यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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मेरी इस जवान सौतेली मां की चुदाई कहानी के पिछले भाग सौतेली माँ के जवान जिस्म की अन्तर्वासना-4 में आपने पढ़ा था कि मैं अपनी मां को चोद चुका था और उनके साथ बिंदास मस्त जीवन बिताने लगा था.
उस दिन मैं अपनी मां के साथ अपनी बहन की ससुराल से लौट कर घर आ रहा था कि पिताजी का फोन आ गया और उन्होंने बता दिया कि वो किसी जरूरी काम से बाहर जा रहे हैं और दो दिन के बाद परसों शाम तक वापस घर आ जाएंगे.
ये सुनते ही हम दोनों के चेहरे की मुस्कान बढ़ गई और आज रात मां की चुदाई का मस्त खेल होना तय हो गया.
अब आगे:
हम दोनों को बस में खड़े हुए करीब आधा घंटा हो गया था. फिर बस एक स्टॉप पर रुकी, तो कंडक्टर आने वाली सवारियों से बोला कि सिर्फ पुणे जाने वाले ही बैठना. बस बीच में कहीं नहीं रुकेगी.
फिर भी दसेक लोग ऊपर चढ़ गए. उसमें चार वयस्क औरतें, चार आदमी और कुछ बच्चे थे.
कंडक्टर ने दरवाजा बंद किया. बस चलने लगी. अभी बस में बहुत भीड़ हो गयी थी. मैं और मां और आगे जाकर, ड्रायवर के पीछे जो पार्टीशन होता है, वहां खड़े हो गए. मां पार्टीशन से चिपक कर खड़ी रहकर आगे देख रही थीं. मैं उनके पीछे था. आजू बाजू कुछ बच्चे और वयस्क औरतें खड़ी थीं.
रास्ता खराब था, तो हम आगे पीछे हिल रहे थे. बीच बीच में मैं मां की गांड से टकरा जाता था … तो मां पीछे मुड़कर हंस देती थीं.
तभी अचानक से ड्राईवर ने जोर से ब्रेक मारा, तो तभी सभी खड़े हुए लोग, अपने आगे खड़े हुए लोगों से जा टकराए. मैं भी मां से जाकर पूरा चिपक गया था. मेरे पास वाली औरतें मुझसे सट गयी थीं. कुछ हिलने के लिए भी जगह नहीं थी.
इस झटके से एक चालीस पैंतालीस साल की औरत मेरे साइड में मुझे पूरी चिपक गई थी. उसके बड़े बड़े मम्मे मेरी बांहों पर रगड़ रहे थे. और मेरा आधा सोया लंड मां की गांड पर रगड़ खा रहा था. मुझे इस पोजीशन में बहुत मजा आ रहा था.
मेरी सौतेली मां बीच-बीच में अपनी कमर पीछे हिलाकर मेरे लंड को दबा दे रही थीं. मैं पीछे सरकने की कोशिश करता था, लेकिन बहुत मुश्किल हो रहा था. भीड़ बहुत ज्यादा हो गई थी.
ठंडी का मौसम था, तो ठंडी हवा लग रही थी. हालांकि भीड़ की वजह से ठंड नहीं लग रही थी. शाम के सात बज गए थे. अभी और करीब एक घंटे का सफर बाकी था … जिसे ऐसे ही निकालना था.
ठंड के दिनों में अन्धेरा हो गया था और बस में भी अंधेरा छा गया था. बीच में कोई उतरने वाला भी नहीं था, तो ड्राईवर ने बस के अन्दर की लाइट नहीं जलाई थी.
मैं मां की गांड के पीछे से पूरा चिपक गया था. मेरा लंड उनकी गांड की दरार में जाकर फंस गया था. मां भी अपनी गांड हिलाकर लंड के मजे ले रही थीं. मैं अपना एक हाथ उनकी कमर में डालकर पेट को सहलाने लगा. मेरी मां कसमसा रही थीं. इधर बाजू वाली औरत के कड़क मम्मे मेरे भुजाओं को रगड़ कर मजा दे रहे थे. शायद उसे भी रगड़वाने में मजा आ रहा था.
मेरा दूसरा हाथ उस औरत की चुत के पास लटक रहा था. भीड़ और अंधेरे की वजह से किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. मैं अब तक बहुत गर्म हो चुका था. मेरा एक हाथ मां के पेट और उनकी नाभि को सहला रहा था. मेरा पूरा तना हुआ लंड मां की गांड की दरार में डुबकियां लगा रहा था.
