यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
नमस्ते फ्रेंड्स! कहानी को जारी करते हैं..
अपने कमर पर हाथों को रखते हुए और मुझे घूरते हुए बोली- क्यों मिस्टर, मेरे कमरे में कैसे आये और क्या कर रहे हो?
मेरे हाथ पाँव फूल गये, मेरे मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था, बस मैं उसे एकटक देखे जा रहा था, मैं उसकी सुन्दरता और मोहकता के जाल में फंसा हुआ था।
तभी उसने मुझे झकझोरते हुए फिर पूछा तो मेरी उंगली खिड़की की तरफ उठी।
‘मतलब चोरी करने आये थे?’
‘नहीं!’
‘फिर?’
“आपको…’ अब मैं धीरे-धीरे नार्मल हो चुका था तो मैंने उसको शुरू से पूरी बात बताई।
पूरी बात सुनने के बाद बोली- ओह… तो तुम मेरे जिस्म के पीछे के हिस्से ही देख पाये। एक बात मेरी समझ में नहीं आई कि जब तुम मेरे कमरे तक आ गये थे और मुझे नंगी देख चुके थे और यह भी जान गये थे कि मैं अकेली हूँ तो तुमने मौके का फायदा क्यों नहीं उठा लिया या फिर केवल देखकर मजे लेने वाले मर्द हो?
‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे मालूम था कि जो मुझे चाहिये वो मुझे प्यार से मिल जायेगी उसके लिये जबरदस्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।’
‘कैसे??’
अब मैं उसके और पास आ गया और एक गहरी सांस लेकर उसके ऊपर छोड़ते हुए बोला- बस मेरी नजर भी तुम पर पड़ गई थी जब तुम मुझे देख रही थी और जब-जब तुम मुझे देखती उसी समय मेरी नजर भी तुम पर पड़ जाती। इसलिये मुझे मालूम था कि जो मैं चाहता हूँ वो मुझे प्यार से मिल जायेगा, रही बात मर्द की, जब चाहो आजमाकर देख लो।
‘चलो, वो भी मैं आजमाकर देख लूंगी! पर तुम्हारा नाम क्या है?’
‘सक्षम… और तुम्हारा?’
‘सुहाना…’ वो बोली।
‘तुम अकेली यहाँ पर रहती हो?’ मैंने पूछा।
‘अरे जब जॉब अकेली करती हूँ तो अकेली ही तो रहूंगी।’
‘हम्म! क्या ऐज है तुम्हारी?’
‘यही कोई 28-29 साल की होगी।’
तुम 28-29 साल की हो और इतनी खूबसूरत हो और अब तक तुम्हें कोई मिला नहीं जो तुम्हारी खूबसूरती को बयाँ करे?’
‘अब तुम मिल गये हो न… करो मेरी खूबसूरती का बखान!’
उसका चेहरे का रंग थोड़ा-थोड़ा उतरने लगा।
मैं उसके हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोला- अगर तुम मेरी जिन्दगी में पांच मिनट के लिये भी आ जाओ, तो मैं समझूंगा कि मैंने अपना जीवन जी लिया।
मेरा इतना कहना था कि उसकी आँखों से दो बूंदें टपक गई।
मैं उसके आंसू पौंछते हुए बोला- इसीलिये तो बोल रहा हूँ कि इतनी कीमती चीज को जाया मत करो, बस अपना मन हल्का कर लो।
वो मेरी तरफ देख कर बोली- मैं विडो हूँ।
‘हम्म!’ कहकर मैं अपनी खड़ा हो गया और उसने अपना हाथ मेरे हाथ से हटा लिया।
‘सॉरी यार…’ मैं बोला।
‘किस बात की सॉरी?’ अब उसके बोलने की बारी थी।
‘बस ऐसे ही…’ मैं अपनी बात को रोकते हुए बोला, हालाँकि मैं चाहता था कि मैं उससे वो सब कुछ पूछ लूं जो मेरे मन में चल रहा था।
अचानक उसे कुछ ध्यान आया और बोली- तुम मेरी अलमारी में क्या ढूंढ रहे थे?
