूम में ले आई, सिर दबाने से लेकर चूत मराने तक सारे जतन करके उसने मेरा मूड ठीक कर दिया. फिर अपने कपड़े पहने और किचन में जाकर चाय बना लाई.
चाय पीने के दौरान हुई बातचीत में पता चला कि जो लड़की गुप्ताइन के घर आई हुई है उसका नाम बेबी है. वह गुप्ताइन की भतीजी नहीं बल्कि बेटी है जो पैदा होते ही गुप्ताइन के निसन्तान भाई ने गोद ले ली थी. बेबी गोरखपुर में बीकॉम में पढ़ती है और कॉलेज में एक हफ्ते की छुट्टी के कारण यहां आई है.
मैंने गुप्ताइन का हाथ अपने हाथ में पकड़ा और उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा- भाभी मेरा एक काम करा दो, तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलूंगा.
बोली- ऐसी क्या बात है? आप काम बताओ.
मैंने कहा- भाभी पहले वादा करो कि इन्कार नहीं करोगी.
गुप्ताइन ने मेरा हाथ कसकर पकड़ा और बोली- वादा रहा, अब बताओ काम क्या है?
मैंने कहा- एक बार बेबी को मेरे पास भेज दो.
बोली- बेबी को? किस लिये?
मैंने गुप्ताइन का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रखते हुए कहा, भाभी समझ जाओ. सुनते ही चौंकी और बोली- तुम बेबी को चोदना चाहते हो?
मैंने कहा- हां भाभी हां.
गुप्ताइन बोली- तुम समझ रहे हो तुम क्या कह रहे हो? कहाँ 18 साल की वो मासूम बच्ची और कहाँ तुम्हारा गधे जैसा लण्ड. उसकी चूत के तो परखच्चे उड़ जायेंगे.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, भाभी. डरो नहीं, बेबी तो हष्ट पुष्ट है. मैंने तो आपकी डॉली जैसी दुबली पतली लड़कियों को भी चोदा है, बड़े मजे से चुदवाती हैं, कुदरत ने लड़की का शरीर ही ऐसा बनाया है. आप चिन्ता न करो.
कहने लगी- नहीं यार, वो मेरी बेटी है, क्या सोचेगी?
मैंने कहा- कुछ नहीं सोचेगी, आप उससे यह थोड़े ही कहोगे कि जाओ चुदवा आओ.
“तो क्या बोलूं?”
“कुछ नहीं, किसी बहाने से भेज दो.”
“लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“न डरो भाभी. मुझ पर भरोसा रखो.”
“अच्छा एक काम करती हूँ, वो टीवी की बहुत शौकीन है. मैं अपने टीवी की तार निकाल देती हूँ और उसको टीवी देखने के बहाने भेजती हूँ. लेकिन सम्भल कर करना.”
मैंने कहा- बेफिक्र होकर भेजो.
गुप्ताइन के जाने के बाद मैंने तुरन्त सेटिंग कर दी और अपने बेडरूम में लगे टीवी में पेन ड्राइव लगा दी. जिसमें पहले कुछ रोमांटिक गाने, फिर नग्न नृत्य और उसके बाद सनी लियॉन के सम्भोग दृश्य. एक घंटे की पेन ड्राइव है जो एक घंटे बाद ऑटो रिवाइन्ड है. एक छोटा गुप्त कैमरा कमरे में और एक बाथरूम में रख दिया जिससे सारी घटनायें मैं ड्राइंग रूम में बैठकर अपने लैपटॉप पर देख सकता हूँ.
डोरबेल बजी, मैं बाहर निकला तो गुप्ताइन और बेबी खड़ी थीं. गुप्ताइन बोली- पता नहीं क्या हुआ, हमारा केबल खराब हो गया है और बिना टीवी के इनका खाना हजम नहीं होता.
मैंने कहा- तो क्या हुआ, यहां देख ले.
गुप्ताइन चली गई. मैं और बेबी अन्दर आ गये.
अन्दर आकर मैंने पूछा- आपका नाम क्या है?
“बेबी …”
“बहुत प्यारा नाम है, मुझे बहुत पसन्द है.”
सारी बातचीत मैं इसलिये कर रहा था कि मुझसे थोड़ा खुल जाये और साथ साथ मैं उसके शरीर का एक्सरे कर सकूं.
बेबी को ड्राइंग रूम में बैठाकर मैं किचन में गया और 600 मि.ली. वाली कोकाकोला की बोतल ले आया और उसका ढक्कन खोलकर बेबी को पकड़ा दी, दो पेग व्हिस्की इसमें मिली हुई थी. बेबी ने दो घूंट पिये और बोतल टेबल पर रख दी.
मैंने बोतल उठाई और बेबी को अन्दर आने को कहा. बेडरूम में मैंने टीवी ऑन किया, बेबी बेड पर चढ़कर पालथी मारकर बैठ गई.
