सेक्सी दीदी की हवस मिटाई-2

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

सेक्सी दीदी की हवस मिटाई-1

सेक्सी दीदी की हवस मिटाई-3

दोस्तों कहानी के पिछले भाग को आप सभी ने बहुत पसंद किया. इसके लिए आपका शुक्रिया. आगे की कहानी आपके मनोरंजन के लिए प्रस्तुत है.

अभी तक की मेरी बहन की इस सेक्स कहानी में आपने जाना कि मेरी दीदी मामा के घर रह रही थी. दीदी वहां भी मेरी सेक्स गुलाम बनी हुई थी. उधर मामी की लड़की इशिता को नशे की लत थी. मेरी दीदी मामी से इशिता को लेकर बात करना चाह रही थीं.

अब आगे की सेक्स कहानी आप दीदी प्रीति की जुबानी ही जानिये:

सुबह ब्रेकफास्ट के समय मैंने मामी से बात करनी चाही लेकिन मौका नहीं मिल पाया क्योंकि इशिता आ गयी थी.
मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा था तो मैं निकल गयी.

उधर ऑफिस में टीना ने मेरे डेस्क पर बैठते हुए कहा- क्या बात है जान … आज तो तू बड़ी खिली हुयी है?
मैंने पिंक कलर का सूट पहन रखा था. मेरे गोरे रंग पर ये कलर काफी जंचता था. वो मेरे क्यूबिकल में थी, रोज की तरह ये हमारा गॉसिप टाइम था.

“टीना यार … प्लीज आईंम नॉट इन मूड..” (टीना यार प्लीज मूड खराब है … अभी मेरा)
“क्या हुआ?”
“कुछ नहीं, तू अभी जा प्लीज.”
“ह्म्म्म..”
“चल … उठ!”

वो मुझे जबरदस्ती उठा कर ले जाने लगी.
“कहां ले जा रही है?”
“जब मूड न हो, तो काम नहीं करते.”

वो मुझे पास के कॉफी शॉप में ले आयी. हमने कॉफी ली और बैठ गए.
उसने पूछा- हम्म … अब बता क्या बात है?
मैंने उसे सारी बात बता दी.

“हम्म तो तेरी बहन तुझे चोदना चाहती है.”
“टीना … तू कभी सीरियस हो जाया कर यार … मैं प्रॉब्लम बता रही हूं.”
“हा हा हा … सॉरी जस्ट किडिंग (मजाक कर रही थी), वैसे तेरे जैसी मस्त माल पर अच्छी अच्छी लड़कियों का भी मन फिसल जाए, इसमें उस बिचारी की क्या गलती है.”

मैंने उसे आश्चर्य के लहजे में देखा.
“सॉरी … हां तो तूने अपनी मामी से बात की?”
“कहां यार, टाइम ही नहीं मिला, वैसे मैंने पहले एक बार बात की थी लेकिन उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता.”
“ह्म्म्म … कुछ तो झोल है.”

“तो पहले हमें तेरी बहन के बारे में पता करना चाहिए है. वो क्या करती है … कहां जाती है … बॉयफ्रेंड एंड फ्रेंड सबके बारे में जानकारी करना होगी.”
“हां पर कैसे?”
“कॉलेज से शुरू करते हैं, दोस्तों से पता चलेगा.”
“ओके डन.”

शनिवार को हमारा हाफ टाइम होता था. हम इशिता से मिलने के बहाने उसके इंस्टिट्यूट गए. इशिता आज क्लास नहीं आई थी. हमने उसके दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने ज्यादा कुछ नहीं बताया. हम वापस जाने … तो हमें एक लड़की मिली. दरअसल वो तीन लड़कियां थीं. एक ही ने हमसे बात की.

“एक्सक्यूज मी, आप इशिता की दीदी हो न … प्रीति, राइट?”
“हां, तुम्हें कैसे पता?”
“जानती हूं, इशिता ने काफी कुछ बताया है आपके बारे में.” वो मेरी बॉडी पर ऊपर से नीचे नजर दौड़ाते हुए बोली.
“अच्छा, क्या बताया है?”
“ये सब छोड़ो, आप यहां क्यों आई हो.”

मैंने और टीना ने एक दूसरे की तरफ देखा.

“उम्मम … वो मुझे इशिता से जरूरी कुछ काम था … कहां मिलेगी वो?” मैं गला साफ करते हुए बोली.
“वो तो वहीं मिलेगी.” कह के तीनों आपस में हंसने लगीं.
“कहां?”
“द फक क्लब.”
“व्हाट?”(क्या)
“हर सैटरडे (शनिवार) वो वहीं जाती है, जाओ मिल लो अपनी इशिता से.” कहते हुए वो चली गयी.
“व्हाट द फक, क्या बक रही थी ये लड़की …” मैंने टीना से बोला.
“तू चल पहले.” वो मुझे पकड़ कर वहां से ले आयी.