इस मस्ती में ही मेरा दूसरा हाथ बाजूवाली औरत की चुत के पास हिल रहा था. जैसे ही बस हिलती थी, मैं अपनी उंगलियां उसकी साड़ी के ऊपर से ही चुत पर रगड़ देता था. उसे भी अच्छा लग रहा था … तो वो औरत और मेरे से सट गयी.
मैंने उसकी रजामंदी देखी, तो मेरा हाथ सीधा उसकी टांगों के बीच में जाकर चुत पर सट गया. वो औरत भी गर्म हो चुकी थी. मैं साड़ी के ऊपर से ही उसकी चुत को रगड़ने लगा, तो उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन को उसकी कामुकता का अहसास दे रही थी.
इधर मां की भी कामवासना बढ़ गयी थी. उनसे रहा नहीं गया और वो पलट गईं. मां ने अपना मुँह मेरी तरफ किया और एक हाथ मेरे कंधे पर रखकर दूसरे हाथ से मेरे कड़क लंड को पकड़ कर साड़ी के ऊपर से ही अपनी चुत पर सटा दिया.
मां के मम्मे अब मेरे सीने पर टच हो रहे थे. मेरा एक हाथ उनके पीछे चला गया था. मैं मां की कमर और गांड को सहलाने लगा था. वो धीमे धीमे से कामुक सिसकारियां भरते हुए मेरे कान में अपनी गर्म सांसें निकाल रही थीं. मैंने उन्हें और जोर से अपनी ओर खींचकर मेरे साथ लिपटा लिया.
अब मां के मम्मे मेरी छाती पर दबने लगे थे. मां ने अंधेरे का फायदा उठाकर मेरे होंठों को चूम लिया और मेरे होंठों को चूसने लगीं. मुझसे भी रहा नहीं गया, तो मैं भी मां के होंठों को चूसने लगा. इधर दूसरे हाथ से मैं उस औरत की चुत रगड़ रहा था. वो भी पूरी तरह से कामवासना में डूबी थी.
मां धीमी आवाज में मेरे कान में बोलीं- हर्षद मेरी चुत पूरी गीली हो गयी है. मैं थोड़ी ही देर में झड़ जाऊंगी.
मैं बोला- अभी दूसरा कोई रास्ता नहीं है अदिति … जो होता है, हो जाने दो. मुझे भी अब नहीं रहा जाता है. मैं भी थोड़ी देर में झड़ जाऊंगा जान.
ऐसा बोलकर मैं अपने लंड से मां की चुत पर धक्के देने लगा. बाजूवाली औरत शायद झड़ गयी थी और शांत होकर थोड़ा पीछे को हो गयी थी. मैं समझ गया था.
बाजू वाली औरत की चुत से मेरा हाथ अब फ्री हो गया था. इसलिए मैंने अपना दूसरा हाथ भी मां की कमर पर रखकर दोनों हाथों से उन्हें अपनी ओर खींच लिया और उनकी गांड सहलाने लगा. गांड सहलाने के साथ में मैं अपने लंड से उन की चुत को रगड़ रहा था.
मां मेरे कान पर मुँह रखकर बोलीं- आंह हर्षद … मैं बस झड़ने वाली हूँ … मुझसे अब नहीं रहा जाता.
मैं भी उनसे बोला- अदिति, मेरा भी काम होने वाला है.
मैंने चार पांच धक्के दिए और मेरी पिचकारी निकल गई. मां को भी ये महसूस हो गया कि मैं झड़ गया हूँ. उसी पल वो भी झड़ गयी थीं और मुझसे चिपक गईं. मां ने झड़ने के बाद अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में कसके पकड़ रखा था. हम दोनों निढाल हो गए थे.
हमारा सफर अभी थोड़ी देर में खत्म होने वाला था. दस मिनट बाद हम स्वारगेट स्टैंड पर पहुंचने वाले थे.
मैं मां से बोला- हम थोड़ी देर में पहुंच रहे हैं.
ये सुनकर वो होश में आकर मुझसे थोड़ी अलग हुईं. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों से अलग कर दिया.
इतने में ड्राईवर ने लाइट जला दी. मां और मैं एक दूसरे की ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे.