मैंने बोतल बेबी को पकड़ाई और बाथरूम की तरफ इशारा करते हुए कहा- बाथरूम इधर है. तुम टीवी देखो, मैं अपना काम कर रहा हूँ.
इतना कहकर मैं बाहर आ गया, बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया था.
मैंने अपना लैपटॉप खोला और देखने लगा कि रोमांटिक गाने चल रहे हैं. बेबी ने एक तकिया अपनी गोद में रख लिया था. जब नग्न नृत्य शुरू हुए तो वो टकटकी लगाकर देख रही थी.
जैसे ही सनी लियोन के सम्भोग दृश्य स्क्रीन पर चलने लगे, बेबी कभी अपना हाथ अपनी चूत पर फेरती और कभी चूचियों पर. मैं समझ गया कि तीर निशाने पर लगा है, इस बीच कोकाकोला की बोतल आधी हो गई थी.
पेन ड्राइव समाप्त होकर पुन: चल पड़ी तो बेबी बेड से उतरी, अपनी चूत को सहलाया और बाथरूम चली गई. बाथरूम में जाकर उसने अपना टॉप ऊपर उठा दिया और शीशे में देखकर अपनी चूचियां मलने लगी, फिर पेशाब किया और वापस आकर बेड पर उसी जगह बैठ गई.
रोमांटिक गाने समाप्त होने में लगभग दस मिनट बाकी थे कि मैं बेडरूम में पहुंचा और लेट गया. मैंने कहा, बेबी जब इच्छा हो टीवी बंद कर देना और सो जाना. एसी के कारण ठंडा लगे तो चादर ओढ़ लेना, मैं सोने जा रहा हूँ.
थोड़ी देर में नग्न दृश्य और फिर जब सनी लियोन के सम्भोग दृश्य शुरू हुए तो कसमसाने लगी.
मैं नींद में होने का नाटक कर रहा था. नींद में ही मैंने उसकी तरफ करवट ली तो मेरा लण्ड उसको जांघ से छूने लगा.
बेबी ने मुझे सोता जानकर धीरे से मेरे लण्ड को छुआ, फिर हाथ फेरा और हाथ हटा लिया और अपनी चूत पर और चूचियों पर फेरने लगी. मुझे अभी और इन्तजार करना था.
पेन ड्राइव फिर खत्म हो गई, बेबी उठी और टीवी बंद कर दिया. बेड पर आकर लेट गई, चादर ओढ़ ली और मुझे भी चादर में कर लिया. उसने अपनी स्कर्ट कमर तक उठा ली और अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटा लिया. लोअर के अन्दर लण्ड और पैन्टी के अन्दर चूत लेकिन बेबी उनको मिला कर मजा ले रही थी.
अब नींद में ही मेरा हाथ बेबी की चूची पर पहुंच गया. उसने मेरा हाथ उठाकर वापस रख दिया, अपना टॉप ऊपर करके अपनी दोनों चूचियां आजाद कर दीं और मेरा हाथ उठाकर फिर से अपनी चूची पर रख दिया.
बेबी बार बार अपनी चूत को लण्ड पर रगड़ रही थी.
मुझे लगा कि अब कुछ करने का समय है. मैंने अपना लोअर नीचे खिसका दिया, उसकी पैन्टी भी खिसका दी और अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
बेबी ने अपनी एक टांग उठाकर मेरी टांग पर रख दी ताकि उसको लण्ड रगड़ाई का पूरा मजा मिल सके. लण्ड का सुपारा बेबी की चूत के लबों के बीच रखकर मैं उसकी चूचियों से खेलने लगा और वो लण्ड को चूत के अन्दर लेने की जोर आजमाइश कर रही थी.
मैं उठा अपने और बेबी के सारे कपड़े उतारे, उसको सीधा लिटाकर गांड के नीचे तकिया रखा. हथेली पर क्रीम लेकर उसकी चूत की मसाज करने लगा, पहले उंगली और फिर अपना अंगूठा उसकी चूत में अन्दर बाहर किया तो सिसकियाँ भरने लगी. मैंने पूछा और करूँ तो बोली, हां करते रहो.
मैंने लण्ड पर क्रीम लगाई और उसकी चूत के लब खोलकर लण्ड का सुपारा रखकर दबाया तो सुपारा टप्प से आन्दर हो गया. चुदाई शुरू हो चुकी थी, चूचियां मसली जा रही थीं.
तभी गुप्ताइन का फोन आया.
मैंने कहा, जी सर, गुड इवनिंग.
“यार तीन घंटे हो गये, अब उसको भेजो.”
“अभी काम पूरा नहीं हुआ है, थोड़ा बाकी है.”
“चोद डाला?”
“जी, अभी चल रहा है. सुबह तक भेज दूंगा.”
“सुबह तक? ये क्या कह रहे हो?”