हमने काफी खोजबीन की, लेकिन हमें “द फ़क क्लब.” पूरे शहर में कहीं नहीं मिला. इस नाम का कोई क्लब ही नहीं था. हमारे पास कोई चारा नहीं बचा था. हमने उसका पीछा करने का फैसला किया. जैसा कि उस लड़की ने हमें बताया था. इशिता शनिवार को यहां जाती थी.

अगले शनिवार को हम दोनों थोड़ी पहले ही काम खत्म करके ऑफिस से जल्दी निकल गए. हमने कॉलेज से ही इशिता का पीछा करने का सोचा … शाम का समय था. इशिता कैब के लिए खड़ी थी. उसने जीन्स और टी-शर्ट पहन रखी थी. ऊपर उसने जैकेट भी डाल रखा था, चेहरे पर गॉगल्स लगाए हुए थे, कंधे पर एक बैग भी था. उसकी कैब आ गयी, वो अन्दर बैठ गयी. कैब आगे आगे चल रही थी. हम सावधानी से उसका पीछा कर रहे थे.

हमने डिसाइड किया था कि आज तो जो भी हो, देख कर ही रहेंगे.

उसकी गाड़ी एक जगह रुकी. इशिता निकली, उसने बैग लिया और पास की बिल्डिंग में घुस गई. उधर से निकली, तो उसका रूप ही बदल हुआ था. वो मिनी स्कर्ट में थी, जो उसके घुटनों से ऊपर तक थी. ऊपर उसने टाइट टी-शर्ट पहन रखी थी … जिसमें उसके मम्मों के उभार साफ नजर आ रहे थे. वो कैब में आकर बैठ गयी. कुछ ही दूर पर गाड़ी दोबारा रुकी, ये एक डिस्को बार था. इशिता फोन पर बात करते हुए बार में दाखिल हो गयी. हम भी पीछे पीछे उसके बार में चले गए. इशिता हर हफ्ते के दो दिन इसी क्लब में आती थी. अब मुझे ये जानना था कि आखिर वो किसके साथ मिलती है.

अन्दर पहुंचने पर हमने पाया ये तो सामान्य बार जैसा ही था. एक अच्छा सा सांग प्ले हो रहा था. कुछ लोग डांस कर रहे थे. सब कुछ सामान्य दिख रहा था. जैसा कि सामान्य तौर पर ऐसे बार में होता है.

मेरी नजर इशिता को खोज रही थीं. सबके चेहरों पर मास्क थे, इसमें से उसे पहचानना मुश्किल था. मैंने टीना को देखा … तो वो अपने में ही मस्त थी. ड्रिंक्स पर ड्रिंक्स आर्डर कर रही थी.

“टीना, क्या कर रही है, छोड़ चल मेरे साथ.”

हम भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़े, मैंने इशिता को उसके कपड़ों से पहचाना. वो सीढ़ियों की तरफ बढ़ रही थी. वहां तीन लड़कियों से वो मिली, इशिता उन सबसे गले मिली. फिर उनमें कुछ कानाफूसी हुई और वो ऊपर जाने लगी. मैं उनकी तरफ बढ़ी, लेकिन सीढ़ियों से पहले बाउंसर ने मुझे रोक दिया. टीना उससे लड़ने लगी. मैंने झूठ मूठ का ऊपर की एक लड़की को हाय कहा और गार्ड से बच निकली … क्योंकि वो टीना से लड़ने में व्यस्त था. मुझे उसे चकमा देने में आसानी हुई.

मैं छुप कर देखा, इशिता और उसकी फ्रेंड्स कॉरिडोर से जा रही थीं. मैं चुपके चुपके उनके पीछे छिपते हुए चल रही थी. एक आगे चल रही थी, तीनों साथ में कंधे से कंधा मिला कर चल रही थीं. मैंने देखा दोनों लड़कियां धीरे से हाथ पीछे ले आईं और इशिता के चूतड़ों पर हाथ फेरने लगीं. इशिता उन दोनों बीच में थी.

कुछ दूर चलते ही एक लड़की ने झटके से इशिता को रेलिंग के सहारे झुका दिया. उसके हाथों को पीछे लाकर उसे हथकड़ी पहना दी. सेक्स के भाषा में इसे “हैंड कफ़.” कहते हैं और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए दो चपत लगा दीं. इशिता के गोल चूतड़ नंगे थे. पतली सी पैंटी उसकी गांड की दरार में फंसी थी. दूसरी ने उसे खड़ा किया. पहली उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी, तो दूसरी ने उसके किनारों को पकड़ा और फाड़ दिया. तीन बटन छिटक कर जमीन पर गिर गए. कॉरिडोर एकदम खाली नहीं था. कुछ लोग आ जा रहे थे. वो इशिता को देखते और हंसते हुए चले जाते.