मैं एकदम सकपका गया कि इसे कैसे मालूम हुआ कि मैंने उसकी अलमारी खोली है।
मैं एक बार फिर बिना पलके झपकाये देखने लगा तो बोली- मिस्टर ऐसे मत देखो!
टीवी ऑन करते हुए बोली- इसको देखो!
देखा तो मेरी एक-एक हरकत कैमरे में कैद हो चुकी थी।
टीवी की तरफ देखने के बार उसकी तरफ देखा तो बोली- तुम परेशान मत हो, मुझे भी बड़ा मजा आया था जब तुम मुझे छिप-छिप कर देखने की कोशिश कर रहे थे इसलिये मैं तुम्हें केवल चूतड़ का ही दर्शन करवाती थी। और जब पहली बार तुम्हारे मूसल जैसे लंड को देखा तो मेरी चूत ने इस लंड की डिमाण्ड कर दी, कल तक मैंने इसे बहुत समझाया, लेकिन आज मैं हार गई इसलिये मैंने ऑफिस जाना कैंसिल कर दिया और तुम्हारे साथ पाने के लिये वापस आ गई।
उसके मुंह से चूत और लंड बिन्दास सुनकर मजा आ गया, मैंने तेजी से उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर सीने से लगा लिया। एक तो वो पहले से लम्बी थी और ऊँची हील की सैन्डिल पहनने से उसकी लम्बाई मेरी लम्बाई के बराबर आ गई।
वो बिना किसी झिझक कर मुझसे चिपक गई और अपने दोनों हाथों के बीच मेरे कमर को फंसा लिया और ठुड्डी को मेरे कंधे पर टिका दिया।
कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसी ही पोजिशन में खड़े रहे, फिर मुझसे अलग होते हुए बोली- तुमने अभी तक नहीं बताया कि तुम मेरी अलमारी में क्या ढूंढ रहे थे?
‘तुम्हारी पैन्टी और ब्रा…’
‘पर तुम्हें मेरी पैन्टी ब्रा से क्या मतलब?’
‘उससे तुम्हारे खूबसूरत जिस्म की खुश्बू को महसूस करना चाहता था, लेकिन पता नहीं तुम कहां रखती हो कि मिली नहीं!’
‘मैं पहनती नहीं हूँ।’
‘ओह! अब समझा!’
‘क्या समझे?’
‘अपनी ईजीनेस के लिये तुम नहीं पहनती।’
‘मैं समझी नहीं… कैसी ईजीनेस?’
‘मतलब जब तुम्हारा मन करे तो कर लिया ज्यादा झंझट नहीं!’
वो थोड़ा सा नाराज होकर मुझसे अलग होते हुए बोली- आखिर मर्द वाला कीड़ा जाग ही गया?
अब मेरी बारी थी, मतलब बोलने के लिये लेकिन वो बोली- भले ही मैं विडो हूँ, लेकिन प्यास बुझाने की तड़प नहीं है।
‘फिर क्यों नहीं पहनती?’ मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, उसने कंधे को हल्का सा झटका दिया और बोली- मेरे हबी को नहीं पसंद था कि मैं पैन्टी ब्रा पहनूँ!
मेरी जिज्ञासा बढ़ने लगी। मैं उसकी बगल में बैठ गया और बोला- सुहाना, तुम्हारे हबी…?
कहकर मैं रूक गया, बाकी बात वो समझ गई, बोली- एक एक्सीडेन्ट में!
‘ओह! क्या करते थे?’
‘जिस कम्पनी में मैं काम करती हूँ उसी में वो सीनियर एक्जूक्टिव थे। कम्पनी ने मुझे इस शहर में भेज दिया।’
‘हम्म…’ अब मैं उस बात को जानने के लिये बोला- सुहाना, तुम्हारे हबी को क्यों नहीं पसन्द था?
