यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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नमस्कार मित्रों, मैं अमित आप सभी को वापिस आपको अपनी पिछली हिंदी चुदाई की कहानी
पति ने दिया दर्द मैं और मेरा लंड बना हमदर्द
में वापिस ले जाने आया हूँ।
जैसा मैंने बताया था कि मेरी और दिव्या की वो रात काफ़ी अच्छी निकली थी।
उसके साथ अब तक के जीवन के कई दिन बिताने के बाद मैं सोचने लगा कि दिव्या के साथ मेरी जो कल्पना थी, वो सच में पूरी होती नजर आ रही थी।
मैं बिस्तर में लेटा हुआ उसकी याद में डूबा था.. कुछ पुरानी यादें याद आ गईं कि कैसे कुछ दिन पहले ही दिव्या मिली थी.. कितनी जल्दी हम दोनों कितने करीब आ गए।
फिर दिमाग वही सब फिल्म की तरह चला कि हमारी छेड़-छाड़ से हुई शुरुआत.. बिस्तर तक आ गई और इस तरह से कब हमारे सम्बन्ध चुदाई में बदल गए.. पता ही नहीं चला।
उन दिनों के कुछ किस्से भी याद आए कि कैसे मैं उसे छेड़ता था.. या वो खुद मुझे छेड़ती थी।
एक बार हम दोनों उसकी कार में घूमने भी गए थे, उस दिन उसने बहुत मस्त बैकलैस टॉप पहना हुआ था।
उस वक्त मैंने उसे देख कर ‘आह..’ भरी थी तो उसने मुस्कुरा कर मुझसे पूछा था कि कैसी लग रही हूँ, जिस पर मैंने उत्तर दिया था कि बहुत हॉट लग रही हो।
मेरे इस उत्तर पर बोली थी कि मेरी शादी ना हुई होती और बच्चे ना होते तो रोज ऐसे ही सजती संवरती।
इसी तरह की बातों के बाद बोली कि चलो वापस चलते हैं। मेरे कार में बैठते ही उसने कहा कि मेरे टॉप का फीता बांध दो ना।
मैंने कहा- आहह.. दिल तो टॉप ही उतारने का कर रहा है!
तो पलट कर बोली- चुप.. फीता बाँध दो.. और ये कहते हुए ही वो मुड़ गई थी।
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और कहा- सोच लो घूमने जाना है कि रूम पर वापिस चलें?
दिव्या बोली- घूमने जाना है।
मैंने कहा- अगर मैं शरारत करूँ तो?
बोली- मुझे भरोसा है तुम पर!
मैंने फिर फीता पकड़ा.. थोड़ा पीठ पर हाथ फेरा और साइड से थोड़ा उसका बोबे को हल्का सा छुआ.. तो वो सिसक गई। फिर मैंने फीता बाँध दिया।
फीता बंधने के बाद घूम कर बोली- मुझे पता था.. कि तुम मेरा भरोसा नहीं तोड़ोगे।
मैंने कहा- मुश्किल से कंट्रोल किया मैंने!
इस पर वो हँसने लगी और बोली- कंट्रोल करो.. अभी कुछ नहीं होने वाला।
मैंने कहा- अभी कुछ नहीं.. तो मतलब रात को पक्का!
तो वो शर्मा गई।
इस तरह के सीन आँखों के सामने चलते रहे।
एक दिन हम यूँ ही बातें कर रहे थे, तो दिव्या बोली- पता तुमको मैं क्यों पसंद करती हूँ?
मैंने बोला- बताओ?
बोली- तुम लड़की से बात करते समय उसका चेहरा देखते हो.. औरों के जैसे उसके बूब्स पर नहीं देखते हो।
मैंने कहा- अभी तो तुम्हारे देख कर करता हूँ।
तो हँस पड़ी.. और बोली- अब तो तुम प्यार करने लगे हो।
मैंने कहा- और तुम..?
तो वो चुप हो गई और रुक कर बोली- मुझे पता नहीं..!
मैंने कहा- अब मान भी लो ना!
