सेक्सी दीदी की हवस मिटाई-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

सेक्सी दीदी की हवस मिटाई-2 

ब्रेकफास्ट करने के समय भी वो मुझे प्यासी निगाहों से देख रही थी. उसकी प्यास दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी.

फिर जब इशिता ने मुझको अपने कमरे में सोने को कहा, उस दिन क्या हुआ वो बताती हूँ:

उस रात को भाई से चैट करने के बाद मेरी आंख लगी ही थी कि किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी. मैंने दरवाजा खोला, सामने इशिता थी.
“दीदी मुझे अकेले डर लग रहा है, आप मेरे साथ सो जाओ न प्लीज.”
मैंने उसे हां कर दी.

मैं उसके कमरे में उसके साथ ही सो गई. नींद मुझे कहां आने वाली थी. मैं इशिता के इरादों से वाकिफ थी. लेकिन मुझे अंदाज नहीं था कि वो क्या करने वाली है. मैं टी-शर्ट और हॉफ पैंट में सोई थी. इशिता जब मेरे कमरे में आई थी, तो नाईट ड्रेस में थी.

कुछ देर बाद मुझे मेरी जांघों पर एक कोमल मखमली स्पर्श एहसास हुआ. मेरा हॉफ पेंट छोटा था, इतना छोटा कि मुश्किल से मेरे चूतड़ों को ढक पाता था.

इशिता मेरी गोरी लम्बी टांगों पर हाथ फेर रही थी. पहले तो मैंने उसे रोकना चाहा, फिर ये सोचा देखती हूं कि ये क्या करती है.

वो मेरी तरफ करवट लिए हुई थी. उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं. सरकता हुआ उसका हाथ ऊपर आया और मेरे चूतड़ों पर फिरने लगा. हौले हौले से वो मेरे चूतड़ों को दबाने लगी. मैं उसकी निडरता पर अचंभित थी. वो जरा भी नहीं डर रही थी, अगर मैं जग गयी तो क्या होगा.
टीना सही कह रही थी कि साली पक्की रांड थी.

मुझे उसकी गर्म सांसें मेरे सीने के ऊपरी भाग पर महसूस हुईं. वो मेरे मम्मों के काफी पास थी. अब मेरा कंट्रोल करने मुश्किल था.

मैं सोचने लगी कि अब क्या ये मेरे मम्मे चूसेगी … ओह्ह नहीं इशिता … तू अपने बड़ी बहन के मम्मों को चूसने वाली है. ये अहसास मुझे पागल कर रहा था. ये सोचते ही मेरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी.

अब तो मैं शर्म के मारे चुप थी. मुझे चेहरे पर उसके हाथों का एहसास हुआ, वो मेरे बालों को ठीक कर ही थी. मेरे होंठों पर उसकी गर्म सांसों का अहसास हुआ. ओह्ह नो … अब क्या ये मेरे होंठों को चूसेगी क्या. इस लड़की में जरा भी डर नहीं क्या. एक ही रात में लगता है सब ले लेगी. ऐसे विचार मेरे मन में चल रहे थे.

तभी गर्दन के पास मुझे तेज सांसों की आहट सुनाई दी. ऐसा लग रहा था कि कोई कुछ सूंघ रहा हो. सुबह का दृश्य मेरे मन में कौंध गया, जब वो मेरी स्पोर्ट्स ब्रा को सूंघ रही थी. अरे नहीं … इशिता तो मेरे बदन की खुशबू ले रही है. इस अहसास से मेरे तन बदन में करंट दौड़ गयी.

मैंने अपनी अन्तर्वासना को छिपाने के लिए झूठ मूठ का करवट बदला. इशिता हड़बड़ा कर मुझसे अलग हुयी. उसके बाद उस रात कुछ नहीं हुआ, शायद वो फिर से हिम्मत नहीं कर पाई.

भाई के पनिशमेंट के चक्कर में तीन दिन से मैं झड़ी नहीं थी. परसों रात को साले ने मुझे गर्म करके तड़पता छोड़ दिया था. पहले सेक्सी बातें करके मुझे गर्म किया. फिर जब मैं चुत में उंगली करने लगी, तो उसने मुझे रुकने का कहते हुए चला गया. मेरी दहकती चुत प्यासी छोड़ कर चला गया.

उसने जाते समय ये कहा था कि नो ओर्गेज्म फ़ॉर थ्री डेज. (अगले तीन दिनों तक तुम चरमानंद नहीं लोगी)

ऐसा वो अक्सर मुझे तड़पाने के लिए करता है ताकि अंत में वो मेरी जबरदस्त चुदाई कर सके. घर पर भी हमें जब पता चलता था कि मम्मी पापा कहीं साथ में जाने वाले हैं और हम अकेले रहेंगे, तो कुछ दिन पहले से वो मुझे चोदना बन्द कर देता था. ताकि उनके जाने के बाद दिन रात मुझे चोदे.

अभी मेरी जवानी मचल रही थी. मेरी उत्तेजना ऐसी हो गई थी कि रास्ते चलते किसी से भी चुदवा लूं.