इधर एक बात ध्यान देने वाली थी, जितने भी लोग कॉरिडोर में आ जा रहे थे. वे सभी लड़कियां थीं. वो भी जोड़े में, या फिर ग्रुप में. वैसे ही वो लड़कियां इशिता को लेकर चलने लगीं. इशिता अपनी मर्जी से उनके साथ जा रही थी. मुझे इशिता के मम्मे तो नहीं दिखे … क्योंकि ये सब मैं पीछे से देख रही थी.

उसे लेकर वो एक कमरे में घुसने को हो गईं. मैं तो ये सब देख कर ही गर्म हो गयी थी. भाई के साथ मैंने भी जंगली सेक्स किया है और उसकी तो मैं दीवानी भी हूं. लेकिन लड़कियों के बीच ये सब मैं पहली बार देख रही थी. वो भी किसी अंजान के साथ … और ऐसी भीड़ भाड़ वाली जगह पर. ये सब मेरे लिए एक कौतूहल जैसा था.

फिर आगे चल रही लड़की ने कार्ड से कमरे का दरवाजा खोला और इशिता को लेकर वो सब अन्दर चली गई.

कमरे के अन्दर मैं ज्यादा कुछ नहीं देख पायी. लेकिन अब मुझे कहानी थोड़ी थोड़ी समझ आ गयी थी. ये सब कुछ क्या चल रहा था. इशिता एक लेस्बियन थी. सामान्य लेस्बियन नहीं, एक जंगली चुदाई पसन्द लेस्बियन थी. उसके साथ की ये लड़कियां हो न हो, उसके कॉलेज की ही होंगी. लेकिन ये सब एक अंदाज था. असल बात मुझे अभी भी नहीं पता चली थी. मैं अपनी स्थिति बता नहीं सकती. मुझे ये सब गलत भी लग रहा था और मैं उत्तेजित भी हो रही थी. मैंने टीना को लिया और हम दोनों वापस घर आ गए. कार में मैंने टीना को सब कुछ बताया.

टीना बोली- वाह यार, तेरी बहन तो मस्त रांड है.
“तू कहना क्या चाहती है.”
“मैं कहना चाहती हूं, तेरे चेहरे की लाली बहुत कुछ बता रही है … मेरी जान.”
“क्या बता रही है?”
“यही कि तू अपनी बहन के लिए गर्म हो चुकी है.”

मेरी तो बोलती बंद हो गयी. मुझे नहीं पता क्या कहना है. मैं चुप रही. हम घर आए, लेकिन मेरे दिमाग में अभी भी टीना की कही हुयी बात घूम रही थी. क्या मैं सच में अपनी बहन से उत्तेजित हो रही थी? ऐसा है … तो क्यों मैं ये सब एक लड़की के लिए महसूस कर रही थी? कई ख्याल थे मेरे मन में.

अगले दिन की बात है. मैं रोज की तरह जिम से आई. मैंने अपनी स्पोर्ट्स ब्रा बेड पर निकल फेंकी और बाथरूम में घुस गई. कुछ देर में इशिता ने दरवाजा खटखटाया.

उसने बोला- दीदी, मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा … मैं तुम्हारे बाथरूम में नहा लूं, मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है.
“हां, तू रुक … मैं बस 5 मिनट में निकलती हूं.” मैंने बाथटब से ही उसे आवाज दी.

मैं जब नहा ली तो मुझे अहसास हुआ मैंने जल्दी जल्दी में कपड़े तो बाहर ही छोड़ दिए थे. मैंने इशिता को आवाज दी. जब 2-3 बार में उसने नहीं सुनी, तो मैंने दरवाजे खोल कर देखा. मैंने जो देखा बस देखती रह गयी.

इशिता के हाथों में मेरी ब्रा थी, जिसे वो अपनी नाक पर लगा कर सूंघ रही थी. उसने इस वक्त दूसरा हाथ अपनी पैंटी में डाल रखा था. वो नशे में खोई हुई थी. ये देख कर तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई.
मैंने जोर से उसका नाम पुकारा, तो वो अकबका गयी. वो घबराते हुए बोली- हहहहां दीदी.
“इशिता … टॉवल दे, कब से बुला रही हूं.”

वो अकबकाते हुए टॉवल ढूंढने लगी. मैंने टॉवल लपेटा और बाहर चली आयी. इशिता मेरे मम्मों को घूर रही थी. मैंने अनजान बनने का नाटक किया और कपड़े पहनने लगी.
अभी भी वो वहीं खड़ी थी, तो मैंने उसे कहा- जा अब कॉलेज नहीं जाना?
तब जाकर वो बाथरूम में घुसी.

ब्रेकफास्ट करने के समय भी वो मुझे प्यासी निगाहों से देख रही थी. उसकी प्यास दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी.

फिर जब इशिता ने मुझको अपने कमरे में सोने को कहा, उस दिन क्या हुआ वो अगले भाग में बताती हूँ.

मेरी दीदी की इशिता के साथ लेस्बियन सेक्स कहानी कैसी लग रही है. मुझे मेल करके बताएं.
विशाल जैसवाल
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