सुहाना ने बताना शुरू किया- हमारी लव मैरिज हुई थी। दस दिन का लव था और 10 दिन में ही मैरिज हो गई। मेरी कम्पनी में बहुतों का दिल मेरे पर था, लेकिन पहले ही दिन जब वो प्रोमोट होकर मेरे ऑफिस आये तो उनकी नजर मुझ पर पड़ी और मेरी नजर उन पर पड़ी, क्या पर्सनालिटी थी। बिना कोई परिचय लिये बोले- मिस, क्या तुम मुझसे शादी करोगी।
उनका ये बेबाक अंदाज मुझे बहुत पसंद आया, और मैं भी बिना सोचे हाँ बोल दी। बस फिर क्या था 10 दिन के अंदर ही हमारी शादी हो गई।
मैंने टोकते हुए पूछा- फिर क्या हुआ?
उसने मुझे हल्की सी चिकुटी काटी और बोली- बड़ी जल्दी है सब कुछ सुनने की? सुहागरात से पहले हम दोनों के बीच कोई जिस्मानी सम्पर्क नहीं हुआ। स्कूल, कॉलेज में भी लड़के मेरे करीब होने की कोशिश करते थे, लेकिन मैंने अपने आप को बचाये रखा। दोस्ती सबसे थी, लेकिन किसी को टच करने नहीं देती थी।
‘यार, तुम्हें तुम्हारे हबी पैन्टी और ब्रा क्यो नहीं पहनने देते थे? वो बताओ?’
‘ये पैन्टी ब्रा वाली कहानी सुहागरात से शुरू होती है। शादी के बाद मैं अपने ससुराल में सुहाग की सेज पर बैठी इनका इंतजार कर रही थी।’
मैंने एक बार फिर सुहाना को टोका- इनका नाम भी तो होगा?
‘साहिल!’
‘करीब रात 10 बजे सब निपटाकर ये कमरे में आये। कमरे में रोशनी थी, उन्होंने तुरन्त लाईट ऑफ कर दी, मैं अचकचा गई और मन में रोमांच हो रहा था। यह सोचकर साहिल को बड़ी जल्दी है और मजा आ रहा था.
फिर भी मैंने पूछा- आप लाईट क्यों बन्द कर रहे हैं?
जो शब्द उनके थे, वो मेरे लिये जीवन भर अमूल्य हैं।
मैंने पूछा- क्या बोला साहिल?
‘साहिल बोले कि जब मेरे पास नेचुरल रोशनी है तो मैं लाईट ऑन रख कर उस रोशनी को क्यों डिम करूँ।’
‘वाऊऊऊ…’ मेरे मुंह से निकल पड़ा- फिर?
‘वो मेरे पास आये मेरे घूघंट को ऊपर किया और बोले कि तुम खुद ही देख लो, कमरे में कितनी रोशनी हो गई है। अपनी इस रोशनी को मुझसे कभी दूर मत करना।’
‘फिर इधर उधर की बाते होती रही, फिर उसके बाद बड़ी अदा से अपने हाथ में मेरे हाथ लिये और मुझे बेड से उतारते हुए बोले- सुहाना अगर तुम्हारी इजाजत हो तो मैं इस कमरे की रोशनी और बढ़ा लूं, मुझे लगा कि साहिल लाईट जलाने के लिये बोल रहे हैं.
मैंने भी हाँ बोल दिया.
उनका हाथ मेरे कंधे में था, झट से साहिल ने मेरे साड़ी के पल्लू को पकड़ा और एक झटके से खींचकर अलग करने लगे, मैं गोल-गोल घूमते हुए उनके बांहों में फिर समा गई.
वो बोले- अब देखो कमरे में कितनी रोशनी और बढ़ गई।
यह बात मेरे कानों में रस की तरह घुल रही थी, मैं उनके सीने से चिपकी हुई थी और उनकी बाँहें मुझे घेरे हुए थी, साहिल मेरी तारीफ किये जा रहे थे.
बात करते करते हुए फिर बोले- सुहाना मुझे थोड़ी और रोशनी बढ़ानी है.