“सर, एक प्रोजेक्ट कम्पलीशन पर है. दूसरा रात में करूंगा.”
“मर जायेगी.”
“आप बिल्कुल चिन्ता न करिये, काम एकदम परफेक्ट होगा. बॉय सर!”
बेबी ने पूछा- कौन था?
“मेरा बॉस. प्रोजेक्ट के बारे में पूछ रहा था.”
पैसेन्जर ट्रेन अब रफ्तार पकड़ रही थी. रफ्तार तेज होते ही ऊह ऊह करने लगी.
मैंने कहा- कोई दिक्कत हो तो बता देना.
ऊह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह का जवाब मेरा लण्ड देता था, धकाधक, धकाधक.
ट्रेन मंजिल पर पहुंची तो बेबी मुझसे लिपट गई और बेतहाशा चूमने लगी.
मैंने कहा- एक मिनट रुको.
मैं बाथरूम गया, कॉण्डोम उतारा और लण्ड धोकर आ गया.
बेड पर आते ही, मेरे ऊपर चढ़ गई और चूमने चाटने लगी. मैं भी उसकी चूचियां चूसने लगा.
मैंने उसको लण्ड चूसने का इशारा किया तो लण्ड पकड़ कर चूमने, चाटने और चूसने लगी. थोड़ी देर में लण्ड का साइज बड़ा होने लगा. मेरी जांघों पर चढ़ गई और लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी.
लण्ड को चूत में डालने की कोशिश करती देख मैं उठा और उसको लिटा दिया. उसने तकिया उठा कर अपनी गांड के नीचे रखा. मैंने लण्ड पर क्रीम लगाकर उसकी चूत के लब खोले और ढीला ढाला लण्ड हाथ के सहारे से चूत में डाल दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
अन्दर बाहर करने से लण्ड में थोड़ी ताकत आ गई तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये, उसकी सांसों में व्हिस्की की गंध थी जिसने मुझे मदहोश कर दिया. चूचियां छाती से रगड़ रही थीं और ट्रेन चल पड़ी थी, थोड़ी देर में ही ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली. जैसे जैसे धक्के पड़ते, उसकी चूचियां उछलतीं.
मैंने उससे पोजीशन बदलने को पूछा तो उसने इन्कार नहीं किया. लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ा कर मैंने घोड़ी की सवारी की. बेबी की चूचियां मैंने पकड़ रखी थीं और घोड़ी सरपट भाग रही थी. जब लण्ड का सुपारा अन्दर तक जाता तो आह ऊह की आवाजें निकाल कर मेरा जोश बढ़ाती थी.
सरपट दौड़ती रफ्तार से जब मैं मंजिल के करीब पहुंचा तो लण्ड फूलकर मूसल हो चुका था. मैं बेबी की हिम्मत देखकर हैरान था. मंजिल पर पहुंच कर लण्ड ने धमाकेदार पिचकारी छोड़ी.
हम दोनों बाथरूम गये, एक साथ नहाये. रात के आठ बज चुके थे. रेस्टोरेंट पर खाने का आर्डर किया, बेड दुरुस्त किया और गुप्ताइन को फोन किया कि मैंने खाना मंगाया है.
गुप्ताइन आई तो मैंने बेबी से कहा- फ्रिज से पानी की बोतल और तीन गिलास निकाल लाओ.
बेबी पानी लेने गई तो गुप्ताइन ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं, वो टीवी देखने में मस्त थी, मैं कुछ सोच नहीं पाया.
“मेरी मानो, ये आइडिया ड्राप कर दो, मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“बिल्कुल न डरो, मुझे रात भर का टाइम दे दो. सुबह तुम्हारी बेबी तुमको सही सलामत मिल जायेगी.”
इतने में खाना आ गया. हम तीनों ने खाना खाया. रात के दस बज चुके थे, गुप्ताइन ने कहा- चलो बेबी हम लोग चलें, अब अंकल को सोने दो.
मैंने कहा- भाभी आप जाइये, बेबी को रहने दीजिये, सुबह आ जायेगी.
बेबी तुरन्त बोली- हाँ बुआ इनका टीवी. बहुत अच्छा है, देख लेने दो.
गुप्ताइन जाते जाते मुझे धीरे से कह गई- देख लेना कोई गड़बड़ न हो.
अब गुप्ताइन को क्या बताता कि क्या हो चुका है.
गुप्ताइन के जाने के बाद मैंने एक पोर्न पेन ड्राइव लगाई, जिसमें आठ घंटे की रेकार्डिंग थी. चुदाई का कोई आसन ऐसा नहीं जो उसमें न हो.
पेन ड्राइव शुरू हो गई तो हम लोगों ने एक दूसरे के कपड़े उतारे और शुरू हो गये. सुबह छह बजे तक हम लोग टीवी में देखकर आसन बदलते रहे फिर सो गये.
समाप्त
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