तो बोली- मान कर खुद को और तुमको भी दोबारा दुख नहीं पहुँचा सकती।
मुझे उसकी वो बात याद थी कि वो मुझसे टुन्नी में कहती थी कि उसके मुँहबोले भाई के साथ मिलकर वो नशा करती थी और वो उसको ब्लू फिल्म दिखा कर न जाने कितनी पोज़िशन्स में उसको चोदता था।
जब मैंने उससे कहा- उसको मना नहीं करती थीं।
तो बोलती थी- नहीं.. पता नहीं उस वक्त मुझे क्या हो जाता था।
मैंने कहा- सो डोंट यूँ एंजाय गेटिंग फक्ड?
तो कहती- मुझे नहीं पता कि इसे लड़कियाँ पसंद करती हैं या नहीं… मुझे इतना मालूम है कि वे जोर जबरदस्ती पसंद नहीं करती हैं।
मैंने कहा- आज फिर पूरी रात तुम्हारे साथ चुदाई करूँ?
तो कहती- पूरी रात.. इतना करोगे, तो मैं तो मर ही जाऊँगी.. मेरा तो इतना स्टॅमिना है ही नहीं।
मैंने कहा- ओके थोड़ी देर सही..
तो वो चुप होकर मुझे देखती रही। उसकी आँखें कुछ ऐसे कह रही थीं कि मन की बात ज़ुबान पे नहीं ला रही हो।
हमारी चुम्मा-चाटी शुरू हो चुकी थी, मैं ऑफिस में भी उसके साथ ये सब कभी भी कर लेता। जो लोग उसको या मुझे नहीं जानते थे, उन देखने वालों को लगता था कि वो मेरी बीवी है।
एक बार मैंने उसे लिफ्ट में चूमा तो बहुत खुश हुई, कहती है कि मेरा ब्वॉयफ्रेंड भी ऐसे ही करता था.. तो मुझे गुस्सा आ गया, तब वो चुप हो जाती थी।
मुझसे कई बार गले लगने के बाद बोलती- तुम बहुत गर्म हो.. जिसके साथ शादी करोगे, वो बहुत लकी होगी।
मैंने कहता कि तुमसे ही करूँगा.. तो हंस देती और कहती कि जब तुम मेरी गर्दन के पास गरम साँसें लेते हो.. तो मुझे कुछ हो जाता है.. पागल हो जाती हूँ।
दोस्तो, कई बार लगता था कि इन सब बातों से वो मुझे उकसा रही थी.. कि मैं आगे बढूँ और उसको चोदूं।
खैर.. हमारा रिश्ता बन चुका था, अब आगे की कहानी पर आता हूँ।
उस रात के बाद अगले दिन जब हम मिले, तो वो थोड़ी उदास थी।
बोली- अमित कल जो हुआ, उससे बड़ा अजीब लग रहा है।
मैंने उसे गले से लगाया तो कहने लगी- नहीं नहीं.. दूर रहो।
मैंने कहा- यार अब तुम ऐसे कर रही हो तो मुझे गिल्टी फील हो रहा है।
दिव्या- नहीं.. तुम दोष मत लो.. हमने पी कर कंट्रोल खो दिया था।
मैंने फिर पूछा- सच्ची बताओ.. अच्छा नहीं लगा था?
बोली- पता नहीं..
इतना बोल कर मुझे देखा और फिर कस के मेरे गले से लग गई। मैंने भी उसको कसके अपनी बांहों में भींच लिया और उसको चूमने लगा।
बोली- हटो अब.. अमित ऐसा फिर से नहीं होगा ना..!
मैंने कहा- जैसा तुम चाहो.. लेकिन ग़लत क्या है.. तुम मुझसे प्यार करती हो, मैं भी!
वो इठला कर बोली- मिस्टर मैं अभी भी शादीशुदा हूँ.. अच्छा नहीं लगता यार!
मैंने कहा- ओके जब तुम्हें ठीक लगे, तब आगे बढ़ेंगे।
फिर उसने कहा- चलो कहीं चलते हैं।
हम दोनों घूमने गए और देर रात को वापिस आए.. तो ठंड हो रही थी। वो काँपने लगी. फिर खुद बाइक पर मुझसे चिपक गई और मेरी जाँघों पर हाथ फेरने लगी।
उसके ऐसा करने से मैं बहुत गर्म हो गया.. फिर भी मैंने कंट्रोल किया।
फिर हमने खाना खाया ही था कि उसके भाई का कॉल आ गया कि उसने बताया वो इसी शहर में है.. उससे मिलने आया है, यह सुन कर वो परेशान हो गई, वो झुंझला कर बोली- इसीलिए मैं इसका फोन ही नहीं उठा रही थी.. और अब यह यहाँ आ गया।
मैंने कहा- तो मिल लो..!