इतना बोलते हुए उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक को खोल दिया, मेरे मुंह से हुं निकला था कि वो ब्लाउज को पकड़े हुए मुझसे दूर हो गये और ब्लाउज मेरे जिस्म से बाहर हो चुका था।
उनकी नजर मेरे मम्मों पर पड़ी और…
‘ये क्या?’
मैं अचकचा कर बोली- क्या हुआ?
‘तुम लोग कितना पहनती हो!’
उनकी बात सुनते ही मेरी नजर मेरी छाती पर गई, अचानक मेरे जिस्म में एक सरसराहट सी दौड़ गई, मेरी छाती साहिल के सामने अर्धनग्न थी। मेरे दोनों हाथ अपने आप ही छाती पर चले गये और मम्मे को छुपा लिया।
‘लो, फिर तुमने अंधेरा कर दिया! और मेरे मम्मों को साहिल ने जबरदस्ती आजाद करा लिया।
फिर एक झटके से उन्होंने मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया और पेटीकोट भी मेरे जिस्म से जुदा हो गया।
उसके बाद बोले- देखो सुहाना, मैं इस कमरे में रोशनी करने के लिये 3 या फिर 2 स्विच ही ऑन कर सकता हूँ, इसलिये आज के बाद तुम ये फालतू के कपड़े नहीं पहनोगी!
इतना कहते हुए उन्होंने मेरे जिस्म से ब्रा और पैन्टी को अलग कर दिया और बोले- कल सुबह तुम पहला काम यही करना अपने इन अंतः वस्त्रों को घर की नौकरानी को दे देना। अब से ये तुम्हारे जिस्म पर नहीं रहेंगे।
मैंने स्वीकृति दे दी।
फिर वो मुझे शीशे के पास खड़ा करके और लाईट ऑन करके बोले- देखो, तुम अपने आपको इस खूबसूरत जिस्म को… पैन्टी और ब्रा पहन कर क्या हाल कर दिया है।
मैं उनके सामने पूर्ण नग्न हो चुकी थी और वो मेरे मम्मे पर अपनी उंगली को गोल-गोल घुमाते हुए बोले जा रहे थे- देखो ब्रा तुम्हारे मम्मे पर दाग छोड़ गई है।
आज से पहले रोज मैं अपने जिस्म को निहारती थी, लेकिन आज साहिल मुझे मेरे जिस्म की खूबसूरती के बारे में बता रहे थे, मैं बाकी संसार भूल चुकी थी, मैं केवल साहिल के स्पर्श को और उनकी बातो को आनन्द ले रही थी।
ब्रा की पट्टी के निशान पड़े थे और उनकी उंगली भी उसी निशान पर चल रही थी।
धीरे-धीरे मेरे पेट को सहलाते हुए मेरे अनमोल जगह पर अब उनकी उंगली पहुंच चुकी थी। मेरी कमर पर जो इलास्टिक का निशान था, उस पर उंगली चलाते हुए बोले- देखो उस बद्तमीज पैन्टी ने तुम्हारी कमर पर भी जख्म दे दिया।
उनका बार-बार मेरी चूत या फिर जांघ के पर सहलाना मेरी उत्तेजना बढ़ाने लगा, मुझे लगा कि मेरे जिस्म में लाखों चींटियां रेंग रही हो, मैं घबराकर उनकी तरफ घूमी और उनके सीने से चिपक गई। ‘क्या हुआ?’ वो बोले.
मैं क्या बोलती.
बार-बार जब वो बोलने लगे तो मैंने धीरे से कहा- आपने मेरे साथ गलत किया।
मेरे बालों को सहलाते हुए वो बोले- मैंने क्या गलत कर दिया?
‘यही कि मेरे जिस्म में एक भी कपड़ा नहीं है और आप अभी भी पूरे कपड़े में हो।’
‘हो सॉरी, मैं तो तुम्हारी खूबसूरती में इतना खो गया था कि मैं अपने कपड़े उतारना ही भूल गया!’ इतना कहने के साथ उन्होंने झट से कुर्ता और पजामा उतार दिया और एकदम से नग्न हो गये और अपने बांहों को शाहरूख स्टाईल में फैलाकर खड़े हो गये।
क्या जिस्म था साहिल का, बिल्कुल गरिष्ठ, बलिष्ठ और चौड़ा सीना, मजबूत बांहें… मेरी नजर उनके जिस्म को टकटकी लगाये देखती रही, धीरे-धीरे मेरी नजर नीचे की तरफ बढ़ने लगी.