अगले दिन भी इशिता बहाने मार कर मेरे पास सो गई. कुछ देर बाद उसने एसी ऑफ करने को बोला कि उसे ठंड लग रही थी.

मैंने एसी ऑफ कर दिया. मुझे गर्मी लगने लगी. मैंने टी-शर्ट निकाल दी. इशिता का मुझे याद तब आया, जब उसकी हरकतें चालू हुईं. मैं सिर्फ ब्रा में थी. नीचे हॉट पैंट पहने थी. लगभग अधनंगी हालत में थी.

बीच रात इशिता की हरकतें चालू हुईं. वो मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी. मैं उत्तेजित होने लगी. बड़ी मुश्किल से मैं खुद को सामान्य दिखा पा रही थी.

उसके हाथ जब मेरे नंगे पेट पर पहुंचे, मैं मचल गयी. उसके कोमल हाथों का स्पर्श, हाय क्या मस्त एहसास था. मैं इतनी खोई हुई थी कि मेरी वासना में मुझे याद नहीं शायद मेरे मुख से सिसकारियां भी निकल गयी हों. मेरी सांसें स्वाभाविक रूप तेज थीं, जिन पर काबू पाने की मैं कोशिश कर रही थी.

मुझे मेरी हालात का अंदाजा लगते ही मैंने पुराना पैंतरा अपनाया. मैंने करवट बदल कर अपनी वासना छिपाने की कोशिश की. लेकिन शायद इशिता को मेरे हालात का अंदाजा लग गया था. इशिता अपने पैर मेरे पैरों पर चढ़ा कर मेरे जिस्म से चिपक गयी.

मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. ये क्या वो पूरी तरह नंगी थी. मेरे नंगी पीठ पर अपने मम्मों को घिसते हुए शायद वो अपनी चुत में उंगली कर रही थी. उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- ओह्ह यस हम्म फक मी हम्म.

यहां मैं पागल हुई जा रही थी. शर्म से पानी पानी हो गयी थी. उसके कठोर चूचुकों को मैं अपने पीठ पर महसूस कर सकती थी. ये क्या हो रहा था मुझे. मेरी चुत गीली हो रही थी. जीवन में पहली बार किसी लड़की के स्पर्श ने मुझे गीला कर दिया था.

झड़ते हुए इशिता मेरे बदन से बिल्कुल चिपक गयी. अनजाने में उसने मेरे मम्मे भींच लिए और झटके मारते हुए झड़ गयी. वो मेरे गर्दन पर किस करते हुए अलग हुयी और चादर ओढ़ कर सो गई.

अब मुझे नींद कहां आने वाली थी, मेरी नींद उड़ा दी थी उसने. कई तरह के सवाल थे मेरे मन में. रोज इशिता पूरी नंगी होकर ये सब करती थी? उसका कोमल स्पर्श, उसके नंगे बदन का स्पर्श उसकी गर्म सांसें, पूरा माहौल गर्म कर चुकी थी. मेरे अन्दर बेचैनी का तूफान दौड़ रहा था. करवट बदलते रात कटी.

सुबह देखा तो इशिता मेरे बगल में ही सो रही थी. उसके भोले चेहरे से लगता ही नहीं था कि वो इतनी बड़ी रंडी होगी. मैं उठी तैयार होने चली गयी, मुझे ऑफिस जाना था.

सुबह के ब्रेकफास्ट पर इशिता बिल्कुल सामान्य थी. जैसे कुछ हुआ ही नहीं.

फिर मैं रोज की तरह ऑफिस चली गयी. आज तीसरा दिन था. सुबह से भाई के तीन मैसेज आ चुके थे.
“हाय स्लट..!” (रंडी)
“हाय, सेक्सी!”
“हाय, जान!”

मैंने किसी का रिप्लाई नहीं किया था. मैंने उसे उसी दिन बोल दिया था. जब वो मुझे प्यासा छोड़ गया था. ठीक है तो मैं भी तीन दिन तुझसे बात नहीं करूंगी. तू भी तड़प थोड़ा, फिर मजा आएगा.

ऑफिस में उसका मैसेज फिर से आया- सॉरी दीदी.
मैं मुस्कुरायी, जैसे मैं बाजी जीत गयी हूं.
“क्या है?” मैंने इतराते हुए जबाव दिया.
“सॉरी जान … ये देखो तीन दिन में तुम्हारे बिना क्या हाल हो गया है.” साथ में उसने एक पिक भेजी.

आप सबके जैसे मुझे भी लगा था कि ये उसकी पिक होगी. लेकिन मैं उसके रग रग से वाकिफ हूँ सीधे काम उसे पसन्द कहां.

ये उसके फनफ़नाते लौड़े की तस्वीर थी. अचानक से उसके विशालकाय लंड को देख कर मैं डर गई. मोबाईल मेरे हाथ से छूट के नीचे गिर गया. मैंने आस पास देखा, बाकी के लोग मुझे घूर रहे थे. क्योंकि हम मीटिंग में थे.