बोली- लेकिन यार वो तंग करेगा।
मैंने कहा- फिर मैं साथ चलता हूँ.. मैं सब संभाल लूँगा।
बोली- नहीं यार, फिर वो कहेगा कि अब इससे चुद रही है तू!
मैंने कहा- तुम पहले ही कह देना कि मैं तुम्हारी टीम में हूँ.. साथ में काम करते हैं।
तो बोली- हाँ देखती हूँ, अभी मैं जाती हूँ.. तुम थोड़ी देर में आ जाना।
मैं वहाँ पहुँचा तो देखा वो टेंशन में लेटी थी और उसका भाई दारू पीने में लगा था। मुझे देखकर उसने अच्छे से बात की।
दिव्या को लगा था कि कहीं मैं उसके भाई की पिटाई ना कर दूँ। उसके भाई ने मुझे भी दारू पिलाई और दिव्या को भी पैग बना कर दिया।
फिर थोड़ी देर के बाद मैं और दिव्या निकल पड़े.. मैंने कहा- कहाँ चलोगी?
दिव्या- तुम्हारे रूम पर ही चलती हूँ।
हम दोनों वहाँ गए..
वो बुझी हुई थी, बोली- साले ने मुझसे पैसे ले लिए और कह रहा था कि और पैसे चाहिए।
मैंने कहा- मत दो..
तो कहती- भाई है..
मैंने कहा- ऐसा कैसा भाई है यार?
वो उदास हो उठी थी।
मैंने उसके साथ बिस्तर पर लेट कर उसे गले लगा लिया।
फिर वो बोली- मैं बहुत थक गई हूँ।
मैंने कहा- यहीं सो जाओ।
वो लेट गई.. मैंने किस की तो वो हँसी और आँख मार दी। मैंने कमरा बंद कर दिया और उससे लिपट गया। थोड़ी देर बाद उसने मेरे हाथ पर हाथ फिराना चालू किया। मैंने उसकी चुची दबाना चालू की।
वो मुझे कसके लिपट गई।
फिर हम दोनों ने चूमना चालू किया.. बहुत देर चूमते रहे। मैं उसकी चुची मसलता रहा.. उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी और ब्रा ऊपर करके एक दूध चूसने लगा, वो मुझे अपने ऊपर दबाने लगी।
फिर चूमते-चूमते मैं नीचे आ गया.. उसकी पैंट निकालने लगा। वो रोकने लगी.. लेकिन थोड़ी देर में उतार दी। मैंने पैंट उतराते ही उसकी पेंटी भी उतार दी।
वो ‘उहह ह्म..’ करने लगी।
मैंने उसकी टांगें खोलीं और उसकी चूत पर चूमा, तो उसने चूत पसार दी।
फिर मैंने अपने कपड़े उतारे, उसको चोदने लगा।
उसने पहले मना किया.. लेकिन फिर धक्के लगते रहे उम्म्ह… अहह… हय… याह… और वो मस्त होती रही।
मैंने थोड़ी देर बाद लंड निकाल कर उसकी चूत पर पानी छोड़ दिया। माल को एक कपड़े से साफ करके उससे लिपट गया।
वो रात को उठी.. थोड़ी उखड़ी हुई थी, उस वक्त बोली- मुझे अभी घर छोड़ कर आओ।
मैंने कहा- सुबह चली जाना।
बोली- नो.. अभी।
मैं उसको 3.30 बजे उसके घर छोड़ कर आया।
सुबह उसने उलाहना देते हुए कहा- हमने फिर हदें पार कर दीं।
मैंने कहा- तो क्या हुआ.. तुम मेरी हो।
वो कहती- नहीं.. जब तक डाइवोर्स नहीं होता.. तब तक नहीं हूँ।
मैंने कहा- हाँ.. ये सही बात है।
फिर अगले दिन ही ऑफिस में ही लिफ्ट के पास मैंने उसे चूम लिया। हम दोनों फिर से हँस कर बातें करने लगे।