‘उईईई ईई मांआआआ आआआ…’ चीख बाहर न निकल जाये, मैंने खुद से ही अपनी हथेलियों से अपने होंठों को दबा लिया.
उनका लम्बा और हैवी लंड 90 डिग्री का कोण में सीधा तना हुआ था।
मेरे चीख निकलने से वो मेरे तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोले- जिसको देखकर तुम डरकर चीख रही हो, कुछ देर बाद वो तुम्हें समस्त संसार का सुख देने वाला है। बस तुम्हें दो या तीन बार इसके द्वारा दिये गये चोटो और घाव के बर्दाश्त करना है और उसके बाद जिन्दगी भर यह तुम्हारा गुलाम रहेगा। छू कर तो देखो अपने इस नये दोस्त को!
साहिल के कहने से मैं थोड़ा झुक गई और उसे छू रही थी, तभी वो सांप की तरह फुंफकारने लगा, मैंने सकपका कर अपनी उंगली को पीछे खींच लिया.
साहिल फिर बोले- इसको अपने हाथ में लो और मुझे बताओ कि तुम्हें कैसा लगा।
मैंने एक बार फिर उसको अपने मुट्ठी में लिया, साहिल का लंड इतना मोटा था कि मेरी मुट्ठी में नहीं आ रहा था।
तभी आवाज आई- पसंद आया?
मैंने नजर उठाई, साहिल एक बार फिर बोले- पसंद आया?
मैंने हाँ में सिर हिलाया तो बोले- इसको थोड़ा प्यार कर लो।
मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था कि मैं उसे चूमूँ, बस साहिल के बोलने का इंतजार कर रही थी। मैंने लंड को झट से चूम लिया।
फिर मेरे हाथ को पकड़कर मुझे खड़ा करके खुद घुटने के बल बैठते हुए बोले- अब मेरी बारी!
और मेरी चूत पर एक लम्बा सा चुम्बन जड़ दिया.
उसके बाद मुझे अपनी बांहों में उठाया और बेड पर लेटा कर मेरे बगल में लेट गये और मेरे सर को अपने हाथों के ऊपर रखा और अपनी टांगों के इस तरह से मेरे ऊपर रखा कि उनका लंड मेरी चूत को टच कर रहा था।
फिर अपने होंठों से मेरे होंठ पीने लगे और अपने लंड से मेरी चूत के फांकों को सहला रहे थे।
मेरे ऊपर उत्तेजना पहले से हावी थी, ऊपर से अपने लंड को मेरी चूत के फांकों पर लगातार सहला रहे थे, मेरा शरीर अकड़ रहा था, मेरी जांघें आपस में सट चुकी थी, मुझे लग रहा था कि मेरे अन्दर से कुछ बाहर निकलने को बेताब है कि अचानक मेरा जिस्म ढीला पड़ गया और मेरे अन्दर का लावा बाहर आ गया।
साहिल शायद समझ गये थे क्योंकि उनकी उंगली मेरी फांकों के बीच होते हुए चूत के मुहाने में पहुंच चुकी थी. अपनी उंगली का अगला हिस्सा साहिल ने मेरी चूत के अन्दर डाला और फिर बाहर निकाल लिया और फिर मेरे लावे को उंगली में लेकर अपनी नजर के सामने लाये और बोले- तुम्हारी गर्मी निकल गई है।
‘हाँ…’ मैं बोली- लेकिन अभी भी मुझे लगता है मेरे अन्दर हजारो चीटियां रेंग रही हैं।
‘चिन्ता मत करो, कुछ देर बाद मैं उन सब चीटियो को रौंद दूंगा!’ कह कर अपनी जीभ निकाली और अपनी उंगली को चाट लिया.
‘ये आपने क्या किया?’