बीस मिनट में मीटिंग खत्म हुई. क्यूबिकल में आके मैंने मोबाइल देखा, तो उसके मैसेज थे.
“सॉरी … दीदी.”
“सॉरी … सॉरी दीदी मान जाओ न.”
“पहले भी तो हम ये करते थे.”
और भी दस सॉरी के मैसेज थे.

मैंने झट से जबाव टाइप किया- ओके … बाबा ठीक है … लेकिन बोल दोबारा प्यासी छोड़ कर नहीं जाएगा.
“नहीं जाऊंगा ओके..”
“हम्म अब ठीक है.”
“अब अपनी चुत की फ़ोटो भेजो प्लीज.”
“कुछ देर में भेजती हूं.”
“ओके.”

फिर मैं काम करने लगी. लंच ब्रेक में मैं बाथरूम गयी. मैंने दरवाजा लॉक किया. अपनी स्कर्ट निकाल दी और पैन्टी घुटनों तक सरका दी. दो तीन फोटोज अलग अलग ऐंगल्स से अलग अलग पोज में लिए और भाई को भेज दिए. फिर मैंने खुद फोटोज को जूम करके देखा तो मेरी चुत फूली हुई पाव रोटी की तरह दिख रही थी. भाई के साथ चैट से थोड़ी पनीली जरूर हो गयी थी. हल्की हल्की झांटें उग आयी थीं.

मैं गर्म तो हो चुकी थी लेकिन मैंने ठान लिया था.
“सुन … मुझे तुझसे कुछ बात करनी है.”
“हां, बोलो न?”

मैंने पूछा कि लड़की लड़की के बीच वैसा सेक्स हो सकता है क्या?
“ओहो … क्या बात है मेरी रंडी बहन को कोई रंडी मिल गयी क्या?”
“चुप कर … जो पूछा वो बता?”

भाई का फंडा क्लियर था. उसने बोला- सेक्स दो जिस्मों का मिलन है, ये मिलन, मेल (नर) मेल के बीच हो, मेल फीमेल (मादा) के बीच, या फिर फीमेल फीमेल के बीच. अपनी जरूरतों के अनुसार जब भी मौका मिले, इसका आनन्द उठाया जा सकता है.
मैं उसकी इस बात से सहमत थी.

उसकी बात सुन कर मैं मोटीवेट हो गयी. मैंने निश्चित किया कि चुत की प्यास तो अपनी बहन के हाथों ही बुझाऊंगी.

मैंने इशिता से खेल किया.

डिनर के बाद रोज की तरह इशिता ने मुझे उसके कमरे में सोने का आग्रह किया क्योंकि मामी भी आज घर पर नहीं थीं. वैसे उनके होने से उसे घंटा फर्क नहीं पड़ता था. वो एक सनकी लेस्बियन थी. लेकिन कल मेरी अन्तर्वासना को टटोल कर उसने मुझे बेशर्म बनाने पर मजबूर कर दिया था.

मैंने भी निश्चित कर लिया था कि आज अपनी तड़प बुझा कर रहूंगी. वो भी अपनी बहन के हाथों से प्यास बुझा लूंगी. मेरी चुत महीनों से तड़प रही थी.
मैंने इशिता को बोला- तू चल, मैं आती हूं.

मैं अपने कमरे में गयी. मैंने आईने के सामने खड़े होकर खुद को निहारा. मेरे मस्त उठे हुए चूचों पर हाथ फेरा. मेरे कातिल रूप को देख मैं इठला गयी. मैंने ड्रेस चेंज किया और एक नई सेक्सी ब्रा पहन ली. अपने बेस्ट परफ्यूम से खुद के बदन को महकाया. थोड़ा सा लिपस्टिक और काजल भी लगाया. थोड़ा सा ही मेकअप किया ताकि वो ये ना कहे कि दीदी सज धज के चुत चुसवाने आयी है.

मैंने वापस से अपनी टी-शर्ट पहन ली. नीचे हॉट पेंट पहन ली. रोज मैं इसी अवतार में सोती हूं, अगर भाई मुझे नंगी सोने का टास्क न दे तो.
खुले बदन सोने का मजा ही कुछ और है.

इशिता बेड पर लेटी टीवी देख रही थी. मैं भी बेड पर बैठ गयी और बुक पढ़ने लगी.
कुछ देर उसने चैनल पर चैनल बदले, फिर झल्ला कर टीवी को बन्द कर दिया- धत्त … इस पर कुछ नहीं आता, डब्बा है बिल्कुल.

मैंने उसे स्माइल पास की. इशिता सोने लगी.

कुछ देर बुक पढ़ने का दिखावा करने के बाद मैं भी सोने लगी. मैं उसके हर चाल से वाकिफ थी. लेकिन सेक्स की मेरी तड़प ने मुझे मेरी बहन के बिस्तर पर पटक दिया था. मैं विवस थी अपनी इच्छाओं से. नींद मुझे कहां आने वाली थी.

दो चचेरी बहनों की लेस्बियन सेक्स कहानी कैसी लग रही है आपको? मुझे मेल करके बताएं.
विशाल जैसवाल
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