मां कुछ शरमा रही थीं.
मैं उनसे बोला- क्या हुआ अदिति?
वो शरमाकर बोलीं- नीचे उतरने के बाद बताऊंगी.
थोड़ी ही देर में स्टैंड आ गया और हम नीचे उतर गए.
हम चलते चलते बाहर आ रहे थे, लेकिन कुछ मां पीछे थीं.
मैंने जरा रुक कर पूछा- अदिति क्या हुआ?
वो बोलीं- हर्षद मेरी पैंटी पूरी गीली होकर रस जांघों पर बह रहा है. इसलिए मुझे चलने में दिक्कत हो रही है.
मैंने बोला- हम्म … मेरा भी यही हाल है.
वो शरमा गईं और हंसने लगीं.
मां बोली- अब चलो … यही बात मैं तुम्हें बस में बताने वाली थी.
मैं बोला- अच्छा तो ये बात थी.
ये कहकर मैंने उनके कंधे पर हाथ रख दिया और हम दोनों आगे चलने लगे.
बाइक स्टैंड सामने ही था. मैं बाइक लेकर आया. मां पीछे बैठ गईं और हम निकल पड़े.
करीब आठ बज चुके थे.
हम सिटी से थोड़ा बाहर आए, तो रोड के नजदीक ही एक होटल था. मैंने होटल के सामने बाइक रोक दी.
मां उतरकर बोलीं- क्या हुआ हर्षद?
मैंने बोला- अदिति, घर में जाकर कब खाना बनाओगी … एक तो तुम सफर से ही बहुत थक गयी हो. मैं इधर से हम दोनों का खाना पार्सल करवा लेता हूँ.
अदिति ने बोला- ठीक है हर्षद.
इतने में मां के फोन पर फोन आया. मैं होटल में अन्दर चला गया.
थोड़ी ही देर में मैं पार्सल लेकर बाहर आया. मैंने मां से पूछा- किसका फोन था अदिति?
मां ने कहा- तेरे पिताजी का था. वो पूछ रहे थे कि हम लोग कितनी देर में घर पहुंच जाएंगे.
मैंने कहा- क्या पिताजी बाहर नहीं गए? उन्हें दो दिन किसी काम की वजह से बाहर जाना पड़ रहा था?
मां- नहीं वो तो घर से जा चुके हैं. वे तो सिर्फ हमारे आने की पूछ रहे थे.
मैं बोला- अच्छा … और मुझसे कुछ कहा कि नहीं?
मैं बाइक स्टार्ट करके बोला, तो मां पीछे बैठकर बोलीं- उन्होंने कहा कि हर्षद को बोलो कि अपनी मां और घर का दो दिन ख्याल रखे.
मैंने बोला- ठीक है. अब मैं दो दिन तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखूंगा.
मां ने हंस कर मुझे कसकर पकड़ लिया.
हम दस मिनट में ही घर आ पहुंचे. मैंने गेट का ताला खोल दिया. मां अन्दर गईं और सभी लाइटें जला दीं. मैंने बाइक अन्दर लेकर गेट लॉक किया और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया.
मां ने मुझे पानी लाकर दिया और बोलीं- हर्षद मैं नहाने जा रही हूँ, मुझे बहुत गंदा लग रहा है. तुम बाद में नहा लेना.
वो बाथरूम में चली गईं और मैं सोफे पर लेट गया. खड़े रहकर सफर करने से बदन में दर्द हो रहा था.
थोड़ी देर में मां नहाकर आ गईं और मुझसे बोलीं- हर्षद जाओ जल्दी से नहा लो.
वे अपने रूम में चली गईं. मैं नहाने चला गया.
कुछ देर बाद मां नहाकर बाहर आ गईं और मुझे आवाज देकर बोलीं- हर्षद अब तू जा और जल्दी से नहा के आ जा.
ये कहते हुए वो अपने रूम में चली गईं.
मैं भी उठकर बाथरूम में घुस गया और पूरा नंगा होकर गर्म पानी का फव्वारा चालू करके आराम से नहाने लगा. मैं अपनी जांघों पर और लंड पर मेरे वीर्य के सूखे हुए धब्बे साफ करने लगा. साबुन लगा कर लंड को भी आगे पीछे करके मस्ती से सफाई करने लगा. गर्म पानी से शरीर की थकान भी दूर हो गयी थी.