साहिल बोले- मेरे तुम्हारे प्यार के पहले रस को चख रहा हूँ, और जितना सुन्दर तुम्हारा जिस्म है उतना ही मीठा तुम्हारा रस भी है।
‘फिर मुझे भी इस रस को चखा दो!’
‘नहीं, तुम मेरे रस को चखना।’
इतना कहने के बाद एक बार फिर वो मेरे होंठों को पीने लगे और फिर मम्मे को बारी-बारी से अपने मुंह में भर कर चूसने लगे, फिर और नीचे उतरते हुए मेरी नाभि पर अपनी जीभ का कमाल दिखाने लगे.
मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी, मैं अपने होंठों को चबा रही थी और मेरे हाथों में चादर फंसी हुई थी, इसी का लाभ उठाते हुए वे अपनी जीभ को मेरी चूत पर चलाने लगे।
थोड़ी देर तक तो ऐसा चलता ही रहा और उसके बाद वो पास पड़ी हुई पिलो को मेरे कमर के नीचे लगाया इससे मेरे कमर थोड़ा ऊपर उठ गई।
उसके बाद साहिल मेरे टांगों के बीच आ गये और अपने लंड को मेरी चूत के मुहाने से टच कर दिया. मुझे एकबारगी लगा कि साहिल ने एक गर्म रॉड मेरी चूत के मुहाने में छुआ दी और मेरे मुंह से आह निकल पड़ी.
शायद मेरी चूत भी साहिल को गर्म लग रही थी, तभी तो साहिल बोले- तुम्हारी चूत से तो लावा फूट रहा है।
उसके बाद साहिल लंड को करीब दो-तीन मिनट तक चूत के मुहाने से रगड़ते रहे और फिर एक झटका दिया और और उनका मोटा लंड मेरी चूत में ज़रा सा घुस चुका था।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ‘
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इससे पहले कि मेरे मुंह से चीख निकलती, साहिल ने मेरे मुंह पर अपनी हथेली रख दिया और मेरे ऊपर झुक गये और बोले- जान, आज हमारा और तुम्हारा मिलन है। थोड़ा दर्द तुम झेलो और थोड़ा मैं!
कहते हुए मेरे निप्पल को अपने मुंह में लेकर लेमनचूस की तरह चूसने लगे, फिर उन्होंने मेरे मुंह से हाथ हटाया और मेरे बूब्स पर रखकर उसे दबाते जा रहे थे।
फिर वो सीधे हो गये, साहिल ने अपने लंड को बाहर किया और फिर पहले की तरह चूत के मुहाने पर रगड़ने लगे और धीरे-धीरे अन्दर डालने लगे।
मैं पूछ बैठी- साहिल, आप क्या कर रहे हैं?
‘कुछ नही… बस मैं अपने लंड महराज को तुम्हारे चूत के अन्दर के दर्शन कराना चाहता हूँ, लेकिन तुम्हारी चूत रास्ता नहीं दे रही है, वही रास्ता बना रहा हूँ!’
बस वो मुझसे बात करते रहे फिर पता नहीं क्या हुआ कि अचानक मुझे लगा कि मेरे अन्दर कोई ब्लेड चल गया है और मेरे अन्दर से कुछ लसलसा सा बहने लगा है।
एक बार फिर इससे पहले मेरे मुंह से चीख निकलती, साहिल ने मेरे मुंह को कस कर पकड़ लिया लेकिन मैं दर्द से तड़प उठी और पूरी ताकत लगा कर साहिल को अपने से दूर करना चाह रही थी लेकिन सफल नहीं हो पाई।
मैं तड़प रही थी और साहिल मेरे मम्मे को पीये जा रहे थे और मैं उनको अपने से अलग करने की निरर्थक कोशिश किये जा रही थी। मेरे आँखों से आंसू निकले जा रहे थे पर साहिल को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हुआ और उसकी जगह उन्माद ने लेना शुरू किया। मैं ढीली पड़ चुकी थी।
शायद साहिल समझ गये थे, मेरे मुंह से अपना हाथ हटाते हुए बोले- अब दर्द खत्म और मजे की तैयारी करो!