फिर कुछ दिन सिर्फ़ चुम्मा-चाटी या बोबे दबाना चलता रहा। अचानक एक दिन लगा कि चुदाई न हो पाने के कारण वो कुछ उखड़ी सी है। एक-दो बार ऐसा लगा कि अभी वो जानबूझ कर मुझे चिढ़ा रही है।
जैसे एक दिन क्या हुआ कि सुबह मैं उसको ऑफिस लेने के लिए पहुँचा और हॉर्न मारा.. उसकी मकान मालकिन ने उसको आवाज़ लगाई.. दरवाज़ा खुला था, वो अचानक से तौलिया में ही भाग कर बाहर बालकनी में आई और उसने न सुन पाने के लिए ‘सॉरी’ बोला।
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मैंने नोटिस किया कि तौलिया से सिर्फ़ बोबे छुप रहे थे.. उसकी चूत नहीं।
उसने नीचे खुद को देखा और शर्मा कर कमरे में चली गई। फिर वो तैयार होकर नीचे आई और बाइक पर बैठ गई।
मेरी हालत खराब हो रही थी.. उसको समझ आ रहा था क्योंकि मेरा लंड खड़ा था और हमेशा की तरह उसके हाथ बाइक पर मेरी जांघों पर थे।
मैंने कहा- तौलिया मस्त था!
उसने मुझे मुक्का मारा और बोली- पूरे बेशरम हो।
एक दिन उसने मुझे बताया- मेरी पड़ोसन कह रही थी कि मेरे बोबे बहुत अच्छे हैं।
मैंने कहा- क्या वो लेस्बो है?
तो दिव्या हँसने लगी।
मैंने कहा- वैसे वो सच कहती है.. तेरे मस्त लगते हैं।
उस शाम हम दोनों मेरे कमरे पे मिले। उस दिन मेरा रूम मेट नहीं था।
दिव्या बोली- क्या बात आज अकेले?
मैंने आँख मार दी, तो वो भी मुस्कुरा दी।
हम दोनों बातें करने लगे। वो अधलेटी थी.. मैंने उसकी शर्ट ऊपर की हुई थी और चुची चूस रहा था। वो बहुत गर्म हो रही थी.. मुझसे भी रुका ना गया, मैंने कहा- आज पूरे 15 दिन हो गए हैं तुम्हें चखा नही है।
उसने भी चुदास से सर हिलाया तो मैंने उसे खींचा और चूमा और चित लिटा दिया।
अब मैंने भी अपने कपड़े उतारे और चुदाई शुरू करने लगा। उसने भी साथ दिया तो लगा कि हाँ वो भी बहुत प्यासी थी।
वो खुद चुदने के लिए चूत दिखा कर और गर्म बातें करके मुझे उकसा रही थी।
उस दिन लगातार 4 बार चुदाई चली।
दोस्तो, आज जिस तरह से वो खुल कर खेल रही थी, उससे मालूम हुआ कि वो बहुत गर्म माल थी.. और आज यह तो पता चला ही साथ ही ये भी समझ आया कि उसको भी चुदाई का बहुत शौक था।
हमारे बीच हमको पता था एक भरोसा ही था, जिससे यह रिश्ता बना क्योंकि भरोसा हो तो तुम कुछ भी कर सकते हो। इसी भरोसे के चलते ही उसके साथ ज़बरदस्ती की जरूरत ही नहीं पड़ी, सिर्फ़ इशारा ही काफ़ी था।
हालांकि हम दोनों को ये भी पता था कि यह रिश्ता कभी एक रूप नहीं लेगा लेकिन हमें एक-दूसरे के साथ से बड़ा सुख मिल रहा था और वो हमारी मर्ज़ी से था।
आप सबको इस पर क्या कहना है प्लीज़ जरूर लिखिएगा, भाभियों और गर्म चुदासी लड़कियों से अनुरोध है.. कि वे मेरी इस हिंदी में चुदाई की कहानी पर अपने विचार जरूर लिखें।
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