मैं नहाकर तौलिया लपेट कर अपने रूम में आ गया. लुंगी और बनियान पहनकर जब मैं बाहर आया, तो मां टेबल पर खाना लगा रही थीं. मैं जाकर कुर्सी पर बैठ गया.
मैंने मां से बोला- यार, बहुत भूख लगी है अदिति.
वो मेरे बगल में बैठते हुए बोलीं- हां हर्षद, मुझे भी लगी है. अच्छा हुआ खाना पार्सल करवा कर ले आया … नहीं तो बहुत देर हो जाती.
इस तरह से बातें करते साथ मैंने खाना खत्म कर दिया.
मां बोलीं- हर्षद चलो मेरे बेडरूम में आ जाओ. मैं थोड़ी देर में आती हूँ.
वो सब बर्तन लेकर किचन में चली गईं.
मैं भी उनके बेडरूम में जाकर लेट गया. पहले भी जब पिताजी काम से बाहर रहते हैं, तो मैं मां के साथ ही सोता था. लेकिन तब की बात अलग थी. हमारे बीच तब सिर्फ मां बेटे का ही रिश्ता था … लेकिन आज की बात अलग थी.
आज हम जैसे की पति पत्नी के रिश्ते से एक साथ सोने वाले थे. मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे कि पिताजी दो दिन घर पर नहीं हैं इसलिए जवान सौतेली मां की चुदाई का भरपूर मजा मिलेगा.
मैं आंखें बंद करके सोच रहा था कि इन दो दिनों में मां को कैसे कैसे चोदूं.
थोड़ी ही देर में मां कमरे में अन्दर आ गईं और दरवाजा बंद करके मेरे पास आकर लेट गईं.
मेरी आंखें बंद ही थीं.
मां बोलीं- सो गए क्या हर्षद!
मैं चुप रहा तो उन्होंने कहा- नाटक मत करो यार!
ये कहकर मां ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और चूमने लगीं.
मुझसे भी रहा नहीं गया, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में कसकर पकड़ा और उनके गाल, होंठ और गर्दन पर चूमने लगा.
मां भी मुझे चूमकर बोलीं- चलती बस में तो तूने मेरी हालत खराब कर दी थी. आह तू मुझे उधर कितना रगड़ रहा था. तूने अपने मोटे लंड को मेरी चुत पर इतना ज्यादा रगड़ा था कि मैं चलती बस में ही दो बार झड़ गयी थी.
ये कहते हुए मां ने अपनी एक टांग मेरी टांग पर रख दी. उनकी टांग मेरे लंड को टच कर रही थी. मैं तो लुंगी के अन्दर नंगा ही था.
मां ने डिजायनर नाइटी पहनी थी. उसके अन्दर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी. उनके निपल्स कड़क हो गए थे, जिससे वो इस झीनी सी नाइटी में से साफ दिख रहे थे.
मैंने मां के मम्मों को अपने हाथों से सहलाने लगा और दबाने लगा. मां मादक सिसकारियां भरने लगीं और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
उन्होंने मेरी बनियान को निकाल दिया और नीचे झुककर मेरे सीने पर मेरी घुंडियों पर अपनी जीभ फेरने लगीं. मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी थी. नीचे मेरा लंड तनकर उनकी नाइटी के ऊपर से ही उनकी चुत को रगड़ रहा था.
मां भी कमर हिलाकर अपनी चुत को मेरे लंड पर रगड़ रही थीं.
मैं भी जोश में आकर मां के दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था. हम दोनों ही बहुत कामुक हो रहे थे.
कुछ मिनट के बाद मैंने उठकर मां की नाइटी निकाल दी. अब वो पूरी तरह से नंगी हो गई थीं.
मां ने भी मेरी लुंगी खींचकर फेंक दी थी. उन्होंने मुझे भी नंगा कर दिया था.
फिर आगे क्या हुआ … पूरी रात भर हमने कैसे मजा किया … ये सब मैं अगले भाग में लेकर आपके सामने पेश करूंगा. जवान सौतेली मां की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी … आप मेरे मेल आईडी पर लिख सकते हैं. अगर कुछ गलती हो गयी हो, तो मुझे माफ कर देना.
बाय दोस्तो … फिर मिलेंगे.
[email protected]
जवान सौतेली मां की चुदाई कहानी जारी है.