कह कर सीधे हुए और अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया।
उनके लंड निकालने से दो बाते हुई, एक तो मेरी जलन फिर से बढ़ गई और दूसरा मेरे अन्दर से कुछ तरल सा लगातार बाहर बह रहा था।
ठीक उसी समय साहिल ने एक बार फिर अपने लंड को अन्दर डाला और मेरे बगल में अपने हाथों को टिकाते हुए बोले- जान, आज मैं धन्य हो गया, मेरे ऊपर भगवान बड़ा मेहरबान है, मुझे नहीं मालूम था कि मुझे इतनी खूबसूरत कली मिलेगी, मैं तो फूल ही पाने की ख्वाहिश किये बैठा था।
फिर उन्होंने मेरे दोनों गालों को चूमा और फिर सीधे होकर धीरे-धीरे आगे पीछे होने लगे लेकिन इस बार उनका लंड मेरी चूत से बाहर नहीं आ रहा था.
मैं बोली- आप ये क्या कर रहे हो?
मुस्कुराते हुए साहिल बोले- जान, इसे ही चुदाई कहते हैं।
वो मुझे अभी समझा ही रहे थे कि मेरा जिस्म भी हिलौरें लेने लगा और मैं भी हिलने डुलने लगी. इससे उनका भी जोश बढ़ गया और साहिल अभी तक धीरे-धीरे धक्का लगा रहे थे, अब थोड़ा जल्दी जल्दी आगे पीछे होने लगे और मेरी भी कमर तेज तेज चलने लगी।
अब मैं अपनी जलन और दर्द को भूल चुकी थी और मेरे चूत के अन्दर जो चक्की चल रही थी मैं उसका आनन्द लेने लगी.
अचानक साहिल रूक गये और मेरे दोनों पैरों को पकड़कर अपने कंधे से टिका दिया और मेरे घुटने के ऊपर के हिस्से को अपने दोनों हाथों के बीच दबाकर एक बार फिर वो धक्का लगाने लगे, समय के साथ-साथ उनके धक्के तेज होने लगे, एक बार फिर मुझे लगा कि मेरे अन्दर से कुछ छूट गया और मेरा जिस्म ढीला पड़ गया.
लेकिन साहिल अभी भी रफ्तार पकड़े हुए थे, फिर उन्होंने एक बार मुझे फिर पहली वाली पोजिशन में किया, तभी मैंने महसूस किया कि उनके जिस्म में कुछ अकड़न सी आ रही है, उसके बाद मुझे लगा कि मेरे अन्दर एक गर्म सा लावा गिर रहा है. ठीक उसी समय साहिल मेरे ऊपर अपना वजन रख दिये और मेरी कमर के नीचे से तकिया निकाल दिया।
फिर 10-15 सेकण्ड बाद ही मुझे लगा कि कुछ गुलगुला सा मेरे अन्दर से बाहर निकल रहा था. और उसके बाद साहिल भी मेरे ऊपर से हट गये।
मुझे हल्की सी जलन अन्दर महसूस हो रही थी जो अब बढ़ती जा रही थी।
मैं उठ कर बैठ गई, तभी मेरे मुंह से निकला- हाय राम…
‘क्या हुआ?’ साहिल बोले.
मैंने उनको इशारा करके धीमी आवाज में बताया- देखो, चादर में कितना खून लगा है।
‘ओह…’ बस इतना सा बोले और मुझे बेड से नीचे उतरने के लिये बोलकर खुद भी नीचे उतर गये। उसके बाद चादर को हाथ में लेते हुए बोले- मेरे तुम्हारे प्यार की पहली निशानी है। उसके बाद उसी चादर से उन्होंने मेरे चूत के आस-पास की जगह साफ की और फिर अपने लंड को पौंछा और फिर उस चादर को जमीन पर बिछाते हुए बोले- इसको सुखा कर निशानी के तौर पर रखेंगे।
इतना बोलकर सुहाना चुप हुई.
कहानी जारी रहेगी.
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